Author : Brian Weeden

Published on Oct 23, 2021 Updated 0 Hours ago

व्यावसायिक उपग्रह सर्विसिंग को लेकर जारी नैरेटिव को दोहरे उपयोग क्षमताओं के आगे बढ़ाने की ज़रूरत है जिससे अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में आने वाली क्रांति के लिए यह पूरी तरह तैयार हो.

ये वक़्त व्यावसायिक उपग्रह सर्विसिंग को लेकर गंभीर होने का है

व्यावसायिक उपग्रह सर्विसिंग – आमतौर पर कक्षा में या उससे बाहर उपग्रहों को पुनर्स्थापित करने, दुबारा ईंधन भरने, मरम्मत करने, जोड़ने और हटाने की क्षमता के रूप में परिभाषित किया जाता है – जो अब वास्तविकता बनने जा रही है. लंबे समय से प्रस्तावित जिसे “बेहद करीब” बताया गया, सैटेलाइट सर्विसिंग ने पिछले दशक में महत्वपूर्ण तकनीकी बढ़त हासिल की है और अंतरिक्ष गतिविधियों को लेकर भी अब निजी क्षेत्र के लिए यह नया उभरता हुआ संभावित बाज़ार बनता जा रहा है जो फायदेमंद साबित हो सकता है. हालांकि, सैटेलाइट सर्विसिंग को पूरी तरह से बढ़ने के लिए सरकारों को कदम उठाने और अपनी भूमिका अदा करने की आवश्यकता है. इसके लिए ज़रूरी है कि वो इसके दोहरे इस्तेमाल की तकनीक को लेकर बातचीत के मानक बिंदुओं से आगे बढ़े और नीतियों और नियामकों को अमल में लाने की दिशा में गंभीर हों जिससे सैटेलाइट सर्विसिंग को लेकर सकारात्मक नज़रिए के साथ आगे बढ़ा जा सके.

सैटेलाइट सर्विसिंग की अवधारणा कोई नई बात नहीं है लेकिन अब यह परिपक्वता के चरण में दाखिल हो रहा है. कई अंतर्निहित प्रौद्योगिकियां जैसे स्वायत्त मिलन और निकटता संचालन (आरपीओ) और स्पेस रोबोटिक्स वास्तविकता में सरकारों द्वारा ईजाद किया गया है और अब यह तेजी से बढ़ रहा है. 

हालांकि, सैटेलाइट सर्विसिंग की अवधारणा कोई नई बात नहीं है लेकिन अब यह परिपक्वता के चरण में दाखिल हो रहा है. कई अंतर्निहित प्रौद्योगिकियां जैसे स्वायत्त मिलन और निकटता संचालन (आरपीओ) और स्पेस रोबोटिक्स वास्तविकता में सरकारों द्वारा ईजाद किया गया है और अब यह तेजी से बढ़ रहा है. साथ ही निजी क्षेत्र में परिपक्व हो रहा है जो अंतरिक्ष प्रौद्योगिकियों के समग्र व्यवसायीकरण का एक हिस्सा है. जिसकी शुरुआत कभी मानवीय स्पेस फ्लाइट और अंतर्राष्ट्रीय स्पेस स्टेशन (आईएसएस) की सहायता करने के लिए राष्ट्रीय स्तर के कार्यक्रम के तौर पर की गई थी. उस क्षेत्र में अब स्टार्टअप कंपनियां और यूनिवर्सिटी नई-नई  संभावनाएं तलाश रही हैं.

तीन नए उदाहरण इस बात को साबित करते हैं कि चीजें कहां तक आगे बढ़ चुकी हैं. 25 फरवरी 2020 को स्पेस लॉजिस्टिक मिशन एक्सटेंशन व्हीकल 1 (एमईवी-1) ने पहली बार किसी दूसरे उपग्रह के साथ व्यावसायिक डॉकिंग को पूरा किया जब इसने इंटेलसैट आईएस – 901 कम्युनिकेशन सैटेलाइट का साथ साझा किया था. इसी तरह की कामयाबी फिर 12 अप्रैल 2021 को दुहराई गई जब एमईवी-2 सफलतापूर्वक  इंटेलसैट 10-02 कम्युनिकेशन सैटेलाइट के साथ जुड़ा. दोनों एमईवी अब पांच साल के मिशन पर जुटे हुए हैं और इन इंटेलसैट सैटेलाइट्स की उपयोगिता को स्टेशन की देखरेख और संचालन के जरिए बढ़ा रहे हैं. इसके अलावा, 25 अगस्त 2021 को एस्ट्रोस्केल इंक. ने सफलतापूर्वक अपने मैग्नेटिक डॉकिंग प्लेट तकनीक का परीक्षण किया. ऐसा ईएसएलए-डी सैटेलाइट से एक छोटे उप-उपग्रह को छोड़ने और फिर उसे प्राप्त करके किया गया जो अंतरिक्ष की कक्षा से मलबे को बाहर निकालने के लिए इस्तेमाल की गई तकनीक का प्रदर्शन था.

