जैसा कि फिलीपींस विदेशी आक्रामकता के ख़िलाफ़ अपनी स्वायत्तता को हासिल करने के लिए सख़्त नीतियां तैयार करने के लिए अपनी नौसेना शक्ति का आकलन कर रहा है, तो इसके लिए उसे अपनी नौसेना कूटनीति में विविधता लानी होगी और पश्चिमी फिलीपींस के समंदर में उलझे हुए सवाल को सुलझाने के लिए विकल्प तलाशने होंगे – व्यापक दक्षिण चीन सागर में नाम मात्र का विवादित क्षेत्र. अगर फिलीपींस अपने सैन्य बल के तीन स्तरीय आधुनिकीकरण कार्यक्रम की मांग को साल 2028 तक प्राप्त करना चाहता है तो यह ख़ास तौर पर अहम है.
फिलीपींस के पड़ोस में मौजूद नए परिभाषित भारत-पैसिफिक क्षेत्र में भारत और चीन दो बड़े एशियाई नौसेना शक्तियां हैं जो एक दूसरे से आर्थिक नेटवर्क और रणनीतिक मैरीटाइम फायदों के लिए प्रतिस्पर्द्धा के दौर में हैं. ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है कि नई दिल्ली और बीजिंग द्वारा एक नई उभरती हुई विश्व व्यवस्था के नज़रिये से भविष्य में दो धूर विरोधी महाशक्तियों के आधिपत्य के फायदे की तुलना और उन्हें रेखांकित कर सकता है.
अपनी महानता साबित करने की होड़ में इन मुल्कों के वैचारिक मतभेद और अर्थव्यवस्था के मॉडल ने मौजूदा उलझी हुई वैश्विक वातावरण में भारत और चीन को निश्चित तौर पर प्रभावित किया है. इन दोनों ही एशियाई ताकतों के बीच मैकमोहन लाइन सीमा को लेकर तनाव है. चीन-भारत के बीच सीमा विवाद जो आख़िरकार 1962 में जंग के नतीजे के रूप में सामने आया, उसके चलते भी दोनों खेमों में साल 2000 में कई लड़ाइयों का कारण बना. फिलीपींस भी चीन के साथ इसी तरह के अनुभव साझा करता है जैसा कि दक्षिण चीन सागर में मौजूदा समय में फिलीपींस भी समुद्री और सीमा विवाद में उलझा हुआ है.
अपनी महानता साबित करने की होड़ में इन मुल्कों के वैचारिक मतभेद और अर्थव्यवस्था के मॉडल ने मौजूदा उलझी हुई वैश्विक वातावरण में भारत और चीन को निश्चित तौर पर प्रभावित किया है. इन दोनों ही एशियाई ताकतों के बीच मैकमोहन लाइन सीमा को लेकर तनाव है.
हालांकि, फिलीपींस का सबसे लंबे समय तक अमेरिका साझेदार रहा है, इसने हाल ही में विवादित विजिटिंग फोर्सेज़ एग्रीमेंट (वीएफए) को फिर से शुरू(नया) किया है. इसने दोनों ही सहयोगियों के बीच ख़त्म हो चुके भरोसे को फिर से बहाल करने में मदद की है, जो फिलीपींस के राष्ट्रपति रोड्रिगो दुतेर्ते की चीन के लिए तरजीह देनी वाली ढ़ीली-ढ़ाली विदेश नीति के बीच चीन के आक्रामक कूटनीतिक कोशिशों का नतीजा है ना कि कोरोना महामारी के बीच वाशिंगटन के नजरिए का नतीजा है.
विवादित विज़िटिंग फोर्सेज़ एग्रीमेंट को शुरू करने में देरी
1934 के टाइडिंग्स-मैकडफी एक्ट के बाद से फिलीपींस और अमेरिका के बीच नौ सुरक्षा संधियां, समझौते और दूसरे तरह के दस्तावेज़ हैं, जो अमेरिका को फिलीपींस में नौसैनिकों की मौजूदगी और ईंधन स्टेशनों को उसके पूर्व उपनिवेश बनाने वाले मुल्क से स्वतंत्र होने के बाद से ही जारी रखने की इजाज़त देता है. इनमें सबसे ज़्यादा विवादित 1998 का विजिटिंग फोर्सेज़ एग्रीमेंट है जो फिलीपींस की जमीन पर अमेरिकी सेना की मौजूदगी को वैध करार देता है, जिसे दुतेर्ते प्रशासन के दौरान दो बार रद्द कर दिया गया था. इसके बाद एक सांसद के अमेरिकी वीज़ा को रद्द कर दिया गया जो दुतेर्ते के दोस्त और ड्रग्स के ख़िलाफ़ उनकी नाकाम नीति में अहम सहयोगी रहे थे.
