जिस वक़्त विदेशी मीडिया का ध्यान एवरग्रैंड संकट पर केंद्रित था, उस वक़्त चीन बिजली की भारी कमी से जूझ रहा था. इस साल मार्च से बिजली संकट की शुरुआत हुई जब इनर मंगोलिया ने कुछ बड़े उद्योगों के द्वारा बिजली इस्तेमाल करने पर पाबंदी लागू कर दी. मई में गुआंगडोंग के अधिकारियों ने भी ज़्यादा बिजली इस्तेमाल करने वाले उद्योगों में बिजली की ख़पत पर इसी तरह की पाबंदियां लागू कर दी. इसके बाद झेजियांग, जियांगसु और युन्नान प्रांतों ने भी बिजली की सबसे ज़्यादा ख़पत वाले समय में कारख़ानों को उत्पादन रोकने या हफ़्ते में कुछ दिन पूरी तरह काम-काज बंद करने के लिए कहा. तियानजिन के सोयाबीन प्रसंस्करण प्लांट समेत कुछ कारख़ानों को अगले नोटिस तक बंद कर दिया गया. बिजली की कमी का संकट अभी तक 20 से ज़्यादा प्रांतों में फैल गया है और इसकी वजह से घरों में बिजली की सप्लाई पर पाबंदियां लगा दी गई हैं. ख़बरों के मुताबिक़ चीन के कुछ शहरों में तो ट्रैफिक लाइट को भी बंद कर दिया गया.
इस साल मार्च से बिजली संकट की शुरुआत हुई जब इनर मंगोलिया ने कुछ बड़े उद्योगों के द्वारा बिजली इस्तेमाल करने पर पाबंदी लागू कर दी.
डीज़ल जेनरेटर की तरफ़ रुख़ करने को मज़बूर
चीन में कोयले से चलने वाले बिजली केंद्रों, जहां आम तौर पर पहले से ही ठंड के महीनों के लिए कोयले का स्टॉक जमा होता है, के पास सिर्फ़ इतना कोयला जमा है जिससे प्लांट सिर्फ़ दो हफ़्ते चल सकेंगे. बढ़ती हुई अनिश्चितता के बीच कई कारख़ानों के मालिक उत्पादन जारी रखने के लिए डीज़ल जेनरेटर की तरफ़ रुख़ कर रहे हैं. एक तरफ़ स्टील और सीमेंट के कारख़ाने छिटपुट बिजली कटौती का सामना कर रहे हैं, वहीं इस बिजली संकट ने निर्यात सेक्टर को सबसे ज़्यादा झटका दिया है, ख़ास तौर पर पर्ल रिवर डेल्टा उत्पादन केंद्र, जो महामारी के बाद की अवधि में रफ़्तार पकड़ रहा है. कंपनियां सप्लाई में देरी के लिए अप्रत्याशित घटना का नोटिस भेज रही हैं.
एक तरफ़ स्टील और सीमेंट के कारख़ाने छिटपुट बिजली कटौती का सामना कर रहे हैं, वहीं इस बिजली संकट ने निर्यात सेक्टर को सबसे ज़्यादा झटका दिया है, ख़ास तौर पर पर्ल रिवर डेल्टा उत्पादन केंद्र, जो महामारी के बाद की अवधि में रफ़्तार पकड़ रहा है.
चीन ने कोयला खदान कंपनियों को उत्पादन बढ़ाने का आदेश दिया है ताकि बढ़ी हुई मांग को पूरा किया जा सके. चीन ने बंद कोयला खदानों को भी फिर से उत्पादन शुरू करने की मंज़ूरी दी है. कोयला का आयात बढ़ाने के अलावा चीन को ऑस्ट्रेलिया का कोयला भी छोड़ना पड़ा जिसे भूराजनीतिक मनमुटाव को लेकर पाबंदी की वजह से भंडार करना पड़ा था. इसके अलावा राष्ट्रीय विकास और सुधार आयोग (एनडीआरसी) कोयले की आसमान छूती क़ीमतों में हस्तक्षेप करने की योजना बना रहा है. कोयले के बढ़ते दाम और क़ीमत पर नियंत्रण ने चीन के बिजली उत्पादकों को कम लाभ, यहां तक कि हानि पर भी काम करने के लिए मजबूर कर दिया है. इससे उत्पादन कम करना पड़ा है. अक्टूबर के आख़िरी हफ़्ते में चीन ने कोयले से उत्पादित बिजली के लिए दाम पर नियंत्रण में ढील देने का एलान किया ताकि पावर प्लांट बाज़ार में बेहतर मोल भाव कर सकें.
