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कोविड19 से पहले इटली, चीन से निवेश की संख्या के मामले में पा
यह कहा जा सकता है कि हिंद-प्रशांत क्षेत्र आगामी दशक में चौ
नेपाल में चीन की बढ़ती शार्प पावर बड़े पैमाने पर प्रचार औ�
पाकिस्तान स्टॉक एक्सचेंज पर हमला उस वक़्त हुआ है जब इमरा�
ट्रंप प्रशासन द्वारा संघातिक चोट देने के लिए चीन की कम्य�
आज भारत के पास ये अवसर है कि चीन के साथ सीमा विवाद के दौरान
चीन को लेकर भारत को अपने तौर तरीक़े में आमूल-चूल परिवर्तन
ज़ाहिर है किसी भी देश की राजनीतिक शक्ति बढ़ाने के लिए उसक�
जब अमेरिका और सोवियत संघ के बीच शीत युद्ध अपने शिखर पर था, �
इसमें कोई दो राय नहीं है कि कोविड-19 के बाद के दौर में चीन, पड
मध्यम दर्जे की ताक़तें आज चीन और अमेरिका के बीच संघर्ष मे�
इस बात की पूरी संभावना है कि भारत, अमेरिका के इस क़दम की अन�
अंतर्राष्ट्रीय संधियों का अंत होने के बाद हथियारों का बड
चीन और कोरोना वायरस ने जिस पुरजोर तरीक़े से जो दिखाया है उ
चूंकि पुराने तौर-तरीकों का आधार अब नहीं रहा, इसलिए दोनों प
ऐसा लगता है कि चीन ने अपनी सेना का काफ़ी हद तक आधुनिकीकरण �
दोनों ही देशों के विशेष प्रतिनिधियों के बीच अब तक, बीस दौर
वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं में चीन की केंद्रीय स्थिति क�
यह साफ हो चुका है कि कहीं ना कहीं गंभीर चूक हुई- लेकिन भारत�
हमें अपनी सिद्धांतवादी विदेश नीति और रणनीतिक स्वायत्ता �
ट्रंप प्रशासन चीन के साथ संबंधों को जिस तरह निभा रहा है और
अगर जो बिडेन, अमेरिका में नवंबर में होने वाले राष्ट्रपति �
न्यू डेवलपमेंट बैंक और एशियन इंफ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टम
आज दुनिया में एक उबाल आया हैं न सिर्फ़ कोविड-19 का बल्कि हम औ�
आने वाले वर्षों में उत्तरी हिंद महासागर में चीन की नौसेन�
अच्छी ख़बर ये है कि लद्दाख का मौजूदा संकट पहले के गतिरोधो�
अगर सदस्य देशों की सरकारें चाहती हैं कि विश्व स्वास्थ्य �
ज़्यादातर गठबंधनों के बारे में, और ख़ासतौर से विकासशील द�
वास्तव में अगर हम चाहते हैं कि यह जो ओपन डेमोक्रेटिक वर्ल�
क्षेत्रीय मामलों को लेकर रूस और दक्षिण कोरिया की स्थिति- �
ग़लत जानकारी या दुष्प्रचार का विचार उतनी ही पुराना है जि�
अंतर्राष्ट्रीय क़ानून की अमेरिकी समझ और चीन की तरफ़ से उ�
अगर भारत अपनी सीमाओं पर मंडरा रहे ख़तरे और क्षेत्रीय व वै�
वैश्विक प्रभुत्व और क्षेत्रीय दादागीरी को लेकर आगे आने व
1950 से चीन भूटान के इलाक़े को अपने नक्शे में प्रकाशित कर रह�
मूल मुद्दा चीन के साथ है जो पूरी दुनिया की-बेसिक ओपन डेमोक
सरकार को बैंकिंग सेक्टर को ये भरोसा दिलाना होगा कि वो मुक�
अमेरिका के लिए ये ज़रूरी है कि वो भारत के साथ रिश्ते मज़बू
बड़ी ताक़त बनने की इच्छा रखने वाला भारत इकलौता ऐसा राष्ट�
आज चीन जिस तरह पूरी दुनिया के ख़िलाफ़ आक्रामक हो रहा है, उ�
लोकतांत्रिक देशों द्वारा एक बेलगाम होते देश के ख़िलाफ़ त
भारत की राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था के प्रमुख सिद्धांत के तौ�
आज हम जिस दौर से गुज़र रहे हैं, उसमें दुनिया नए सिरे से ध्र�
क्या केवल चीन के विरोध के नाम पर दस अलग अलग लोकतांत्रिक दे
जब भारत चीन से बाहर जाने वाली बहुराष्ट्रीय कंपनियों के ल�
जो लड़ने की इच्छा रखता है, वो पहले इसकी क़ीमत समझे.
चूंकि इस पूरे क्षेत्र में भारत के सुरक्षात्मक हित जुड़े ह�
लंबे समय से विश्व का जहाज़रानी उद्योग चीन की घरेलू मांग औ�
चीन की जनता का मूड भांप पाना तो मुश्किल है. लेकिन, अगर हम इं
कोविड-19 की महामारी के कारण लोकतांत्रिक तरीक़े से चुनी गई �