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श्रीलंका का वर्तमान संकट भारत के लिए इस द्वीपीय देश को ची�
अफ़ग़ानिस्तान को ‘ साम्राज्यों का कब्रिस्तान’ कहा जाता �
अब जब “आतंकवाद के विरुद्ध युद्ध” संपन्न हो चुका है, भारत क
हो सकता है कि हिंद प्रशांत की परिकल्पना को चीन में बहुत भा
संगठन को पूरी तरह अपंग होने से बचाने के लिए सार्क से अफ़ग़
क्या ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका और ब्रिटेन के बीच बढ़ती रक्षा �
क्वॉड और ऑकस दोनों संगठन भले ही अलग हों लेकिन उनका मूल मकस
एक घोषणा जिसका तात्पर्य इंडो-पैसिफिक में हलचल पैदा करना �
ईयू हिंद-प्रशांत रणनीति से पता चलता है कि यूरोपीय संघ का इ
उन वजहों की पहचान करना जिसके चलते भारत-रूस के रिश्ते की गर
आर्थिक संबंधों में जिस तरह श्रीलंका चीन के क़रीब जा रहा ह�
जब ब्रिक्स से ठोस कदमों की उम्मीद की जा रही है, तो सिर्फ ब�
अगर भारत ख़ुद को कम अवधि में एक महाशक्ति के तौर पर देखता ह�
अफ़ग़ानिस्तान को लेकर न सिर्फ़ भारत बल्कि समूची दुनिया क
भारत को यमन के साथ अपने दशकों पुराने रिश्तों और लोगों से ल
कूटनीतिक स्तर पर इस यात्रा के बाद भारत अब इंडो पैसिफिक का
अफ़ग़ानिस्तान में ‘गुड’ और ‘बैड’ तालिबान के फर्क़ ने अफ़
भारतीय बाज़ार का तौर-तरीक़ा चीन से काफ़ी हद तक मिलता-जुलत�
अमेरिका, यूरोपीय संघ, भारत, ऑस्ट्रेलिया और ब्राज़ील जैसे �
ईरान के नए राष्ट्रपति को वास्तविक सहयोगी मानने में अमेरि
भारत द्वारा अपना फ़ैसला सार्वजनिक कर दिए जाने के बाद अंद�
अब जबकि अमेरिकी सेना ने सोमालिया छोड़ दिया है तो यह साफ़न
किसी सरकार को मान्यता देना हमेशा स्वार्थ निर्देशित राजन�
अफ़ग़ानिस्तान एक ऐसा देश है जो भौगोलिक रूप से इस संगठन मे�
2007 के बाद से अगले एक दशक तक चीन के विस्तारवादी रवैये बीआरआ�
जैसे-जैसे सुगा की विरासत की जंग तेज़ हो ही है, जापान की राज�
इराक़ जो सालों तक युद्ध और विवादों के लिए सुर्ख़ियों में �
बगैर यूरोपियन यूनियन के सहयोगियों से सलाह मशविरा किए अफ़
जब से नया राष्ट्रीय सुरक्षा क़ानून बनाया गया है तब से हां�
बांग्लादेश को चरमपंथी इस्लामिक विचारधारा के संभावित उभ�
अफ़ग़ानिस्तान पर तालिबान के कब्ज़े के बाद भारत को सामरिक
क्या संविधान संशोधन का इस्तेमाल पश्चिम अफ्रीका में सत्त�
बीस साल बीत जाने के बाद भी, ‘आतंकवाद के ख़िलाफ़ युद्ध’ अभी
अफ़ग़ानिस्तान पर तालिबान का कब्ज़ा बांग्लादेश को कैसे प�
इस नई जियोपॉलिटिकल हक़ीक़त को लेकर भारत के द्वीपीय पड़ोस
नियम आधारित वैश्विक व्यवस्था के लिए भारत, मध्य और पूर्वी �
पिछले कुछ वर्षों में वैश्विक सामरिक मामलों के विमर्श में
नीति निर्माता और इस काम में लगे हुए लोग पूर्वधारणा के मूल
अफ़ग़ानिस्तान में इस वक़्त, उसके पड़ोसी मध्य एशियाई देशो
खाद्य आपातकाल की घोषणा करने के बाद श्रीलंका को मुश्किल स�
आखिर में सारी बौद्धिक कसरत असली चीज़ को छुपा नहीं सकी. पुर
जहां तक मान्यता की बात है तो रूस भी अभी तक मान्यता देने को �
शिक्षा नीति से व्यक्ति से व्यक्ति तक के संबंध मज़बूत होत�
कैसे राष्ट्र-निर्माण गतिविधियां सफल होंगी जब वरिष्ठ अमे�
तालिबान सरकार के गठन और उनकी गतिविधियों से यही प्रतीत हो�
भारत-यूरोपीय संघ सहयोग की बढ़ती गहराई के साथ ही यह बेहद जर
यहां सवाल उठता है कि आख़िर देश के भविष्य से असल सरोकार रखन
जलवायु परिवर्तन एक ऐसा मुद्दा है जो चीन और अन्य शक्तियों �
एक तरफ़ तो इसे सामान्य जन-जीवन में इस्तेमाल किया जा सकता ह