Author : Jessica West

Published on Oct 26, 2021 Updated 0 Hours ago

नियामक और नवाचार को एक दूसरे के विपरित देखा जाता है लेकिन अंतरिक्ष में हथियारों पर नियंत्रण वास्तव में किसी तरह का अवरोध नहीं बल्कि नवाचार को बढ़ावा देने वाले साबित हो सकते हैं.

अगर हम अंतरिक्ष में नवाचार चाहते हैं तो हमें हथियारों पर नियंत्रण लागू करना होगा!

हथियारों के नियंत्रण और नवाचार के प्रयासों में लंबे समय से बेहद नज़दीकी रिश्ता रहा है लेकिन यह इतना करीब भी हो सकता है यह शायद ही आपने कभी सोचा होगा. हथियारों पर नियंत्रण को उभरती तकनीक के लिए चुनौती मानना, नवाचार पर नकेल कसने के लिए हथियार पर नियंत्रण को एक जरिया मानना, बेशक हमें उन तरीकों के बारे में सोचने के लिए प्रेरित करता है  जिसमें हथियार नियंत्रण ना सिर्फ़ तकनीकी नवाचार को बढ़ावा दे सकते हैं बल्कि उनके लिए मददगार साबित भी हो सकते हैं. यही नहीं किस तरीके से नई तकनीक हथियार नियंत्रण समझौतों का मार्ग प्रशस्त कर सकती हैं.

साल 1985 में थॉमस स्केलिंग ने जंग के जोख़िम को कम करने के लिए हथियारों पर नियंत्रण को सैन्य सहयोग का जरिया बताया था, इसकी व्यापकता, या फिर इन्हें तैयार करने की कीमत के तौर पर इसकी व्याख्या की थी. हालांकि कुछ उपायों में कानूनी समझौते शामिल होते हैं जो हथियारों की क्षमता को वर्गीकृत और संख्या की गिनती करते हैं और इसके विकास को बाधित भी करते हैं. हथियारों पर नियंत्रण व्यवहार पर केंद्रित हो सकते हैं, जिससे जुड़े सिद्धान्त, मापदंड और नियम यह बताते हैं कि हम कैसे सुरक्षा और भरोसा स्थापित करने के लिए दूसरों के साथ संवाद और चीजों को संचालित कर सकते हैं. नवाचार को नियम, किसी तरह से पाबंदियों के तहत नहीं जकड़ते हैं बल्कि यह बताते हैं कि तकनीक का कैसे इस्तेमाल किया जाना चाहिए. हेग कोड ऑफ कनडक्ट ऐसा ही एक जरिया है जो बाह्य अंतरिक्ष पर लागू होता है. इसके तहत अंतरिक्ष में किसी भी बैलिस्टिक मिसाइल या स्पेस लॉन्च व्हैकिल को लॉन्च करने से पहले ही सूचना देनी पड़ती है.

हथियारों पर नियंत्रण व्यवहार पर केंद्रित हो सकते हैं, जिससे जुड़े सिद्धान्त, मापदंड और नियम यह बताते हैं कि हम कैसे सुरक्षा और भरोसा स्थापित करने के लिए दूसरों के साथ संवाद और चीजों को संचालित कर सकते हैं.  

कई हथियार नियंत्रण समझौतों में ऐसे नियम शामिल होते हैं जिसमें तकनीक के नागरिक और सैन्य दोनों ही इस्तेमाल शामिल होते हैं. परमाणु शक्ति को लेकर बने नियम इसके बेहतर उदाहरण हैं. ये इसके नुकसानदेह और मानवतावादी इस्तेमाल के बीच अंतर करने में मदद करते हैं जिससे सार्वजनिक भरोसा और सार्वजनिक सुरक्षा दोनों को ही बढ़ावा मिलता है. इन्हीं वजहों से कुछ राष्ट्र आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के ज़िम्मेदारी भरे इस्तेमाल की वकालत भी करते हैं.