ये उपाय बिजली संकट से निपटने में कारगर साबित हो सकते हैं. लेकिन इसके बावजूद ये चीन के द्वारा 2030 तक कार्बन उत्सर्जन का चरम हासिल करने और 2060 तक कार्बन तटस्थता प्राप्त करने के बड़े लक्ष्य में बाधा डालेंगे. चीन 2025 तक अपनी कुल ऊर्जा ख़पत में ग़ैर-जीवाश्म ऊर्जा का हिस्सा 2020 के 15.8 प्रतिशत से बढ़ाकर क़रीब 20 प्रतिशत करना चाहता है, इसलिए चीन ने अपनी 14वीं पंचवर्षीय योजना में विशाल स्वच्छ ऊर्जा के ठिकाने बनाने का प्रस्ताव दिया है. चीन ने नवीकरणीय ऊर्जा क़ानून 2016 के नियम संख्या 625 के तहत काफ़ी मांग का निर्माण किया है. चीन के स्टेट ग्रिड कॉरपोरेशन ने हाइब्रिड मल्टी-टर्मिनल हाई वोल्टेज डायरेक्ट करंट (एचवीडीसी) ट्रांसमिशन लाइन पर भारी निवेश किया है ताकि ऊर्जा से भरपूर और ऊर्जा की कमी वाले क्षेत्रों में अंतर को पाटा जा सके. चीन डाटा सेंटर को मिलाने और स्मार्ट ग्रिड बनाने की कोशिश कर रहा है ताकि बिजली की सप्लाई में स्थायित्व को बरकरार रखा जा सके.
कई महीनों का ये ऊर्जा संकट हरित योजना को बढ़ावा देने में प्रेरणा प्रदान कर सकता है.
आगे की राह
लेकिन इसके बावजूद चीन कुल उत्पादन का इस्तेमाल करने में अक्षम है. नवीकरणीय ऊर्जा से उत्पन्न बिजली की काट-छांट की दर- बिजली उद्योग का एक शब्द जो बिजली उत्पादन की क्षमता के नुक़सान के लिए इस्तेमाल किया जाता है क्योंकि संपूर्ण उत्पादन ग्राहकों तक नहीं पहुंचाया जा सकता है- अभी भी ज़्यादा बनी हुई है. ट्रांसमिशन लाइन की क्षमता बढ़ाने के अलावा चीन को नई ऊर्जा के भंडारण की क्षमता को भी बढ़ाना चाहिए. अक्टूबर 2017 में राष्ट्रीय विकास और सुधार आयोग (एनडीआरसी), वित्त मंत्रालय, उद्योग और सूचना तकनीक मंत्रालय, राष्ट्रीय ऊर्जा प्रशासन, आवास और शहरी-ग्रामीण विकास मंत्रालय ने “ऊर्जा भंडारण उद्योग और तकनीक के विकास को प्रोत्साहन देने के लिए दिशानिर्देश” जारी किए जिसमें पहली बार ऊर्जा भंडारण की रणनीतिक स्थिति पर स्पष्टीकरण दिया गया है. इस साल एनडीआरसी ने 2025 तक 30 गीगावॉट (जीडब्ल्यू) नई ऊर्जा के भंडारण की क्षमता को स्थापित करने की योजना से पर्दा उठाया है. कई महीनों का ये ऊर्जा संकट हरित योजना को बढ़ावा देने में प्रेरणा प्रदान कर सकता है.
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