Author : Aparna Roy

Published on Jan 25, 2024 Updated 3 Days ago

साल 2023 में तीन महत्वपूर्ण रुझान देखे गए, जिन्होंने न केवल जलवायु कार्रवाई को आकार दिया बल्कि इसके परिदृश्य को उल्लेखनीय रूप से बदल दिया.

जलवायु संकट: मौलिक और न्यायसंगत समाधान की खोज!

2023 में जलवायु संकट का सामना करने के लिए वैश्विक समुदाय ने महत्वपूर्ण प्रयास किए, जिससे यह जलवायु कार्रवाई का एक निर्णायक वर्ष बन गया. जलवायु परिवर्तन पर अंतर सरकारी पैनल (आईपीसीसी), संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (यूएनईपी) और विश्व मौसम विज्ञान संगठन (डब्ल्यूएमओ) जैसे वैज्ञानिक समुदायों के मौलिक प्रकाशनों ने गंभीर चेतावनियां जारी कीं, जिन्होंने जलवायु परिवर्तन पर वैश्विक संवाद को आकार दिया. इन अध्ययनों ने जलवायु कार्रवाई के लिए आवश्यक प्रेरणा प्रदान की और चल रही चर्चाओं में महत्वपूर्ण अंतराल पर प्रकाश डाला. 

दुनिया भर के राष्ट्रों ने जलवायु परिवर्तन को वापस पलटने की अत्यावश्यकता को पहचानते हुए, महत्वाकांक्षी नेट-ज़ीरो लक्ष्यों को स्वीकार किया. हालांकि, इस प्रतिबद्धता के साथ सतत परिवर्तन हासिल करने की दिशा में एक दुष्कर और जटिल यात्रा की स्वीकृति भी आई.

दुनिया भर के राष्ट्रों ने जलवायु परिवर्तन को वापस पलटने की अत्यावश्यकता को पहचानते हुए, महत्वाकांक्षी नेट-ज़ीरो लक्ष्यों को स्वीकार किया. हालांकि, इस प्रतिबद्धता के साथ सतत परिवर्तन हासिल करने की दिशा में एक दुष्कर और जटिल यात्रा की स्वीकृति भी आई. बहुआयामी, बहु-हितधारक संतुलन अधिनियम की आवश्यकता स्पष्ट हो गई, जिसने बढ़ते डीकार्बोनाइज़ेशन प्रयासों, नवीकरणीय ऊर्जा को ज़मीन पर लागू करने और आर्थिक वादा और समावेशिता सुनिश्चित करने की अनिवार्यता के बीच आवश्यक नाज़ुक संतुलन पर ज़ोर दिया. इस गतिशील परिदृश्य में, भारत एक महत्वपूर्ण खिलाड़ी के रूप में उभरा, जो वैश्विक दक्षिण को डीकार्बोनाइज़ेशन प्रयासों में अग्रणी बनाने और विकसित. विकासशील राष्ट्रों के बीच सेतु का निर्माण करने के लिए विशेष प्रकार की स्थिति में है, जो 2030 तक 450 गीगावाट के अपने लक्ष्य की ओर तेज़ी से आगे बढ़ रहा है.

 

वैश्विक जलवायु मंच पर नेट-ज़ीरो संक्रमण के व्यापक विषय से आगे बढ़ते हुए, साल 2023 में कॉप28 में दो ऐतिहासिक कदम उठाए गए, जिन्होंने वैश्विक जलवायु एजेंडे में नए आयाम जोड़े. पहला, नुक़सान और क्षति फंड - जो कॉप28 शिखर सम्मेलन के शुरुआती पूर्ण सत्र का परिणाम है - जिसके तहत जलवायु आपातकाल के लिए ऐतिहासिक रूप से ज़िम्मेदार धनी राष्ट्रों ने 700 मिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक धन देने का वादा किया है. दूसरा, और शायद अधिक महत्वपूर्ण रूप से, पहली बार स्वास्थ्य को जलवायु कार्रवाई के केंद्र में लाया गया है.

