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कोविड19 से पहले इटली, चीन से निवेश की संख्या के मामले में पांचवां सबसे बड़ा लक्षित राज्य था. अब यह प्रतिशत और भी अधिक बढ़ने की संभावना है.
कोविड-19 के बाद इटली में जो हालत और परिदृश्य सामने आ रहे हैं उन्हें किसी भी रूप में आश्वस्त करने वाला नहीं कहा जा सकता है. कोविड19 की महामारी रूपी आपदा से पहले भी अर्थव्यवस्था की स्थिति खराब थी और लगभग सौ दिन से भी अधिक के लॉकडाउन ने इसे और अधिक प्रभावित किया. यह स्थिति हमें दुनिया के दूसरे देशों में भी नज़र आई है हालांकि, इटली में जो हो रहा है वो इसके अलावा भी कुछ है. कुछ ऐसा जो एक बढ़े हुए जोख़िम के साथ आया है और जो देश के सामाजिक ताने-बाने को बाधित कर सकता है: ये है माफ़िया.
माफ़िया और अन्य आपराधिक संगठन महामारी की परिस्थितियों का इस्तेमाल खोए हुए क्षेत्रों पर फिर से नियंत्रण पाने के लिए कर रहे हैं. उनकी कोशिश है कि इस मुश्किल दौर में वो पैसे के फेरबदल के ज़रिए अलग-अलग धंधों में कानूनी रूप से पैठ बनाएं और उन व्यवसायों को एकीकृत करने की कोशिश करें जिनमें वो पहले से निवेश कर चुके हैं.
एक प्रसिद्ध इतालवी लेखक रॉबर्टो सवानियानो ने एंटी-माफिया मजिस्ट्रेट और पुलिस अधिकारियों द्वारा माफिया के खिलाफ़ प्रशासन और लोगों को सचेत किए जाने पर प्रतिक्रिया देते हुए हाल ही में लिखा कि “महामारी माफ़ियाओं के लिए आदर्श स्थिति और इसकी सीधी सी वजह है: यदि आप भूखे हैं, तो आप रोटी की तलाश कर रहे हैं और आपको इससे कोई फर्क़ नहीं पड़ता कि यह रोटी कहा से आई है और कौन इसे दे रहा है; यदि आपको दवा की ज़रूरत है तो आप पैसा देकर दवा ख़रीदना चाहते हैं और आपको इस बात से कोई फ़र्क नहीं पड़ता कि कौन इसे बेच रहा है, आप उस वक्त केवल दवा ख़रीदना चाहते हैं. यह केवल अमन और शांति के दौर में संभव है कि व्यक्ति देखे की उसे मदद करने वाला कौन है.” माफ़िया और अन्य आपराधिक संगठन महामारी की परिस्थितियों का इस्तेमाल खोए हुए क्षेत्रों पर फिर से नियंत्रण पाने के लिए कर रहे हैं. उनकी कोशिश है कि इस मुश्किल दौर में वो पैसे के फेरबदल के ज़रिए अलग-अलग धंधों में कानूनी रूप से पैठ बनाएं और उन व्यवसायों को एकीकृत करने की कोशिश करें जिनमें वो पहले से निवेश कर चुके हैं. इन धंधों में कचरे की रीसाइक्लिंग और निपटान, परिवहन, सफाई और कीटाणुशोधन, अंतिम संस्कार स्थलों, तेल और खाद्य वितरण और चिकित्सा उपकरण जैसे व्यवसाय शामिल हैं.
