Author : Tanya Aggarwal

Expert Speak Digital Frontiers
Published on Apr 29, 2024 Updated 0 Hours ago

पारंपरिक व्यवस्थाओं के हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर को अलग अलग करने की O-RAN की क्षमता से लचीलापन और अलग अलग व्यवस्थाओं के साथ काम करने में मज़बूती आती है. ये आगे चलकर 5G में चीन के दबदबे को चुनौती दे सकता है.

O-RAN को समझने की कोशिश: 5G से आगे की डिजिटल कनेक्टिविटी का ब्लूप्रिंट

5G तकनीक इनोवेशन की ऐसी मशाल बनकर उभरी है, जो अभूतपूर्व गति, विश्वसनीयता और कनेक्टिविटी उपलब्ध कराने का वादा करती है. ये तकनीक स्वास्थ्य, मूलभूत ढांचे और शिक्षा समेत तमाम क्षेत्रों में डिजिटल कनेक्टिविटी के नए युग का संचार करने वाली तकनीक है. दुनिया के 5G बाज़ार में चीन एक प्रमुख देश है, जो इस तकनीक को दुनिया भर में निर्यात करने के लिए अपने डिजिटल सिल्क रोड (DSR) की पहल का सहारा ले रहा है. इस वजह से तेज़ी से विकास कर रहे इस क्षेत्र में चीन के दबदबे को लेकर आशंकाएं पैदा हो गई हैं और ऐसे में ये ज़रूरी हो गया है कि नई तकनीक के मुताबिक़ ढाले जा सकने और बड़े पैमाने पर लागू किए जा सकने वाले समाधानों की संभावनाएं तलाश की जाएं. ओपेन रेडियो एक्सेस नेटवर्क (O-RAN) एक प्रभावी विकल्प के तौर पर उभरा है, जो पारंपरिक तरीक़ों को चुनौती दे रहा है. O-RAN बुनियादी तौर पर पारंपरिक रेडियो एक्सेस नेटवर्क के तमाम मूलभूत स्तंभों (रेडियो, हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर) के आपसी प्रोटोकॉल और इंटरफेस को खोलता है. रेडियो एक्सेस नेटवर्क, बेतार की दूरसंचार व्यवस्थाओं का एक प्रमुख तत्व है. हार्डवेयर को सॉफ्टवेयर के तत्वों से अलग करने का ये सामरिक परिवर्तन अधिक संतुलित और स्थायी तकनीकी इकोसिस्टम विकसित करने में मददगार बन सकता है.

पारंपरिक नेटवर्क जिनमें हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर बड़ी नज़दीकी से एक दूसरे से जुड़े रहते हैं. वहीं, O-RAN इन सबको अलग अलग करता है. जिससे एक कंपनी के नेटवर्क के कुछ हिस्सों को दूसरी कंपनियों के उपकरणों की मदद से चलाया जा सकता है. 

कनेक्टिविटी के बुनियादी स्तंभ

पारंपरिक रूप से दूरसंचार के मूलभूत ढांचे पर मालिकाना अधिकार वाले सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर से समाधानों का दबदबा रहा है, जो किसी ख़ास कंपनी के स्वामित्व वाली व्यवस्था से बड़ी नज़दीकी से जुड़े रहते हैं. वैसे तो ये तरीक़ा काफ़ी प्रभावी होता है. लेकिन, अक्सर इससे सेवाएं देने वाली कंपनी एकाधिपत्य स्थापित कर लेती है और बाहरी सिस्टम से जुड़ने नहीं देती. इससे सिस्टम में लचीलापन सीमित हो जाता है और इनके विकास में काफ़ी लागत भी आती है. पारंपरिक नेटवर्क जिनमें हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर बड़ी नज़दीकी से एक दूसरे से जुड़े रहते हैं. वहीं, O-RAN इन सबको अलग अलग करता है. जिससे एक कंपनी के नेटवर्क के कुछ हिस्सों को दूसरी कंपनियों के उपकरणों की मदद से चलाया जा सकता है. इससे दूरसंचार व्यवस्थाओं में अधिक लचीलापन आता है. आविष्कार की संभावनाएं बढ़ती हैं और नेटवर्क के ढांचे में झटके सहने की क्षमता बढ़ती है. ये मॉड्यूलर व्यवस्था किसी दूरसंचार सेवा प्रदाता को अलग अलग कंपनियों के उपकरणों को मिलाकर इस्तेमाल करने, अपना प्रदर्शन बेहतर करने और नेटवर्कों को अधिक कुशलता से लागू करने में मदद मिलती है. O-RAN की जड़ में तीन प्रमुख तत्व होते हैं: रेडियो यूनिट (RU), डिस्ट्रीब्यूटेड यूनिट (DU) और सेंट्रलाइज़्ड यूनिट (CU).

