Author : Debosmita Sarkar

Published on Jun 01, 2023 Updated 0 Hours ago
सोशल कॉमर्स और महिला उद्यमशीलता: लचीले विकास की पूर्व-शर्त


हालिया समय में सोशल मीडिया को अपनाने वालों की संख्या काफ़ी बढ़ गई है और उसके उपयोग में भी ख़ासी वृद्धि हुई है, जो विभिन्न पीढ़ियों को इससे जुड़ाव को बढ़ावा देती है. इसके साथ ही सोशल कॉमर्स में भी काफ़ी इज़ाफ़ा हुआ है, जहां उत्पादक और उपभोक्ता दोनों ही अपने व्यापार को बढ़ावा देने के लिए सोशल मीडिया का सीधा उपयोग कर सकते हैं. 2021 तक, वैश्विक स्तर पर सोशल कॉमर्स बाज़ार का अनुमानित आकार 492 अरब अमेरिकी डॉलर था, जिसमें 2025 तक 2.5 गुना वृद्धि होने की संभावना है. सोशल कॉमर्स में हुए तेज़ उभार के कारण इसके पारंपरिक बाज़ारों की तुलना में तीन गुना तेज़ी से विकसित होने की संभावना है, जो निजी क्षेत्र को और अधिक समावेशी बनाते हुए वैश्विक आर्थिक विकास में उसकी भागीदारी को बढ़ावा देती है. इस क्षेत्र में, लैंगिक पक्ष की अपनी एक महत्त्वपूर्ण भूमिका है.

सोशल मीडिया पर मौजूद इन गैर-पारंपरिक बाज़ारों ने महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, और लचीले विकास की संभावनाओं में योगदान दिया है यानी इसके कारण संकट के दौरान अर्थव्यवस्था में आर्थिक झटकों को सहन करने की क्षमता में वृद्धि हुई है. सोशल कॉमर्स प्लेटफॉर्म महिलाओं को पारंपरिक बाज़ार से बाहर ख़रीदारों और विक्रताओं से संपर्क के अवसर प्रदान करते हैं. ये उन्हें ऑनलाइन बेहद कम लेनदेन लागतों पर अपने उत्पादों और सेवाओं को बेचने की सुविधा देते हैं. यह महिलाओं को कृषि से गैर-कृषि रोज़गारों में शामिल होने की सुविधा प्रदान करके उन्हें अपने व्यवसाय को स्थापित करने, अपने परिवार की आमदनी बढ़ाने और अपने सामाजिक-आर्थिक हालात को सुधारने में मदद करता है.

क्या सोशल कॉमर्स महिलाओं के लिए एक उपयुक्त विकल्प है?


पिछले कुछ वर्षों से वैश्विक आर्थिक मंदी की संभावनाएं मज़बूत होती जा रही हैं. हालांकि, कोरोना महामारी की शुरुआत, उसके कारण आर्थिक मंदी के हालात और वर्तमान में जारी रूस-यूक्रेन संघर्ष (जिसके कारण वैश्विक स्तर पर आपूर्ति शृंखलाएं बाधित हुई हैं, खाद्य असुरक्षा और ऊर्जा की क़ीमतों में वृद्धि हुई है) ने वैश्विक अर्थव्यवस्था पर बेहद बुरा प्रभाव डाला है. महामारी के कारण विभिन्न देशों में विकास की संभावनाओं को झटका लगा है और लोगों की आजीविकाएं प्रभावित हुई हैं, जहां 2020-21 में 11.4 करोड़ नौकरियां छीन गईं और श्रम आय में कुल 37 ख़रब अमेरिकी डॉलर की गिरावट आई.

इसके अलावा, श्रम बाज़ार में आई गिरावट से जुड़े लैंगिक प्रभावों को स्पष्ट रूप से देखा जा सकता था, जहां 2019 और 2020 के बीच पुरुषों के लिए रोज़गार अवसरों में 3 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई, वहीं महिलाओं के लिए ये आंकड़ा 4.2 प्रतिशत था. चूंकि, विभिन्न देश असमान गति से इस संकट से उबर रहे हैं, श्रम बाज़ार में आशाजनक परिवर्तन देखे गए हैं, जहां प्रति सप्ताह काम के घंटों से जुड़े अतिरिक्त लैंगिक अंतराल में 1.5 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई, जो महामारी से पहले की तुलना में कम है. वैश्विक अर्थव्यवस्था पहले से ही कार्यबल में भागीदारी और रोज़गार दरों में घटते लैंगिक अंतरालों को लेकर महत्त्वपूर्ण संकेत दे रही थी? कोरोना महामारी के कारण "डिजिटल फर्स्ट" अर्थव्यवस्था की ओर परिवर्तन को बढ़ावा मिला, जिसने इन संभावनाओं में और वृद्धि की है.

