Author : Jana Robinson

Published on Oct 22, 2021 Updated 0 Hours ago

दुनिया का ध्यान उभरती तकनीक से आगे बढ़कर मूलभूत सिद्धांतों जैसे संप्रभुता की रक्षा, मुक्त और ईमानदार व्यापार के साथ अनुभवहीन और दूसरे अंतरिक्ष में आगे बढ़ने वाले देशों की स्वतंत्रता को शामिल करने पर होना चाहिए

फेयर स्पेस कॉमर्स: टिकाऊ ग्लोबल स्पेस गवर्नेंस का अहम हिस्सा

स्पेस गवर्नेंस को लेकर चर्चा तेज़ी से नई तकनीक के विकास, स्पेस कॉमर्स की वृद्धि और उपग्रह विरोधी हथियारों पर नियंत्रण के इर्द-गिर्द केंद्रित हो रही है. अंतरिक्ष तकनीक के दोहरे इस्तेमाल का स्वरूप इसके उपयोग का संदर्भ संभावित अप्रत्यक्ष असर को समझने में महत्वपूर्ण बनाता है. ये भी महत्वपूर्ण है कि इस तेज़ी से बदलती गतिशीलता में शामिल सुरक्षा के पहलुओं को समझा जाए. संक्षेप में कहा जाए तो चूंकि समाधान “अलग-थलग” दृष्टिकोण के हाथ नहीं आते हैं तो ऐसी चर्चाओं के लिए अब हिस्सेदारों- सिर्फ़ सरकार नहीं बल्कि उद्योग भी- के व्यापक रेंज को शामिल करने की ज़रूरत होती है ताकि अंतरिक्ष के कार्यक्षेत्र को बचाया जा सके और हासिल होने योग्य गवर्नेंस सिद्धांतों को तय किया जा सके.

अंतरिक्ष तकनीक के दोहरे इस्तेमाल का स्वरूप इसके उपयोग का संदर्भ संभावित अप्रत्यक्ष असर को समझने में महत्वपूर्ण बनाता है

स्पेस कॉमर्स

हालांकि जब स्पेस कॉमर्स की बात आती है तो अंतरिक्ष सेक्टर में आर्थिक एवं वित्तीय विकास और पहुंच के दो अलग-अलग मॉडल दिखाई देते हैं. एक मॉडल सरकार के नेतृत्व वाला है जो बाज़ार से अलग है और जिसका उद्देश्य एकमात्र स्रोत वाली ठेका व्यवस्था, निर्भरता, कर्ज़ और यहां तक कि हासिल करने वाले देश की संप्रभुता के नुक़सान का निर्माण करना है. दूसरा मॉडल मुक्त बाज़ार आधारित है जो अंतर्राष्ट्रीय रूप से स्वीकृत नियमों का पालन करता है और आधुनिक वैश्विक वित्तीय एवं व्यापार प्रणाली को सहारा देता है. पहले मॉडल को लेकर सबसे ज़्यादा परेशान करने वाली चीज़ है निरंकुश अंतरिक्ष शक्तियों- ख़ास तौर पर चीन और रूस- की सरकार के अधिकार या नियंत्रण वाली अंतरिक्ष कंपनियों की भूमिका.

इस बात में कोई शक नहीं है कि चीन और रूस की अंतरिक्ष कंपनियां अंतरिक्ष की ताक़त के प्रदर्शन की रणनीति में काफ़ी महत्वपूर्ण बन गई हैं ख़ास तौर पर अनुभवहीन विदेशी साझेदारों के लिए तुरंत इस्तेमाल में लाए जाने वाले अंतरिक्ष कार्यक्रमों की पेशकश के द्वारा जिसका लक्ष्य अक्सर रणनीतिक उद्देश्यों को आगे बढ़ाना होता है. इस “प्रतिस्पर्धा विरोधी” दृष्टिकोण में अक्सर ऑन-ऑर्बिट सिस्टम का संपूर्ण पैकेज; लॉन्च सर्विस; ग्राउंड स्टेशन का निर्माण; संचालन करने वाले कर्मियों का इंतज़ाम और स्थानीय कर्मचारियों का प्रशिक्षण; अंतरिक्ष से जुड़े उपकरण, उत्पाद और सेवा; और कई बार 100 प्रतिशत सब्सिडी वाली फंडिंग की पेशकश शामिल होती है. इसका उद्देश्य एकमात्र स्रोत वाले आपूर्तिकर्ता संबंध और विदेशी साझेदार के लिए निर्भरता का ख़तरनाक स्तर तैयार करना है.

