Published on Aug 25, 2020 Updated 0 Hours ago

ऐसा लगता है कि चीन ने अपनी सेना का काफ़ी हद तक आधुनिकीकरण तो किया है लेकिन ये भी साफ़ है कि चीन की सेनाओं की सांगठनिक अक्षमता और सैनिकों की अयोग्यता तकनीकी रूप से मज़बूती के बावजूद सेना को कमज़ोर कर सकती है.

भारत-चीन सैन्य स्वरूप और उनके आधुनिकीकरण का रास्ता

पिछले दिनों वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर गलवान घाटी में चीन-भारत संघर्ष में बढ़ोतरी एक ऐतिहासिक घटना है. ये दोनों देशों के बीच राजनयिक संबंधों का सबसे निचला स्तर है और इसकी वजह से आगे भी संघर्ष की आशंका बनी हुई है. आने वाले समय में दोनों देशों की क्षमता का सटीक अनुमान, दोनों देशों की सेना की तुलना निश्चित रूप से सैन्य आधुनिकीकरण और निकट भविष्य में उनकी तरक़्क़ी के संदर्भ में की जानी चाहिए.

2010 में सेना पर चीन का ख़र्च भारत के मुक़ाबले 2.5 गुना था जो 2019 में बढ़कर 3.7 गुना हो गया है. 2015 में तो ये भारत के सैन्य ख़र्च के मुक़ाबले 4 गुना से भी ज़्यादा हो गया था

स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (SIPRI) के अनुमान के मुताबिक़ 2010 में सेना पर चीन का ख़र्च भारत के मुक़ाबले 2.5 गुना था जो 2019 में बढ़कर 3.7 गुना हो गया है. 2015 में तो ये भारत के सैन्य ख़र्च के मुक़ाबले 4 गुना से भी ज़्यादा हो गया था (टेबल 1 देखें). ये भारी अंतर काफ़ी हद तक इस बात से समझा जा सकता है कि जहां भारत का सैन्य ख़र्च 2010 में सकल घरेलू उत्पाद (GDP) के 2.7 प्रतिशत से घटकर 2019 में 2.4 प्रतिशत हो गया है वहीं चीन का सैन्य ख़र्च 2010 से अब तक अपने GDP के क़रीब 1.9 प्रतिशत पर लगातार बना हुआ है. सैन्य ख़र्च में अंतर की सबसे बड़ी वजह चीन की विशाल अर्थव्यवस्था है. विश्व बैंक के अनुमान के मुताबिक़ 2018 में चीन की GDP 13.61 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर थी जबकि भारत की GDP 2.72 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर (मौजूदा अमेरिकी डॉलर में). 2010 से चीन की GDP में सालाना बढ़ोतरी भी काफ़ी तेज़ रही है (टेबल 2 देखें).

टेबल 1: सैन्य ख़र्च पर SIPRI का अनुमान (मौजूदा अमेरिकी डॉलर में); भारत और चीन की GDP में सैन्य ख़र्च का हिस्सा; और चीन-भारत सैन्य ख़र्च का अनुपात (2010-2019)

साल चीन भारत चीन-भारतीय सैन्य व्यय का अनुपात (ए / बी)
ए. सैन्य खर्च जीडीपी का हिस्सा बी. सैन्य व्यय जीडीपी का हिस्सा
2010 $ 115.772 बिलियन 1.9% $ 46.090 बिलियन 2.7% 2.5: 1
2011 $ 137.967 बिलियन 1.8% $ 49.634 बिलियन 2.7% 2.5:1
2012 $ 157.390 बिलियन 1.8% $ 47.217 बिलियन 2.5% 3.3:1
2013 $ 179.881 बिलियन 1.9% $ 47.404 बिलियन 2.5% 3.8: 1
2014 $ 200.772 बिलियन 1.9% $ 50.914 बिलियन 2.5% 3.9: 1
2015 $ 214.472 बिलियन 1.9% $ 51.296 बिलियन 2.4% 4.2:1
2016 $ 216.404 बिलियन 1.9% $ 56.638 बिलियन 2.5% 3.8: 1
2017 $ 228.466 बिलियन 1.9% $ 64.559 बिलियन 2.5% 3.5: 1
2018 $ 253.492 बिलियन 1.9% $ 66.258 बिलियन 2.4% 3.8: 1
2019 $ 261.082 बिलियन 1.9% $ 71.125 बिलियन 2.4% 3.7: 1