महामारी के बाद की दुनिया में, सोशल कॉमर्स महिला उद्यमियों के लिए बेहद महत्त्वपूर्ण साबित हुआ है, जो उन्हें महामारी से उबरने और अपने और अपने परिवार के बेहतर भविष्य के निर्माण में सहायता कर रहा है. महिला उद्यमी अमेजॉन और फ्लिपकार्ट जैसी दिग्गज ई-कॉमर्स कंपनियों से औपचारिक रूप जुड़ने के अलावा, ग्राहकों से संपर्क करने और विज्ञापन और ऑनलाइन व्यापार के लिए फेसबुक, इंस्टाग्राम, और व्हाट्सएप जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों पर उपलब्ध बाज़ारों का सफ़लतापूर्वक इस्तेमाल कर रही है. सोशल कॉमर्स प्लेटफॉर्मों तक पहुंच रखने वाली महिला उद्यमियों की अधिक आय कमाने की संभावनाएं ज़्यादा होती हैं क्योंकि उन्हें कम लागत पर वित्तीय सेवाएं और व्यवसाय के लिए पर्याप्त ऋण मिलने की अधिक संभावना होती है, साथ ही उनके व्यवसाय की परिचालन लागत कम होती है, और प्रतिबंधित गतिशीलता और परिवहन लागत जैसी आपूर्ति शृंखला से जुड़ी बाधाएं यहां कम होती हैं.


सोशल कॉमर्स कई कारणों से एक शक्तिशाली उपकरण के तौर पर महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण को बढ़ावा दे सकता है. शुरुआत के लिए, मोबाइल फ़ोन और इंटरनेट का प्रसार दुनिया के कोने-कोने तक हुआ है, जिसके परिणामस्वरूप सोशल कॉमर्स दूरस्थ इलाकों में रहने वाली महिलाओं के लिए भी एक उपयुक्त विकल्प बन गया है, जिनकी परंपरागत बाज़ारों तक सीमित पहुंच होती है. दूसरा, सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों  पर व्यापार करने के लिए किसी ख़ास कौशल या अतिरिक्त प्रशिक्षण की ज़रूरत नहीं होती है. इसके अलावा, सोशल मीडिया बाज़ार महिलाओं को ये सहूलियत देते हैं कि वे अपने व्यवसाय और घरेलू ज़िम्मेदारियों के बीच संतुलन बनाते हुए अपने हिसाब से व्यवसाय का संचालन कर सकें. सबसे ज़रूरी बात ये है कि सोशल कॉमर्स महिला उद्यमियों को अपने सहकर्मियों से जुड़ने और एक-दूसरे के अनुभवों से सीखने का अवसर देता है. यह छोटे व्यवसायों को दुनिया भर के ग्राहकों तक पहुंच बनाने का मौका देता है, जिससे उन्हें नए बाज़ारों में अपनी पहुंच बनाने और अपनी बिक्री को बढ़ाने के अवसर मिलते हैं. इसके अलावा, सोशल कॉमर्स से जुड़ी सुविधाएं नौकरीशुदा महिलाओं को अतिरिक्त आमदनी कमाने का मौका देता हैं, जिससे उनकी वित्तीय सुरक्षा और मज़बूत होती है.

हालांकि, सोशल कॉमर्स के विस्तार के साथ, इस क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा और बढ़ सकती है. सोशल कॉमर्स के ज़रिए अपना व्यवसाय चला रहीं महिला उद्यमियों को लाभ की स्थिति में बने रहने के लिए कुछ ज़रूरी कदम उठाने होंगे. सोशल कॉमर्स से जुड़े अवसरों का पूरी तरह लाभ उठाने के लिए महिलाओं उद्यमियों को अपने उत्पादों या सेवाओं के लिए सबसे ज्यादा उपयुक्त प्लेटफॉर्मों की पहचान करनी होगी, विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों पर मौजूद ग्राहकों को अलग-अलग श्रेणियों में विभाजित करना होगा, अलग-अलग आयु वर्ग के लिए अलग-अलग रणनीतियां तैयार करनी होंगी, और व्यक्तिगत ग्राहक सेवाओं और सुविधाओं के माध्यम से अपनी बिक्री और पहुंच को बढ़ाना होगा. कुछ प्लेटफॉर्म इन ख़ास उद्देश्यों के लिए सोशल मीडिया बाजारों में महिला उद्यमियों से जुड़कर उन्हें सहायता प्रदान कर सकते हैं. उदाहरण के तौर पर अंतर्राष्ट्रीय व्यापार केंद्र के SheTrades Initiative और WeConnect International नेटवर्क का उल्लेख किया जा सकता है, जो महिलाओं की प्रशिक्षण, सलाह और अन्य सुविधाएं प्रदान करते हैं जिससे उन्हें अपने व्यवसाय की शुरुआत करने और उसे आगे बढ़ाने में मदद मिलती है.