इस बात में कोई शक नहीं है कि चीन और रूस की अंतरिक्ष कंपनियां अंतरिक्ष की ताक़त के प्रदर्शन की रणनीति में काफ़ी महत्वपूर्ण बन गई हैं ख़ास तौर पर अनुभवहीन विदेशी साझेदारों के लिए तुरंत इस्तेमाल में लाए जाने वाले अंतरिक्ष कार्यक्रमों की पेशकश के द्वारा जिसका लक्ष्य अक्सर रणनीतिक उद्देश्यों को आगे बढ़ाना होता है. 

प्रतिस्पर्धा विरोधी दृष्टिकोण

इन कंपनियों को उनकी सरकारों के द्वारा तैनात किया जाता है ताकि अपने अंतरिक्ष इंफ्रास्ट्रक्चर का विस्तार किया जा सके और विदेशों में क़दम बढ़ाया जा सके. इसी तरह वो अपनी तकनीकों, उपकरणों और सेवाओं के लिए बाज़ार में हिस्सा बनाना चाहते हैं. इसमें एक और फ़ायदा उन देशों में अपनी राजनीतिक स्थिति और असर को बढ़ाना है. इस तरह के राजनीतिक असर को फिर उन देशों की सरकारों पर अलग-अलग बहुपक्षीय संस्थानों (जैसे यूएनसीओपीयूओएस, निरस्त्रीकरण पर सम्मेलन, आईटीयू इत्यादि) में मानक और नियम तय करने में दबाव बनाने में इस्तेमाल किया जा सकता है ताकि वो चीन की कम्युनिस्ट पार्टी और क्रेमलिन के एजेंडे के मुताबिक़ मददगार रुख़ अपनाएं. उदाहरण के लिए चीन की ग्रेट वॉल इंडस्ट्री कॉरपोरेशन ने काफ़ी कम क़ीमत पर बेलारूस, अल्जीरिया, नाइजीरिया, अर्जेंटीना, निकारागुआ, वेनेज़ुएला, बोलीविया, पाकिस्तान, इंडोनेशिया, थाईलैंड, लाओस, कंबोडिया या श्रीलंका को उपग्रह बेचे हैं और लॉन्च सर्विस दी है. ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम (जीएनएसएस) की तैनाती, बेहद अनुकूल शर्तों पर दक्षिण-पूर्व एशिया, मध्य-पूर्व और उत्तरी अफ्रीका के देशों को अपने जीएनएसएस नेटवर्क में ख़रीद के लिए मनाने के मामले में चीन अपने पूर्व साझेदार यूरोपीय संघ (ईयू) से भी आगे निकल गया है. रूस ने भी अपने ग्लोनास नेटवर्क (जैसे अल्जीरिया, अंगोला, दक्षिण अफ्रीका, इत्यादि) को लेकर इसी तरह की पहुंच बनाई है. कुल मिलाकर हमारी रिसर्च दिखाती है कि 81 देशों में चीन और रूस ने कम-से-कम 255 व्यावसायिक लेन-देन किए हैं.

