Published on Dec 02, 2023 Updated 0 Hours ago

यामीन का अलग होना ये सवाल तुरंत खड़ा करता है कि क्या इससे राष्ट्रपति मुइज़्ज़ू को भारत के साथ बातचीत में अपनी झिझक छोड़ने के लिए प्रोत्साहन मिलेगा.

मुइज़्ज़ू की भारत नीति का विश्लेषण

जेल में बंद मालदीव के पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन ने मौजूदा राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज़्ज़ू के सत्ता संभालने के कुछ दिनों के बाद सत्ताधारी पार्टी से अलग होने का फैसला लिया है. अपने इस कदम के पीछे उन्होंने संवादहीनता की स्थिति का हवाला दिया है. यामीन, जिन्होंने मुइज़्ज़ू से पहले राष्ट्रपति रहे इब्राहिम सोलिह की सरकार के दौरानइंडिया आउट/इंडिया मिलिट्री आउटअभियान शुरू किया था, ने मुइज़्ज़ू से अलग होने के बाद नई राजनीतिक पार्टी पीपुल्स नेशनल फ्रंट की स्थापना की है जिसके फाउंडर उनके बेटे ज़ैन अब्दुल्ला हैं.

इस संदर्भ में तुरंत ये सवाल खड़ा होता है कि क्या यामीन के अलग होने से राष्ट्रपति मुइज़्ज़ू को पड़ोसी देश भारत के साथ बातचीत बाचतीत करने में अपनी झिझक छोड़ने में प्रोत्साहन मिलेगा. सवाल ये भी है कि क्या इससे भारत के 77 सैन्य कर्मियों- 75 पायलट और दो टेक्नीशियन- को वापस लेने की मुइज़्ज़ू की सख्त मांग का कोईव्यावहारिक समाधाननिकलेगा. ये वो सैन्य कर्मी हैं जिनके बारे में माना जाता है कि दूर-दराज के द्वीपों से आपात स्थिति में लोगों को निकालने और नशीले पदार्थों की तस्करी के ख़िलाफ़ हवाई निगरानी करके अच्छा काम कर रहे हैं.

इस बातचीत के दौरान मुइज़्ज़ू ने भारतीय सैन्य कर्मियों के मुद्दे पर अपने पुराने रुख को दोहराया.

या, कम-से-कम ये मूइज़्ज़ू के शपथ ग्रहण समारोह में भारत की नुमाइंदगी करने मालदीव के दौरे पर आए भारत के पृथ्वी विज्ञान मंत्री किरेन रिजिजू के साथ मुइज़्ज़ू की चर्चा की दिशा थी. इस बातचीत के दौरान मुइज़्ज़ू ने भारतीय सैन्य कर्मियों के मुद्दे पर अपने पुराने रुख को दोहराया. विदेश मंत्री मूसा ज़मीर ने भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर के द्वारा मालदीव के साथ भारत के संबंध कोविशेषबताए जाने के जवाब में सोशल मीडिया पर कहा कि उन्हें भीआपसी हित के मुद्दों पर साथ काम करने की उम्मीदहै.

गयूम परिवारपर केंद्रित मालदीव की राजनीति फिर से उसी जगह पर पहुंच गई है. 2008 में सत्ता गंवाने के बाद यामीन के सौतेले भाई और 30 साल तक राष्ट्रपति रहे मौमून मामून अब्दुल गयूम ने धिवेही रयाथुंगे पार्टी (DRP), जिसकी स्थापना उन्होंने की थी, छोड़कर प्रोग्रेसिव पार्टी ऑफ मालदीव (PPM) की शुरुआत की थी. बाद में कोर्ट के एक फैसले के बाद ये पार्टी भी उन्होंने यामीन के हाथों गंवा दी और फिर उन्होंने मौमून मामून रिफॉर्म्स मूवमेंट (MRM) की स्थापना की. लेकिन इस पार्टी के रजिस्ट्रेशन को चुनाव आयोग ने रद्द कर दिया क्योंकि ये न्यूनतम 3,000 सदस्य होने की आवश्यक शर्त को पूरा नहीं कर रही थी.