निम्नलिखित पैराग्राफ तीन बड़े रुझानों का सारांश प्रस्तुत करते हैं, जिन्होंने वैश्विक समुदाय की सार्थक जलवायु कार्रवाई की ओर निरंतर प्रगति को निर्धारित किया है. वे जलवायु संकट द्वारा उत्पन्न चुनौतियों का सामना करने के लिए नवीन और न्यायसंगत समाधानों की अनिवार्यता को रेखांकित करते हैं.

 

स्वास्थ्य का केंद्र में होना

पिछले एक वर्ष में जलवायु संवाद में एक केंद्र बिंदु के रूप में उभरा पहला रुझान जलवायु कार्रवाई के एजेंडे में स्वास्थ्य के बढ़े हुए महत्व का था. यह विकास कोविड-19 महामारी के लंबे समय तक चलने वाले प्रभाव और कमज़ोर समुदायों पर गर्मी की लहरों और अन्य चरम मौसम की घटनाओं के बढ़ते हुए प्रभाव के कारण उत्पन्न चुनौतियों के बीच हुआ. कॉप28 अध्यक्षता और विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा आयोजित पहले स्वास्थ्य मंत्रिस्तरीय सम्मेलन से 'कॉप 28 जलवायु और स्वास्थ्य घोषणा' सामने आई. यह ऐतिहासिक घोषणा ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में गंभीर कमी से प्राप्त स्वास्थ्य लाभ का आह्वान करती है, जो न्यायसंगत परिवर्तन,  बेहतर वायु गुणवत्ता, सक्रिय गतिशीलता पर ज़ोर देती है और बदलाव को संवहनीय और स्वस्थ आहार की ओर ले लाती है.

यह स्वीकार किया जाना महत्वपूर्ण है कि जलवायु परिवर्तन का सबसे गंभीर प्रभाव पूरे इतिहास में उन राष्ट्रों पर पड़ा है, जिन्होंने ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में सबसे कम योगदान दिया है. कम और मध्यम आय वाले देश, विशेष रूप से, बड़े पैमाने पर स्वास्थ्य असमानताओं के कारण होने वाले दुखों का खामियाजा भुगत रहे हैं.

यह स्वीकार किया जाना महत्वपूर्ण है कि जलवायु परिवर्तन का सबसे गंभीर प्रभाव पूरे इतिहास में उन राष्ट्रों पर पड़ा है, जिन्होंने ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में सबसे कम योगदान दिया है. कम और मध्यम आय वाले देश, विशेष रूप से, बड़े पैमाने पर स्वास्थ्य असमानताओं के कारण होने वाले दुखों का खामियाजा भुगत रहे हैं. हस्तक्षेप न किया गया  तो, जलवायु परिवर्तन के सबसे गंभीर स्वास्थ्य परिणाम कमज़ोर समूहों को प्रभावित करेंगे, जिनमें महिलाएं, स्वदेशी आबादी, बुजुर्ग और पहले से मौजूद स्वास्थ्य समस्याओं वाले व्यक्ति शामिल हैं. विश्व स्तर पर, जलवायु परिवर्तन स्वास्थ्य कमज़ोरियों को बढ़ा रहा है, संक्रामक रोगों के प्रसार को तेज़ कर रहा है, स्वास्थ्य प्रणालियों को प्रभावित कर रहा है और संसाधनों को कम कर रहा है, ख़ासकर ऐसे क्षेत्रों में जहां पहले से ही जोख़िम मौजूद है. जलवायु परिवर्तन की वजह से खाद्य और पानी की आपूर्ति में आने वाले व्यवधान पोषण और स्वच्छता मानकों को और कम कर देते हैं, जिसके हानिकारक स्वास्थ्य प्रभाव पड़ते हैं. इसके अलावा, जलवायु परिवर्तन अच्छे स्वास्थ्य के लिए आवश्यक महत्वपूर्ण सामाजिक कारकों को कमज़ोर कर रहा है, जैसे कि स्थिर आजीविका, समानता और स्वास्थ्य सेवा और सामुदायिक सहायता नेटवर्क तक पहुंच. सार्थक प्रगति के लिए स्वास्थ्य को जलवायु न्याय गतिविधियों के केंद्र में रखना अनिवार्य है.

