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जलवायु परिवर्तन और कोयले का इस्तेमाल: “फ़ेज़ अप” से “फ़ेज़ डाउन” तक का सफ़र
भारत: नौकरियों, विकास और स्थिरता में इलेक्ट्रिक मोबिलिटी की सहायक भूमिका
जलवायु परिवर्तन: एक नया हरित समझौता हर हाल में घरेलु नहीं बल्कि वैश्विक होना चाहिए
उत्तर भारत में सर्दियों में होने वाला वायु प्रदूषण और पराली का जलना: रेगुलेटरी गवर्नेंस का नज़रिया
Climate Finance से जुड़ी भू-अर्थव्यवस्था
हरित परिवर्तन के लिए वित्त व्यवस्था
भारत: कारोबार जगत के लिए नेट-ज़ीरो से जुड़े ऐलान के मायने
कोयले के इस्तेमाल का अनुकूल अंत और वित्तीय गणित: भारत में कार्बन रहित उर्जा क्षेत्र के लिये बाज़ार का लेखा-जोखा!
COP26 की यातायात से जुड़ी घोषणा: भारत के हाथ से निकला एक मौक़ा Promit Mookherjee
लंबे समय तक चलने वाला टिकाऊ विकास: साझा समस्याओं के लिए साझा समाधान की ज़रूरत!
Decarbonisation: कार्बन रहित भविष्य के लिए एक न्यायसंगत रास्ता
Cop26 को लेकर भारत की प्रतिज्ञा महत्वाकांक्षी लेकिन अस्पष्ट
जंगलों में नई जान फूंकना और जलवायु परिवर्तन के लिए पेड़ों की संख्या बढ़ाने का एजेंडा
नेट ज़ीरो का संस्थानीकरण
भारत का निर्णायक दशक
भारत का निर्णायक दशक
‘COP26: जलवायु परिवर्तन कोई गिल्ली-डंडे का खेल नहीं’
कार्बन उत्सर्जन में गिरावट: एक समसामयिक पड़ताल
COP26: ‘नेट ज़ीरो’ हासिल करने के लक्ष्य की ओर जाते रास्तों की पड़ताल
कोयले की ख़पत कम करने का लक्ष्य: लगातार फ़िसल रहे हैं चीन और भारत
COP26 में और उसके बाद के समय में भी, ‘वैश्विक जलवायु कार्रवाई’ को लेकर दीर्घकालिक रणनीति!
क्या भारत में कार्बन उत्सर्जन विकास आधारित है?
नए भारत को आगे बढ़ाने वाला प्रस्ताव: भारत की ताक़तों का इस्तेमाल करना
हरित पूंजी जुटाने की कभी न ख़त्म होने वाली चुनौतियां
जलवायु और स्वास्थ्य लक्ष्यों का समायोजन
जियोपॉलिटिक्स, जियोइंजीनियरिंग प्रशासन और विकासशील देशों की भूमिका
बिजली आपूर्ति करने वाली कंपनियों में सुधार: नाकारेपन का दावा अपर्याप्त क्यों है?
बिजली वितरण कंपनियों में नई जान डालने की RRRD योजना: क्या ये महज़ “पुराने पैमानों वाली” नई योजना भर है?