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दुनिया भर के देशों के द्वारा जलवायु परिवर्तन पर कई वर्षो�
ये सुनिश्चित करने के लिए देश में ऊर्जा क्षेत्र में परिवर�
भारत और दक्षिण अफ़्रीका दोनों ही जलवायु परिवर्तन से पैदा
नेट-ज़ीरो के लक्ष्यों के साथ-साथ संक्रमण से जुड़ी विस्तृ�
जलवायु संकट के बीच COP26 से आशा की एक नई किरण जगी है. हालांकि अ�
विकसित ऊर्जा बाज़ारों के घटनाक्रमों से भारत के सामने ऊर्
विकसित ऊर्जा बाज़ारों के घटनाक्रमों से भारत के सामने ऊर्
चीन में मौजूदा बिजली संकट को टालने के लिए व्यापक उपाय अपन�
दुनिया में तीसरे सबसे ज़्यादा कार्बन उत्सर्जक देश के रूप
चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीसी) बड़ी टेक कंपनियों को अपन�
सबसे कमज़ोर और असुरक्षित तबके को साधने के लिए सतत विकास, ज
भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वर्ष 2070 तक नेट ज़ीरो
हालांकि हालिया आंकड़ों के अनुसार भारत यूनिवर्सल ब्रॉडब�
आज के वक़्त में देशों का सबसे महत्वाकांक्षी लक्ष्य है- सम�
महामारी के कारण शिक्षा क्षेत्र पर जो बुरा असर हुआ है, उससे
पूर्वोत्तर क्षेत्र को नुक़सान पहुंचाने वाले लंबे संघर्�
चीन सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग में आत्मनिर्भरता हासि�
सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (पीएसयू) में सरकारी हिस्से
भारत के औद्योगिक सेक्टर के विकास को देखते हुए देश के जलवा�
स्टार्टअप्स में एआई इनोवेशन करने वालों, घरेलू और बहुराष्
निरंतर बदलावों से भरे मौजूदा दौर में अगर दोनों देश सामरि�
माइक्रोसॉफ्ट जैसी कुछ कंपनियों ने कार्बन उत्सर्जन शून्�
बेशक़ मोदी सरकार अपनी योजनाओं को लागू करने की दिशा में ज़�
आरसीईपी पर हस्ताक्षर न करने की नीति की सफलता का आकलन करने
ग्लोकलाइज़ेशन का आशय वैश्विक कारकों के स्थानीय स्तर पर इ
अब भारत को ‘शून्य कार्बन उत्सर्जन’ का लक्ष्य निर्धारित क
अमेरिका के ये सारे हित, एशिया पहले की ओर इशारा करते हैं. वह�
नई वैक्सीन के विकास की इस गति को देखते हुए, और हर दिन टीका ल
ग्लासगो के जलवायु सम्मेलन (COP26) से भारत की अपेक्षाएं बिल्क�
चीन अपने लक्ष्य हासिल करने में सफल होता है, या नाकाम रहता �
शीतयुद्ध ख़त्म होने के बाद हमारे सामने दो अलग-अलग लेकिन पर�
क्या हम आज भी उस स्वप्निल दुनिया के वासी हैं जिसमें फ्री-इ
टीके के लिए हम जिस आबादी को अपना लक्ष्य मानकर चल रहे हैं उ�
हमें निश्चित रूप से ये मानना चाहिए कि शिक्षकों और छात्रो�
कार्यान्वयन स्तर पर यह सुशासन ही होता है जो पब्लिक एक्सप�
अब ये सरकार को तय करना है कि वो पहले चरण में 20-25 करोड़ लोगों �
इसमें कोई शक नहीं कि दुनिया भर में एसडीजी7 से अरबों लोग ला�
ऊर्जा सुरक्षा को लेकर रुख एकीकृत होना चाहिए
शहरी मामलों की मामूली जानकारी रखने वालों के लिए भी, सबसे ब
भारत को अपने कार्यक्रमों की प्रभावशीलता और उनकी पहुंच सु
कोई भी संगठन सिर्फ अपने दम पर वजूद में नहीं रह सकता, संगठन �
दिव्यांगों के लिए आसानी से पहुंच वाली स्वास्थ्य सुविधा क
अक्सर तनाव से घिरे दक्षिण-पूर्व एशिया, जहां चीन के इरादों
कार्बन उत्सर्जन के स्तर को शून्य तक लाने के लक्ष्य को पान�
स्टेम (STEM) क्षेत्र में अधिक महिलाओं की भागीदारी से हमारी द�
भूजल के टिकाऊ प्रबंधन के लिए भारत के शहर क्या क़दम उठा रहे
ये बात भी बेहद महत्वपूर्ण है कि अफ़ग़ानिस्तान के सहयोगी �
अगर पारंपरिक दाता देश ऐतिहासिक रुझान का अनुसरण करते हैं �