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एक तरफ़ तो इसे सामान्य जन-जीवन में इस्तेमाल किया जा सकता है. वहीं, दूसरी तरफ़ सैन्य कार्यों में भी AI का प्रयोग हो सकता है.
एक ताक़तवर महाशक्ति बनने के लिए चीन, शी जिनपिंग के नेतृत्व में आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस (AI) को बहुत अहमियत दे रहा है. आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस का दोहरा इस्तेमाल हो सकता है. एक तरफ़ तो इसे सामान्य जन-जीवन में इस्तेमाल किया जा सकता है. वहीं, दूसरी तरफ़ सैन्य कार्यों में भी AI का प्रयोग हो सकता है. यही कारण हैं कि चीन आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस के विकास और उसके इस्तेमाल पर काफ़ी ज़ोर दे रहा है. एक तरफ़ तो आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस के क्षेत्र में तरक़्क़ी से चीन की स्वास्थ्य व्यवस्था और अर्थव्यवस्था समेत अन्य तमाम क्षेत्रों को फ़ायदा होगा. वहीं दूसरी तरफ़ इसकी मदद से पीपुल्स लिबरेशन आर्मी की ताक़त में भी इज़ाफ़ा हो सकता है. AI की मदद से पीपुल्स लिबरेशन आर्मी ‘बौद्धिक युद्ध’ कर सकती है, जिसे चीन की सेना के रणनीतिकार कुछ इस तरह परिभाषित करते हैं- ‘आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस और इसे सुगम बनाने वाली तकनीकों जैसे कि क्लाउड कंप्यूटिंग, बिग डेटा एनालिटिक्स, क्वांटम इन्फॉर्मेशन और मानव रहित व्यवस्थाओं के सैन्य इस्तेमाल को कार्यान्वित करना.’
चीन आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस के सैन्य इस्तेमाल की संभावनाओं के द्वार खोलकर इनके अधिकतम इस्तेमाल के लिए काफ़ी ज़ोर लगा रहा है जिससे वो अमेरिका को पीछे छोड़ सके.
चीन का सैन्य नेतृत्व और रणनीतिकारों ने बड़ी कुटिलता से ये भांप लिया है कि आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस और उससे जुड़ी तकनीकें, जैसे कि- मशीन लर्निंग, मानव और मशीन का मिलकर काम करना [i],, न्यूरल नेटवर्किंग और ख़ुद से संचालित होने वाले हथियार (जिन्हें बौद्धिक हथियार भी कहते हैं) [ii]– अगली पीढ़ी के युद्ध में दुश्मन पर बढ़त हासिल करने का कारगर तरीक़ा हैं. इसके साथ साथ चीन के रणनीतिकार इस बात को लेकर भी आशंकित हैं कि कहीं दूसरे देश, और ख़ास तौर से अमेरिका, इस तरह की तकनीकों की बेहतर क्षमता हासिल करके उनके कमान और कंट्रोल व्यवस्था पर हमला करके उन्हें इस मोर्चे पर शिकस्त न दे दे. इसीलिए, आज चीन की प्रशासनिक व्यवस्था के निचले स्तर से लेकर सर्वोच्च स्तर तक, यानी प्रांतीय और केंद्र सरकारें, चीन की कम्युनिस्ट पार्टी, पीएलए की हर शाखा और देश के सरकारी और निजी संस्थान आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस को अपनाने के लिए काम कर रहे हैं.
शी जिनपिंग ने चीन की सेना को 2035 तक ‘पूरी तरह से आधुनिक बनाने’ और 2050 तक अमेरिका की सेना के बराबर ताक़तवर बनाने का लक्ष्य रखा है. इस मक़सद को हासिल करने के लिए चीन की सेना आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस के क्षेत्र में अनुसंधान, विकास और उनके इस्तेमाल को बढ़ावा देने में (सारणी 1 देखें) पूरी ताक़त लगा रही है. इस कोशिश में चीन के सान्य बलों को क़ानूनों और नए नियमों से मदद मिल रही है, जैसे कि राष्ट्रीय सुरक्षा क़ानून (2015), नेशनल इंटेलिजेंस क़ानून (2017), नई पीढ़ी के आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस के विकास की योजना, सैन्य और नागरिक संसाधनों में तालमेल वग़ैरह. इन सबका मक़सद यही है कि चीन के सभी संस्थानों और कंपनियों के बीच इस मोर्चे पर तालमेल को मज़बूत बनाया जा सके, जिससे वो एक साथ मिलकर एक लक्ष्य हासिल करने के लिए काम करें.