राष्ट्रपति चुनाव में हार के कुछ महीनों के बाद 2019 में संसदीय चुनावों से पहले गयूम खेमे के हाथों PPM गंवाने के डर से यामीन ने पीपुल्स नेशनल कांग्रेस (PNC) की स्थापना की थी और इस तरह वो PPM-PNC गठजोड़ के प्रमुख बने रहे. ये अनूठी व्यवस्था इस साल राष्ट्रपति चुनाव के पहले तक जारी रही जब सुप्रीम कोर्ट ने 11 साल की जेल की सज़ा, जिसका आदेश आपराधिक अदालत ने दिया था, लंबित रहने के दौरान राष्ट्रपति पद के लिए यामीन के नामांकन को ठुकराने के चुनाव आयोग के फैसले को बरकरार रखा. राष्ट्रपति चुनाव की अवधि के दौरान यामीन की अपील सुनने के बाद हाई कोर्ट ने इस फैसले को पलट दिया है.

इस छोटे से समय के दौरान मुइज़्ज़ू ने यामीन की PNC कीसीनेटसे राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के तौर पर अपने नामांकन की मंज़ूरी हासिल कर ली और लगभग रातों रात रातोंरात राष्ट्रपति का चुनाव जीत लिया. इस तरह उन्होंने अपने फायदे के लिए पार्टी कोहाईजैककर लिया. इसके बाद यामीन ने अपने घर की जेल से PPM के नेतृत्व को बदलने की कोशिश की लेकिन फिर उन्होंने उम्मीद छोड़ दी.

दोहरा ध्यान

गठबंधन के भीतर की राजनीति के बावजूद मुइज़्ज़ू अपने राष्ट्रपति कार्यकाल के दौरान अर्थव्यवस्था और विदेश नीति पर इस तरह से ध्यान दे रहे हैं कि वो भारत पर केंद्रित हो. अपनी मुलाकात के दौरान मुइज़्ज़ू और रिजिजू ने देश भर में भारत के फंड से चल रही विकास परियोजनाओं की स्थिति पर भी चर्चा की. बाद में मुइज़्ज़ू के प्रवक्ता ने कहा कि भारत के फंड से तैयार हो रहे 500 मिलियन अमेरिकी डॉलर के प्रतिष्ठित थिलामाले समुद्री पुल (सी ब्रिज) का सिर्फ 27 प्रतिशत हिस्सा ही पिछली सरकार के दौरान पूरा हुआ था जबकि लक्ष्य 77 प्रतिशत का था.

स्ट्रक्चरल इंजीनियरिंग में PhD के साथ आवास और बुनियादी ढांचे के मंत्री के तौर पर सात साल के अनुभव वाले मुइज़्ज़ू ने पद संभालने के बाद अपने शुरुआती काम-काज में पुल के काम का निरीक्षण किया. मुइज़्ज़ू सरकार में बुनियादी ढांचे के मंत्री डॉ. अब्दुल्ला मुथालिब ने ऐलान एलान किया कि उनका इरादा ये प्रोजेक्ट किसी और कंपनी को सौंपने का नहीं था.

मुइज़्ज़ू सरकार के द्वारा इस साल विदेशी सहायता के तौर पर 200 मिलियन अमेरिकी डॉलर और इसके बाद अगले साल 550 मिलियन अमेरिकी डॉलर, जिसका अनुमान पिछली सरकार ने लगाया थ.

