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तकनीक बदल रही है, और अब तो नेशनल सिक्योरिटी एनवायरनमेंट भ�
क्वॉड देश एक महत्वपूर्ण क्षेत्रीय आर्क का हिस्सा हैं जिस
तालिबान की कहानी अभी शुरू हुई है और हो सकता है कि इस रंगमं�
चीन की कम्युनिस्ट पार्टी की 100वीं सालगिरह मनाई गई. इस मौके
चीन सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग में आत्मनिर्भरता हासि�
ताइवान के मुद्दे पर बढ़ी साझेदारी के लिए यूएस को पाकिस्ता�
AUKUS समझौता अफ़ग़ानिस्तान से अमेरिकी फ़ौज की शर्मनाक विदा�
फ्रांस को लगता है कि रक्षा के मोर्चे पर इस नई पहल से चीन क�
अफ़ग़ानिस्तान संकट के चलते अमेरिका में जो बाइडेन के नए प�
अफ़ग़ानिस्तान को ‘ साम्राज्यों का कब्रिस्तान’ कहा जाता �
वॉशिंगटन और नई दिल्ली को समूह की सफ़लता के लिए कुछ मुख्य म
अब जब “आतंकवाद के विरुद्ध युद्ध” संपन्न हो चुका है, भारत क
इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में जैसे-जैसे नई भू-राजनीतिक और भू-आ�
हो सकता है कि हिंद प्रशांत की परिकल्पना को चीन में बहुत भा
क्या ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका और ब्रिटेन के बीच बढ़ती रक्षा �
अफ़ग़ानिस्तान में वैश्विक ताक़तों और पड़ोसी देशों ने एक
जैसे-जैसे सीमा पर तनाव बढ़ रहा है वैसे वैसे शांति बनाए रखन
ईयू हिंद-प्रशांत रणनीति से पता चलता है कि यूरोपीय संघ का इ
उन वजहों की पहचान करना जिसके चलते भारत-रूस के रिश्ते की गर
जब ब्रिक्स से ठोस कदमों की उम्मीद की जा रही है, तो सिर्फ ब�
अगर भारत ख़ुद को कम अवधि में एक महाशक्ति के तौर पर देखता ह�
दांव पर जो भी है उसकी व्याख्या नियम-आधारित प्रणाली के तहत
कूटनीतिक स्तर पर इस यात्रा के बाद भारत अब इंडो पैसिफिक का
लैटिन अमेरिका और कैरेबियाई देशों ने शिक्षा के क्षेत्र मे
अफ़ग़ानिस्तान में ‘गुड’ और ‘बैड’ तालिबान के फर्क़ ने अफ़
फिलीपींस अगले साल नए राष्ट्रपति का चुनाव करने जा रहा है, त
पाकिस्तान समर्थित आतंकवादी समूह के साथ तालिबान के काम कर
अमेरिका, यूरोपीय संघ, भारत, ऑस्ट्रेलिया और ब्राज़ील जैसे �
ईरान के नए राष्ट्रपति को वास्तविक सहयोगी मानने में अमेरि
महामारी ने ब्राज़ील में ख़ास तौर से बच्चों और युवाओं के ब�
अब जबकि अमेरिकी सेना ने सोमालिया छोड़ दिया है तो यह साफ़न
2007 के बाद से अगले एक दशक तक चीन के विस्तारवादी रवैये बीआरआ�
इराक़ जो सालों तक युद्ध और विवादों के लिए सुर्ख़ियों में �
बगैर यूरोपियन यूनियन के सहयोगियों से सलाह मशविरा किए अफ़
बांग्लादेश को चरमपंथी इस्लामिक विचारधारा के संभावित उभ�
बीस साल बीत जाने के बाद भी, ‘आतंकवाद के ख़िलाफ़ युद्ध’ अभी
अफ़ग़ानिस्तान पर तालिबान का कब्ज़ा बांग्लादेश को कैसे प�
चूंकि भारत खुद को रक्षा निर्माण के एक केंद्र के रूप में वि
पिछले कुछ वर्षों में वैश्विक सामरिक मामलों के विमर्श में
नीति निर्माता और इस काम में लगे हुए लोग पूर्वधारणा के मूल
आखिर में सारी बौद्धिक कसरत असली चीज़ को छुपा नहीं सकी. पुर
जहां तक मान्यता की बात है तो रूस भी अभी तक मान्यता देने को �
तालिबान सरकार के गठन और उनकी गतिविधियों से यही प्रतीत हो�
भले ही अभी आईएसकेपी ज़्यादा ताक़तवर नहीं है लेकिन अमेरिक
तालिबान के हाथों काबुल का धराशायी होना समसामयिक इतिहास म
विश्व में महाशक्ति समझे जाने वाले एक देश द्वारा अपने और अ�
आज इस बात की पूरी तरह से अनदेखी की जा रही है कि ISKP के मुक़ाब�
यहां सवाल उठता है कि आख़िर देश के भविष्य से असल सरोकार रखन
एक तरफ़ कोरोना वायरस ‘तीसरी लहर’ के रूप में फिर से उभरने क
अफ़ग़ानिस्तान के पतन के लिए बाइडेन ही जिम्मेदार हैं. अक्