Published on Jan 30, 2024 Updated 0 Hours ago

अफ़्रीका को वैश्विक वस्तुओं की बढ़ती कीमतों, जीवन की उच्च लागत, मौद्रिक कसाव, मुद्रा अवमूल्यन और ऋण संकट से संबंधित चुनौतियों का भी सामना करना पड़ा.

अफ़्रीकाः राजनीतिक अस्थिरता, आर्थिक संकट और भू-राजनीतिक प्रतिद्वंद्विताएं

2023 में पूरे अफ़्रीका में लोकतंत्र संघर्षरत रहा, जैसा कि नाइजीरिया, ज़िम्बाब्वे और डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ़ कॉन्गो में हुए चुनावों के आसपास हुई घटनाओं से नज़र आया. पिछले एक साल में महाद्वीप के विभिन्न हिस्सों में पांच तख़्तापलट हुए. अफ़्रीका को वैश्विक वस्तुओं की बढ़ती कीमतों, जीवन की उच्च लागत, मौद्रिक कसाव, मुद्रा अवमूल्यन और ऋण संकट से संबंधित चुनौतियों का भी सामना करना पड़ा. साथ ही, शायद वैश्विक शासन तंत्रों में महाद्वीप के बढ़ते महत्व के प्रमाण के रूप में, अफ़्रीकी संघ जी20 का स्थायी सदस्य बन गया. 

राजनीतिक अस्थिरता 

अफ़्रीका के कुछ हिस्सों में चुनावी लोकतंत्र की  एक आशाजनक शुरुआत हुई, नाइजीरिया में राष्ट्रपति मुहम्मदू बुहारी के अधिकतम दो कार्यकाल पूरे हो गए, जिसकी देश का संविधान इजाज़़त देता है, इसकी वजह से फ़रवरी में हुए चुनाव में बोला टिनुबू ने मामूली अंतर से जीत हासिल की. उस चुनाव का शांतिपूर्ण संचालन एक ऐसे क्षेत्र में एक स्वागत योग्य घटना थी, जिसने बहुत सारे सैन्य तख़्तापलट और निरंकुश शासन और लोकतांत्रिक सुरक्षा को कमज़ोर होते देखा है.

अफ़्रीका और पश्चिम के पर्यवेक्षकों ने उद्घोषित राष्ट्रपति एमर्सन मनांगाग्वा के खेमे द्वारा डराने-धमकाने का आरोप लगाते हुए परिणाम की वैधता पर सवाल उठाया. सिएरा लियोन और मेडागास्कर दोनों में, सत्ताधारियों ने थोड़े आश्रचर्यजनक ढंग से जीत हासिल कर ली.

हालांकि, जो संभावना दिखी थी वह अगस्त में ज़िम्बाब्वे में एक विवादास्पद चुनाव के बाद ख़त्म हो गई. अफ़्रीका और पश्चिम के पर्यवेक्षकों ने उद्घोषित राष्ट्रपति एमर्सन मनांगाग्वा के खेमे द्वारा डराने-धमकाने का आरोप लगाते हुए परिणाम की वैधता पर सवाल उठाया. सिएरा लियोन और मेडागास्कर दोनों में, सत्ताधारियों ने थोड़े आश्रचर्यजनक ढंग से जीत हासिल कर ली. इस लेख को लिखते समय, मिस्र और डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ़ कॉन्गो दिसंबर में अपने चुनावों की तैयारी कर रहे हैं, विश्लेषकों को उम्मीद है कि वहां सत्ताधारी आराम से जीत हासिल कर लेगे. इस बीच, लाइबेरिया में जोसेफ़ बोकाई द्वारा सत्ताधारी जॉर्ज वेह को हराने के बाद सत्ता का शांतिपूर्ण हस्तांतरण महाद्वीप के लिए एक उल्लेखनीय उपलब्धि थी.

2023 में तख़्तापलट के पांच प्रयासों के साथ, सैन्य अधिग्रहण की लहर इस साल पूरे अफ़्रीका में फैल गई. 26 जुलाई को, नाइजर के सशस्त्र बलों के कई गुटों ने घोषणा की कि उन्होंने राष्ट्रपति मोहम्मद बज़ूम को पद से हटा दिया है. अगले महीने, 30 अगस्त को, गैबॉन में एक गैर-प्रतिस्पर्धी चुनाव में राष्ट्रपति अली बोंगो के तीसरे कार्यकाल के लिए विजेता के रूप में उभरने के कुछ ही घंटों बाद, एक तख़्तापलट ने उनके शासन को अचानक समाप्त कर दिया.

संघर्ष की एक और ज़़मीन थी  सूडान: अप्रैल से जनरल अब्देल फ़तह अल-बुरहान और उनके पूर्व उप-मोहम्मद हमदान दागलो के बीच, जो सत्ता संघर्ष शुरू हुआ उसके परिणामस्वरूप देश में कम से कम 12,000 लोगों की मौत हुई है. सेनेगल में, राष्ट्रपति मैकी सैल के राजनीतिक भविष्य के बारे में अनिश्चितता के कारण मार्च से सड़कों पर हिंसक विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए; इसके परिणामस्वरूप 16 लोगों की मौत हो गई और सैकड़ों अन्य घायल हो गए. हालांकि उन्होंने जून में यह घोषणा करके अटकलों पर विराम लगा दिया था कि वह तीसरे कार्यकाल के लिए मैदान में नहीं उतरेंगे, विपक्षी दलों के समर्थकों ने उनकी सरकार पर उनके नेता उस्मान सोको को क़ैद करने का आरोप लगाया. माली, कॉन्गो और सूडान में संयुक्त राष्ट्र के विशाल शांतिरक्षण मिशनों को समाप्त करने की घोषणा भी इस साल दर्ज हुई.