31 जुलाई 2021 को सैन्य संधि को तोड़ लेने के ख़तरे के बीच विवादित विजिटिंग फोर्सेज़ एग्रीमेंट(वीएफए) को फिर से शुरू(नया) करने में एक साल का वक़्त लग गया, जो मलकानन पैलेस में अंजाम दिया गया. बीजिंग को पांच सालों तक अहमियत देने के बावजूद इसे दुतेर्ते की परिस्थितयों के बीच संतुलन बनाने की कोशिश मानी गई, जबकि चीन अभी भी मनीला की राष्ट्रीय हित और संप्रुभता के लिए बड़ा ख़तरा है. हो सकता है कि यह उनके सियासी अभिनय का एक तरीका हो, क्योंकि वह साल 2022 के राष्ट्रपति चुनावों में बतौर उपराष्ट्रपति अपनी राजनीतिक वापसी के लिए काफी चालाकी से अपने पत्ते खोल रहे हैं.
इसे बाइडेन प्रशासन के लिए लिटमस टेस्ट और एक चेतावनी के रूप में भी देखा जा रहा है, क्योंकि वाशिंगटन ने फिर से सोच विचार किया है और मनीला के साथ अपने संबंधों को बेहतर बनाने की दिशा में काम किया है. अगर ऐसा नहीं होता है तो दक्षिणी चीन सागर में अमेरिकी हितों को और झटका लग सकता है. 26 जुलाई 2021 को राष्ट्र के नाम अंतिम संबोधन के दौरान फिलीपींस के नेता दुतेर्ते ने ऐलान किया कि उन्होंने कांग्रेस के साथ कूटनीतिक कोशिशों के दरवाजे को बंद नहीं किया है, लेकिन कोरोना महामारी के दौरान मुल्क को मदद पहुंचाने के लिए उन्होंने चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग का आभार व्यक्त किया. दूसरे शब्दों में दुतेर्ते का ऐलान कि वो वाशिंगटन के साथ अपने रिश्तों को बेहतर बनाना चाहते हैं, इसे लेकर अभी बहुत कुछ देखा जाना बाकी है, क्योंकि दुतेर्ते शासन के दौरान चीन को हमेशा से सहयोगात्मक मदद मिलती रही है.
दो देशों के बीच सहयोग को किसी देश की विदेश नीति के नतीजे के तौर पर देखा जाता है, लेकिन फिलीपींस की विदेश नीति दरअसल उस मुल्क की रक्षा नीति ज़्यादा नजर आती है, जो कई दूसरी चीजों के साथ राष्ट्रीय उद्देश्य और मूल्य के द्वारा निर्धारित होती है जो कि राष्ट्रीय हित को प्रभावित करने वाले कई कारकों में से एक है.
26 जुलाई 2021 को राष्ट्र के नाम अंतिम संबोधन के दौरान फिलीपींस के नेता दुतेर्ते ने ऐलान किया कि उन्होंने कांग्रेस के साथ कूटनीतिक कोशिशों के दरवाजे को बंद नहीं किया है, लेकिन कोरोना महामारी के दौरान मुल्क को मदद पहुंचाने के लिए उन्होंने चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग का आभार व्यक्त किया.
अमेरिका के अलावा फिलीपींस ने भी अपने जैसे मुल्कों जैसे इंडोनेशिया, मलेशिया, दक्षिण कोरिया, जापान, भारत, ऑस्ट्रेलिया और रूस से सहयोग को बढ़ाया है. हर वर्ष इन सहयोगियों के साथ करीब 20 एकल, द्विपक्षीय और बहुपक्षीय नौसेना अभ्यास किया जाता रहा है. दक्षिण चीन सागर में सीमा को लेकर किए जाने वाले दावों के चलते इस क्षेत्र में होने वाले तनाव के मद्देनजर इस तरह के नौसेना अभ्यास की अहमियत काफी बढ़ जाती है. यहां तक कि इस तरह के नौसेना अभ्यास का महत्व इसलिए भी बढ़ जाता है क्योंकि दक्षिण चीन सागर में फिलीपींस के दावे वाले क्षेत्र पश्चिम फिलीपींस समुद्र पर चीन किस तरह अपना प्रभाव जमाता है यह देखना भी जरूरी है.
