ये लेख हमारी सीरीज़: AI F4: फैक्ट्स, फिक्शन, फियर्स ऐंड फैंटेसीज़ का एक भाग है
उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं में कौशल और इनोवेशन को बढ़ावा देने में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) की संभावनाओं को अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय, दोनों ही तरह के विकास संगठनों ने रेखांकित किया है. हाल ही में संयुक्त राष्ट्र (UN) ने अपनी AI सलाहकार संस्था की शुरुआत की है. इसी तरह ब्रिटिश सरकार ने विकासशील देशों को AI का हुनर विकसित करने और इनोवेशन को बढ़ावा देने पर ध्यान केंद्रित करने में मदद करने के लिए AI के विकास की नीति का एलान किया है. इसके उलट, अकादमी क्षेत्र ने ग्लोबल साउथ के डेटा पर पश्चिमी देशों के शिकंजे को ‘डेटा के उपनिवेशवाद’ के तौर पर उजागर किया है. आप इस बहस में किस पक्ष में खड़े हैं कि उभरती अर्थव्यवस्थाओं में AI एक कल्पना है या डर, मगर मौजूदा बहस, AI के इस्तेमाल को तय करके अपने विकास को दिशा देने में उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं के अपने फ़ैसले के अधिकार की अनदेखी करती है.
उभरती अर्थव्यवस्थाओं में AI की कामयाबी के चार विशिष्ट पहलू हैं. ख़ास तौर से स्टार्ट अप के केंद्रों के निर्माण, कौशल विकास और इन्हें लगाने में आसानी के मामले में.
1.उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं में AI का स्वदेशी इकोसिस्टम
विश्व आर्थिक मंच ने रेखांकित किया है कि AI के मामले में विकसित देशों की तुलना में उभरती हुई अर्थव्यवस्थाएं ज़्यादा उम्मीदों से भरी हैं. उभरती अर्थव्यवस्थाओं में AI की कामयाबी के चार विशिष्ट पहलू हैं. ख़ास तौर से स्टार्ट अप के केंद्रों के निर्माण, कौशल विकास और इन्हें लगाने में आसानी के मामले में.
पहला उभरती अर्थव्यवस्थाओं में स्टार्टअप के केंद्रों ने एक राष्ट्रीय AI इकोसिस्टम को जन्म दिया है. दि हार्वर्ड बिज़नेस रिव्यू ने दुनिया के 50 सबसे बड़े AI केंद्रों में उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं को भी शामिल किया है. लोग ये जानकर हैरान होंगे कि इन 50 केंद्रों में से कुआलालम्पुर की रैंकिंग जोहानिसबर्ग और इस्तांबुल से भी ज़्यादा ऊंची है. इसके अतिरिक्त इस सूची में साओ पाउलो जैसी जगह को देखना दिलचस्प है. निश्चित रूप से दोनों ही शहर इस सूची में नीचे हैं. कुआलालम्पुर 38वें तो साओ पाउलो 43वें स्थान पर है.
वैसे तो ये देखना महत्वपूर्ण है कि उभरती अर्थव्यवस्थाओं ने भी इस सूची में जगह बनाई है. लेकिन, यहां इस बात पर भी ध्यान देना होगा कि उनकी सफलता के क़िस्से अंतरराष्ट्रीय मीडिया में जगह नहीं बना सके हैं और बहुत से संगठन बेंगलुरू, बीजिंग या सैन फ्रांसिस्को जैसे अधिक स्थापित केंद्रों में AI की प्रगति पर चर्चा करने को तरज़ीह देने का विकल्प चुनते हैं.
दूसरा, उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं में शिक्षा ने भी AI के विकास को आगे बढ़ाया है. विश्व आर्थिक मंच कहता है कि सच तो ये है कि विकसित देशों के अपने समकक्षों की तुलना में उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं के लोगों को अगर AI के उपयोग की अधिक समझ नहीं, तो अधिक जानकारी ज़रूर है. मिसाल के तौर पर कोविड-19 से उबरकर ब्राज़ील, 2017 की तुलना में अपने क़ाबिल लोगों के समूह से तीन गुना अधिक AI कामगारों को नौकरी पर रखने में सफल रहा था. इसके अतिरिक्त, OECD की AI वेधशाला ये तथ्य रेखांकित करती है कि AI के इस्तेमाल में हुनरमंद कामगारों का सबसे अधिक विकास नाइजीरिया में होता दिखा है, और AI के साथ काम करने वालों की तादाद नाइज़ीरिया में कुल कामगारों के 1.2 प्रतिशत से बढ़कर 2.2 फ़ीसद हो गई है.
तीसरा, उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के विकास में डिजिटलीकरण एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है. अधिक मूलभूत ढांचे की मांग करने वाली सामान्य इस्तेमाल की तकनीकों (GPT) जैसे कि ब्रॉडबैंड के उलट, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस सॉफ्टवेयर पर आधारित है. उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं के लिए ये महत्वपूर्ण है. क्योंकि ये उन्हें हार्डवेयर में बहुत अधिक निवेश किए बग़ैर भी लंबी छलांग लगाने में मदद करता है. ब्लूमबर्ग का कहना है कि AI के अर्थव्यवस्था में तेज़ी से एकीकरण के मामले में फिलीपींस तो विशेष तौर पर काफ़ी आगे चल रहा है.