यही बात अर्थव्यवस्था की व्यापक स्थिति के बारे में नहीं कही जा सकती है. पदभार संभालने के चौथे दिन संसद की बजटीय समिति के सामने पेश होते हुए नए वित्त मंत्री शफीक ने कहा कि मुइज़्ज़ू सरकार के द्वारा इस साल विदेशी सहायता के तौर पर 200 मिलियन अमेरिकी डॉलर और इसके बाद अगले साल 550 मिलियन अमेरिकी डॉलर, जिसका अनुमान पिछली सरकार ने लगाया था, हासिल करने में किसी भी तरह की नाकामी कानतीजा आर्थिक झटके के रूप मेंनिकल सकता है. इससे भी ख़राब बात ये है कि मौजूदा साल के लिए 80 प्रतिशत अनुमानित सहायता अभी तक हासिल नहीं हो पाई है.

इस मक़सद के लिए मुइज़्जू ने राष्ट्रपति के तौर पर सऊदी अरब के दौरे पर जाने की योजना बनाई लेकिन अंतिम समय में इसे टालना पड़ा क्योंकि मेज़बान देश ने ज़्यादा समय मांगा. इसके बाद उन्होंने तुर्किए की आधिकारिक यात्रा की जहां उन्होंने राष्ट्रपति रेचेप तैय्यप अर्दोआन से मुलाकात की. राष्ट्रपति बनने से पहले मुइज़्ज़ू जब माले सिटी के मेयर थे तो तुर्किए इकलौता देश था जिसने उन्हें न्योता देकर बुलाया और उनकी मेज़बानी की. हालांकि तुर्किए से किसी आर्थिक सहयोग/मदद की कोई तत्काल ख़बर नहीं है. संयोग की बात है कि 2008 में बहुदलीय लोकतंत्र की शुरुआत के बाद से मालदीव के सभी राष्ट्रपतियों, जिनमें यामीन भी शामिल हैं जो बाद में विरोधी बन गए थे, ने पद संभालने के बाद विदेश के अपने पहले दौरे के लिए भारत को चुना था.

इस बीच संसद ने 6.5 अरब मालदीवियन रुफिया (MVR) के भारी-भरकम सप्लीमेंट्री (अनुपूरक) बजट पर मतदान किया. इस तरह 31 दिसंबर को ख़त्म हो रहे वित्तीय वर्ष 2023 के लिए कुल बजट 42.8 अरब MVR से बढ़कर 49.3 अरब MVR हो गया. 3.1 अरब MVR के सप्लीमेंट्री प्रावधान के साथ साल के लिए आवर्ती (रेकरिंग) खर्च बहुत ज़्यादा बढ़कर अब 31.7 अरब MVR पर पहुंच गया है. राष्ट्रपति के तौर पर निर्वाचित मुइज़्ज़ू की अस्थायी टीम के साथ विचार-विमर्श के बाद सत्ता छोड़ रही सरकार ने 1 जनवरी 2024 से शुरू हो रहे वित्त वर्ष के लिए 49.7 अरब MVR का बजट भी पेश किया.

इस पृष्ठभूमि में आर्थिक मामलों के मंत्री मोहम्मद सईद ने मीडिया से कहा कि नई सरकार का लक्ष्य अर्थव्यवस्था की बुनियाद कहे जाने वाले पर्यटन से आमदनी 4.5 अरब अमेरिकी डॉलर से बढ़ाकर 6 अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुंचाना है, जो कि मालदीव की अर्थव्यवस्था का कुल आकार है, और इसे कम समय में हासिल करना है. राष्ट्रपति ने पर्यटन सेक्टर में विविधता लाने, एक टिकाऊ आमदनी और नकदी के सिस्टम को सुरक्षित बनाने और किफायती लागत पर लोगों को अच्छी सेवा मुहैया कराने के लिए एक विज़िटर इकोनॉमिक काउंसिल की स्थापना की है जिसका अध्यक्ष आर्थिक मामलों के मंत्री सईद को बनाया गया है.

