Author : Soumya Bhowmick

Expert Speak Raisina Debates
Published on Apr 06, 2024 Updated 0 Hours ago

युवा पूंजी और बेहतरी को पालन-पोसन न केवल एक नैतिक जिम्मेदारी है, बल्कि आर्थिक आवश्यकता भी है.

असमानता की खाइयों को पाटकर भविष्य का निर्माण: स्थायी विकास का लक्ष्य (SDG) 3 और युवा पूंजी

ये निबंध, हमारी सीरीज़, वर्ल्ड हेल्थ डे 2024: मेरी सेहत, मेरा अधिकार का एक भाग है


युवा पूंजी की प्रगति किसी भी देश के विकास की बुनियाद होती है. ये आर्थिक तरक़्क़ी और, लचीले समाज बनाने को उत्प्रेरण देने वाला प्रमुख पहलू होता है. हाल के दशकों के दौरान, सेहत, शिक्षा और आमदनी के सूचकांकों में काफ़ी सुधार होने के बावजूद, ग्लोबल साउथ के बहुत से देशों को संयुक्त राष्ट्र के स्थायी विकास के लक्ष्यों (SDGs) द्वारा निर्धारित बहुत के मक़सद हासिल करने के लिए अभी काफ़ी काम करने की ज़रूरत है.

युवाओं पर अपने प्रत्यक्ष प्रभाव के अलावा भी इन सूचकांकों का समाज पर सामूहिक रूप से दूरगामी असर पड़ता है. 

SDG 3 का ज़ोरअच्छी सेहत और बेहतरीहै. ये युवाओं की भलाई की दशा दिशा तय करने में मुख्य भूमिका अदा करता है, जिससे युवाओं और ख़ास तौर से किशोरावस्था के दौरान इसकी असाधारण महत्ता रेखांकित होती है, ये उम्र का वो दौर होता है, जब दूरगामी बेहतरी में योगदान देने वाले कारक हासिल करके मज़बूत किए जाते हैं. SDG 3 के अंतर्गत, युवाओं पर असर डालने वाले कई सूचकांकों पर तवज्जो देने की आवश्यकता है. इनमेंमां बनते वक़्त मृत्यु की दर’, ‘नवजात बच्चों की मृत्यु दर’, ‘एचआईवी पॉज़िटिव मामलों की संख्याऔरदिल की बीमारियों की वजह से होने वाली मौतों की दरशामिल हैं. युवाओं पर अपने प्रत्यक्ष प्रभाव के अलावा भी इन सूचकांकों का समाज पर सामूहिक रूप से दूरगामी असर पड़ता है. 

बेहतरी का एक अंतर्निहित तरीक़ा

युवाओं में निवेश, मानव पूंजी के विकास से आगे तक असर करता है; इसके लिए बुनियादी तौर पर बेहतरी का तरीक़ा अपनाने की ज़रूरत होती है. ये रूप-रेखा किशोरों की बेहतरी के तमाम मामलों को अलग करती है, और इसमें सेहत और पोषण से लेकर कौशल और रोज़गार हासिल करने की क्षमता तक के मानक आते हैं (देखें Table 1). वैसे तो शारीरिक और मानसिक सेहत इसके अहम तत्व हैं. लेकिन, बेहतरी की व्यापक परिभाषा के दायरे में लोगों के ज़िंदगी के व्यक्तिगत अनुभव और जीवन की गुणवत्ता भी शामिल होती है.

Table 1: बेहतरी के क्षेत्र

Table 1: Domains of Well-being

क्षेत्र उप क्षेत्र ज़रूरतें बेहतरी के प्रकार
अच्छी सेहत और पोषण
  • शारीरिक सेहत की क्षमताएं
  • मानसिक स्वास्थ्य की क्षमताएं
  • अच्छी सेहत और पोषण
  • पर्याप्त सूचना, सेवाओं और रखरखाव तक पहुंच
  • पानी की साफ़ सफ़ाई जैसे स्वस्थ माहौल तक पहुंच 
  • शारीरिक गतिविधियों के अवसर
  • हर इंसान के लिहाज़ से आवश्यक संतुलित और सेहतमंद खानपान की उपलब्धता
  • भौतिक 
  • पोषक
  • भावनात्मक और 
  • सामाजिक सांस्कृतिक
संपर्क, सकारात्मक मूल्य और समाज में योगदान