आर्थिक अनिश्चितताएं 

2023 का वर्ष महाद्वीप के लिए आर्थिक रूप से भी कठिन रहा है. कोविड-19 महामारी के लंबे चलने वाले असर, यूक्रेन संकट के कारण खाद्य और ऊर्जा असुरक्षा और बढ़ती आर्थिक और भू-राजनीतिक अनिश्चितताओं के परिणामस्वरूप पूरे महाद्वीप में सार्वजनिक ऋण बहुत अधिक हो गया है. धीमी आर्थिक वृद्धि, उच्च मुद्रास्फ़ीति, कमज़ोर मुद्राएं और अंतरराष्ट्रीय पूंजी लागत में वृद्धि ने 2023 में अफ़्रीका की पहले से ही कमज़ोर ऋण स्थिति को और मुश्किल बना दिया है.

2023 का वर्ष महाद्वीप के लिए आर्थिक रूप से भी कठिन रहा है. कोविड-19 महामारी के लंबे चलने वाले असर, यूक्रेन संकट के कारण खाद्य और ऊर्जा असुरक्षा और बढ़ती आर्थिक और भू-राजनीतिक अनिश्चितताओं के परिणामस्वरूप पूरे महाद्वीप में सार्वजनिक ऋण बहुत अधिक हो गया है.

ज़ाम्बिया ख़ुशनसीब रहा कि अक्टूबर में सरकारी और निजी दोनों लेनदारों के साथ ऋण पुनर्गठन समझौता हो गया. हालांकि, अन्य सरकारें - विशेष रूप से वे जो चीन से भारी ऋण ले चुकी हैं, जैसे ज़िम्बाब्वे, केन्या, इथियोपिया, घाना, मलावी, मोज़ाम्बिक, सोमालिया, सूडान और इथियोपिया - कम भाग्यशाली रहीं और अगर विदेशी ऋण का पुनर्गठन नहीं हो पाता है तो संभवतः उन्हें मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा. 

भू-राजनीतिक प्रतिद्वंद्विताएं 

2023 में अफ़्रीका के रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण खनिजों और ऊर्जा पदार्थों को प्राप्त करने के लिए भू-राजनीतिक प्रतिस्पर्धा और अधिक तीव्र हो गई. उदाहरण के लिए, यूरोपीय देश रूसी तेल और गैस से होने वाली अपनी ऊर्जा आपूर्ति में विविधता लाने के लिए अफ़्रीका का रुख और ज़्यादा कर रहे हैं. 

2023 में, अफ़्रीका ने अमेरिका और पूर्व यूरोपीय उपनिवेशवादियों के अतिरिक्त वैश्विक शक्तियों की एक नई पीढ़ी के ध्यान को आकर्षित करना जारी रखा. इनमें से एक, जी20 ने आधिकारिक तौर पर अफ़्रीका का समूह में स्वागत किया है, जो महाद्वीप के रणनीतिक महत्व को रेखांकित करता है. कुछ विश्लेषक इसे चीन और भारत के बीच ग्लोबल साउथ के नेतृत्व को लेकर प्रतिस्पर्धा का एक हिस्सा मानते हैं. 

जुलाई में, रूस ने सेंट पीटर्सबर्ग में अफ़्रीकी नेताओं के लिए एक शिखर सम्मेलन की मेज़बानी की; महाद्वीप के 54 देशों में से 49 इस बैठक में उपस्थित थे, जिनमें 17 राष्ट्राध्यक्ष शामिल थे. एक महीने बाद, दक्षिण अफ़्रीका ने 15वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन की मेज़बानी की, जहां मिस्र और इथियोपिया को पूर्ण सदस्यों के रूप में समूह में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया गया था. समूह के विस्तार के लिए चीन ने सबसे अधिक दबाव डाला ताकि अमेरिका के नेतृत्व वाली वैश्विक व्यवस्था का मुकाबला करने के लिए इसे तैयार किया जा सके और अफ़्रीकी समर्थन ऐसे विकल्प के निर्माण में महत्वपूर्ण होगा. अक्टूबर में, चीन ने बीजिंग में तीसरे बेल्ट एंड रोड फ़ोरम की भी मेज़बानी की, जिसमें पांच अफ़्रीकी राष्ट्राध्यक्षों और अन्य अफ़्रीकी देशों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया. 

अवैध रूप से सत्ता परिवर्तन के दौर के फिर से उभरने और लोकतंत्र और सुशासन के लिए अन्य ख़तरों की आशंका,  आने वाले वर्ष को अफ़्रीका के लिए महत्वपूर्ण बनाती है.

अवैध रूप से सत्ता परिवर्तन के दौर के फिर से उभरने और लोकतंत्र और सुशासन के लिए अन्य ख़तरों की आशंका,  आने वाले वर्ष को अफ़्रीका के लिए महत्वपूर्ण बनाती है. चुनावी चक्रों, भूराजनीति, संघर्षों और खाद्य संकट की मौजूदा संभावना के कारण अस्थिरता को लेकर चिंता के कई कारण अब भी बने रहेंगे. साथ ही, कुछ अध्ययनों का अनुमान है कि अफ़्रीका 2024 में एशिया के ठीक बाद दुनिया का दूसरा सबसे तेजी से बढ़ने वाला क्षेत्र होगा. स्पष्ट चुनौतियों के बावजूद, कई अफ़्रीकी देश आने वाले वर्ष को अधिक सकारात्मक दृष्टिकोण के साथ देखेंगे.


(समीर भट्टाचार्य जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में डॉक्टरेट कर रहे शोध छात्र हैं.)

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