निगेटिव आउटलुक

मुइज़्ज़ू के जीतने के क़रीब 15 दिनों के बाद हॉन्ग कॉन्ग की क्रेडिट रेटिंग एजेंसी फिच नेनिगेटिव आउटलुकके साथ मालदीव की रेटिंग ‘B’ निर्धारित की. तथ्यों पर आधारित फिच का आकलन, जिसकी भविष्यवाणी अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) और विश्व बैंक ने एक साल पहले की थी, दिखाता है कि आने वाले वर्षों में विदेशी कर्ज़ को चुकाने पर ज़्यादा पैसे खर्च करने होंगे- 2024 में 232 मिलियन अमेरिकी डॉलर, 2025 में 363 मिलियन अमेरिकी डॉलर और 2026 में सबसे ज़्यादा 887 मिलियन अमेरिकी डॉलर जिसमें 500 मिलियन अमेरिकी डॉलर कासुकुक’ (इस्लामिक बॉन्ड या शरिया का पालन करने वाला बॉन्ड) भुगतान शामिल है जो कि कर्ज़ देने वाले को लीज़ समर्थित संपत्ति का हवाला है. ये देखा जाना बाकी है कि क्या मुइज़्ज़ू विदेशी सरकारों और संस्थानों के साथ पहले के सभी समझौतों का खुलासा करने के अपने चुनावी वादे को पूरा करते हैं या नहीं.

फिच ने भविष्यवाणी की है कि ऊर्जा और खाद्य सामग्रियों की ज़्यादा कीमत की वजह से विदेशी भंडार और रिज़र्व बफर ‘काफी दबाव में बने रहेंगे’.

उपलब्ध आंकड़े दिखाते हैं कि 2024 में सरकार के सामने 298 मिलियन अमेरिकी डॉलर के सार्वजनिक रूप से गारंटीड दायित्व का बकाया भी है. फिच ने भविष्यवाणी की है कि ऊर्जा और खाद्य सामग्रियों की ज़्यादा कीमत की वजह से विदेशी भंडार और रिज़र्व बफरकाफी दबाव में बने रहेंगे’. इसकी एक वजह मालदीवियन मॉनेटरी अथॉरिटी (MMA) के द्वाराकरेंसी-पेग’ (किसी विदेशी मुद्रा के साथ अपने देश की मुद्रा के एक्सचेंज रेट को तय करना) का समर्थन करने के लिए बार-बार का हस्तक्षेप भी है. एक रहे संकट की चेतावनी देने वाले MMA- जो मालदीव का सेंट्रल बैंक है- ने दिसंबर 2022 में रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) के साथ 200 मिलियन अमेरिकी डॉलर के करेंसी की अदला-बदली पर 100 मिलियन अमेरिकी डॉलर भी निकाला था. सकल विदेशी भंडार 2023 में 16.6 प्रतिशत गिरकर 694 मिलियन अमेरिकी डॉलर पर पहुंच गया और विदेशी मुद्रा 1 महीने से थोड़ा ज़्यादा के लिए पर्याप्त था जबकि ये 3.5 महीने के लिए होना चाहिए. मूइज़्ज़ू के द्वारा चुनावी वादों को तुरंत लागू करने से कुल घाटे में बढ़ोतरी हो सकती है.

जीवंत लोकतंत्र

लड़खड़ाते लोकतंत्र की सभी भविष्यवाणियों के बावजूद मालदीव राष्ट्रपति चुनाव और सरकार में बदलाव का इम्तिहान आसानी और शिष्टता के साथ पास करने में सफल रहा. 2008 में बहुदलीय लोकतंत्र लागू होने के बाद 15 वर्षों में मुइज़्ज़ू छठे निर्वाचित राष्ट्रपति हैं. 45 साल की उम्र में वोनई पीढ़ीके पहले राष्ट्रपति भी हैं जो किसी भी पक्ष सेलोकतंत्र के आंदोलनमें सीधे तौर पर शामिल नहीं रहे हैं. पांच पूर्व राष्ट्रपतियों में इब्राहिम सोलिह, एक समय सोलिह की पार्टी के प्रमुख और बचपन के दोस्त रहे लेकिन अब पराये बन चुके मोहम्मदअन्नीनशीद और नशीद के बाद राष्ट्रपति बने डॉ. मोहम्मद वहीद हसन मानिक 17 नवंबर को मुइज़्ज़ू के शपथ ग्रहण कार्यक्रम के दौरान मौजूद रहे. यामीन ने ये कहकर कार्यक्रम से दूरी बनाई कि इस तरह केभव्य समारोह के दौरान उनकी मौजूदगी सिविल सोसायटी को स्वीकार नहीं होगी’. बाद के घटनाक्रमों ने दिखाया है कि जो दिख रहा था, उससे कहीं ज़्यादा बातें थीं.