महज़ अंतरिक्ष के हथियार

स्पेस लॉजिस्टिक और एस्ट्रोस्केल नई वैश्विक कंपनियों की शुरुआत हैं  जो उपग्रह सेवा प्रौद्योगिकियों के संचालन के विकास और परीक्षण से जुड़ा है. द कॉन्सार्टियम फॉर एग्जिक्युशन ऑफ रेंडेवो एंड सर्विसिंग ऑपरेशन्स (सीओएनएफईआरएस) के पास अब 50 से ज़्यादा निजी क्षेत्र की संस्थाएं इसके सदस्य हैं जो ऑस्ट्रेलिया, बेल्जियम, कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, जापान, स्विटज़रलैंड और अमेरिका जैसे देशों से आते हैं. इनमें मैन्युफैक्चरर्स, क़ॉम्पोनेंट सप्लाई करने वाले, ऑपरेटर्स, क्लाइंट्स और थर्ड पार्टी सेवा देने वाले युवा शामिल हैं जो तेजी से बढ़ रहे बाज़ार का हिस्सा हैं. हालांकि, ज़्यादातर क्षमताओं की व्यावसायिक प्रासंगिकता अभी साबित होने को बाकी है फिर भी यह साफ है कि इस तरह की तकनीक अब पहले की तरह बाधा नहीं है.

व्यावसायिक सैटेलाइट सर्विसिंग के बारे में परिचर्चा करने के दौरान जो सबसे सामान्य नीति को लेकर मामले उठाए गए वह इस तकनीक के दोहरे इस्तेमाल को लेकर ही थे. करीब-करीब हर ख़बर और अख़बारों के पहले पन्ने पर यही लिखा होता था कि “लेकिन वो महज अंतरिक्ष के हथियार हैं”. 

दुर्भाग्यवश, व्यावसायिक सैटेलाइट सर्विसिंग के बारे में परिचर्चा करने के दौरान जो सबसे सामान्य नीति को लेकर मामले उठाए गए वह इस तकनीक के दोहरे इस्तेमाल को लेकर ही थे. करीब-करीब हर ख़बर और अख़बारों के पहले पन्ने पर यही लिखा होता था कि “लेकिन वो महज अंतरिक्ष के हथियार हैं”. हालांकि इस बात में थोड़ी सच्चाई तो थी लेकिन यही बात तो सभी ऑटोमोबाइल्स और पेंसिल्स के लिए भी कही जा सकती है जो पूरी तरह से सही भी हो और वास्तविक नीति से जुड़े मामलों से अलग भी. सकारात्मक फायदे के लिए हम कैसे सैटेलाइट सर्विसिंग तकनीक को अलग कर सकते हैं? जैसे सैटेलाइट की ज़िंदगी को बढ़ाना और अंतरिक्ष की कक्षा से मलबे को हटाना, सरकारों द्वारा इसी तरह की तकनीकों के शत्रुतापूर्ण या नापाक इस्तेमाल को रोकना इसमें शामिल है. हम कैसे इन तकनीकी क्षमताओं को सकारात्मक फायदे के लिए उपयुक्त बना सकते हैं और इसके नकारात्मक प्रभाव को कम कर सकते हैं?

इन सवालों का जवाब देने के लिए उद्योग समूह जैसे कॉन्फर्स ने सबसे अच्छे अभ्यास और मानकों को विकसित करना शुरू कर दिया है. साल 2018 में कॉन्फर्स ने शुरुआती दिशानिर्देश नीतियों और प्रस्तावित डिज़ाइन और परिचालन अभ्यास को लेकर गाइडलाइन्स जारी किया था जो इसके व्यापक सिद्धान्तों और अभ्यासों को बताता है जिसे इसके सदस्य भी मानते हैं. इन सिद्धान्तों और अभ्यासों में जो अहम है उससे व्यावसायिक सैटेलाइट सर्विसिंग गतिविधियों को लेकर पारदर्शिता को बढावा मिलती है, जिससे सदस्य, अंतरिक्ष में शत्रुतापूर्ण और आक्रामक गतिविधियों को लेकर अंतर कर सकें और यह सुनिश्चित कर सकें कि यह सहमति के आधार पर अंजाम दिया गया है. इसके अतिरिक्त मानकीकरण के लिए अंतर्राष्ट्रीय संगठन (आईएसओ) एक बहुआयामी प्रक्रिया को आखिरी रूप देने में लगी है जो सैटेलाइट सर्विसिंग को लेकर पहली उच्च स्तरीय अंतर्राष्ट्रीय मानक विकसित करेंगे जो कॉन्फर्स के सिद्धान्तों और अभ्यासों पर आधारित होगा.