दिसंबर 2020 में फ्रांसीसी जहाज निर्माणकर्ता नैवल ग्रुप ने मनीला में साल 2021 में दफ्तर खोलने की योजना का ऐलान किया जबकि दक्षिण पूर्व तटवर्ती एशियाई देश एशिया के कमज़ोर सैन्य ताकतों में से एक हैं और अभी भी इस क्षेत्र में बतौर मध्यम ताकत अपनी रणनीतिक स्थिति को मजबूत करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं.
मनीला की आधुनिकीकरण की योजना
साल 1950 से ही फिलीपींस अपने मुल्क के नौसैनिकों के लिए पनडुब्बी प्राप्त करने की कोशिशों में जुटा हुआ है. साल 2010 में नौसेना ने भविष्य में पनडुब्बी प्राप्त करने की अपनी योजना के बारे में बताया जो 15 साल से जारी 90 बिलियन पेसो से फिलीपींस की सेना (एएफपी) के आधुनिकीकरण योजना का ही हिस्सा है. इसमें शक नहीं कि बीजिंग के साथ मनीला का सीमा विवाद इस सैन्य अभियान की प्रमुख वजह है जो इस अधिग्रहण की ज़रूरत को बढ़ाता है. इसे नौसैनिकों के आधुनिकीकरण की प्राथमिकता के तौर पर अपग्रेड करने को स्वीकृत किया गया है. हालांकि, फिलीपींस के पास पनडुब्बी होना ही चीन की नौसेना की ताकत से मुकाबला कर लेने की गारंटी नहीं देता है, लेकिन पनडुब्बी हो जाने से इतना तो ज़रूर है कि परंपरागत सैन्य शक्ति के तौर पर इससे फायदा होगा जो सामुद्रिक शक्ति का बेहतरीन प्रदर्शन माना जा सकता है.
लेकिन पनडुब्बी खरीदने की व्यवहारिकता समस्याओं से घिर सकती है क्योंकि यह मिनी सबमरीन और दूसरी बार इस्तेमाल की जाने वाली पनडुब्बी या फिर चरणबद्ध पनडुब्बी योजना को अधिग्रहण करने की तैयारी में है जिससे दक्षिण चीन सागर में चीन के विवादित इलाकों के लिए रणनीति और पानी के नीचे युद्ध करने की चुनौती का सामना किया जा सके. अपनी रणनीतिक हित और दक्षिण चीन सागर में सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए पनडुब्बी से जंग की क्षमता का विकास करने से मौजूदा समय में अंतर्राष्ट्रीय नौसेना सहयोग समेत रेस्क्यू ऑपरेशन और डूबती पनडुब्बियों को बचाने की कोशिशों को झटका लग सकता है.
एएफपी और दूसरी संबंधित कानून प्रवर्तन एजेंसियों के सीमित संसाधन के चलते विशाल फिलीपींस तटवर्ती क्षेत्र की सुरक्षा करना भी बड़ी चुनौती है. अव्वल तो यह हो कि फिलीपींस की नौसेना समुद्रतल और अन्य पनडुब्बी क्षेत्र की नौसैनिक सुरक्षा के लिए जिम्मेदार हो. वास्तव में देश की मौजूदा नौसेना परिसंपत्ति और क्षमता उस अनुपात में बेहद कम है जितनी की इस द्वीपनुमा राष्ट्र को जरूरत है. यही नहीं अगर पश्चिम फिलीपींस की समुद्री सीमा में मौजूदा नौसेना और सीमा अनिश्चितताओं के बीच किसी ख़तरे का सामना करना पड़ता है तो उस लिहाज से भी यह पर्याप्त नहीं कहा जा सकता है.
अभियान की प्रमुख वजह है जो इस अधिग्रहण की ज़रूरत को बढ़ाता है. इसे नौसैनिकों के आधुनिकीकरण की प्राथमिकता के तौर पर अपग्रेड करने को स्वीकृत किया गया है.
मैक्रो नजरिए से देखने पर फिलीपींस के पास हवाई क्षमता की कमी है, इसके साथ ही समंदर और हवाई यातायात, कमांड और नियंत्रण, कम्युनिकेशन, कंप्यूटर, इंटेलिजेंस, सर्विलांस और जासूसी शक्ति की भारी कमी है. इन सबी चीजों पर एएफपी द्वारा निवेश किए जाने के बाद ही उनके पास कुछ हद तक भरोसा करने लायक युद्ध करने की शक्ति हो सकती है. बावजूद इसके कि फिलीपींस आधुनिकीकरण के लिए निवेश कर रहा है, जैसे ब्रह्मोस खरीदने की तैयारी है – जो भारत की सुपरसोनिक मिसाइल है और जो मध्यम दूरी की सुपरसोनिक क्रूज़ मिसाइल है जिसे पनडुब्बी, जहाज, हवाई जहाज या फिर जमीन से छोड़ा जा सकता है, इसके अलावा भी फिलीपींस को निवेश करना होगा.