चीन के राष्ट्रीय सुरक्षा क़ानून (2015) और राष्ट्रीय ख़ुफ़िया क़ानून (2017) चीन के सभी संगठनों और नागरिकों को इस बात के लिए बाध्य करते हैं कि वो सरकार के एजेंट के रूप में काम करें और तंत्र की कोशिशों को आगे बढ़ाने में मददगार बनें. वहीं, नागरिक और सैन्य तालमेल (CMF) की मदद से देश की निजी कंपनियों, विश्वविद्यालयों और अनुसंधान केंद्रों के संसाधनों और रिसर्च की क्षमताओं का इस्तेमाल सैन्य हित में करने की कोशिश की जा रही है. CMF से पीपुल्स लिबरेशन आर्मी को उन सभी असैन्य संस्थाओं से मदद मिलेगी, जिनके विदेशी संस्थाओं से भी संबंध हैं.
चीन की अलीबाबा, बायडू, टेनसेंट, शाओमी और हुआवेई जैसी मशहूर कंपनियां इस फ़ेहरिस्त में शामिल हैं. अब ये कंपनियां आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस के क्षेत्र में जो उपलब्धियां हासिल करेंगी, वो निश्चित रूप से पीपुल्स लिबरेशन आर्मी को सहज रूप से उपलब्ध होंगी.
आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस के विकास के लिए अपनी रणनीति को स्पष्ट करते हुए चीन ने 2017 में नई पीढ़ी के आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस के विकास की योजना सामने रखी थी. अन्य बातों के अलावा इस योजना के तहत चीन को AI के सैन्य संगठनों में इस्तेमाल को बढ़ावा देने, कमान और निर्णय लेने में आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस की मदद, सैन्य कटौती में इनका सहयोग, [iii]
रक्षा उपकरणों और अन्य उपयोगों में AI का इस्तेमाल शामिल है. इस योजना में सैन्य और असैन्य संस्थाओं के एकीकरण के लिए सभी तत्वों के बीच बहुआयामी सहयोग से बेहद कुशलता से काम करने वाले नए तरीक़े ईजाद करने की बात कही गई थी.
एक और पहल के तहत चीन ने अपने यहां की तकनीकी कंपनियों को 2017 से ‘आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस का चैंपियन’ का ख़िताब देने की भी शुरुआत की है. इसके तहत AI के एक विशेष क्षेत्र में नयी उपलब्धि हासिल करने की ज़िम्मेदारी ख़ास कंपनियों को दी जाती है. चीन की अलीबाबा, बायडू, टेनसेंट, शाओमी और हुआवेई जैसी मशहूर कंपनियां इस फ़ेहरिस्त में शामिल हैं. अब ये कंपनियां आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस के क्षेत्र में जो उपलब्धियां हासिल करेंगी, वो निश्चित रूप से पीपुल्स लिबरेशन आर्मी को सहज रूप से उपलब्ध होंगी.