पिछले दो महीनों में वे दक्षिण एशियाई आतंकवाद पर्यवेक्षकों द्वारा जाने-समझे, जेयूडी (JuD) मॉडल की तरह काम कर रहे हैं. लॉकडाउन के दौरान, कैमोर्रा यानी कंपनिया क्षेत्र के माफ़िया ने ज़रूरतमंद लोगों में पैसे और भोजन वितरित कर छोटे-छोटे समाजों में पैठ बनाई. इसके पीछे उनकी मंशा थी कि किसी दिन ज़रूरत पड़ने पर वो बदले में कुछ माँगने का हक जताएंगे. महामारी के दौर में प्रशासन और व्यवस्था को लेकर जो कमियां महसूस की जा रही हैं ये माफिया उस अंतराल को भरने की कोशिश कर रहे हैं. इसमें कई चीज़ें शामिल हैं, मुसीबत में कंपनियों को शेयर के बदले में नकद देना, उन लोगों को पैसे की पेशकश करना जो अपनी नौकरी खो चुके हैं और फिर अगर वो भुगतान न कर पाएं तो उनके घरों या किसी अन्य संपत्ति पर कब्ज़ा करना. अक्सर, वे कंपनियों से किसी ऐसे व्यक्ति को नियुक्त करने के लिए कहते हैं जिस पर उन्हें भरोसा हो. ऐसा व्यक्ति कंपनी का कार्यभार संभालेगा और मालिक एक ‘स्वच्छ’ फ्रंटमैन की भूमिका निभाएगा जो बैंकों और संस्थानों से निपट सकता है. यह कोई नई घटना नहीं है. पिछले 10-15 सालों में कई बार यह देखा गया है कि माफ़िया इन तरीकों का इस्तेमाल करके मुख्य़धारा में अपनी पैठ बनाते हैं. यह भी स्पष्ट है कि माफ़िया ने न केवल राजनीति में प्रवेश किया बल्कि धन की लूट और कालाबाज़ारी के ज़रिए इटली के सभी हिस्सों में निवेश किया, ख़ासतौर पर उत्तरी क्षेत्र में ताकि वो कानूनी रुप से व्यवसायों पर नियंत्रण कर सकें.
इटली में कोविड19 से सबसे अधिक प्रभावित प्रांतों में से एक बर्गामो भी ‘कानूनी’ माफ़िया की गतिविधियों से बुरी तरह प्रभावित था. ऐसा माना जा रहा है कि कि कोविड-19 के बाद स्थिति और ख़राब होती जाएगी, क्योंकि नौकरशाही की शिथिलता के चलते ज़मीनी हालात बदलने में काफी वक्त लग सकता है. ऐसे में ज़रूरतमंद उद्यमी उन लोगों की ओर रुख़ करेंगे जो नकद द्वारा सीधे मदद कर सकें यानी संभ्रांत रूप से काम करने वाले अपराधी. यह समस्या इटली के बाहर अन्य यूरोपीय देशों में भी मौजूद है, जहां न केवल इतालवी माफ़ियाओं की उपस्थिति देखी जा सकती है, बल्कि रूसी, अल्बानियाई और चीनी भी मौजूद हैं. साल 2018 में, ‘चाइना ट्रक’ नामक एक ऑपरेशन के दौरान, इतालवी पुलिस ने 33 लोगों और उनके बॉस, जांग नाइज़होंग को गिरफ्तार किया. चीनी माफ़िया यूरोप के लगभग आधे हिस्से में सक्रिय थे. उनका काम पूरे इटली में और पेरिस, मैड्रिड और जर्मनी में माल की आवाजाही को नियंत्रित करना था. यह ‘सामान्य’ और नियमित रूप से की जानी वाली जबरन वसूली, सूदखोरी, अवैध जुआ घरों से होने वाली कमाई, वेश्यावृत्ति और ड्रग्स से जुड़े रैकेट के अलावा उनकी कमाई का ज़रिया था.
इटली में कोविड19 से सबसे अधिक प्रभावित प्रांतों में से एक बर्गामो भी ‘कानूनी’ माफ़िया की गतिविधियों से बुरी तरह प्रभावित था. ऐसा माना जा रहा है कि कि कोविड-19 के बाद स्थिति और ख़राब होती जाएगी, क्योंकि नौकरशाही की शिथिलता के चलते ज़मीनी हालात बदलने में काफी वक्त लग सकता है.
कई इतालवी विश्लेषकों ने तर्क दिया है कि चीनी कंपनियों के खिलाफ इतालवी ब्रांड ख़रीदने वाले माफिया और उसके पैसे ही इतालवी कंपनियों के लिए एकमात्र ज़रिया हैं, अपनी पहचान और अस्तित्व बनाए रखने का. राजनेताओं और मीडिया को प्रभावित करने और चीन की छवि को बढ़ावा देने के लिए इटली में इंटरनेट बॉट्स से जुड़े शर्मनाक अभियान के बाद, बीजिंग अब ज़रूरत के हिसाब से इतालवी कंपनियों को ख़रीदकर, आर्थिक आपदा का फायदा उठाते हुए दिखाई दे रहा है. चीनी संस्थाओं द्वारा खरीदी गई इतालवी कंपनियों की संख्या पिछले दस वर्षों में बीस गुना से भी अधिक हो गई है. कोविड19 से पहले इटली, चीन से निवेश की संख्य़ा के मामले में पांचवां सबसे बड़ा लक्षित राज्य था. अब यह प्रतिशत और भी अधिक बढ़ने की संभावना है.
