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रक्षा के क्षेत्र में एकीकरण (थियेटराइज़ेशन) होने के साथ भ�
स्पेस टेक्नोलॉजी के ग्लोबल गवर्नेंस की ज़रूरत बढ़ती जा र
इसमें कोई दो राय नहीं है कि भारत की मिसाइल नीति में बदलाव �
वाणिज्यिक उद्यमों या अन्य सरकारी स्वामित्व वाले उद्यमो�
मिशन प्रारंभ के लॉन्च के साथ ही भारत के अंतरिक्ष क्षेत्र �
एंटी-सैटेलाइट परीक्षणों के ख़िलाफ़ संभावित मानकों का इस�
10वां समीक्षा सम्मेलन एक ऐसे समय में आयोजित हुआ जब अंतरराष
दक्षिणी एशिया में परमाणु हथियारों की गतिकी (डाइनैमिक्स) �
निकट भविष्य में अंतरिक्ष के प्रशासन की कमी एक समस्या साब�
भारत का अंतरिक्ष कार्यक्रम दुनिया में सबसे कामयाब और कम �
नियामक और नवाचार को एक दूसरे के विपरित देखा जाता है लेकिन
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने एक ऐसी सामरिक साझेदारी क
अंतरिक्ष में सैन्य शक्ति का भी संबंधित क्षेत्रों जैसे कि
आज हम जहां हैं वहां ऐसा भी हो सकता है कि ख़ुद महाशक्तियां �
व्यावसायिक उपग्रह सर्विसिंग को लेकर जारी नैरेटिव को दोह�
अंतरिक्ष उद्योग ने मानव-निर्मित उपग्रहों के इन विशाल तार
अंतरिक्ष के क्षेत्र में हाल में बढ़े किरदारों, फिर चाहे व�
दुनिया का ध्यान उभरती तकनीक से आगे बढ़कर मूलभूत सिद्धांत
अंतरिक्ष से जुड़े कारोबार से ताल्लुक़ रखने वाली नीतियों
दुनिया के अलग अलग देशों ने परमाणु निवारण यानी ‘न्यूक्लिय
पहले परंपरागत तौर पर अंतरिक्ष यात्रियों की विशिष्टता उन�
हाल ही में हुई इस शिखर सम्मेलन ने, दोनों ही देशों को शस्त्�
जब किम जोंग उन ने अपने देश को कोरोना वायरस से बचाने के लिए �
सवाल ये है कि क्यों चीन का अंतरिक्ष कार्यक्रम बार-बार ऐसा
दुनिया की कई अंतरिक्ष संस्थाएं और वैज्ञानिक संगठन पहले स
हर जोड़े- पृथ्वी-चंद्रमा और पृथ्वी-सूर्य- में लैग्रैंज बि�
महामारी का आर्थिक दुष्प्रभाव कई बरसों तक रह सकता है, लेकि�
अक्सर तनाव से घिरे दक्षिण-पूर्व एशिया, जहां चीन के इरादों
एक भयंकर महामारी- जिसकी शुरुआत चीन में हुई थी- का बेहद कम ख�
2020 के बारे में जाने-माने फिजिसिस्ट रॉबर्ट ओपेनहाइमर का नज�
अंतरिक्ष की संपत्तियां सहज रूप से ‘दोहरे इस्तेमाल’ की है
भारत के डीईडब्ल्यू कार्यक्रम को तर्कसंगत बनाया गया है क्
किसी मौजूदा ज़रूरत के ना होते हुए भी किसी संकट या युद्ध और
मोदी सरकार अंतरिक्ष में सैन्य प्रतिस्पर्धा को भारत की अं
अंतर्राष्ट्रीय संधियों का अंत होने के बाद हथियारों का बड
वैश्विक परमाणु व्यवस्था में हम एक बार फिर प्रमुख परमाणु �
हमें एक ऐसे भविष्य के लिए तैयार रहना चाहिए जहां अराजकता औ�
आत्मनिर्भर भारत विशेष आर्थिक प्रोत्साहन पैकेज के ज़रिए �
ये बात आपको हैरान कर सकती है कि जिस वक़्त भारत कोबाल्ट-60 से
ये बात आपको हैरान कर सकती है कि जिस वक़्त भारत कोबाल्ट-60 से
जैसे-जैसे भारत के अंतरिक्ष मिशन लॉन्च करने की रफ़्तार बढ�
अंतरिक्ष के क्षेत्र में अमेरिका अपनी बादशाहत बनाए रखना च
इसरो के सामने चुनौती विदेशी प्रतियोगिता से निपटने की है �
भारत ने एटमी हथियारों का इस्तेमाल पहले न करने की जो नीति ब
अमेरिका, रूस, चीन और विश्व के प्रमुख महाशक्तियों को चाहिए
वॉशिंगटन की ओर देखने के बजाय, यूरोपीय नेतृत्वकर्ताओं को �
अंतरिक्ष में आज जिस तरह से सैन्यीकरण बढ़ रहा है, वह हर किस�
संरचनात्मक यथार्थवाद इस व्यवस्था के साथ भारत के संबंध को
24 फरवरी 2019 को इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में श्री राकेश सूद की