पूरी तरह से घरेलू राजनीतिक नज़रिए से देखें तो पहली नज़र में लगता है कि मुइज़्ज़ू को राष्ट्रपति पद की अपनी यात्रा की शुरुआत में संसद के नए स्पीकर मोहम्मद असलम, जो कि उप राष्ट्रपति पद के लिए सोलिह की पार्टी के उम्मीदवार थे और पिछली सरकार में सदन के नेता थे, ने पूरे सहयोग की गारंटी दी. इसमें पूर्व राष्ट्रपति सोलिह की विपक्षी पार्टी MDP का सहयोग शामिल है जिसके पास संसद में पूर्ण बहुमत है और जिसकी वजह से बिना किसी परेशानी के मुइज़्ज़ू के 22 मंत्रियों की अपेक्षाकृत विशाल कैबिनेट को मंज़ूरी मिल गई और विधायी एवं प्रशासनिक पहलों को पास कर दिया गया.

असलम को उस समय स्पीकर चुना गया जब पूर्व स्पीकर नशीद ने आख़िरी मिनट में इस्तीफा दे दिया. नशीद ने अपना इस्तीफा सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले के बाद दिया जिसके तहत बहुमत प्राप्त MDP की पहल पर अविश्वास पर मतदान को तकनीकी आधार पर नहीं रोकने की बात कही गई. ये देखा जाना बाकी है कि अगर मुइज़्ज़ू अप्रैल में होने वाले संसदीय चुनावों के पहले पिछली सरकार के ख़िलाफ़ भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच के अपने चुनावी वादों पर अमल की शुरुआत करते हैं तो असलम की तरफ से सहयोग की गारंटी कितनी दूर तक जाती है. हालांकि संसदीय समिति ने चुनाव को इस्लाम के पवित्र महीने रमज़ान के आगे ले जाने को मंज़ूरी दी है.

यामीन के साथ समीकरण

मुइज़्ज़ू ने अपनी सरकार के लिए 100 दिनों में 172 काम पूरा करने की चुनौती निर्धारित की है लेकिन पूर्व के राष्ट्रपतियों से अलग मुइज़्ज़ू ने शुरुआती 14 हफ्तों में साप्ताहिक सरकारी छुट्टियों को भी शामिल किया है. फिलहाल तो ऐसा लगता है कि वो आंतरिक असंतोष- देश और अपनी पार्टी/गठबंधन के भीतर- से पार पा गए हैं. बहुत कुछ अर्थव्यवस्था के साथ जुड़ी विदेश नीति या विदेश नीति के साथ जुड़ी अर्थव्यवस्था पर निर्भर करता है और इसका विस्तार विस्तर करें तो अल्प, मध्यम और दीर्घकाल के माध्यम से भारत. माना जाता है कि उनकी सरकार ने भारतीय कर्ज़ों को चुकाने का समय बढ़ाने और विकास से जुड़ी परियोजनाओं के लिए प्रतिबद्धता के साथ फंडिंग जारी रखने की मांग की है. ये भी माना जाता है कि मुइज़्ज़ू की सरकार पहले की तरह बजटीय समर्थन की उम्मीद कर रही है. सहायता देने वाले दूसरे देश भारत के साथ उनके विश्वसनीय व्यवहार पर उत्सुकता से नज़र रखेंगे.


चेन्नई में रहने वाले एन. सत्य मूर्ति राजनीतिक विश्लेषक और समीक्षक हैं.

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