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महामारी की वजह से जो लॉकडाउन लगाया गया है, उसकी वजह से मॉन�
भारत के कोरोना वायरस के प्रकोप से निपटने के तौर तरीक़ों क�
चीन से निपटने में हमें अभी 15-20 साल लगेंगे और उसकी तैयारी हम�
हमें एक ऐसे भविष्य के लिए तैयार रहना चाहिए जहां अराजकता औ�
बेशक तकनीकी चीज़ें हमारी ज़िंदगी आसान बनाती हैं. लेकिन म�
आज वैश्विक संस्थाओं में लोकतांत्रिक सुधार अति आवश्यक हो
हम एक बार फिर उसी मोड़ पर खड़े हैं. और आने वाले कुछ वर्षों म
चीन जहां मुख्य रूप से अफ़्रीकी देशों में स्वयं का राजनीति�
बहुत सी वैश्विक तकनीकी कंपनियां अपने-अपने देशों की सरकार
आज ये सोच राजनीतिक बन गई है. जिस परियोजना का मक़सद दोनों द�
भारत में इम्पैक्ट इन्वेस्टमेंट सेक्टर जो चुनौतियां झेल �
भारत और अफ्रीका के लिए आज कम कार्बन उत्सर्जन वाले, स्थायी,
आत्मनिर्भर भारत विशेष आर्थिक प्रोत्साहन पैकेज के ज़रिए �
राष्ट्रीय स्तर पर शिक्षा के लिए फंड में कमी नहीं आनी चाहि�
लद्दाख की सीमा पर भारत और चीन के सैनिकों के बीच हिंसक झड़प
आज़ादी के बाद से भारत में तीन बार मंदी आ चुकी है और यह मंदी
जब तक हम ये पक्के तौर पर नहीं जान जाते कि बीसीजी या कोई और द
कोविड-19 की महामारी के बाद किसान और मज़दूर जब अपनी ज़िंदगी �
भारत और श्रीलंका के बीच तनातनी के ऐतिहासिक मसलों की विरा�
पर्यावरण में जो बदलाव हम आज देख रहे हैं क्या वो हमेशा के ल�
यह दुनिया सेठ साहूकारों की दुनिया है. यहां लोग पैसा मोक्ष
जहां तक शिक्षा, स्वास्थ्य, कौशल विकास, खाद्य सुरक्षा और पे
हो सकता है कि चीन मंदी से बच जाए या हल्के रूप में मंदी को मह
कोई भी जन नीति असरदार हो इसके लिए स्वस्थ सार्वजनिक परिचर�
मौजूदा इतिहास में पहली बार लगता है कि अमेरिका का आधिपत्य �
इस तरह से उथल-पुथल का समय जब आता है और ऐसे में जो सरकारें है
दुनिया की आधी से ज़्यादा आबादी – 55 प्रतिशत- शहरों में रहती
इबोला वायरस ने प्राथमिक तौर पर विकासशील अफ्रीकी देशों पर
सरकार के लिए दीर्घकालीन चुनौती महामारी का सामना करने वाल
शी जिनपिंग के नेतृत्व वाले चीन को समझने में भूल मत कीजिए. �
कोरोना वायरस जिस तेज़ी से बढ़ रहा है, उससे विकासशील देशों
रोबोटिक्स और वियरेबल टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल अस्पतालों �
क्या अंतरराष्ट्रीय क़ानून में कोई ऐसी व्यवस्था है जिसके
आज भारत को एक ऐसे देश से चुनौती मिल रही है, जिसके नेतृत्व क�
ज़रूरत है कि अपनी सोच बदले. आत्मनिर्भर भारत के लिए ज़रूरी है
एक बड़ी क्षेत्रीय शक्ति होने के नाते भारत की ये ज़िम्मेद�
ये बात आपको हैरान कर सकती है कि जिस वक़्त भारत कोबाल्ट-60 से
ये बात आपको हैरान कर सकती है कि जिस वक़्त भारत कोबाल्ट-60 से
भारतीय सेना पहले भी महामारी से निपट चुकी है और कोलरा, चेचक
मूल मुद्दा आधुनिकीकरण के लिए आवंटित फंड है. अर्थव्यवस्था
जिस तेज़ी और साफ़-सुथरे तरीक़े से ये बदलाव शुरू हुए हैं उस
जिस अति उग्र भूमंडलीकरण ने चीन को औद्योगिक महाशक्ति बनाय
राजनेता आख़िर ख़राब हवा की फिक्र करें भी तो क्यों? जिस जनत
भारत के थल सेनाध्यक्ष ये कहकर नहीं बच सकते हैं कि उनका बया
लॉकडाउन के कारण, ज़हरीली गैसों के उत्सर्जन में आई अस्थाय�
गुट निरपेक्षता का एक दौर था. भारत उसका हिस्सा था. वो गुट नि�
कोरोना वायरस के असर के कारण अधिकतर भारतीय कंपनियों के शे�
हेल्थकेयर सेक्टर में तकनीक का ज़्यादा-से-ज़्यादा इस्तेम�
पूंजीवाद और नव-उदारवाद का दोष निकाला जा सकता है लेकिन उसक�
वैसे तो सामाजिक दूरी के नतीजों के लिए लोगों को पूरी तरह से