Author : Sukrit Kumar

Published on Aug 14, 2019 Updated 0 Hours ago

वॉशिंगटन की ओर देखने के बजाय, यूरोपीय नेतृत्वकर्ताओं को ईरान या अमेरिका का पक्ष लिए बिना इस मामले में “तीसरे पक्ष की निष्पक्ष भूमिका” निभानी होगी.

यदि ईरान परमाणु समझौते से आगे बढ़ता है तो इसका ज़िम्मेदार कौन?

व्यापार पर अमेरिकी प्रतिबंधों और यूरोप की उदासीनता के खिलाफ़ ईरान अपने यूरेनियम को उच्च स्तर तक समृद्ध कर रहा है. अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी ने इस बात की पुष्टि की कि ईरान ने संयुक्त राज्य अमेरिका और अन्य विश्व के प्रमुख शक्तियों के साथ 2015 के परमाणु समझौते के तहत यूरेनियम को उच्च स्तर पर फिर से शुरू किया है. ईरान के उप विदेश मंत्री, अब्बास अर्घची का कहना है कि ईरान अगले 60 दिनों में समझौते की एक और सीमा को लांघ सकता है जिससे की कूटनीतिक वार्ता पर दबाव बढ़े.

संवर्धन स्तर नीचे रखने के बदले में, ईरान पर से आर्थिक प्रतिबंध हटाए जाने और व्यापार के अधिक अवसरों के रास्तों को मुहैया कराना था. लेकिन अमेरिका ने उन प्रतिबंधों को फिर से लागू कर दिया जिसे वह हटा चुका था. इसके अलावा वह अन्य देशों से भी ईरान के साथ अपने व्यापारिक संबंध ख़त्म करने की मांग कर रहा है. ट्रंप प्रशासन का कहना है कि वह ईरान से और कड़े समझौते करने और मध्य पूर्व के साथ उसके रुख़ को बदलने के लिए मजबूर करने की कोशिश कर रहा है.

ट्रंप प्रशासन का कहना है कि वह ईरान से और कड़े समझौते करने और मध्य पूर्व के साथ उसके रुख़ को बदलने के लिए मजबूर करने की कोशिश कर रहा है.

अब, ईरान के तेल और अन्य निर्यात घटने के कारण नक़दी की किल्लत बढ़ती जा रहा है. ईरान का कहना है कि वह परमाणु समझौते के तहत अपनी प्रतिबद्धताओं को पूरा करना बंद कर देगा जब तक कि उसे यूरोपीय देशों और अन्य व्यापारिक साझेदार उसके आर्थिक लाभ पहुंचाने के लिए कोई रास्ता नहीं निकाल लेते.

क्या है विवाद का कारण?

ओबामा प्रशासन के अनुसार, जुलाई 2015 से पहले, ईरान के पास समृद्ध यूरेनियम और लगभग 20,000 सेंट्रीफ्यूज का एक बड़ा भंडार था. अमेरिकी विशेषज्ञों का अनुमान था कि अगर ईरान ने बम बनाने की जल्दबाज़ी की, तो लगभग दो से तीन महीने लगेंगे. इन्ही सबको ध्यान में रखते हुए ओबामा प्रशासन जेसीपीओए का फ़ॉर्मूला अपनाया था. समझौते से हटने और प्रतिबंधों को फिर से लागू करने के ट्रम्प का निर्णय को गैर ज़िम्मेदाराना और अनुचित बताया गया था.

क्या होता है संवर्धन तकनीक

यूरेनियम प्रकृति में पाया जाता है, लेकिन परमाणु ईंधन के रूप में सभी यूरेनियम उपयोगी नहीं हैं. एक विशेष आइसोटोप, यूरेनियम -235, परमाणु रिएक्टरों और बमों को बिजली देने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है. यूरेनियम -235 केवल 0.7% ही यूरेनियम बनाता है. इसे किसी भी वाणिज्यिक रिएक्टर में ईंधन के रूप में इस्तेमाल करने से पहले इसे समृद्ध किया जाता है. लगभग 3% से 5%, समृद्ध यूरेनियम का उपयोग दुनिया भर के कई देशों में मौजूद परमाणु ऊर्जा रिएक्टरों के लिए किया जा सकता है. 20% पर, यह कुछ प्रकार के अनुसंधान रिएक्टरों में उपयोग किया जाता है, परमाणु बम रखने के लिए, यूरेनियम को 90% से ऊपर रखना होता है. ईरान उन देशों में से एक है जिसके पास संवर्धन तकनीक है.

ईरान अपने यूरेनियम को किस स्तर तक और क्यों समृद्ध कर रहा है?

