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वैसे तो रूस 2015 के बाद से ही पश्चिमी एशिया में महत्वपूर्ण भ�
बांग्लादेश में इस वक़्त चल रही राजनीतिक उठा-पटक और कम क़ी�
बिग डेटा तकनीक़ में जलवायु लचीलापन स्थापित करने की ज़बरद
अब वो समय चुका है, जब हम न केवल जलवायु परिवर्तन के कारण साम�
इस पर्यावरण दिवस पर भागीदारों को ज़मीन के पुनसंरक्षण, सू�
सही शहरी योजना निर्माण नहीं किया गया, तो भविष्य में भारत क
पारंपरिक व्यवस्थाओं के हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर को अलग अल�
न तो नैरेटिव, न ही बयानबाज़ी: यूरोपीय संघ को चाहिए कि वो अप�
आर्कटिक क्षेत्र के पर्यावरण और भूराजनीतिक परिस्थितियों
नगर निकाय के स्तर पर समावेशी उपायों के माध्यम से जलवायु स�
जैसे-जैसे पश्चिमी देश रूस की ऊर्जा पर अपनी निर्भरता कम कर
उम्मीद है कि अगले पांच वर्षों में हम हर दिन ओलंपिक स्तर के
सेनाओं की संरचना बदलने के प्रस्ताव के पीछे का तर्क सामरि�
विकसित और विकासशील देशों के बीच पुल के तौर पर भारत ने दिखा
दुनिया के जोख़िमग्रस्त क्षेत्रों में जलवायु परिवर्तन स�
साझीदार के रूप में उभर रहे ऑस्ट्रेलिया और भारत दुर्लभ मृ�
सबसे बड़े मंचों पर जलवायु अनुकूलन के निर्विवाद महत्व को �
अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष द्वारा हाल ही में जो जलवायु लच
भारत की अध्यक्षता के एजेंडे को आगे बढ़ाते हुए, 2023 के विशाल �
इस बात के पर्याप्त संकेत हैं कि भारत में ठोस शहरी उत्पादक�
रूस विश्व के सबसे अधिक प्रतिबंधों को झेलने वाला देश है, इस
पता चलता है कि महामारी ने अनेक आर्थिक क्षेत्रों में अवसर
भारत को वैश्विक स्तर पर इलाज का एक केंद्र बनाने हेतु हमें
यह उचित समय है कि हम COP एजेंडे में लॉस एंड डैमेज फाइनेंस को �
हालांकि ट्रान्स अटलांटिक गठबंधन ने अब तक अपने रूख़ में ल�
हालांकि ट्रान्स अटलांटिक गठबंधन ने अब तक अपने रूख़ में ल�
इस लेख में कृषि क्षेत्र की ख़राब मौसम और दूसरे झटके सहने क
इस लेख में कृषि क्षेत्र की ख़राब मौसम और दूसरे झटके सहने क
IPEF के चार मुख्य स्तंभों की पड़ताल: हिंद प्रशांत क्षेत्र मे
IPEF के चार मुख्य स्तंभों की पड़ताल: हिंद प्रशांत क्षेत्र मे
दुनिया के जोख़िमग्रस्त क्षेत्रों में जलवायु परिवर्तन स�
सरकार को शिक्षा और रोज़गार जैसे उपायों में निवेश करने की �
जलवायु परिवर्तन से निपटने के अपने प्रयासों में भारत जैसे
अब जब भारत ने 2070 तक नेट ज़ीरों को हासिल करने की प्रतिज्ञा क�
जलवायु संकट के बीच COP26 से आशा की एक नई किरण जगी है. हालांकि अ�
दुनियाभर में लगातार बढ़ती और प्रबल होती तीव्र जलवायु संब
कार्बन उत्सर्जन कम करने के प्रयोगों के तौर पर भारत, दुनिय�
अब तक जिन वित्तीय उत्पादों की परिकल्पना की गई है, वो जलवाय
सबसे कमज़ोर और असुरक्षित तबके को साधने के लिए सतत विकास, ज
भारत जैसे जिन विकासशील देशों ने जियोइंजीनियरिंग पर रिसर