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जलवायु न्याय के नज़रिए से ही नहीं बल्कि अपने आर्थिक हितो�
भविष्य में भारत को ग्रीन इकोनॉमी यानी हरित अर्थव्यवस्था
इस वर्ष के जलवायु परिवर्तन सम्मेलन (COP) में पेरिस समझौते के
बाकू में हाल ही में संपन्न हुए कॉप 29 यानी जलवायु शिखर सम्म�
बुज़र्ग नागरिकों को बजाय किसी बोझ के योगदान देने वाली आब�
भारत का लक्ष्य अंतरिक्ष के क्षेत्र में वैश्विक खिलाड़ी क
भारत में इस बात की काफ़ी संभावनाएं हैं कि वो विकसित और वि�
वस्तुओं और सेवाओं के व्यापार के मामले में साफ तौर पर निर्�
एशिया-प्रशांत क्षेत्र की SDGs की दिशा में प्रगति असंतुलित ह�
भारत और श्रीलंका के बीच हरित क़र्ज़ की अदला-बदली दोनों दे�
जलवायु वित्त को SIDS की आवश्यकताओं के अनुरूप बनाने, भेद्यता
इंटरनेट पर अंग्रेज़ी का दबदबा है. लेकिन, जैसे जैसे विकासश�
हिंद-प्रशांत क्षेत्र में सतत विकास को बरक़रार रखने एवं त�
परोपकारी संगठनों की वित्तीय क्षमता सरकार से परे होती है. �
वैश्विक स्तर पर चीन नवीकरणीय ऊर्जा में अपना उल्लेखनीय यो
UK के रवांडा अधिनियम का न केवल पश्चिमी देशों बल्कि ग्लोबल �
छोटे द्वीपीय विकासशील देशों (SIDS) में मलेरिया के बढ़ते मामल
भारत और ऑस्ट्रेलिया SIDS से सहयोग को प्राथमिकता तो देते हैं.
हाई एंबीशन कोएलिशन के देश एक ऐसी मज़बूत प्लास्टिक संधि च�
ग्लोबल साउथ की आवाज़ के रूप में भारत की मान्यता के साथ मात
युवा पूंजी और बेहतरी को पालन-पोसन न केवल एक नैतिक जिम्मेद�
जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए SIDS जो उपाय कर रहे हैं, वो ब
भारत जैसे विकासशील देश के लिए 21वीं सदी में विकास को स्थाय�
उभरते हुए बाज़ारों में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का काफ़ी �
जलवायु परिवर्तन, डेटा सेंटर्स पर असर डाल रहा है, जो देश के �
विकसित और विकासशील देशों के बीच भरोसे का संकट अंतर्राष्ट
स्वतंत्र और खुले इंडो-पैसिफिक के लिए जापान की प्रतिबद्धत
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और इससे जुड़ी तकनीकों को हथियार �
2024 में क़ुदरती और ज़िम्मेदार प्रगति के लिए भारत को एक ऐसा �
विकसित देशों (ग्लोबल नॉर्थ) ने व्यापार की राह में जो बाधाए
विकासशील देशों के मज़बूत पक्षधर के तौर पर भारत को विकास म�
विकासशील देशों के मज़बूत पक्षधर के तौर पर भारत को विकास म�
जलवायु परिवर्तन मानव जाति के समक्ष एक सबसे बड़ा स्वास्थ्
विकसित और विकासशील देशों के बीच पुल के तौर पर भारत ने दिखा
विकासशील देश कार्बन से छुटकारा दिलाने की नीतियों को लागू
भारत विकासशील और छोटे द्वीपीय विकासशील देशों की नेट ज़ीर
प्रशांत महासागर के द्वीपीय विकासशील देशों (पीएसआईडीएस) म
आर्थिक कूटनीति के नये क्षेत्रों को लेकर भारत के रुख़ पर न
भारत को एक जोड़ने वाली शक्ति के रूप में देखा जाता है जो नई �
जलवायु के अनुकूल व्यापार नियमों के लिए एक समान दृष्टिकोण
G20 की इस घोषणा ने जलवायु परिवर्तन से निपटने को लेकर विकासश�
विकासशील देशों की आवाज़ और जलवायु परिवर्तन से जुड़े अपने
केवल ऊर्जा परिवर्तन से हरित बदलाव नहीं लाया जा सकता है; इस
ग्लोबल साउथ (विकासशील देशों) को चाहिए कि वो संयुक्त राष्ट�
विश्व व्यापार संगठन (WTO) को सुधारने की ज़रूरत है क्योंकि ये
G20 की अपनी अध्यक्षता के दौरान भारत को सरकारों एवं नीति-निर