Table 1: O-RAN के तत्वों को ऐसे समझें

Radio Unit (RU) Distributed Unit (DU) Centralised United (CU)

● रेडियो दूरसंचार और रिसेप्शन

● सॉफ्टवेयर 

● एक ही सेवा प्रदाता

● बेसबैंड प्रोसेसिंग और नेटवर्क ऑर्केस्ट्रेशन

● हार्डवेयर 

● अलग अलग सेवा प्रदाता हो सकते हैं

●  बेसबैंड प्रोसेसिंग और नेटवर्क ऑर्केस्ट्रेशन

● हार्डवेयर 

● अलग अलग सेवा प्रदाता हो सकते हैं

स्रोत: Nokia

यहां इस बात पर ध्यान देना ज़रूरी है कि O-RAN और 5G एक दूसरे से मुक़ाबला करने वाली तकनीकें नहीं हैं, बल्कि ये एक दूसरे की पूरक रूप-रेखाएं हैं. जहां 5G का मतलब मोबाइल का नई पीढ़ी का नेटवर्क है, जो अभूतपूर्व स्पीड और कनेक्टिविटी देने का वादा करता है. वहीं. O-RAN इन तरक़्क़ियों को सहायता देने वाले मूलभूत ढांचे पर अपना ध्यान केंद्रित करता है. मोटे तौर पर O-RAN, 5G तकनीक को आगे बढ़ाने का सहयोगी है, जो इसकी तमाम संभावनाओं की पूर्ति करने में लचीले और व्यापक स्तर पर लागू किया जा सकने वाला ढांचा मुहैया कराता है. हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर को अलग अलग करके O-RAN, 5G के नेटवर्क को तेज़ी से लागू करने में मददगार बनता है. इनोवेशन के चक्र की गति बढ़ाता है और कुछ ख़ास कंपनियों पर निर्भरता को कम करता है. यही नहीं, O-RAN का उपयोग तो 5G से भी आगे जाता है. ये मोबाइल तकनीक की अलग अलग पीढ़ियों के लिए उपयोगी लाभ मुहैया कराता है. खुलेपन का इसका सिद्धांत भविष्य में भी तरक़्क़ी के द्वार खोलता है और ये सुनिश्चित करता है कि नेटवर्क, उभरती हुई ज़रूरतों के मुताबिक़ ढाले जाने लायक़ और लचीला बना रहता है.

चीन पर लगाम लगाने की कोशिश?