अंतरिक्ष सेक्टर में साझेदारी और कई मामलों में आंशिक या पूर्ण “अंतरिक्ष सेक्टर पर कब्ज़े” के इस परेशान करने वाले रुझान को बढ़ाते हुए चीन और रूस की बड़ी अंतरिक्ष कंपनियां अलग-अलग राष्ट्रीय सुरक्षा और मानवाधिकार उल्लंघन के लिए अक्सर अमेरिका और दूसरी सहयोगी सरकारों की आधिकारिक पाबंदियों के तहत काम करती हैं. मिसाल के तौर पर चीन की अंतरिक्ष कंपनियां वर्तमान में अमेरिका और जापान के कई तरह के आर्थिक प्रतिबंधों का मुक़ाबला कर रही हैं. इन आर्थिक प्रतिबंधों में अमेरिकी वित्तीय विभाग की नई पूंजी बाज़ार की पाबंदी की सूची शामिल है जिसे 3 जून 2021 को राष्ट्रपति के कार्यकारी आदेश 14032 के ज़रिए लाया गया था. साथ ही पेंटागन की चाइनीज़ मिलिट्री कंपनीज़ लिस्ट, अमेरिकी वाणिज्य विभाग की कंपनी लिस्ट और जापान के अर्थव्यवस्था मंत्रालय, व्यापार और उद्योगों की अंतिम उपयोग लिस्ट भी शामिल हैं. ये तथ्य कई तरह के सवाल खड़े करते हैं जिन्हें अभी तक अंतरिक्ष नियमों पर लंबी-चौड़ी चर्चा में शामिल नहीं किया गया है.

उदाहरण के लिए, अमेरिका और उसके सहयोगियों की आर्थिक पाबंदियों का स्पेस कॉमर्स गवर्नेंस के विकास पर क्या असर है? किस तरह संभावित प्राप्तकर्ता देश अंतरिक्ष से जुड़े सहयोग या साझेदारी की व्यवस्था पर विचार करते समय अपने जोखिम की गणना में उन पाबंदियों को शामिल करें? 2021 में जी-7 नेताओं की शिखर वार्ता की विज्ञप्ति में कहा गया, “मुक्त, खुले समाज और लोकतंत्र जैसे स्थायी आदर्शों से प्रेरणा लेते हुए हम वैश्विक कार्रवाई के लिए एक साझा जी7 एजेंडा के लिए तैयार हुए हैं ताकि मुक्त, ईमानदार व्यापार को बढ़ावा देकर हम भविष्य की समृद्धि सुरक्षित कर सकें.” साथ ही ये भी कहा गया कि “साइबर स्पेस से लेकर बाहरी स्पेस तक वैश्विक अर्थव्यवस्था और समाज के भविष्य की सीमाओं को सुनिश्चित करने के लिए सहयोग करेंगे ताकि खुले समाज के तौर पर अपने मूल्यों को कायम रखते हुए सभी लोगों की समृद्धि और भलाई को बढ़ाया जा सके.”

जी7 और दूसरे समान सोच वाले देशों का ये कर्तव्य है कि वो बाज़ार से अलग, दूसरों को नुक़सान पहुंचाने वाली अंतरिक्ष साझेदारी के इस मॉडल के ख़िलाफ़ शिक्षित करें या दखल भी दें और चीन और रूस के जवाब में एक ज़्यादा टिकाऊ, सैद्धांतिक अंतरिक्ष सेक्टर के विकास के मॉडल को बढ़ावा दें. 

क्या अंतरिक्ष सेक्टर में चीन और रूस के संकीर्ण, अपारदर्शी और रणनीतिक दृष्टिकोण को बिना किसी निगरानी और टिप्पणी के चलते रहने देना चाहिए? जी7 और दूसरे समान सोच वाले देशों का ये कर्तव्य है कि वो बाज़ार से अलग, दूसरों को नुक़सान पहुंचाने वाली अंतरिक्ष साझेदारी के इस मॉडल के ख़िलाफ़ शिक्षित करें या दखल भी दें और चीन और रूस के जवाब में एक ज़्यादा टिकाऊ, सैद्धांतिक अंतरिक्ष सेक्टर के विकास के मॉडल को बढ़ावा दें. ये सही समय है जब हम बेहद प्रतिस्पर्धी ग्लोबल स्पेस कॉमर्स के वातावरण को राष्ट्रीय सुरक्षा और मानवाधिकार के पहलुओं से देखने के नए तौर-तरीक़ों को अपनाए. सिर्फ़ उभरती तकनीकों पर गौर करने के बजाय हमारा ध्यान मूलभूत सिद्धांतों जैसे संप्रभुता की रक्षा, मुक्त और ईमानदार व्यापार के साथ अनुभवहीन और दूसरे अंतरिक्ष में आगे बढ़ने वाले देशों की स्वतंत्रता को शामिल करने पर होना चाहिए.

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