 

अपरिवर्तनीयता की निश्चितता

पिछले एक वर्ष में वैज्ञानिक समुदाय की ओर से जलवायु परिवर्तन के अपरिवर्तनीय प्रभावों पर भीषण चेतावनियों को लेकर सतत निश्चितता देखी गई. जलवायु परिवर्तन पर अंतर सरकारी पैनल की एआर6 संश्लेषण रिपोर्ट: क्लाइमेट चेंज 2023 में आईपीसीसी के 6वें मूल्यांकन चक्र को संक्षेप में प्रस्तुत किया गया, जो जलवायु संकट से निपटने की अत्यावश्याकता, इसके प्राथमिक कारणों, इसके वर्तमान विनाशकारी प्रभावों - विशेष रूप से सबसे अधिक जलवायु-संवेदनशील क्षेत्रों पर - और अगर तापमान, अस्थायी रूप से भी, 1.5 डिग्री सेल्सियस से अधिक हो गया तो उससे होने वाली अपरिवर्तनीय क्षति के बारे में, वैज्ञानिक समुदाय के असंदिग्ध मतैक्य को दर्शाती है. 

रिपोर्ट में दोहराया गया कि दुनिया की लगभग आधी आबादी जलवायु प्रभाव के ख़तरनाक क्षेत्र में रहती है और वह बड़े पैमाने पर चरम मौसम की घटनाओं का सामना करने के लिए बहुत कम तैयार है. दक्षिण एशिया में बाढ़, लू और सूखे जैसी चरम मौसम की घटनाओं की बढ़ती आवृत्ति और तीव्रता जीवन और आजीविका को बाधित कर रही है, खाद्य और जल सुरक्षा को प्रभावित कर रही है और महत्वपूर्ण प्राकृतिक पारिस्थितिक तंत्रों के नुक़सान का कारण बन रही है.

बढ़ते जलवायु जोखिमों के अनुकूलन के लिए अधिक प्रयासों की आवश्यकता के बावजूद, विकासशील देशों को अनुकूलन उपायों के लिए उपलब्ध कराए जाने वाले धन में गिरावट आ रही है, जो कहीं से भी आवश्यकता के पैमाने के  करीब नहीं है.

बढ़ते जलवायु जोखिमों के अनुकूलन के लिए अधिक प्रयासों की आवश्यकता के बावजूद, विकासशील देशों को अनुकूलन उपायों के लिए उपलब्ध कराए जाने वाले धन में गिरावट आ रही है, जो कहीं से भी आवश्यकता के पैमाने के  करीब नहीं है. यूएनईपी एडैप्टेशन गैप रिपोर्ट ने इस कठोर वास्तविकता को भी उजागर किया है कि विकासशील देशों को वर्तमान दशक में सार्थक अनुकूलन कार्य के लिए हर साल कम से कम 215 बिलियन अमेरिकी डॉलर की आवश्यकता है. अनुकूलन वित्त अंतराल काफी बढ़ गया है, जो वैश्विक समुदाय के लिए एक बड़ी चुनौती है.  यह सुनिश्चित करने के लिए कि देश अनिश्चित जलवायु प्रभावों के अनुकूलन के लिए पर्याप्त रूप से तैयार रहें, इस वित्तीय अंतराल को ख़त्म करना सबसे महत्वपूर्ण है. 