5G नेटवर्क क्लाउड तकनीक का इस्तेमाल करता है, जोमोबिलिटी को सरल बनाने और सेल्यूलर एवं वाई-फाई के ज़रिए नेटवर्क तक पहुंच बनाने के लिए अबाध और खुली रोमिंग की सुविधाउपलब्ध कराने में सहायक बनता है. ये ज़्यादातर सुविधाएं चीन की कंपनियां जैसे कि हुआवेई और ZTE उपलब्ध कराती हैं, क्योंकि यही कंपनियां 5G के मूलभूत ढांचे के विकास में अग्रणी भूमिका निभा रही हैं. चीन के बेल्ट ऐंड रोड इनिशिएटिव के एक पहलू के तौर पर डिजिटल सिल्क रूट का इस्तेमाल करते हुए चीन ने दूरसंचार के उपकरणों का निर्यात काफ़ी बढ़ा दिया है. इससे दुनिया के कारोबार में हुआवेई की हिस्सेदारी बढ़कर 40 प्रतिशत पहुंच गई है. अफ्रीका में हुआवेई ने 70 फ़ीसद नेटवर्क का निर्माण किया है. इससे मोबाइल नेटवर्क की सुरक्षा, कमज़ोरियों और भू-राजनीतिक प्रभाव को लेकर आशंकाएं बढ़ गई हैं. चीन के एकाधिकार का मुक़ाबला करने के लिए ऑस्ट्रेलिया, जापान, ब्रिटेन और अमेरिका जैसे कई देशों ने हुआवेई के कारोबार करने पर पाबंदी लगा दी है. वहीं, भारत ने अपने यहां 5G तकनीक लागू करते वक़्त हुआवेई को धीरे धीरे अलग कर दिया. किसी एक जगह सिस्टम फेल होने से पूरा नेटवर्क बैठने और डेटा में सेंध लगाने की आशंकाएं बनी हुई हैं. ऐसे में वैकल्पिक समाधानों की तलाश की जा रही है.

किसी कंपनी पर निर्भरता की बेड़ी से छुटकारा दिलाकर और एक प्रतिद्वंदी इकोसिस्टम को बढ़ावा देते हुए, O-RAN, 5G तकनीक तक पहुंच को लोकतांत्रिक बना सकता है और ये चीन के दबदबे को लेकर जताई जा रही आशंकाओं को भी दूर कर सकता है.

इन चिंताओं के बीच, O-RAN तकनीक के विकास को नए नए ढांचों के विकल्प के तौर पर देखा जा सकता है. किसी कंपनी पर निर्भरता की बेड़ी से छुटकारा दिलाकर और एक प्रतिद्वंदी इकोसिस्टम को बढ़ावा देते हुए, O-RAN, 5G तकनीक तक पहुंच को लोकतांत्रिक बना सकता है और ये चीन के दबदबे को लेकर जताई जा रही आशंकाओं को भी दूर कर सकता है. आज बहुत से देश O-RAN पर रिसर्च और इसके विकास में निवेश कर रहे हैं और इस तरह वो दूरसंचार के मंज़र को पूरी तरह बदलने की इस तकनीक की संभावनाओं पर यक़ीन जता रहे हैं.

वैश्विक चलन

भारत में मोबाइल के उपभोक्ताओं विशाल संख्या है और इसकी तादाद बड़ी तेज़ी से बढ़ रही है. ऐसे में भारत अपने दूसंचार के मूलभूत ढांचे के आधुनिकीकरण और कनेक्टिविटी के विस्तार में O-RAN की सामरिक महत्ता को बख़ूबी समझता है. रिलायंस जियो और भारती एयरटेल जैसी बड़ी दूरसंचार कंपनियां अपने नेटवर्क का प्रदर्शन बेहतर करने और ग्राहकों के साथ साथ कारोबारियों की मांगें पूरी करने के लिए O-RAN के समाधानों की पड़ताल कर रही हैं. यही नहीं, भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (TRAI) द्वारा स्वदेशी दूरसंचार उपकरणों के निर्माण को बढ़ावा देने के लिए किए जा रहे सलाह मशविरा जैसी पहलें, O-RAN के इनोवेशन और दूरसंचार के इकोसिस्टम को आत्मनिर्भर बनाने के व्यापक लक्ष्य के साथ मेल खाने वाली हैं.