लिंग समानता, आर्थिक विकास और सामाजिक लचीलापन


महिलाएं, जो वैश्विक आबादी का लगभग आधा हिस्सा हैं, वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में केवल 37 प्रतिशत का योगदान करती हैं. महिलाओं के लिए एक ऐसे मंच के निर्माण की आवश्यकता है, जो स्वरोज़गार में लगी महिलाओं को आगे बढ़ने और तरक्की करने के लिए बेहतर और समान आर्थिक अवसर प्रदान करे (और उन्हें अन्य महिलाओं की सहायता करने में सक्षम बना सके). महिला उद्यमिता को बढ़ावा देकर एक ऐसा मंच तैयार किया जा सकता है, जो निकट भविष्य में महिलाओं की श्रम बाज़ार में भागीदारी को प्रत्यक्ष रूप से प्रभावित करे. और दीर्घकाल में महिला श्रम बल पर अप्रत्यक्ष रूप से प्रभाव डाले. इसके अलावा, महिला उद्यमियों के लिए ऐसी किसी व्यवस्था का निर्माण करके महिलाओं के स्वामित्व वाले व्यवसायों के खिलाफ़ सामाजिक पूर्वाग्रहों से लड़ने में अन्य बेरोजगार महिलाओं की सहायता की जा सकेगी, जिससे उनकी सामाजिक स्थिति को सुधारा जा सकता है. महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण और सोशल कॉमर्स को बढ़ावा देने से कार्यबल में भागीदारी से जुड़े लैंगिक अंतराल कम होंगे, जिससे लैंगिक समानता को बढ़ावा मिल सकता है, और आर्थिक विकास के नए अवसर पैदा किए जा सकते हैं, जिससे एक मज़बूत समाज की स्थापना की जा सकेगी.


महिलाओं की समान आर्थिक भागीदारी आर्थिक विकास और सामाजिक विकास को सकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकती है. अर्थव्यवस्था में महिलाओं की भागीदारी को बढ़ावा देकर, श्रम बाज़ार में नए श्रमिकों की पहुंच सुनिश्चित की जा सकती है, जिसके कारण प्रतिस्पर्धा बढ़ सकती और उत्पादकता में वृद्धि हो सकती है, और यह भौतिक पूंजी में निवेश को बढ़ावा दे सकता है. जिसके परिणामस्वरूप, आय में वृद्धि हो सकती है. इसके अतिरिक्त, महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने और उनकी वित्तीय सुरक्षा सुनिश्चित करने से खाद्य सुरक्षा के स्तर को बेहतर बनाने, माता और बच्चे के स्वास्थ्य में सुधार और अगली पीढ़ी के लिए शिक्षा तक पहुंच को और सुगम बनाने में सहायता मिल सकती है, जो मौजूदा मानव पूंजी आधार को और मज़बूत बनाएगी. लैंगिक दृष्टिकोण से आर्थिक समानता को बढ़ावा देने से महिलाओं की सामाजिक स्थिति और मज़बूत हो सकती है, जिससे उनकी सामाजिक गतिशीलता को बढ़ावा मिल सकता है. इसलिए, आर्थिक भागीदारी में लैंगिक समानता को सुनिश्चित किए जाने से भौतिक एवं मानव पूंजी से जुड़े सामाजिक मूल्यों में सुधार होगा, जो आर्थिक प्रणाली के भीतर दक्षता और समानता को बढ़ावा देगी. इसके साथ ही, यह एक ऐसे लचीले और मज़बूत समाज की स्थापना में सहयोग करता है जो भविष्य में वैश्विक स्वास्थ्य आपातकाल, भू-राजनीतिक उथल-पुथल, या गंभीर जलवायु संकट से पैदा होने वाली समस्याओं का सामना करने में सक्षम होगा.

 

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