Author : Soumya Bhowmick

Published on Dec 05, 2023 Updated 0 Hours ago

सरकार की पहलों और ऊर्जा से भरे कामगारों की ताक़त से भारत अब इस स्थिति में है कि वो रोज़गार के ठोस और विविधता भरे अवसरों का निर्माण कर सके.

भारत में रोज़गार का विकास: 10 सुपर सेक्टर जो देते हैं ये अवसर

अपनी विशाल और विविधता भरी अर्थव्यवस्था के कारण भारत ने, पिछले कुछ वर्षों के दौरान, रोज़गार के अवसरों के मामले में बहुआयामी बदलाव आते देखे हैं. भारत की अर्थव्यवस्था में रोज़गार का मंज़र लगातार बदल रहा है और कई सेक्टर विकास की ठोस संभावनाएं दिखा रहे हैं. आज जब भारत आर्थिक विकास के रास्ते पर तेज़ी से आगे बढ़ रहा है, तो उसके कुछ सेक्टर ऐसे हैं, जिनसे ये अपेक्षा की जा रही है कि वो देश में रोज़गार के अवसरों के मामले में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले हैं.

(1) डिजिटल सेवाएं

चौथी औद्योगिक क्रांति (4IR) के क्षेत्र में भारत की अग्रणी भूमिका ने आविष्कारों को बढ़ावा दिया है और इससे तमाम सेक्टरों में डिजिटल तकनीकों को अपनाया जा रहा है, जिससे सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग, डेटा साइंस, और डिजिटल मार्केटिंग के कुशल पेशेवरों की मांग पैदा हुई है. डिजिटल अर्थव्यवस्था में इस बात की संभावना है कि वो 2025 तक रोज़गार के 6 से 6.5 करोड़ अवसर पैदा कर सकता है. इनमें से ज़्यादातर नौकरियों के लिए काम भर के डिजिटल कौशल की ज़रूरत होगी. ये चलन दुनिया भर में डिजिटलीकरण के बढ़ते व्यापक अवसरों के अनुरूप है, जहां पर भारत की विशेषज्ञता और उसके कामगार, भविष्य के कामकाज की रूप-रेखा बनाने में केंद्रीय भूमिका अदा करने वाले हैं.

Figure 1: भारत के IT उद्योग में सेक्टरवार विकास दर (प्रतिशत में)

Source: Department of Commerce, USA

 (2) वित्तीय सेवाएं

 भारत के वित्तीय क्षेत्र में बड़े पैमाने पर विस्तार हो रहा है. इसके पीछे बैंकिंग और बीमा सेवाओं की बढ़ती मांग है. यही नहीं, वित्तीय तकनीक (fintech) के नए नए आविष्कारों का उभार इस उद्योग को नए आयाम दे रहा है और इससे रोज़गार के नए मौक़े भी पैदा हो रहे हैं. पहला, डिजिटल बैंकिंग की दिशा में बढ़ते क़दमों की वजह से मोबाइल और ऑनलाइन बैंकिंग तकनीक, ग्राहक के अनुभव के हिसाब से डिज़ाइन तैयार करने और साइबर सुरक्षा के कुशल पेशेवरों की मांग पैदा होती है. दूसरा, बीमा क्षेत्र भी तकनीकी एकीकरण की वजह से बड़े स्तर पर परिवर्तन होते देख रहा है. भारत के बीमा क्षेत्र के बारे में अंदाज़ा लगाया गया है कि ये 2025 तक बढ़कर 250 अरब डॉलर का हो जाएगा. ऐसे में 2020 से 2030 के बीच, बीमा क्षेत्र में 78 अरब डॉलर के अतिरिक्त प्रीमियम के अवसर पैदा होंगे.

(3) स्वास्थ्य सेवाएं

भारत का स्वास्थ्य सेवा का सेक्टर बड़ी तेज़ी से विकसित हो रहा है. इसके पीछे कई कारण हैं. पहला, देश की उम्रदराज़ होती आबादी की वजह से स्वास्थ्य सेवाओं की मांग बढ़ रही है. ख़ास तौर से उम्र से जुड़ी और भयंकर बीमारियों के मामले में. दूसरा, सेहत को लेकर बढ़ती जागरूकता ने भी मेडिकल सेवाओं, रोकथाम वाली देखभाल और नियमित चेक-अप की ज़रूरतों को बढ़ावा दिया है. टेलीमेडिसिन और स्वास्थ्य से जुड़े ऐप जैसे तकनीकी आविष्कारों ने स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच को बढ़ाया है, ख़ास तौर से कोविड-19 महामारी के बाद. अब टेलीमेडिसिन दूर-दराज़ के इलाक़ों में डॉक्टरी सलाह मशविरे का अहम ज़रिया बन गई है. 2017 में भारत के हॉस्पिटल सेक्टर का मूल्यांकन 61.7 अरब डॉलर किया गया था, उसके 2023 तक 132 अरब डॉलर तक हो जाने की संभावना है.