2023 में भारत और अमेरिका ने O-RAN को निजी और सरकारी कंपनियों की साझेदारी के ज़रिए विकसित करने के लिए एक साझा टास्क फोर्स की स्थापना की थी. 5G तकनीक में चीन के दबदबे का तोड़ निकालने की ज़रूरत को स्वीकार करते हुए, क्वाड के देश यानी अमेरिका, भारत, जापान और ऑस्ट्रेलिया ने मई 2023 में O-RAN पर केंद्रित सहयोग की पहल करने का एलान किया था. इन देशों ने O-RAN सिक्योरिटी रिपोर्ट जारी की थी. इस रिपोर्ट में किसी पारंपरिक रेडियो एक्सेस नेटवर्क (RAN) की तुलना में O-RAN के फ़ायदों, नुक़सानों और चुनौतियों का विश्लेषण करते हुए ये नतीजा निकाला गया था कि ‘RAN की तुलना में O-RAN का इस्तेमाल करने से दूरसंचार के क्षेत्र में सुरक्षा के जोखिमों के मंज़र में कोई बुनियादी फ़र्क़ नहीं पड़ता है.’ इस रिपोर्ट का इस्तेमाल O-RAN में और निवेश करने और 5G के विकल्प के तौर पर इसकी प्रभाविता को समझने के लिए किया जा सकता है. O-RAN की वैश्विक पहुंच को आगे बढ़ाने के लिए क्वाड पलाऊ में निवेश कर रहा है. इसके ज़रिए क्वाड के देश दक्षिणी प्रशांत क्षेत्र में डिजिटल कनेक्टिविटी को मज़बूत करना और चीन के दूरसंचार उपकरणों पर निर्भरता को कम करना चाहते हैं. O-RAN में अन्य निवेशों के बारे में Table 2 में विस्तार से बताया गया है.

Table 2: दुनिया भर में O-RAN के क्षेत्र में की जा रही पहलें

देश विभाग/कंपनी लक्ष्य
जर्मनी डॉयचे टेलीकॉम और वोडाफोन रिसर्च प्रयोगशालाओं में निवेश और उद्योग के साझीदारों और अकादमिक क्षेत्र के साझीदारों के साथ तालमेल करके O-RAN के मानक और तकनीकों का विकास करना
जापान राकुटेन मोबाइल वर्चुअलाइज़ेशन का लाभ उठाना और क्लाउड पर आधारित तकनीकों का लाभ उठाकर कुशलता और व्यापकता को बढ़ावा देना
दक्षिणी कोरिया एसके टेलीकॉम और केटी कॉर्पोरेशन O-RAN को लागू करने के लिए परीक्षण और पायलट प्रोजेक्ट लागू करना ताकि इनकी व्यावहारिकता और फ़ायदों का मूल्यांकन किया जा सके
ब्रिटेन ब्रिटिश टेलीकॉम ग्रुप और O2 (टेलीफोनिका यूके) तकनीकी साझीदारों के साथ सहयोग से समाधानों का पायलट प्रोजेक्ट चलाना और उनकी संभावनाओं का प्रदर्शन करके नेटवर्क की कुशलता और सेवा की गुणवत्ता में इज़ाफ़ा करना
सरकार का डिजिटल, कल्चर, मीडिया और खेल विभाग दूरसंचार की आपूर्ति श्रृंखला में विविधता लाना
अमेरिका तमाम कंपनियां- ORAN नीतिगत गठबंधन O-RAN को अपनाने के लिए उपयोगी नीतियों की वकालत करना और प्रतिद्वंदिता एवं इनोवेशन को बढ़ावा देना
पूरी दुनिया में तमाम कंपनियां, सेवा देने वाले और रिसर्च संस्थान- O-RAN गठबंधन रिसर्च के कार्यक्रमों के ज़रिए दूरंसचार के क्षेत्र में राष्ट्रीय और क्षेत्रीय स्तर पर प्रतिद्वंदिता और इनोवेशन को बढ़ावा देना