चौथा कई मामलों में, उभरती अर्थव्यवस्थाओं की सरकारों ने AI के इर्द गिर्द उद्योगों के विनियमन में काफ़ी सक्रिय रवैया अपना है, ख़ास तौर से विकासशील देशों की तुलना में, जहां ब्रिटेन जैसे देशों में भी एक उत्तरदायी AI का क़ानून नहीं है. मिसाल के तौर पर मलेशिया 2024 में कोड ऑफ एथिक्स ऐंड गवर्नेंस जारी करने वाला है और वो 2021 से ही नेशनल आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस रोडमैप के रास्ते पर चलता आ रहा है.
कुल मिलाकर, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के विकास की राह में उभरती अर्थव्यवस्थाओं के ये चारो शीर्ष पहलू- स्टार्टअप का एक मज़बूत इकोसिस्टम, कौशल, विकास की संभावनाएं और प्रशासन- इसकी स्वदेशी आर्थिक संभावनाओं को रेखांकित करते हैं. हालांकि, विकासशील देशों की ग़ैर आर्थिक विकास की ज़रूरतों में AI के इस्तेमाल की क्षमता का विश्लेषण किए जाने की ज़रूरत है.
(2) उभरती अर्थव्यवस्थाएं किस तरह आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल ग़ैर आर्थिक विकास के लिए कर रही हैं
उभरती अर्थव्यवस्थाओं में AI ने जिन तीन ग़ैर आर्थिक क्षेत्रों पर प्रभाव डाला है, उनमें रोज़गार में परिवर्तन, स्वास्थ्य और स्थायित्व है.
विश्व बैंक कहता है कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस ने उभरती अर्थव्यवस्थाओं के दूर-दराज़ वाले इलाक़ों में रहने वाले समुदायों के लिए रोग का पता लगाने की चुनौतियों को कम किया है.
पहला, जहां तक रोज़गार में क्रांतिकारी परिवर्तन की बात है तो OECD.AI की ऑब्ज़र्वेटरी ने रेखांकित किया है कि AI की वजह से दर-बदर होने से ज़्यादा पुनर्गठन होने की संभावना अधिक है, और इसके सकारात्मक प्रभाव पड़ेंगे, जिसमें काम-काज की जगह की सुरक्षा में सुधार भी शामिल है. इसके अतिरिक्त, AI उभरती अर्थव्यवस्थाओं में नौकरी के मेल या फिर स्ट्रीमलाइनिंग और नौकरी पर रखने की प्रक्रिया के ज़रिए नौकरी में बदलाव को इस तरह परिवर्तित कर रहा है, जिससे कामगारों का नए तरह के रोज़गारों के हिसाब से मिलान हो सके.
दूसरा, जहां तक स्वास्थ्य की बात है तो, विश्व बैंक कहता है कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस ने उभरती अर्थव्यवस्थाओं के दूर-दराज़ वाले इलाक़ों में रहने वाले समुदायों के लिए रोग का पता लगाने की चुनौतियों को कम किया है. इस मामले में कामयाबी की एक प्रमुख कहानी घाना है, जिसने कोविड-19 महामारी के दौरान एक सफल पायलट प्रोजेक्ट के बाद, AI से चलने वाली टेलीमेडिसिन सुविधा को अपने यहां मेडिकल के राष्ट्रीय मूलभूत ढांचे में शामिल कर लिया है.
तीसरा, जहां तक स्थायी विकास की कोशिशों की बात है, तो KTH रॉयल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी का कहना है कि AI के एल्गोरिद्म अपने आप तेल के रिसाव की आशंकाओं का पता लगाकर, पहले ही उभरती अर्थव्यवस्थाओं की मदद कर रहे हैं. यही नहीं, विश्व बैंक के एक हालिया ब्लॉग में बताया गया है कि AI को 3D प्रिंटिंग से जोड़कर कम क़ीमत वाले और पर्यावरण के हिसाब से मुफ़ीद मकान बनाने की क्षमता विकसित की जा सकती है.
AI के इस्तेमाल के मामलों में दोनों पक्षों के बीच ज्ञान के लेन-देन का रास्ता खुलेगा और वो आर्थिक एवं ग़ैर आर्थिक दोनों तरह के विकास को बढ़ावा देते हुए उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं के लिए एक बड़ी भूमिका निर्धारित कर सकेंगे.
निष्कर्ष
अमेरिका, चीन और भारत जैसे तकनीकी रूप से उन्नत देशों में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की सफलता के शोर ने इन देशों के विकास संगठनों द्वारा उभरती अर्थव्यवस्थाओं पर AI को लागू करने संबंधी परिचर्चा को पहले ही प्रभावित किया है. इस परिचर्चा को हमें थोड़े बहुत शक के साथ देखना चाहिए, क्योंकि उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं में आर्थिक और ग़ैर आर्थिक, दोनों ही तरह के विकास में स्वयं से प्रशासित AI के के इस्तेमाल को लेकर काफ़ी उम्मीदें लगाई जा रही हैं.
इसीलिए, विकास से जुड़े संगठनों को चाहिए कि वो ग्लोबल साउथ में AI के कम विकास के इस भय का मुक़ाबला करे, और हर देश की AI का प्रशासन करने वाली संस्था से नज़दीकी साझेदारी विकसित करे. ऐसे सहयोग से AI के इस्तेमाल के मामलों में दोनों पक्षों के बीच ज्ञान के लेन-देन का रास्ता खुलेगा और वो आर्थिक एवं ग़ैर आर्थिक दोनों तरह के विकास को बढ़ावा देते हुए उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं के लिए एक बड़ी भूमिका निर्धारित कर सकेंगे.
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