-जुड़ाव

-मूल्य और सम्मान

  • नज़रिया
  • व्यक्तिगत कौशल
  • गतिविधियां
  • बदलाव और विकास
  • सकारात्मक और अर्थपूर्ण संबंध विकसित करने के अवसर
  • निर्णय लेने की प्रक्रिया में शामिल होने के अवसर
  • निजी उत्तरदायित्व विकसित करने के अवसर
  • संवेदनशीलता और दोस्ताना संबंध बनाने के अवसर
  • सामाजिक सांस्कृतिक और नागरिक सक्रियता के मौक़े
  • ऐसे हुनर विकसित करने के मौक़े, जिससे समुदाय के विकास में सकारात्मक योगदान दे सकें
  • जज़्बाती
  • सामाजिक सांस्कृतिक
सुरक्षा और मददगार माहौल
  • सुरक्षा
  • संसाधन के हालात
  • समता और समानता
  • ग़ैर विभेद
  • निजता
  • जवाब हासिल होना
  • हिंसा और शोषण करने वाले हितों से बचाव
  • खाने, पोषण, पानी, मकान, गर्मी, कपड़ों और भौतिक सुरक्षा के अधिकार
  •  सहयोगी क़ानूनी और नीतिगत रूप-रेखा  और इसके बारे में जानकारियों तक पहुंच
  • बिना भेदभाव के निजी आस्था का पालन करने का अधिकार
  • बिना सहमति के विचारों को साझा करना
  • सुरक्षित और प्रोत्साहन देने वाले अवसरों तक पहुंच
  • शारीरिक
  • भावनात्मक
  • सामाजिक सांस्कृतिक
सीखना, क़ाबिलियत, कौशल और रोज़गार हासिल करने में सक्षम होना
  • सीखना
  • शिक्षा
  • संसाधन
  • कौशल
  • रोज़गार के लायक़ होना
  • आत्मविश्वास
  • प्रेरणा का विकास और सीखने को लेकर प्रतिबद्धता
  • 16 साल की उम्र तक औपचारिक शिक्षा तक पहुंच और उसके बाद औपचारिक एवं अनौपचारिक शिक्षा का मौक़े होना
  • संसाधन, कौशल और क्षमताएं विकसित करने के अवसर
  • तकनीकी, पेशेवराना, कारोबारी और रचनात्मक कौशल विकसित करने के अवसर
  • बिना शोषण वाली और टिकाऊ शिक्षा में भागीदार बनने के अवसर
  • आत्मविश्वास हासिल करने के लिए प्रोत्साहन
  • भावनात्मक
  • ज्ञानात्मक
अस्तित्व और लचीलापन अस्तित्व

पहचान

मक़सद

लचीलापन

तसल्ली

  • आत्मविश्वास और अपनी हस्ती विकसित करने के मौक़े
  • पहचान में स्पष्टता और सहजता विकसित करने के सुरक्षित अवसर
  • लचीलापन विकसित करने के मौक़े और मुश्किल समय से जूझने के लिए ज़रूरी लचीलापन
  • अपनी क्षमता की पूरी संभावनाएं हासिल करने के मौक़े

-भावनात्मक

-ज्ञानात्मक

Source: Ross et al. (2020), “Adolescent Well-Being: A Definition and Conceptual Framework

स्वास्थ्य और आर्थिक समृद्धि

1971 से लेकर साल 2000 तक 118 विकासशील देशों के पैनल डेटा के विश्लेषण से पता चलता है कि सेहत में सुधार से किसी भी देश की आर्थिक संभावनाओं के ठोस फ़ायदे देखने को मिलते हैं. नागरिकों की औसत आयु अगर एक साल बढ़ जाती है, तो इससे 4 प्रतिशत अधिक की सालाना विकास दर का फायदा होता है. जिन देशों में स्कूल जाने वालों की तादाद में सुधार होता है, वहां संगठित बैंकिंग सेवाओं, बेहतर सेहत, प्रजनन की दर में गिरावट और तकनीक अपनाने में अधिक तेज़ी आती दिखाई देती है.

5 साल से कम उम्र के बच्चों की मृत्यु दर में अंतर की वजह से ऊंची आमदनी वाले और कम आमदनी वाले देशों की प्रति व्यक्ति GDP में काफ़ी फ़ासला आ जाता है.