O-RAN डिजिटल कनेक्टिविटी के मंज़र में एक क्रांतिकारी बदलाव लाने का प्रतीक बन गया है. कनेक्टिविटी को नया स्वरूप देने की इसकी संभावनाएं इसके बुनियादी सिद्धांत से उपजती हैं: पारंपरिक सिस्टमों के हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर को अलग करना. पारंपरिक रूप से आपस में जुड़े इन तत्वों को एक दूसरे से अलग करके, O-RAN लचीलापन और अलग अलग इकोसिस्टम के एक दूसरे के साथ काम करने की संभावनाओं के द्वार खोलता है. इससे इनोवेशन और कुशलता का रास्ता भी खुलता है. ये नया लचीलापन नेटवर्क चलाने वालों को अलग अलग कंपनियों के उपकरणों को मिलाकर इस्तेमाल करने का विकल्प देता है. जिससे एक मज़बूत और होड़ लगा सकने लायक़ इकोसिस्टम का विकास होता है, जिसमें बेहतरीन समाधान ही आगे बढ़ पाते हैं. इसके नतीजे में नए खिलाड़ियों के इस रेस में शामिल होने की संभावनाएं बढ़ जाती हैं, जिससे बाज़ार में विविधता आती है और लागत कम हो जाती है. O-RAN का मानक पर आधारित तरीक़ा इस पूरे औद्योगिक क्षेत्र में आपसी सहयोग और एक दूसरे से मेल करने को प्रोत्साहन देता है, जिससे नई तकनीक को तेज़ी से बड़े पैमाने पर लागू किया जा सकता है.

O-RAN डिजिटल कनेक्टिविटी के मंज़र में एक क्रांतिकारी बदलाव लाने का प्रतीक बन गया है. 

सिर्फ़ पैसे बचाने से आगे बढ़ते हुए देखें तो, O-RAN नेटवर्क का लचीलापन और इसकी सुरक्षा को बढ़ाता है, क्योंकि इसका आपस में अलग थलग ढांचा कमज़ोरियों की आसानी से पहचान करके उन्हें दूर करना आसान बनाता है. O-RAN से लोकतांत्रीकरण होता है, क्योंकि इससे खुलेपन और मानकीकरण को बढ़ावा मिलता है, जिससे कनेक्टिविटी की उन्नत तकनीकों तक पहुंच आसान होती है और इस तरह ये देशों के बीच डिजिटल तकनीक की खाई को पाटने में मददगार बनते हुए कम सुविधाओं वाले समुदायों को इंटरनेट की सुविधाएं उपलब्ध कराता है. आज जब दूरसंचार के मूलभूत ढांचों में इतने बड़े पैमाने पर विकास हो रहा है. ऐसे में उद्योग के अलग अलग स्तरों के भागीदारों को O-RAN की मदद से होने वाले इनोवेशन, कुशलता और समावेशीकरण बढ़ने से फ़ायदा ही होता है और आख़िर में इससे आपस में अधिक जुड़े और समतावादी डिजिटल भविष्य को आकार दिया जा सकता है

कनेक्टिविटी के क्षेत्र में बराबरी

O-RAN का विकास डिजिटल कनेक्टिविटी और भू-राजनीति के लिए काफ़ी असरदार साबित हो सकता है. तमाम कंपनियों के विविधतापूर्ण इकोसिस्टम और उनके बीच आपस में मिलकर काम करने की संभावनाओं को बढ़ावा देने की वजह से, O-RAN में प्रतिद्वंदिता को बढ़ावा देने, इनोवेशन को आगे बढ़ाने और 5G तकनीक में चीन के दबदबे को चुनौती देने की काफ़ी संभावनाएं हैं.

आज जब डिजिटल दुनिया बढ़ती जा रही है, तो ऐसे नए समाधानों की तलाश को प्राथमिकता मिलना जारी रहेगा, जो लचीलेपन, सुरक्षा और लोकतांत्रीकरण को बढ़ावा देते हों. दुनिया भर के तमाम देश जिस तरह आपस में सहयोग कर रहे हैं, उसकी एक मिसाल क्वाड देशों का आपसी तालमेल है. ऐसे में O-RAN सहयोगात्मक इनोवेशन का सर्वश्रेष्ठ उदाहरण बन गया है. आज जब दुनिया डिजिटल कनेक्टिविटी के दौर में आगे बढ़ रही है, तो O-RAN संभावनाओं की ऐसी मशाल बन गया है, जो दूरसंचार के मंज़र को नया आकार दे सकता है और आने वाली पीढ़ियों के लिए कनेक्टिविटी के नए दौर का आग़ाज़ कर सकता है.

The views expressed above belong to the author(s). ORF research and analyses now available on Telegram! Click here to access our curated content — blogs, longforms and interviews.