टेबल 2: भारत और चीन में GDP बढ़ोतरी पर IMF का अनुमान, 2010-2020

साल 2010 2011 2012 2013 2014 2015 2016 2017 2018 2019 2020
चीन 10.6% 9.5% 7.9% 7.8% 7.3% 6.9% 6.8% 6.9% 6.7% 6.1% 1.2%
भारत 10.3% 6.6% 5.5% 6.4% 7.4% 8% 8.3% 7% 6.1% 4.2% 1.9%

चीन-भारत सैन्य क्षमता 

भारत और चीन- दोनों देश अलग-अलग नीतिगत और रणनीतिक ज़रूरतों के मुताबिक़ ज़मीन, हवा, समुद्र और परमाणु हथियारों के मामलों में अपनी क्षमता में बढ़ोतरी के लिए वित्तीय आवंटन करते हैं. अनुमान लगाया गया है कि चीन में कुल सक्रिय सैनिक 21,83,000 हैं जबकि 5,10,000 रिज़र्व सैनिक हैं. इसकी तुलना में भारत में 14,44,000 सक्रिय सैनिक हैं जबकि 2,10,000 रिज़र्व सैनिक हैं.

ज़मीन पर देखें तो एक अनुमान के मुताबिक़ चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA)  के पास लगभग 3,500 टैंक, 33,000 बख्तरबंद गाड़ियां, 3,800 सेल्फ-प्रोपेल्ड तोप, 3,600 तोप और 2,650 रॉकेट प्रोजेक्टर हैं. दूसरी तरफ़ अनुमान लगाया जाता है कि भारत के पास 4,292 टैंक, 8,686 बख्तरबंद गाड़ियां, 235 सेल्फ-प्रोपेल्ड तोप, 4,060 तोप और 266 रॉकेट प्रोजेक्टर हैं.

हवा की बात करें तो माना जाता है कि चीन की PLA वायु सेना (PLAAF) के पास 3,210 विमान हैं जिनमें से 1,232 लड़ाकू विमान, 371 अटैक एयरक्राफ्ट, 224 ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट, 314 ट्रेनर, 281 अटैक हेलीकॉप्टर, 911 हेलीकॉप्टर और 111 विशेष मिशन के लिए विमान हैं. वहीं भारतीय वायुसेना के पास 2,132 विमान हैं जिनमें से 538 लड़ाकू विमान, 172 अटैक एयरक्राफ्ट, 250 ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट, 359 ट्रेनर, 23 अटैक हेलीकॉप्टर, 722 हेलीकॉप्टर और 77 विशेष मिशन के लिए विमान हैं.

समुद्र की बात करें तो चीन की PLA नौसेना (PLAN) के पास कुल मिलाकर 777 समुद्री हथियार हैं जिनमें दो एयरक्राफ्ट कैरियर, 36 डिस्ट्रॉयर, 52 युद्धपोत, 50 लड़ाकू जलपोत, 74 पनडुब्बी, 220 गश्ती जहाज़ और 29 माइन वारफेयर क्राफ्ट हैं. दूसरी तरफ़ भारतीय नौसेना के पास 285 समुद्री हथियार हैं जिनमें एक एयरक्राफ्ट कैरियर, 10 डिस्ट्रॉयर, 13 युद्धपोत, 19 लड़ाकू जलपोत, 16 पनडुब्बी, 139 गश्ती जहाज़ और तीन माइन वारफेयर क्राफ्ट शामिल हैं.

माना जाता है कि चीन में परमाणु हथियारों पर नियंत्रण रखने वाली सेना PLA रॉकेट फोर्स (PLARF) के पास कुल मिलाकर 104 मिसाइल हैं जिनमें डोंग फेंग (DF)- 31A, DF-31 और DF-21 मिसाइल शामिल हैं. दूसरी तरफ़ भारत के बारे में अनुमान लगाया जाता है कि उसके पास 10 अग्नि-III लॉन्चर और आठ अग्नि-II लॉन्चर शामिल हैं. इसके अलावा अनुमान लगाया जाता है कि भारत के पास 51 एयरक्राफ्ट (जगुआर IS और मिराज 2000H फाइटर) हैं जो परमाणु हथियारों से हमला करने में सक्षम हैं.

सैन्य क्षमताओं के आधुनिकीकरण का क्या मतलब है?