1967 के बाह्य अंतरिक्ष संधि की अनुच्छेद VI के तहत राष्ट्रों के लिए उनकी अंतरिक्ष से जुड़ी गतिविधियों की देखरेख और प्राधिकार के कर्तव्यों की प्राथमिकता निश्चित है. इसमें निजी क्षेत्र की संस्थाएं भी जिन गतिविधियों में शामिल होती हैं वो भी शामिल हैं.  

हालांकि सरकारों को भी अपनी भूमिका निभानी चाहिए ख़ास कर व्यावसायिक सैटेलाइट सर्विसिंग की देखरेख के लिए राष्ट्रीय नीति और नियामक फ्रेमवर्क को तैयार करने की दिशा में आगे आना चाहिए. 1967 के बाह्य अंतरिक्ष संधि की अनुच्छेद VI के तहत राष्ट्रों के लिए उनकी अंतरिक्ष से जुड़ी गतिविधियों की देखरेख और प्राधिकार के कर्तव्यों की प्राथमिकता निश्चित है. इसमें निजी क्षेत्र की संस्थाएं भी जिन गतिविधियों में शामिल होती हैं वो भी शामिल हैं. कई देश – जिसमें फ्रांस, जापान, ब्रिटेन और अमेरिका शामिल हैं – वो सैटेलाइट सर्विसिंग को लेकर राष्ट्रीय नीति और नियामक फ्रेमवर्क तैयार करने की प्रक्रिया में आगे बढ चुके हैं. ऐसा कर वो ज़्यादा से ज़्यादा उद्योगों के अभ्यास और मानदंडों को उंचा उठाएंगे, जैसे कॉन्फर्स और आईएसओ ने विकसित किए हैं, लेकिन इसमें अपनी राष्ट्रीय ज़रूरतों और हितों का वो पूरा ख्याल रखेंगे. अहम बात यह है कि सैटेलाइट सर्विसिंग आगे बढ़े इसके लिए अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष कानूनी सिद्धान्तों के तहत ओवरसाइट फ्रेमवर्क को विकसित करना ज़रूरी है.

उपग्रह सर्विस की नैरेटिव

ओवरसाइट के अलावा, सरकारों की व्यावसायिक सैटेलाइट सर्विसिंग को सहयोग देने में भी अहम भूमिका है, जबकि इससे संबंधित उद्योग अभी भी शुरुआती चरण में हैं. अलग सरकारी मानकों, इंटरफेस, या परिचालन वास्तुकला के विकास को नज़रअंदाज़ करने के अलावा, जिनका उद्योगों द्वारा विकसित किए गए प्रावधानों से टकराव हो सकता है, सरकारों को चाहिए कि वो व्यावसायिक रूप से मौजूद क्षमताओं से प्रतिस्पर्द्धा रखने से बचें. सरकारों को चाहिए कि वो व्यावसाय़िक सैटेलाइट सर्विसिंग के वस्तुओं और सेवाओं में निवेश करे और क्षमताओं के साथ-साथ जिन क्षेत्रों में भविष्य में ज़रूरत की उम्मीद हो उन्हें बढ़ावा देने की कोशिश करे.

. व्यावसायिक उपग्रह सर्विसिंग को लेकर जारी नैरेटिव को दोहरे उपयोग क्षमताओं के आगे बढ़ाने की ज़रूरत है, जिससे अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में आने वाली क्रांति के लिए यह पूरी तरह तैयार हो

व्यावसायिक उपग्रह सर्विसिंग को लेकर जारी नैरेटिव को दोहरे उपयोग क्षमताओं के आगे बढ़ाने की ज़रूरत है, जिससे अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में आने वाली क्रांति के लिए यह पूरी तरह तैयार हो. व्यावसायिक सैटेलाइट सर्विसिंग तेजी से आगे बढ़ रहा है और इसी के साथ यह भी संभावना प्रबल होती जा रही है कि इंसान किस रूप में अंतरिक्ष को इस्तेमाल करने जा रहा है. अगर सही तरीके से किया गया तो ये नीतियां और फ्रेमवर्क व्यावसायिक सैटेलाइट सर्विसिंग के लिए यह सुनिश्चित करेगी कि टिकाऊ, सुरक्षा और सुरक्षित अंतरिक्ष सभी के लिए फायदेमंद साबित हो सके.

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