सुरक्षा क्षमता के लिये बड़े देशों पर निर्भरता
पांच दशकों के बावजूद फिलीपींस अभी भी अपनी रक्षा क्षमता के विकास के लिए दुनिया की प्रमुख शक्तियों पर निर्भर है. आंकड़े इस बात की ओर इशारा करते हैं कि एएफपी के आधुनिकीकरण कार्यक्रम के पहले और दूसरे स्तर के 145 प्रोजेक्ट में से 137 का संबंध क्षमता, मटीरियल और तकनीकी विकास से है. छोटे हथियारों का अधिग्रहण ज़्यादातर स्थानीय रक्षा उद्योगों के हवाले है.
2022 – 2027 की रक्षा योजना निर्देश यह मानता है कि एएफपी सैन्य कैंपों और बेस के नाम को बदलना जारी रखेगा. यह उन रणनीतिक इलाकों की पहचान करेगा जिन्हें घोषित किया जा सकता है, या जिसे ज़ब्त कर लिया गया है, या फिर जिसे सैन्य रिज़र्व या फिर संपत्ति के तौर पर अधिगृहित किया गया है. लेकिन एएफपी के बदलाव के रोडमैप 2028 के आधार पर एएफपी के आधुनिकीकरण कार्यक्रम का एक रणनीतिक उद्देश्य सैन्य बलों के दीर्घकालीन विकास से जुड़े प्रोजेक्ट को बाहरी सहायता की मदद से जारी रखना है. पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप सहयोग समझौतों के जरिए विकास से जुड़े प्रोजेक्ट की तादाद को बढ़ाया जा सकता है. लेकिन एक नौसेना परिचालन अड्डे के विकास के लिए विशेष तकनीकी जानकारी की जरूरत होती है जिससे सुविधाओं और मदद की जरूरतों को पूरा किया जा सकता है.
फिलीपींस की नौसेना को जमीन, हवा, समुद्र और साइबर स्पेस के लिए मौजूदा फायदों का लाभ उठाना चाहिए. क्योंकि यह कई तरीके से फायदेमंद हो सकता है. हालांकि, कई बार ऐसा भी देखा गया है कि इस अतिआधुनिक व्यवस्था पर ज़्यादा निर्भर होना इससे जुड़े उद्योगों के लिए नुकसानदेह भी हो जाता है.
फिलीपींस की नौसेना को जमीन, हवा, समुद्र और साइबर स्पेस के लिए मौजूदा फायदों का लाभ उठाना चाहिए. क्योंकि यह कई तरीके से फायदेमंद हो सकता है. हालांकि, कई बार ऐसा भी देखा गया है कि इस अतिआधुनिक व्यवस्था पर ज़्यादा निर्भर होना इससे जुड़े उद्योगों के लिए नुकसानदेह भी हो जाता है. लेकिन इसका इस्तेमाल भौगोलिक नौवहन को प्रोत्साहित करने के लिए किया जाना चाहिए. इसे अपने रणनीतिक कार्यों के लिए बड़े डाटा नेटवर्क के आधार पर नाविकों को शिक्षित करना चाहिए. व्यापक डाटा में हमेशा से मात्रा,विविधता और गतिशीलता की विशेषता होती है.
सवाल यही है कि क्या इसे प्राप्त किया जा सकता है ? हां, जब तक सैन्य बलों के आधुनिकीकरण के बदलाव के कार्यक्रम को लेकर पूरी निष्ठा से निवेश किया जाए और जब तक कि फिलीपींस अगले साल नए राष्ट्रपति का चुनाव नहीं कर लेगा. फिलीपींस की नौसेना वहां की आधुनिक सैन्य बल के नेतृत्व में महत्वाकांक्षी बदलावों का सपना देख सकती है और इस क्षेत्र में एक मजबूत सैन्य बल के तौर पर उभर सकती है. मनीला को अपनी संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता के साथ-साथ पुख़्ता सुरक्षा के लिए अपनी लंबी समुद्री अनिश्चितताओं और असुरक्षा के विवादित मामलों को जल्द से जल्द निपटा लेना चाहिए.
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