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कुशलता और समानता बढ़ाने के लिए विकेंद्रीकरण ज़रूरी है
बिजली वितरण कंपनियां: भारत में ऊर्जा बदलाव के क्षेत्र की कमज़ोर कड़ी
भारत की “दख़ल वाली सरकार” का लक्ष्य है अधिक विकास!
ऊर्जा परिवर्तन: आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए पर्याप्त निवेश ज़रूरी
दुबई COP28: बयानबाज़ियों से परे ठोस कार्रवाई पर ज़ोर
दुबई COP28: कार्बन उत्सर्जन कम करने के लिए कोरी बातों की नहीं, बल्कि वास्तविकता में कुछ करने की ज़रूरत
कोयले से बिजली उत्पादन में परिवर्तन का रियलिटी चेक
नेट ज़ीरो के रास्ते की मुश्किल चुनौतियों के लिए कठोर उपाय ज़रूरी
IPSOS Global Survey 2023: ‘जलवायु कार्रवाई को लेकर भारतीय अत्यधिक संवेदनशील हैं और उच्च कार्बन टैक्स के समर्थक हैं’
भारत में ‘गरीबी’ का खाका खींचना!
#Indian Economy: भारत को लेकर उम्मीदें बनी हुई हैं!
कार्बन शुल्क तकनीकों के बीच न्यूनीकरण व्यय को तर्कसंगत बना सकता है.
आर्थिक क्षेत्र में विकास की प्रक्रिया में तेज़ी लाने की दरकार!
भारत के ख़ुदरा ई-कॉमर्स को बंदिशों से आज़ाद करो
रूस पर अमेरिकी प्रतिबंध: ‘हज़ारों ज़ख़्म’ देने की रणनीति के समानांतर नुक़सान भी हैं!
भारत की ग्रीन हाइड्रोजन नीति: की अनिश्चित शुरुआत
अर्थव्यवस्था: भारत की मौद्रिक नीति पर हंगामा है क्यों बरपा?
मोदी सरकार के बजट: संस्थागत बदलावों के बग़ैर बड़ी उपलब्धियां
भारत के शहर: अधूरे प्रजातंत्रीकरण ने बाधित किया विकास
Political parties and election finance: राजनीतिक दलों और उन्हें मिलने वाले अस्पष्ट चुनावी चंदों पर नियंत्रण की चुनौती?
Public Spending: सार्वजनिक व्यय: फ़िज़ूलख़र्ची घटाकर विकास के वाहकों पर ख़र्च बढ़ाना ज़रूरी
भारत नेट ज़ीरो के लक्ष्य की ओर तेज़ी से कैसे आगे बढ़े?
राजकोषीय एवं संस्थानिक तनाव के दौरान ऊर्जा संक्रमण
डी-कार्बोनाइज़ेशन के मुद्दे पर संस्था के स्तर पर असमंजस की स्थिति!
‘मददगार राजकोषीय नीति के बग़ैर मौद्रिक नीति को महंगाई पर काबू पाने में संघर्ष करना पड़ेगा’
भारत: वर्ष 2022 के बीतने के बाद नये साल 2023 में देश के प्रारुप का संक्षिप्त वर्णन!
CBDC यानी केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्रा संबंधित एकीकृत वैश्विक दृष्टिकोण की ज़रूरत पर ज़ोर!
निर्मित संरचनाओं से कार्बन निकालना
मौद्रिक नीति और राजकोषीय नीति में तालमेल ज़रूरी!
हरित लेखांकन: हमारे साझा भविष्य का मूल्यांकन
भारत की वित्तीय और मौद्रिक नीति: विकास की रफ़्तार रोके बिना महंगाई पर नकेल कसने की चुनौती
#Indian Economy: आर्थिक विकास के लिए निर्यात को बढ़ावा देना कितना ज़रूरी?
बिजली (संशोधन) विधेयक 2022: नियामक प्रोत्साहन अधिकार प्राप्त करना
देश की स्वाधीनता के 75 वर्ष: बेहतर भविष्य पर नज़र!
#Public Policy: सरकारी नीतियों में व्याप्त कमियों को कैसे दूर किया जाए?
अग्निपथ योजना से जुड़े सामाजिक और राजनीतिक प्रभावों की पड़ताल
ग्रीन हाइड्रोजन: दूर की कौड़ी या सचमुच का बदलाव?
#Indo-Pacific: वर्ष 2022 में अमेरिका की हिंद-प्रशांत रणनीति का विश्लेषण
भारत के ख़ुदरा ई-कॉमर्स को बंदिशों से आज़ाद करो
रूस पर अमेरिकी प्रतिबंध: ‘हज़ारों ज़ख़्म’ देने की रणनीति के समानांतर नुक़सान भी हैं!
यूक्रेन संकट और भारत में विकास की सुस्त होती रफ़्तार: कुछ बुनियादी बातें
भारत की ग्रीन हाइड्रोजन नीति: की अनिश्चित शुरुआत
अर्थव्यवस्था: भारत की मौद्रिक नीति पर हंगामा है क्यों बरपा?
मोदी सरकार के बजट: संस्थागत बदलावों के बग़ैर बड़ी उपलब्धियां
भारत के शहर: अधूरे प्रजातंत्रीकरण ने बाधित किया विकास
भारत के शहर: अधूरे प्रजातंत्रीकरण ने बाधित किया विकास
कोविड 19 के बाद: ज़ख़्म से उबरने की कोशिश में भारत; विकास की रफ़्तार में धीमापन बरकरार
नेट ज़ीरो का संस्थानीकरण
जलवायु परिवर्तन: ग्लासगो में होने वाले COP26 सम्मेलन में हो साझी कोशिश
अगर हम डेटा की परिभाषा नये ‘तेल’ की करते हैं तो क्या हाइड्रोजन को भी हमें नई ‘गैस’ माननी चाहिये?
छह लाख करोड़ रुपये की नेशनल मॉनेटाइज़ेशन पाइपलाइन – वास्तव में ऐसा होगा क्या?
भारतीय अर्थव्यवस्था: पटरी पर लौटने की कोशिश में लगातार कर रही है संघर्ष
राजनीतिक और आर्थिक तौर पर घिसी-पिटी सोच के शिकार हैं ‘भारत के शहर’
तमिलनाडु की अर्थव्यवस्था को ‘रीबूट’ करने की ज़रूरत
बिल्ली के गले में घंटी बांधना- अफ़सरशाही का प्रशिक्षण
क्या दिल्ली में लोकतांत्रिक व्यवस्था का पतन हुआ है?
2030 का भारत- राजनीतिक स्थिरता से होने वाली मामूली उपयोगिता की पड़ताल
गरीबों के लिए ‘न्याय’ का दावा, लेकिन किस कीमत पर
आईएल एंड एफएस: उभरते भारत का अपना ‘रॉबर बैरन’
कुएं और खाई के बीच सर्वोच्च न्यायालय
गुजरात में भाजपा की आधी जीत
मोदी का अगला बड़ा कदम: बुनियादी आय हस्तांतरण!