परमाणु एजेंसी के प्रवक्ता बेह्रूज कमलवंडी ने कहते है कि 4.5 प्रतिशत तक का संवर्धन स्तर देश के बिजली संयंत्र ईंधन की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए पर्याप्त है. इससे पहले, बुशहर में ईरान का एकमात्र परमाणु ऊर्जा संयंत्र आयातित रूसी ईंधन पर चल रहा था, जो पांच प्रतिशत के स्तर तक समृद्ध था.

यूरोपीय नेता और अधिक दुविधा में फंसे हुए है क्योंकि एक तरफ वे अमेरिकी प्रतिबंध के प्रभाव का सामना कर रहे है तो वही दूसरी तरफ ईरान के परमाणु समझौते से आगे बढ़ने के ख़तरे का अंदाजा लगा रहे है.

क्या है अन्य देशों की प्रतिक्रियाएं

यूरोपीय नेता और अधिक दुविधा में फंसे हुए है क्योंकि एक तरफ वे अमेरिकी प्रतिबंध के प्रभाव का सामना कर रहे है तो वही दूसरी तरफ ईरान के परमाणु समझौते से आगे बढ़ने के ख़तरे का अंदाजा लगा रहे है. ब्रिटेन और जर्मनी दोनों ने ईरान को डील से दूर अपने कदमों को रोकने की चेतावनी दी, जबकि फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैकरॉन ने तेहरान से “बातचीत फिर से शुरू करने” के लिए संपर्क किया और परमाणु संवर्धन को जारी करने के बाद के परिणाम से चेताया भी.

चीन ने अमेरिका पर उसके “धमकाने वाली रणनीति” के साथ-साथ एक बड़ा वैश्विक संकट पैदा करने का आरोप लगाया. चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गेंग शुआंग ने बताया कि “परमाणु समझौते के पूर्ण और प्रभावी कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने के लिए न केवल संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव की आवश्यकता है, बल्कि ईरानी परमाणु मुद्दे को हल करने के लिए एकमात्र यथार्थवादी और प्रभावी तरीका है.”

मलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेसकोव ने संवाददाताओं को बताया: “रूस का उद्देश्य राजनयिक मोर्चे पर बातचीत और प्रयास जारी रखना है. हम अभी भी जेसीपीओए (परमाणु समझौते) के समर्थक हैं.” “रूस और राष्ट्रपति (व्लादिमीर) पुतिन ने उन परिणामों के बारे में चेतावनी दी जो एक के बाद एक देशों द्वारा अपने दायित्वों को समाप्त करने और समझौते से बाहर निकलने के निर्णय के बाद आसन्न होंगे,” पेसकोव ने कहा.

जिस तरह से डोनल्ड ट्रंप ने उत्तर कोरिया के साथ बातचीत की है ठीक उसी तरह से उन्हें ईरान के साथ परमाणु हथियार के मामले में संवाद करने के लिए आगे आना चाहिए.

धुँधला चित्र

वाशिंगटन की ओर देखने के बजाय, यूरोपीय नेतृत्वकर्ताओं को ईरान या अमेरिका का पक्ष लिए बिना इस मामले में “तीसरे पक्ष की निष्पक्ष भूमिका” निभानी होगी. इसके साथ ही साथ उन्हें अमरीका पर एक समझौते तक पहुंचने के लिए दबाव बनाने चाहिए क्योंकि राष्ट्रपति ट्रम्प और उनके प्रशासन ने ईरान को इस तरह के हथियार विकसित करने से रोकने के लिए पहले से ही काफी सख़्त रुख़ अपनाये है. अमेरिका और ईरान के बीच बढ़ते सैन्य तनाव से इस क्षेत्र को अस्तव्यस्त कर दिया है. इसका अंदाजा इससे ही लगाया जा सकता है कि पिछले महीने संयुक्त राज्य अमेरिका ईरान पर सैन्य हमले की कगार पर पहुंच चुका था लेकिन ट्रम्प द्वारा अंतिम क्षणों में फैसला वापस ले लिया गया.

जिस तरह से डोनल्ड ट्रंप ने उत्तर कोरिया के साथ बातचीत की है ठीक उसी तरह से उन्हें ईरान के साथ परमाणु हथियार के मामले में संवाद करने के लिए आगे आना चाहिए. यह इसलिए भी ज़रुरी है क्योंकि यदि ईरान परमाणु क्लब में शामिल हो गया तो वह अधिक गंभीरता से व्यवहार करेगा, और इस बात में भी कोई शक नहीं है कि ईरान एक वर्ष के भीतर परमाणु हथियार की क्षमता हासिल कर सकता है.

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