Published on Jan 30, 2024 Updated 0 Hours ago

जैसे-जैसे पश्चिमी देश रूस की ऊर्जा पर अपनी निर्भरता कम कर रहे हैं, वैसे-वैसे ऊर्जा बाज़ार में बदलाव आ रहा है.

रूस: सैन्य अनुकूलता और आर्थिक लचीलापन!

अपनी सालाना प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान पिछले साल की घटनाओं की चर्चा करते हुए रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने शांत रहकर आत्मविश्वास दिखाया. आर्थिक तबाही और सैन्य पराजय समेत विनाश और निराशा की भविष्यवाणियां बेकार साबित हुई हैं. रूस की अर्थव्यवस्था तेज़ी से बढ़ती दिखाई दे रही है और उसके सशस्त्र बल यूक्रेन के ख़िलाफ़ युद्ध के मैदान में आगे हैं.

2023 में रूस एक परिवर्तनकारी दौर से गुज़रा जिसमें सामरिक पुनर्गठन और संगठन शामिल हैं. इसकी वजह से स्पष्ट रुझान सामने आए जो 2024 में विकास की संभावित राह के बारे में जानकारी देते हैं. 

फरवरी 2022 में यूक्रेन पर हमले के बाद मिले शुरुआती झटकों से रूस की सेना उबर गई. रणनीति में सामंजस्य और सैन्य अभियान की क्षमता में सुधार जैसे बदलावों की वजह से ज़मीनी स्तर पर रूस की सेना मज़बूत हुई है.

सैन्य अनुकूलता और नवाचार

सेना की बात करें तो पिछले साल रूस ने अपने सशस्त्र बलों की क्षमता के बारे में कई अनिश्चितताओं को दूर किया. फरवरी 2022 में यूक्रेन पर हमले के बाद मिले शुरुआती झटकों से रूस की सेना उबर गई. रणनीति में सामंजस्य और सैन्य अभियान की क्षमता में सुधार जैसे बदलावों की वजह से ज़मीनी स्तर पर रूस की सेना मज़बूत हुई है. इससे उन चार इलाक़ों में क्षेत्रीय शासन व्यवस्था (गवर्नेंस मशीनरी) की स्थापना हुई है जिन्हें रूस ने ख़ुद में शामिल करने का एलान किया था. रूस ने हालात के मुताबिक ख़ुद को बदलने और पश्चिमी देशों के आधुनिक हथियारों का मुकाबला करने की क्षमता भी दिखाई है. पश्चिमी देशों की उन्नत (सॉफिस्टिकेटेड) मिसाइलों, आर्टिलरी और दूसरे हथियारों के सिस्टम ने अभी तक सीमित मात्रा में नुकसान पहुंचाया है जो रूस के एयर डिफेंस सिस्टम की कुशलता को दिखाता है.  

इसके अलावा, यूक्रेन के काफी भीतर तक घुसकर हमला करने की रूस की क्षमता से संकेत मिलता है कि उसने यूक्रेन में तैनात पश्चिमी देशों के एयर डिफेंस सिस्टम की कमज़ोरियों की पहचान कर ली है. पिछले दिनों एक रिपोर्ट में रूस के रक्षा प्रमुख जनरल सर्गेई शोइगु ने कहा कि सैन्य-औद्योगिक परिसर में सुधारों ने हथियारों एवं गोला-बारूद के उत्पादन को बढ़ाने में योगदान दिया है. अब इन अटकलों के बाद भी किसी तरह की कमी की ख़बर नहीं आ रही है कि चिप्स की कमी के कारण हथियारों के उत्पादन में दिक्कत आएगी. शोइगु ने ये भी कहा कि हथियारों के उत्पादन में इनोवेशन की दर में सुधार हुआ है. उन्होंने इसके पक्ष में रूस और पश्चिमी देशों के हथियारों के सिस्टम के अपेक्षाकृत प्रदर्शन के बारे में कुछ आंकड़े दिए हैं. 

आर्थिक लचीलापन और वैश्विक स्तर पर फिर से संतुलन

अर्थव्यवस्था की बात करें तो तीसरी तिमाही में 5.5 की विकास दर के साथ रूस का प्रदर्शन IMF के अनुमानों से बेहतर रहा. रूस पर व्यापक आर्थिक प्रतिबंधों ने अभी तक रोज़ाना की खपत के पैटर्न को प्रभावित नहीं किया है. 7.1 प्रतिशत की मुद्रास्फीति दर के साथ खाने-पीने और दूसरे ज़रूरी सामानों की कीमत में बढ़ोतरी हो रही है. बैंक ऑफ रशिया की गवर्नर एलविरा नबीउल्लीना ने सब्सिडी पर बढ़ते राजकोषीय खर्च, जो राजकोषीय घाटे में योगदान देता है, के बारे में चिंता जताई है. 

बैंक ऑफ रशिया की गवर्नर एलविरा नबीउल्लीना ने सब्सिडी पर बढ़ते राजकोषीय खर्च, जो राजकोषीय घाटे में योगदान देता है, के बारे में चिंता जताई है. 