विशेषज्ञों का तर्क

जबकि कुछ विशेषज्ञों का तर्क है कि हथियारों पर नियंत्रण के उपाय बहुत आसानी से नवाचार पर भारी पड़ सकते हैं और हथियारों पर नियंत्रण के समझौते ज़्यादा लचीले होते हैं. उदाहरण के तौर पर रासायनिक हथियार सम्मेलन के दौरान नियमों के इस्तेमाल के चलते होने वाले बदलाव को वास्तविक चीजों से पहले जगह दी गई और ऐसा कुछ पाबंदियां लगाकर की गईं.

आखिरकार, हमें इस बात को हमेशा याद रखना होगा कि हथियारों पर नियंत्रण का मतलब सिर्फ नियम नहीं होता है बल्कि यह भरोसा जगाना भी होता है कि नियमों का पालन होगा और इस तरह का भरोसा पारदर्शिता, संवाद और डाटा साझा करने से हासिल होता है. यहां तकनीकी नवाचार हथियारों के नियंत्रण के लिए मददगार साबित हो सकते हैं. उदाहरणस्वरूप, व्यावसायिक अंतरिक्ष स्थितिजन्य जागरूकता क्षमताओं में बढोतरी से अंतरिक्ष में वस्तुओं और गतिविधियों पर निगरानी करने में सहायता मिलती है.

दो राय नहीं है कि बाह्य अंतरिक्ष में नई-नई गतिविधियां लगातार होती जा रही हैं. इसे समझने का एक तरीका यह है कि बाह्य अंतरिक्ष में नए लॉन्च व्हीकल्स और सक्रिय उपग्रह की तादाद लगातार बढ़ती जा रही है. हालात ये है कि महज कुछ ही वर्षों में इनकी संख्या दोगुनी हो गई है लेकिन हमारे अंतरिक्ष से जुड़ी गतिविधियों की गुणवत्ता में बदलाव सबसे अहम है. तकनीकी नवाचार यह दिखाता है कि अंतरिक्ष में हम क्या नई संभावनाओं को जन्म दे रहे हैं. उदाहरण के तौर पर कुछ नए प्रोजेक्ट ऐसे हैं जो अंतरिक्ष की कक्षा से मलबे को हटाने या ख़त्म करने पर केंद्रित हैं; ये हार्पून या फिर जाल, जंजीर या सौर यात्रा, लेज़र या मैग्नेट से कर सकते हैं. एडवांस सेंसर और रोबोटिक्स क्षमताएं नई अंतरिक्ष कक्षा से जुड़ी सेवाओं जैसे मरम्मत और दुबारा ईंधन भरने जैसी गतिविधियों में मदद करती हैं. इस तरह की गंभीर क्षमताएं अंतरिक्ष को ज़्यादा सुरक्षित और सभी के लिए टिकाऊ बनाती हैं.

एडवांस सेंसर और रोबोटिक्स क्षमताएं नई अंतरिक्ष कक्षा से जुड़ी सेवाओं जैसे मरम्मत और दुबारा ईंधन भरने जैसी गतिविधियों में मदद करती हैं. इस तरह की गंभीर क्षमताएं अंतरिक्ष को ज़्यादा सुरक्षित और सभी के लिए टिकाऊ बनाती हैं.

लेकिन यह तब मुमकिन है जबकि सही जगह पर सही कानून का इस्तेमाल हो. मौजूदा समय में अंतर्राष्ट्रीय कानूनों को लेकर बहुत ज़्यादा अंतर है ख़ास कर जब हथियारों की तैनाती को लेकर बात की जाए या फिर बाह्य अंतरिक्ष में शक्ति का इस्तेमाल करना हो. इस तरह के अंतर से हथियारों की होड़ को बढ़ावा मिलता है.