इन आंकड़ों को पिछले कुछ वर्षों के दौरान दोनो देशों द्वारा शुरू किए गए सैन्य आधुनिकीकरण के संदर्भ में समझना चाहिए. पिछले पांच वर्षों के दौरान शी जिनपिंग ने साफ़ कर दिया है कि उनके राष्ट्रपति कार्यकाल का मुख्य उद्देश्य PLA का आधुनिकीकरण है जिससे चीन को “वैश्विक शक्ति” बनने में मदद मिले. इसके लिए GDP में रक्षा बजट के हिस्से को बरकरार रखा गया है. अहम बात ये है कि PLA आर्मी का आकार घटाया गया है ताकि उसके संसाधनों को नौसेना, वायुसेना और रॉकेट फोर्स तक पहुंचाया जा सके.

पिछले पांच वर्षों के दौरान शी जिनपिंग ने साफ़ कर दिया है कि उनके राष्ट्रपति कार्यकाल का मुख्य उद्देश्य PLA का आधुनिकीकरण है जिससे चीन को “वैश्विक शक्ति” बनने में मदद मिले.

इनमें से ज़्यादातर बदलाव 2015 में लागू किए गए, पांच वॉर ज़ोन बनाए गए, दूसरी आर्टिलरी को PLA रॉकेट फोर्स में तब्दील किया गया, PLA स्ट्रैटजिक सपोर्ट फोर्स (PLASSF) का निर्माण किया गया ताकि स्पेस, इलेक्ट्रॉनिक और नेटवर्क में अपनी ताक़त को एकजुट किया जा सके. सबसे ज़्यादा गौर करने वाली बात है कि 2015 में PLA ने 3,00,000 सैनिकों को कम करने का एलान किया और इसके दो साल बाद एक और घोषणा की कि PLA आर्मी का आकार पहली बार 10,00,000 से कम होगा. 2019 के श्वेत पत्र में PLA आर्मी के आकार में और कटौती का एलान किया गया जबकि दूसरी सेनाओं का आकार बरकरार रखा गया. PLA ने नई तकनीकों को हासिल करने पर भी ध्यान दिया ताकि सहायता प्रणाली और लॉजिस्टिक का आधुनिकीकरण हो.

चीन ने अपनी सेना के आधुनिकीकरण में बड़ी छलांग लगाई है लेकिन “सैन्य मामलों में क्रांति” लाने के लिए PLA को अपने सभी अंगों का “मशीनीकरण” पूरा करना महत्वपूर्ण है. PLA 1979 में चीन-वियतनाम युद्ध के बाद किसी युद्ध में शामिल नहीं रही है. वास्तव में बेअसर कमांड सिस्टम और अपने अधिकारियों के बीच बेकाबू भ्रष्टाचार के लिए लगातार उसकी आलोचना की जाती रही है. आधुनिक सैन्य तकनीक और आधुनिकीकरण पूरी तरह PLA के अधिकारियों के अनुभव और उनकी ईमानदारी पर निर्भर है लेकिन इसमें कमी पाई गई है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत अपनी सेना के आधुनिकीकरण के अलावा उनके काम-काज को ‘जोड़ने’ पर भी ध्यान दे रहा है. इस पहल के तहत 2019 में मोदी ने चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) के पद की स्थापना की जो सेना के सभी तीन अंगों का प्रमुख होगा. इसके अलावा थल सेना की कमांड संरचना में भी बदलाव किया गया है जिसके तहत तीसरे उप सेनाध्यक्ष का पद बनाया गया है जो रणनीति, इन्फॉर्मेशन वॉरफेयर के लिए ज़िम्मेदार होगा और मिलिट्री इंटेलिजेंस उसके नीचे काम करेगी. हिंद महासागर के क्षेत्र में रक्षा के लिए बढ़ती मौजूदगी के साथ नौसेना ने भी अपने काम-काज, प्रशिक्षण और संगठन में कई बदलाव किए हैं.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत अपनी सेना के आधुनिकीकरण के अलावा उनके काम-काज को ‘जोड़ने’ पर भी ध्यान दे रहा है. इस पहल के तहत 2019 में मोदी ने चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) के पद की स्थापना की जो सेना के सभी तीन अंगों का प्रमुख होगा.