 (4) हॉस्पिटैलिटी (मेहमाननवाज़ी) का सेक्टर

भारत का पर्यटन उद्योग ज़बरदस्त तरक़्क़ी के मुहाने पर खड़ा है. इससे होटल मैनेजमेंट, ट्रैवल एजेंसियों, पाक कला, परिवहन और इससे जुड़ी सेवाओं के क्षेत्र में रोज़गार की काफ़ी संभावनाएं पैदा होने वाली हैं. महामारी के बाद पर्यटन क्षेत्र के पटरी पर लौटने से आर्थिक विकास के साथ साथ रोज़गार सृजन में काफ़ी योगदान मिलेगा. इसके अतिरिक्त पर्यटन से जुड़ी सेवाओं जैसे कि यात्रा की यादगार निशानियां बेचने वाली दुकानें और मनोरंजन के क्षेत्र में भी रोज़गार के नए मौक़े पैदा होंगे. इस समय भारत में पर्यटन का बाज़ार 23.5 अरब डॉलर का है, जिसकी सामूहिक सालाना विकास दर (CAGR) 4.73 प्रतिशत है. 2028 तक भारत के पर्यटन उद्योग के 29.61 अरब डॉलर का होने की संभावना जताई जा रही है.

Table 1: 2022 की प्रस्तावित पर्यटन नीति के लक्ष्य

Source: CBRE

 (5) खुदरा ग्राहक सेवाएं

ई-कॉमर्स और संगठित ख़ुदरा उद्योग के बढ़ते दबदबे की वजह से भारत का रिटेल सेक्टर बहुत क्रांतिकारी बदलाव के दौर से गुज़र रहा है. ई-कॉमर्स के इस युग में डिजिटल मार्केटिंग भी बहुत महत्वपूर्ण हो गई है. SEO के विशेषज्ञो, कंटेंट बनाने वाले, सोशल मीडिया के मैनेजर और डिजिटल विज्ञापनों के विशेषज्ञ अब कारोबारियों की ऑनलाइन मौजूदगी में बहुत महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं.  ख़ुदरा सेक्टर का ये बदलाव भारत में रोज़गार की तस्वीर को बहुत बड़े पैमाने पर बदल रहा है, जिससे लॉजिस्टिक्स, गोदामों और भंडारण, डिजिटल मार्केटिंग और संबंधित क्षेत्रों में तमाम तरह के मौक़े पैदा हो रहे हैं, जिससे भारत में रोज़गार के बाज़ार को मज़बूती मिल रही है. उम्मीद जताई गई है कि भारत के रिटेल सेक्टर की सालाना सामूहिक विकास दर (CAGR) 25 प्रतिशत रहने वाली है. ये सेक्टर 2027 तक 1.1 ट्रिलियन डॉलर और 2032 तक बढ़कर 2 ट्रिलियन डॉलर का होने की उम्मीद है.

(6) ग्लोबल कैपेसिटी सेंटर

भारत के ग्लोबल कैपेसिटी सेंटर (GCC), IT से जुड़ी सेवाओं का अहम हिस्सा हैं और बहुराष्ट्रीय कंपनियों के बैक ऑफ़िस के तौर पर ये दुनिया भर में फैले उनके कारोबार में अहम भूमिका निभाते हैं. भारत में रोज़गार के मौक़े बढ़ाने में इस सेक्टर की बड़ी भूमिका रही है और इस सेक्टर में कई तरह की नौकरियों के मौक़े मिलते हैं. पहला, GCC कस्टमर सपोर्ट सेवाएं देते हैं, जिसमें संवाद का अच्छा हुनर रखने वाले वालों को नौकरी पर रखा जाता है. इसके अलावा सॉफ्टवेयर इंजीनियरों, सिस्टम एनालिस्ट, साइबर सुरक्षा के जानकारों और प्रोजेक्ट मैनेजरों को भी रोज़गार मिलता है. और तीसरा, ग्लोबल कैपेसिटी सेंटरों में वित्त और लेखा-जोखा रखने वाली टीमें, एकाउंटेंट, वित्तीय विश्लेषकों और ऑडिटरों को नौकरी पर रखती हैं.

(7) नवीनीकरण योग्य ऊर्जा क्षेत्र

भारत ने स्वच्छ ईंधन और ख़ास तौर से नवीनीकरण योग्य ऊर्जा के समाधान उपलब्ध कराने में काफ़ी तरक़्क़ी कर ली है. ऊर्जा के ये स्रोत पर्यावरण को टिकाऊ बनाते हैं और इनमें रोज़गार के भी काफ़ी मौक़े पैदा होते हैं, ख़ास तौर से सौर और पवन ऊर्जा के क्षेत्र में. रिन्यूएबल एनर्जी सेक्टर के विस्तार से लाखों नौकरियां पैदा हो सकती हैं, जो इन्हें स्थापित करने, इनका रख-रखाव करने और हरित ऊर्जा की तकनीकों पर रिसर्च की महारत रखने वालों पर केंद्रित रहेंगी. भारत का ये चलन दुनिया भर में स्वच्छ ईंधन की ओर बढ़ते क़दमों से मेल खाता है, जहां सोलर पैनलों, पनबिजली, जैविक ईंधन और पवन ऊर्जा के उद्योग नवीनीकरण योग्य ऊर्जा के सेक्टर में रोज़गार को बढ़ावा देते हैं. 2022 में अकेले सौर ऊर्जा के उद्योग में ही 52 हज़ार 80 लोगों को रोज़गार मिला हुआ था. जैसे जैसे इस सेक्टर का विकास होगा, वैसे ये उम्मीद है कि 2030 तक इसमें दस लाख लोगों को नौकरियां मिलने के अवसर पैदा होंगे.