रूस पश्चिमी देशों के द्वारा तय 60 अमेरिकी डॉलर की तेल की कीमत की सीमा को तोड़ने में भी सक्षम रहा जिसकी वजह से अर्थव्यवस्था को मज़बूत होने में मदद मिली. रूस से पश्चिमी देशों की कंपनियों के जाने और उनकी संपत्तियों पर रूस के संस्थानों के कब्ज़े ने धन के फिर से बंटवारे के एक महत्वपूर्ण रुझान की शुरुआत की है. 

जैसे-जैसे पश्चिमी देश रूस की ऊर्जा पर अपनी निर्भरता कम कर रहे हैं, वैसे-वैसे ऊर्जा बाज़ार में बदलाव आ रहा है. चीन, भारत, तुर्की, UAE, ब्राज़ील और दक्षिण कोरिया अब रूस से ऊर्जा आयात में बढ़ोतरी कर रहे हैं. रूस के साथ कारोबार करने वाले देश डॉलर के उपयोग से दूर जा रहे हैं और युआन, दिरहम एवं रुपये पर निर्भर हो रहे हैं. 

लगातार लोकप्रिय समर्थन 

रूस के भीतर युद्ध के ख़िलाफ़ भावनाएं होने के बावजूद रूस के ज़्यादार लोग राष्ट्रपति पुतिन का समर्थन करते हैं. हालांकि सत्ताधारी यूनाइटेड रशिया पार्टी को 2023 में स्थानीय और क्षेत्रीय चुनावों में कुछ झटके लगे हैं लेकिन मौजूदा समय में इस बात को लेकर बेहद कम संदेह है कि मार्च में राष्ट्रपति चुनाव के बाद पुतिन एक बार फिर सत्ता संभालेंगे. 

भू-राजनीतिक मोर्चे पर देखें तो यूक्रेन में रूस के उलझने से दक्षिणी काकेशस और मध्य एशिया के क्षेत्रों के घटनाकम्र पर रूस का ध्यान सीमित हो गया है. राष्ट्रपति पुतिन ने पिछले दिनों यूक्रेन में शांति को लेकर चर्चा करने की अपनी इच्छा का संकेत दिया लेकिन इस बात की संभावना कम है कि वो रूस की कुछ मूल मांगों यानी पूर्व की ओर नेटो के विस्तार को रोकना, रूस की सीमा पर नेटो के आक्रामक हथियारों को तैनात नहीं किया जाना और यूक्रेन की तटस्थता से पीछे हटेंगे. इस बात की संभावना भी बेहद कम है कि रूस युद्ध के दौरान हासिल किसी इलाके पर अपना दावा छोड़ देगा. अगर 2024 में बातचीत शुरू भी हो जाती है तो पश्चिमी देशों के साथ रूस के संबंध में आने वाले कई वर्षों में महत्वपूर्ण रूप से सुधार होने की उम्मीद कम है. 

अगर 2024 में बातचीत शुरू भी हो जाती है तो पश्चिमी देशों के साथ रूस के संबंध में आने वाले कई वर्षों में महत्वपूर्ण रूप से सुधार होने की उम्मीद कम है. 

इन रुकावटों के साथ यूक्रेन में युद्ध को लेकर पश्चिमी देशों की बेहद प्रचारित उम्मीदें संकेत देती हैं कि 2024 में शांति होने की उम्मीद नहीं है. लेकिन यूक्रेन को समर्थन देने की आर्थिक लागत पश्चिमी देशों को दुश्मनी ख़त्म करने की प्रक्रिया में भागीदार बनने की तरफ धकेल सकती है, भले ही यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर ज़ेलेंस्की इसका विरोध करें. 

आगे की चुनौतियां 

महंगाई से निपटने और कल्याणकारी कदमों को बरकरार रखने की परस्पर विरोधी नीतियों में संतुलन 2024 में अर्थव्यवस्था को स्थिर करने के लिए महत्वपूर्ण होगा. रूस प्रमुख गैर-पश्चिमी देशों जैसे कि चीन, भारत, सऊदी अरब, तुर्की, ब्राज़ील और दक्षिण अफ्रीका के साथ संबंध मज़बूत करने की कोशिश करेगा. रूस दक्षिणी काकेशस और मध्य एशिया में लगे कुछ झटकों को भी पलटने की कोशिश करेगा. पुतिन ये समझने के लिए पर्याप्त अनुभवी हैं कि 2023 से पार पाना इस बात की गारंटी नहीं देता कि अगला साल कुछ कम चुनौतीपूर्ण होगा.


(नंदन उन्नीकृष्णन ORF में डिस्टिंग्विश्ड फेलो हैं.) 

(रजोली सिद्धार्थ जयप्रकाश ORF में इंटर्न हैं)

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Authors

Nandan Unnikrishnan

Nandan Unnikrishnan

Nandan Unnikrishnan is a Distinguished Fellow at Observer Research Foundation New Delhi. He joined ORF in 2004. He looks after the Eurasia Programme of Studies. ...

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Rajoli Siddharth Jayaprakash

Rajoli Siddharth Jayaprakash

Rajoli Siddharth Jayaprakash is a Research Assistant with the ORF Strategic Studies programme, focusing on Russia's domestic politics and economy, Russia's grand strategy, and India-Russia ...

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