इससे पहले 2017 में थल सेना के 57,000 जवानों की फिर से तैनाती का फ़ैसला लिया गया था ताकि मोर्चे पर तैनात सैनिक को मदद का अनुपात ठीक किया जा सके. इस अनुपात को ठीक करने के लिए इंजीनियरिंग और सिग्नल कोर और ऑर्डिनेंस यूनिट की संरचना में बदलाव किया गया, नागरिक क्षेत्र में सभी मिलिट्री फार्म और डाक यूनिट को भी बंद किया गया. फरवरी 2020 में CDS जनरल बिपिन रावत ने एलान किया कि भारतीय सेना अपनी कमांड को ‘थिएटर’ में बदलेगी जिसका मुख्य उद्देश्य एक साझा कमांड के तहत तीनों सेनाओं को एकजुट करना है. ये प्रस्ताव उत्तरी और पश्चिमी कमांड को दो से पांच थिएटर में बदलकर लागू होने वाला है. इसके बाद जम्मू-कश्मीर अलग थिएटर होगा. इसके अलावा पश्चिमी और पूर्वी नौसेना कमांड की जगह एकमात्र प्रायद्वीप कमांड होगी.

हालांकि, इनमें से ज़्यादातर बदलावों को लागू किया जाना अभी बाक़ी है. भारतीय सशस्त्र सेना 19 कमांड से बनी है जिनमें से फिलहाल दो कमांड ही तीनों सेनाओं को मिलाकर बनी है. एक और बड़ी कमी हथियार ख़रीद की प्रक्रिया की सुस्त रफ़्तार है जिसके लिए नौकरशाही की लालफीताशाही ज़िम्मेदार है. इसकी वजह से जहां चीन और भारत के बीच अंतर बढ़ गया है वहीं पाकिस्तान के मुक़ाबले भारत थोड़ा ही आगे रह गया है. भारतीय सेना में पेंशन पर ख़र्च में भी काफ़ी बढ़ोतरी हुई है. एक अनुमान के मुताबिक़ निकट भविष्य में भारतीय सेना वेतन से ज़्यादा ख़र्च पेंशन पर करेगी. 2017 के अनुमान के मुताबिक़ भारतीय रक्षा बजट का 67 प्रतिशत हिस्सा वेतन और पेंशन पर ख़र्च होता है.

भारतीय सेना में पेंशन पर ख़र्च में भी काफ़ी बढ़ोतरी हुई है. एक अनुमान के मुताबिक़ निकट भविष्य में भारतीय सेना वेतन से ज़्यादा ख़र्च पेंशन पर करेगी. 2017 के अनुमान के मुताबिक़ भारतीय रक्षा बजट का 67 प्रतिशत हिस्सा वेतन और पेंशन पर ख़र्च होता है.

इस विश्लेषण से पता चलता है कि भारतीय सशस्त्र सेना को कम फंड नहीं मिलता है और सेना पर ख़र्च भारत की बढ़ती GDP के अनुपात में हो रहा है (टेबल 1 और 2 देखें). लेकिन भारत के रणनीतिक हितों और सुरक्षा ख़तरे को देखते हुए ज़रूरत इस बात की है कि ये फंड अच्छी तरह से इस्तेमाल हों ताकि 21वीं सदी के मुताबिक़ सेना में बदलाव हो. ऐसा लगता है कि इसका एकमात्र रास्ता है कि सशस्त्र सेना की संरचना में और बदलाव हो ताकि ढांचागत अक्षमता और वित्तीय अभाव को कम किया जा सके. आख़िरकार एक चुस्त-दुरुस्त सेना भारत की मौजूदा ज़रूरतों को पूरा करने के लिए ज़्यादा सक्षम होगी. दूसरी तरफ़, ऐसा लगता है कि चीन ने अपनी सेना का काफ़ी हद तक आधुनिकीकरण तो किया है लेकिन ये भी साफ़ है कि चीन की सेनाओं की सांगठनिक अक्षमता और सैनिकों की अयोग्यता तकनीकी रूप से मज़बूती के बावजूद सेना को कमज़ोर कर सकती है. अगर भारत को सटीक निशाना लगाना है तो चीन को लेकर कोई भी संभावित भारतीय रक्षा रणनीति बनाते समय इन बातों को ध्यान में रखना चाहिए.

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Authors

Harsh V. Pant

Harsh V. Pant

Professor Harsh V. Pant is Vice President – Studies and Foreign Policy at Observer Research Foundation, New Delhi. He is a Professor of International Relations ...

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Anant Singh Mann

Anant Singh Mann

Anant Singh Mann holds aMaster of Science in International Political Economy from the London School of Economics and Political Science and a Master of Arts ...

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