टेबल 1: आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस और संबंधित क्षेत्रों में पीएलए की प्रगति
पीएलए शाखा | प्रणाली | टिप्पणियाँ |
पीएलए ग्राउंड फोर्स | विकास के तहत सैन्य रोबोटिक्स और मानव रहित जमीनी वाहन (यूजीवी)। | |
रिमोट कंट्रोल के माध्यम से या कुछ हद तक स्वायत्तता के साथ संचालित करने के लिए विकसित टैंकों के पुराने मॉडल। ( स्रोत ) | ||
पीएलए नौसेना | ARI बहुउपयोगी मानव रहित जल स्तर वाहन (USV) पेश किया | सितंबर 2018 में अनावरण किया गया । जनवरी 2020 तक समुद्री परीक्षणों से गुजरना । |
स्वायत्त / एआई-सक्षम पनडुब्बियां | विकास जारी है | |
समुद्र के भीतर ग्लाइडर (जैसे HN-1 ग्लाइडर) और मानवरहित पानी के नीचे वाहन ( UUV ) | परीक्षण और संचालित | |
सी इगुआना (समुद्री छिपकली के रूप में भी जाना जाता है, ) USV | नेविगेशन परीक्षण किया है। परिचालन स्थिति अज्ञात है। | |
पीएलए वायु सेना | उन्नत मानव रहित हवाई वाहन (यूएवी) सीमित स्वायत्तता के साथ | आपरेशनल |
ड्रोन झुंड ( 1,000 यूएवी के साथ ) | 2017 में प्रदर्शित किया गया | |
मानव-मानव रहित टीमिंग क्षमताएं | विकास जारी है | |
तंत्रिका नेटवर्क के साथ हाइपरसोनिक ग्लाइड वाहन जो अनुकूली नियंत्रण और अधिक स्वायत्तता को सक्षम करते हैं | विकास जारी है | |
पीएलए रॉकेट फोर्स | सुदूर संवेदन, लक्ष्यीकरण और निर्णय समर्थन क्षमताओं को विकसित किया जा सकता है। ( स्रोत ) | |
आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस से लैस क्रूज़ मिसाइलों को ख़ुद से संचालित होने की व्यवस्था से लैस करना जिससे कमान और कंट्रोल व्यवस्था को उन्हें वास्तविक समय में लॉन्च करके भूलने का विकल्प मिल सके |
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पीएलए सामरिक सहायता बल | अंतरिक्ष, साइबर, इलेक्ट्रॉनिक और मनोवैज्ञानिक युद्ध में अपने मिशनों के लिए एआई में प्रगति लागू कर सकता है। ( स्रोत ) |
Table 2: नागरिक और सैन्य सहयोग के उदाहरण
सहयोगियों | अनुसंधान के क्षेत्र |
PLA की राष्ट्रीय रक्षा तकनीक यूनिवर्सिटी में सटीक और स्वतंत्र रूप से निशाना लगाने की अहम प्रयोगशाला (स्रोतः) | स्वचालित लक्ष्य पहचान तकनीक |
टियानजिन बिनहाई आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस सैन्य-असैन्य तालमेल केंद्र | स्वायत्तता में विकास और मानव रहित प्रणालियों के समन्वय की क्षमता |
चीन का अंतरिक्ष विज्ञान और औद्योगिक निगम (CASIC) | डीप लर्निंग और डीप न्यूरल नेटवर्क कंप्रेशन, स्मार्ट सेंसर तमाम रेडार से मिले डेटा के इस्तेमाल से लक्ष्य की पहचान और उन पर निशाना लगाने की कोर तकनीकों का विकास |
मिलिट्री इंटेलिजेंस के लिए हाई-एंड लेबोरेटरी (HELMI) (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस डेवलपमेंट प्रोग्राम के लिए मिलिट्री-सिविल फ्यूजन के तहत स्थापित, सिंघुआ यूनिवर्सिटी और सेंट्रल मिलिट्री कमीशन (CMC) साइंस एंड टेक्नोलॉजी कमीशन के बीच एक सहयोग) ( स्रोत ) | “एआई सुपरपावर रणनीति” विकसित करने के लिए शुरुआती बिंदु के रूप में कार्य करना |
चीन आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस के सैन्य इस्तेमाल की संभावनाओं के द्वार खोलकर इनके अधिकतम इस्तेमाल के लिए काफ़ी ज़ोर लगा रहा है जिससे वो अमेरिका को पीछे छोड़ सके. हालांकि जैसा कि ख़ुद चीन के कई विद्वानों ने इशारा किया है कि अभी वो आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस के मामले में मौजूदा महाशक्ति यानी अमेरिका से काफ़ी पीछे है. सबसे अहम बात ये है कि अभी भी प्रतिभा और तकनीक की जानकारी के अभाव, अपर्याप्त मूलभूत ढांचा और सेमीकंडक्टर जैसे अहम संसाधनों पर अन्य देशों पर निर्भरता जैसी कई चुनौतियां हैं, जो अमेरिका और चीन के बीच चल रहे टकराव के चलते चीन की राह को और मुश्किल बनाती हैं. अब ये तो केवल वक़्त ही बताएगा कि आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस की इस रेस में कौन आगे निकलने में कामयाब रहेगा और क्या चीन के अनुशासनहीनता भरे क़दमों पर उसे दंड दिया जाएगा या इनाम मिलेगा.
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Javin was Research Assistant with ORFs Strategic Studies Programme. His work focuses on military national and international security and Indian foreign and defence policy.
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