(8) ई-कॉमर्स

ऑनलाइन ख़रीदारी के बढ़ते चलन ने कुशल लॉजिस्टिक्स और डिलिवरी सेवाओं की मांग को बढ़ा दिया है, जिससे हज़ारों डिलिवरी पार्टनर्स और गिग वर्कर्स की मांग में इज़ाफ़ा हो रहा है. ई-कॉमर्स कंपनियां बड़ी संख्या में लोगों को नौकरियां देती हैं और उन्हें तमाम तरह के पेशेवरों की ज़रूरत होती है. इनमें IT के विशेषज्ञ, डिजिटल भुगतान के एक्सपर्ट और सामानों की ख़रीद-फ़रोख़्त में कुशल लोग शामिल हैं. उम्मीद है कि 2026 तक भारत का -कॉमर्स बाज़ार 200 अरब डॉलर का हो जाएगा, जो 2020 के 46.2 अरब डॉलर से लगभग चार गुने की बढ़ोत्तरी होगी.

(9) MSME (लघु, छोटे और मध्यम दर्जे के उद्योग)

लघु, छोटे और मध्यम दर्जे के उद्योग (MSME) भारत की अर्थव्यवस्था का अभिन्न अंग हैं. और वो देश की GDP में 30 प्रतिशत से अधिक का योगदान देते हैं, जिसमें से एक बड़ा हिस्सा निर्यात का होता है. भारत में कृषि क्षेत्र के बाद MSME सेक्टर सबसे ज़्यादा  रोज़गार देता है और इनसे करोड़ों लोगों की रोज़ी-रोटी चलती है. यही नहीं, MSMEs उद्यमिता, इनोवेशन और व्यापक आर्थिक गतिविधियों से जुड़ने का बड़ा अवसर प्रदान करते हैं, जिनकी वजह से ये भारत के आर्थिक परिदृश्य का महत्वपूर्ण अंग बन जाते हैं. 1 जुलाई 2020 से 1 अगस्त 2023 के दौरान इस सेक्टर ने रिकॉर्ड 12 करोड़ 36 लाख लोगों को रोज़गार मुहैया कराया था.

 Figure 2: MSMEs में रोज़गार का बंटवारा


Source: Ministry of MSME, Annual Report

 

(10) स्टार्ट-अप इकोसिस्टम

भारत के तेज़ी से प्रगति करते स्टार्ट-अप इकोसिस्टम की कामयाबी के पीछे बड़ी वजह सरकार की नीतियां रही हैं, जैसे कि 2016 का स्टार्ट अप इनिशिएटिव और टैक्स के प्रोत्साहन, जिनसे स्टार्ट-अप कंपनियों के वित्तीय बोझ कम होते हैं और उनमें आविष्कार और कारोबार के विस्तार को बढ़ावा मिलता है. अपने यहां कारोबार के अवसर बेहतर बनाने के लिए भारत द्वारा किए जा रहे सघन प्रयासों ने भारत को स्टार्ट-अप कंपनियां शुरू करने का एक आकर्षक ठिकाना बना दिया है, जिससे भारत के क़स्बों और शहरों जैसे कि बेंगलुरू, मुंबई, चेन्नई, गुरुग्राम वग़ैरह के उद्यमिता के केंद्र बनकर उभरने का मौक़ा मिला है. इससे नौकरियों के नए मौक़े पैदा हुआ हैं और स्टार्ट-अप के क्षेत्र में भारत के मुक़ाबला कर पाने की ताक़त भी बढ़ी है.

Figure 3: स्टार्ट-अप द्वारा सृजित रोज़गार


Source: Indian Economic Survey, 2022-23

कुल मिलाकर, भारत में तमाम सेक्टरों में रोज़गार की स्थिति में बहुत बड़े स्तर पर बदलाव आ रहा है. डिजिटल सेवाओं से लेकर तेज़ी से उभरते स्टार्ट-अप इकोसिस्टम तक, देश रोज़गार के बड़े मौक़े मुहैया कराने के मुहाने पर खड़ा है. आज जब देश 2027-28 दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने के लक्ष्य की तरफ़ बढ़ रहा है, तो सरकार की पहलों और जोशीले कामगार तबक़े की मदद से आज भारत, रोज़गार के मामले में विविधता भरे और ठोस वृद्धि करने वाला है. 

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