नई तकनीक के व्यावहारिक तरीके से इस्तेमाल की क्षमता – और ख़ास कर व्यावसायिक तरीकों से – राष्ट्र द्वारा स्थिर संचालित व्यवस्थाओं पर आधारित होती है, जो ऐसे कानून इसे प्रदान करते हैं. निवेशक, ऑपरेटर्स और ग्राहक
स्थापित सीमाओं और पूर्वानुमान की क्षमता से फायदा उठा सकते हैं. सुरक्षा के लिए नियम ज़रूरी होते हैं, ख़ास कर अंतरिक्ष में जब ज़्यादा तेजी से हलचल और मलबा बढ़ता है, जिससे हादसा या फिर बदलाव जन्म लेते हैं. अंतरिक्ष में आघात से बचने या कोलाहलपूर्ण वातावरण को कम करने के लिए कोई जरिया नहीं होता. इस सच्चाई की प्रतिक्रिया के तौर पर अंतरिक्ष से जुड़े कुछ उद्योग अब ख़ुद के नियमों को विकसित करने में जुटे हुए हैं.

हमें यह याद रखना होगा कि हथियार नियंत्रण को जितनी प्रक्रियाएं मदद करती हैं, उसमें पारदर्शिता और संचार उपाय भी शामिल हैं, वो सुरक्षा को बढ़ावा देते हैं और सभी को फायदा पहुंचाते हैं. 

नियामकों के लिए हार्डवेयर सबसे बड़ी चुनौती

अंतरिक्ष में सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए स्पष्ट नियम भी बेहद ज़रूरी हैं लेकिन इन्हें तैयार करना इतना आसान नहीं होता. सभी नहीं, लेकिन ज़्यादातर अंतरिक्ष से जुड़े तकनीक दोहरे इस्तेमाल के लिए होते हैं, जो अलग-अलग ज़रूरतों के हिसाब से कई तरह के मकसद को पूरा करते हैं, जिसमें सेना भी शामिल होती  है. इसमें दो राय नहीं है कि ज़्यादातर नई तकनीक का विकास काउंटरस्पेस कार्यक्रमों के चलते हुआ है. यहां तक कि नागरिक और  व्यावसायिक तकनीक के इस्तेमाल को लेकर सुझाव भी दिए गए हैं जिसमें अंतरिक्ष से सक्रिय मलबा हटाने और अंतरिक्ष की सक्रिय सुरक्षा को लेकर उपाय शामिल हैं. अंतरिक्ष से जुड़े हार्डवेयर जिस बहुआयामी गतिविधियों को मदद कर सकते हैं दरअसल नियामकों के लिए वही सबसे बड़ी चुनौती प्रस्तुत करते हैं.

इसे लेकर जुलाई 2020 की एक घटना उल्लेखनीय है. अंतरिक्ष की कक्षा में एक रूसी उप-उपग्रह से एक ‘प्रक्षेप्य’ को छोड़ने के बाद, अमेरिका और ब्रिटेन ने तब इसे हथियारों का परीक्षण कह कर हो हल्ला मचाया. तब रूस ने इस बात पर जोर दिया था कि यह महज सैटेलाइट सर्विसिंग प्रयोग था. हालांकि यह पूरा घटनाक्रम एक तरह की गोपनीयता से ढंका रहा. इसमें कोई संदेह नहीं कि यह असुरक्षित था लेकिन रूस ने अपनी कार्रवाई को लेकर बयान दिया कि “उसने अंतर्राष्ट्रीय कानून और नियम का उल्लंघन नहीं किया.” ऐसा इसलिए था क्योंकि ज़्यादातर मापदंड और सिद्धान्तों की पूरी तरह व्याख्या ही नहीं की गई थी.

अंतरिक्ष से जुड़े हार्डवेयर जिस बहुआयामी गतिविधियों को मदद कर सकते हैं दरअसल नियामकों के लिए वही सबसे बड़ी चुनौती प्रस्तुत करते हैं.

हमें यह याद रखना होगा कि हथियार नियंत्रण को जितनी प्रक्रियाएं मदद करती हैं, उसमें पारदर्शिता और संचार उपाय भी शामिल हैं, वो सुरक्षा को बढ़ावा देते हैं और सभी को फायदा पहुंचाते हैं. हथियार नियंत्रण सिर्फ समझौता ही नहीं है. यह एक प्रक्रिया है जो सतत जारी है और यह अंतरिक्ष को सभी के लिए सुरक्षित रखने की शर्त है. इस प्रतिबद्धता को पूरा करने के लिए नवाचार एक बेहद अहम भूमिका निभा सकती है.

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