अंतरराष्ट्रीय बिज़नस पत्रिका फोर्ब्स में छपी एक रिपोर्ट के अनुसार, चीन फैशन और लक्ज़री कंपनियों, हाई-टेक औद्योगिक उत्पादों, मनोरंजन और यहां तक कि फुटबॉल टीमों की ख़रीद भी कर रहा है. फोर्ब्स की रिपोर्ट कहती है कि पिछले दो वर्षों में “ऐसा लगता है कि चीनी निवेशक छोटी कंपनियों द्वारा विकसित शुद्ध तकनीक को देख रहे हैं, जो सीधे लाभ देने के बजाय चीनी कंपनियों को तकनीकी मदद देने या रणनीतिक दृष्टि से अधिक महत्वपूर्ण हों.” हैरानी की बात है कि ये ज्य़ादातर कंपनियां बर्गामो या ब्रेशिया में स्थित हैं जो कोविड19 से सबसे अधिक प्रभावित क्षेत्र हैं. इटली में हज़ारों अवैध अप्रवासियों के साथ इतालवी माफिया के कारख़ानों का संचालन करने वाले चीनी माफिया की उपस्थिति पहले से ही एक वास्तविकता है. इसके ज़रिए वे चीन और अन्य जगहों पर ‘मेड इन इटली’ के सामान भेज रहे हैं.
नब्बे के दशक में माफ़िया ने राजनीति और अर्थव्यवस्था दोनों में घुसपैठ कैसे की, इस पर कई किताबें लिखी गई हैं. इसके परिणामस्वरूप 1992 में दो न्यायाधीशों- फाल्कॉन और बोर्सेलिनो की हत्या हुई- क्योंकि उन्होंने इसे उजागर करने की दिशा में काम किया था.
नकली पासपोर्ट का एक काला बाज़ार जिसमें मृतकों के पासपोर्ट के ज़रिए आव्रजन क़ानूनों से बचने के नए से नए पैंतरे आज़माए जाते हैं, पहले से ही मौजूद है. ‘सफेदपोश’ माफिया सबसे खतरनाक हैं क्योंकि वे राज्य, राजनीति और सामाजिक ताने-बाने में घुसपैठ कर अपना काम करते हैं. इटली ने बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) पर पहले ही हस्ताक्षर कर दिए थे और अब यह एक महत्वपूर्ण मोड़ पर है. ऐसे में प्रधानमंत्री, सत्तारूढ़ दल के साथ-साथ विपक्ष भी चीन की आक्रामक राजनीति के खिलाफ़ मज़बूत रुख अपनाने में असमर्थ हैं. इसी तरह वे स्थानीय सफे़दपोश माफ़िया से लड़ने में असमर्थ हैं. नब्बे के दशक में माफ़िया ने राजनीति और अर्थव्यवस्था दोनों में घुसपैठ कैसे की, इस पर कई किताबें लिखी गई हैं. इसके परिणामस्वरूप 1992 में दो न्यायाधीशों- फाल्कॉन और बोर्सेलिनो की हत्या हुई- क्योंकि उन्होंने इसे उजागर करने की दिशा में काम किया था. इस बात पर भी पर्याप्त साहित्य मौजूद है कि चीनी किस तरह से देश को ख़रीद रहे हैं और ‘मेड इन इटली’ पर अपना कब्ज़ा जमा रहे हैं. एक अन्य समाचार जिस पर किसी का ध्यान नहीं गया उसके मुताबिक, पिछले नवंबर में, टस्कनी में इतालवी और चीनी पुलिस की एक संयुक्त टुकड़ी को गश्त करते देखा गया. इतालवी धरती पर चीनी सेना की उपस्थिति न केवल संदिग्ध है, बल्कि चिंता का विषय भी है. इतालवी सरकार को इतालवी सामान बेचने और चीनियों को उनकी “मदद” के लिए धन्यवाद देने के बजाय इसके खिलाफ युद्ध स्तर पर खुद को तैयार करना चाहिए. इटली के लिए यह युद्ध में हुई क्षति के मामले की तरह है.
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Francesca Marino is an Italian freelance journalist specialising on South Asia. She writes regularly for LimesItalian Review of geopolitics and some of the most prestigious ...
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