 

नुक़सान और क्षति कोष

कॉप28 से निकलकर आया तीसरा रुझान, जलवायु संकट के कारण होने वाले नुक़सानों और क्षतियों को दूर करने के लिए समर्पित नुक़सान और क्षति कोष (लॉस एंड डैमेज फंड) का शुभारंभ था. यह विकासशील और अविकसित देशों की एक लंबे समय से चली आ रही मांग है, जिन्होंने ग्लोबल वार्मिंग में सबसे कम योगदान दिया है. इस पहल से सबसे कमज़ोर देशों और जलवायु आपदाओं से सबसे बुरी तरह प्रभावित समुदायों पर पड़ रहे प्रभावों की ओर ध्यान दिए जाने में एक सफलता नज़र आई है. हालांकि यह निर्णय ऐतिहासिक था और जो वचन दिए गए वह जलवायु पुनर्निर्माण के लिए एकजुटता के प्रति स्वागत योग्य प्रदर्शन थे, लेकिन वे 2030 तक 200-400 बिलियन अमेरिकी डॉलर की वैश्विक आवश्यकता को पूरा करने के लिए अपर्याप्त हैं. अकेले दक्षिण एशिया में, जलवायु परिवर्तन की वजह से होने वाले नुक़सान और क्षति 2050 तक 518 बिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक होने का अनुमान है, जो 2070 तक संभावित रूप से 997 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंच सकते हैं.

अकेले दक्षिण एशिया में, जलवायु परिवर्तन की वजह से होने वाले नुक़सान और क्षति 2050 तक 518 बिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक होने का अनुमान है, जो 2070 तक संभावित रूप से 997 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंच सकते हैं.

सराहनीय होने के बावजूद, ये वचन, फंड के संभावित पैमाने को लेकर मज़बूत संकेत नहीं देते हैं. दुर्भाग्य से, धनी राष्ट्रों की कुल वचन राशि ग्लोबल वार्मिंग के कारण विकासशील देशों द्वारा हर साल झेले जाने वाले अपरिवर्तनीय आर्थिक और गैर-आर्थिक नुक़सान के 0.2 प्रतिशत से भी कम है. यूएई और जर्मनी से प्रत्येक से 100 मिलियन अमेरिकी डॉलर, यूके से 50.5 मिलियन अमेरिकी डॉलर और जापान से 10 मिलियन अमेरिकी डॉलर सहित योगदान अधिक सारवान प्रतिबद्धताओं की आवश्यकता को उजागर करते हैं. ध्यान देने योग्य बात है कि, ऐतिहासिक रूप से दुनिया के सबसे बड़े उत्सर्जक के रूप में यूएस ने फंड में केवल 17.5 मिलियन अमेरिकी डॉलर देने का ही वचन दिया, जिसने हिस्सेदारी की चिंताओं को बढ़ावा दिया और हर देश के अपने उचित हिस्से को पूरा करने की आवश्यकता पर ज़ोर दिया. 

निष्कर्ष यह है कि, साल 2023 में तीन महत्वपूर्ण रुझान देखे गए, जिन्होंने न केवल जलवायु कार्रवाई को आकार दिया बल्कि इसके परिदृश्य को उल्लेखनीय रूप से बदल दिया. जलवायु न्याय के केंद्रीय सिद्धांत के रूप में स्वास्थ्य पर ज़ोर से लेकर जलवायु परिवर्तन के अपरिवर्तनीय प्रभावों के बारे में अविचल वैज्ञानिक चेतावनियों और नुक़सान और क्षति कोष की स्थापना तक, ये रुझान सामूहिक, न्यायसंगत और तत्काल वैश्विक कार्रवाई की तत्काल आवश्यकता को रेखांकित करते हैं. आगे बढ़ते हुए, 2023 से सीखे गए सबकों के आधार पर हमें जलवायु संकट द्वारा उत्पन्न बहुआयामी चुनौतियों से निपटने के लिए एक सहयोगी और मज़बूत दृष्टिकोण तैयार करना चाहिए. 

अपर्णा रॉय ओआरएफ़, जलवायु परिवर्तन  और ऊर्जा, में अध्येता और अग्रणी हैं

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