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भोजन की बर्बादी और नुकसान में कमी कैसे लायें: ‘टारगेट-माप-कार्रवाई’ दृष्टिकोण का इस्तेमाल!
डी-कार्बोनाइज़ेशन के मुद्दे पर संस्था के स्तर पर असमंजस की स्थिति!
भारत में हीट वेव के असर और उससे राहत की रणनीतियों को समझिए
जलवायु अनुकूलन (एडैप्टेशन) के लिए फंड का इंतज़ाम: मुनाफ़े की सामाजिक और आर्थिक दरों में कैसे समानता लायें?
पर्यावरण के मुद्दे को संबोधित करने की तत्काल ज़रूरत के बावजूद IMF की धीमी प्रतिक्रिया!
ब्राज़ील द्वारा अनाज की ख़रीद और संग्रहण योजना: कामयाबी के सबूत और सबक़
विश्व मौसम संगठन इस बात पर मुहर लगाई कि पेरिस समझौते के बाद से दुनिया का तापमान सबसे अधिक है
प्लैनेट यानी पृथ्वी में निवेश: भारतीय कॉरपोरेट्स को ESG सक्षम बनाने में जलवायु साक्षरता का महत्त्व!
ब्लू कार्बन: भारत के लिए अपनी क़ाबिलियत दिखाने का माक़ूल समय
जलवायु विस्थापन को बढ़ावा दे रहा है जलवायु परिवर्तन!
France-US partnership: फ्रांस-अमेरिका साझेदारी में फिर से मज़बूती
आसियान: आपदा प्रबंधन का एक बहुपक्षीय मॉडल
जलवायु परिवर्तन, स्वास्थ्य और खाद्य सुरक्षा को समझना: जलवायु परिवर्तन और खाद्य सुरक्षा
भारत में सिंगल-यूज़ प्लास्टिक पर लागू प्रतिबंध की पड़ताल: कार्यान्वयन और सुधार की गुंजाइश
भारत की G20 अध्यक्षता; शहरों के भविष्य में बदलाव मुमकिन
COP27 में महिलाओं की असंतुलित भागीदारी
जलवायु परिवर्तन, स्वास्थ्य और खाद्य सुरक्षा की समझ विकसित करना; ‘जलवायु परिवर्तन और स्वास्थ्य’
जलवायु परिवर्तन, स्वास्थ्य और खाद्य सुरक्षा को समझना: ग्लोबल वार्मिंग का विज्ञान
COP27 में घाटे और क्षति के लिए वित्त: अधूरी सफलता और गंवाए गए अवसर
बेंगलुरु की बाढ़: भारत के शहरी इलाकों में बाढ़ की बढ़ती चुनौती!
ट्रांस अटलांटिक गठबंधन को लेकर रुझान
हरित लेखांकन: हमारे साझा भविष्य का मूल्यांकन
जलवायु सरलता: एक आधुनिक चुनौती
जलवायु परिवर्तन और महिलाएं: संकट के भीतर एक और ‘संकट’
#वायु प्रदूषण: दिल्ली में मोटर वाहन द्वारा पैदा होने वाले उत्सर्जन पर कार्रवाई
साल #2022 आईपीसीसी जलवायु रिपोर्ट: ग्लोबल वॉर्मिंग के 1.5 डिग्री लक्ष्य तक पहुंचने का हमारे लिये आख़िरी मौका!
2022 में बिम्सटेक: प्रासंगिकता की खोज
न्यायोचित परिवर्तन: भारत में कम कार्बन उत्सर्जन का पैमाना काफ़ी निचले स्तर पर है