5 साल से कम उम्र के बच्चों की मृत्यु दर में अंतर की वजह से ऊंची आमदनी वाले और कम आमदनी वाले देशों की प्रति व्यक्ति GDP में काफ़ी फ़ासला जाता है. ये अंतर ही स्वास्थ्य और आर्थिक समृद्धि के आपसी संबंध को उजागर करता है, और इससे इन खाइयों को पाटने के लिए व्यापक क़दम उठाने की ज़रूरत भी रेखांकित होती है.

Figure 1: दुनिया के क्षेत्रों में पांच साल से कम आयु के बच्चों की मृत्यु दर और प्रति व्यक्ति GDP के बीच संबंध, 2020

Source: The Human Capital Index 2020 Update, World Bank Group

वैश्विक स्तर पर भी स्वास्थ्य और अर्थव्यवस्था के बीच संबंध स्पष्ट रूप से दिखता है. जहां यूरोप, मध्य अमेरिका और प्रशांत क्षेत्र के देशों की तुलना में अफ्रीकी देशों में मृत्यु दर अधिक है. जन स्वास्थ्य के क्षेत्र में निवेश अक्सर आर्थिक प्रगति की वजह से आता है और इससे सेहत के मामले में बेहतर नतीजे हासिल होते हैं. फ्रांस, स्विटज़रलैंड और जर्मनी जैसे देश अपनी GDP के 11 प्रतिशत तक रक़म जनता की सेहत की सेवाओं में निवेश करते हैं. इनकी तुलना में भारत में स्वास्थ्य के क्षेत्र में निवेश अभी भी बहुत कम बना हुआ है. इससे राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति द्वारा 2025 तक तय GDP के पांच प्रतिशत रक़म के निवेश का लक्ष्य हासिल करने में भी बाधाएं रही हैं.

चुनौतियों से पार पाना

कोविड-19 महामारी के असर ने स्वास्थ्य और बेहतरी के क्षेत्र में उपलब्धियां हासिल करने की राह में कई बाधाएं खड़ी की हैं. आवाजाही पर प्रतिबंधों और स्वास्थ्य सेवाओं पर बढ़े हुए बोझ ने युवा आबादी से जुड़े महत्वपूर्ण सूचकांकों से निपटने की राह में बड़ी चुनौतियां खड़ी कर दी हैं. कॉमनवेल्थ की युवा विकास सूचकांक 2020 रिपोर्ट में दो ऐसे क्षेत्रों की विशेष रूप से पहचान की गई है, जिन पर महामारी के बाद के दौर में बहुत ध्यान देने की ज़रूरत है. पहला, तो युवाओं के लिए मानसिक स्वास्थ्य की सेवाएं हासिल करने के लिए क़ानून बनाना अहम हो गया है. क्योंकि शिक्षा में खलल, अलग थलग पड़ने और बेरोज़गारी से मानसिक स्वास्थ्य की स्थिति बिगड़ी है. दूसरा, इस रिपोर्ट में युवाओं के सड़क हादसों में मारे जाने की संख्या में भयानक बढ़ोत्तरी पर चिंता जताई गई है और इसके लिए लक्ष्य आधारित क़दम उठाने की अपील की गई है.

कुल मिलाकर युवा पूंजी और उनकी बेहतरी को पोषित करना केवल एक नैतिक उत्तरदायित्व है, बल्कि एक आर्थिक आवश्यकता भी है. SDG 3 के लक्ष्य हासिल करने के लिए विकसित और विकासशील देशों के बीच साझेदारी, एक अहम माध्यम बन सकती है. ऐसे सहयोग से जानकारी के आदान-प्रदान, संसाधनों को साझा करने और युवाओं की बेहतरी को प्रभावित करने वाली बहुआयामी चुनौतियों से आपसी तालमेल से निपटने में सहायता प्राप्त हो सकती है. SDG की रूप-रेखा को लेकर एक व्यापक नज़रिया अपनाने की ज़रूरत है जिसमें स्वास्थ्य, शिक्षा, और इसी में निहित बेहतरी शामिल हो. लचीले समाजों के निर्माण और वैश्विक स्तर पर टिकाऊ विकास को आगे बढ़ाने के लिए ऐसा करना ज़रूरी है.


(नोट- अधिक व्यापक विश्लेषण के लिए ओआरएफ ओकेज़नल पेपर नंबर 381, ‘दि क्रुशियल 60 परसेंट: बिल्डिंग दि कॉमनवेल्थ यूथ कैपिटलको देखें)

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