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दुनिया भर के राष्ट्र स्वाभाविक तौर पर अपनी वैश्विक आपूर्
सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्य देशों को चाहिए कि वो इस चुन�
भारत सरकार और आपदा प्रबंधन से जुड़े सभी मंत्रालयों को चा�
हम फ्रांसीसी लोग, नए कोरोना वायरस के विरुद्ध ‘युद्ध’ लड़ �
उम्मीद करनी चाहिए कि अगली बार जब चीन बहुपक्षीय मंचों पर अ�
वायरस एक तार है जो आप सबको जोड़ता है, तोड़ता नहीं है. इसलिए
भारत की एकमात्र विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रमादित्य पर आग
अब मेरी बारी है अपने भारतीय दोस्तों के बारे में चिंतित हो�
जिस वक़्त दुनिया ज़िंदगी और मौत के भी संघर्ष देख रही है, उ�
कोरोना की दस्तक के साथ नई विश्व व्यवस्था का समय तो अवश्य आ
मानवता के इस महासंकट के समय सबसे बड़ी कमी जो हम देख रहे है�
दुनिया को पता है कि अमेरिका पहले से ही बाक़ी दुनिया से अलग
हम अभी भी नहीं जानते कि कब, कहां और कैसे ये डर ख़त्म होगा. ल�
कोरोना वायरस से पैदा हुई महामारी ने वैश्विक समाज और प्रश�
ऐसा लग रहा है कि चीन और अमेरिका के बीच जो नज़दीकी संबंध थे,
आज दुनिया के एकमात्र महा-स्वाभाविक संगठन का आदर्श बुरी त�
वह देश जो दुनिया के सबसे घातक वायरस का स्रोत था, उसे अब अधि�
भारतीय नेतृत्व ने अभी तक बहुत अच्छा काम किया है लेकिन आगे
अंतरराष्ट्रीय संगठनों में चीन का बढ़ता दबदबा, विश्व राजन
इस विषय में एक राष्ट्रीय रणनीति बननी चाहिए, जो राज्यों को
सरकार, सामाजिक संगठन और आम जनता मिल कर ऐसा सघन और आपसी साम�
सबसे बुरी स्थिति की बात करें, तो अमेरिकी सीमाओं की लंबे सम
इस महामारी के कारण खुली सीमाओं और अर्थव्यवस्थाओं की मांग
ऐसा पहली बार नहीं हुआ है कि आपस में जुड़ी हुई दुनिया में क�
स्पष्ट होता जा रहा है कि कम्युनिस्ट पार्टी और शी जिनपिंग �
चीन की सरकार ने ऐसी परिस्थितियां बनने से रोकने के लिए कई स
भारत को चाहिए कि वो अपनी क्षमताओं को चीन के संदर्भ में और �
रूस का ये ज़ोर दे कर कहना था कि, वो सुरक्षा का एक ऐसा ढांचा �
इस बात पर सोच विचार करना चाहिए कि क्या वो ‘मुफ़्त सेवा’ के
दुनिया को चीन के उत्थान को स्वीकार करने के लिए तैयार रहना
अंतरिक्ष के क्षेत्र में अमेरिका अपनी बादशाहत बनाए रखना च
अगर यह मान लें कि भारत, श्रीलंका को चीन के गिरफ़्त से आज़ा�
एशिया और आसपास के साथ दुनिया के अन्य देशों के साथ चीन का ज�
हांगकांग और सिंगापुर में कई चीजें कॉमन हैं. ऐसे में अगर हा
आज के युग में आर्थिक राजनय एक बार फिर से तमाम देशों के हित�
भारत को चाहिए कि वह अपने उद्योगों को इस तरह से तैयार करें �
सच तो यह है कि भारतीय राजनयिक और नेता चीन और पाकिस्तान के �
1960 के दशक में जब चीन में माओ की सांस्कृतिक क्रांति अपने चर�
किसी भी मुक्त व्यापार समझौते में शामिल होने के इन नफ़ा नु�
भारत को यह भी उम्मीद करनी होगी कि चीन के साथ ऐसे प्रयास पर�
शारीरिक व आध्यात्मिक मेल वाला योग भारत की प्राचीन धरोहर �
ईरान में जो जियो-पॉलिटिकल वैक्यूम बना है, चीन उसे बड़ी आसा
आज ज़रूरत है कि हम मौजूदा दायरों से बाहर निकल कर भविष्य की
चौथे अधिवेशन में कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना अहम सामाजिक-
अमेरिका, रूस, चीन और विश्व के प्रमुख महाशक्तियों को चाहिए
दक्षिणी चीन सागर की हलचलों पर भारत अगर ख़ामोश रहता है तो भ
प्रदर्शन के निशाने पर भले ही कैरी लिम की हांगकांग सरकार ह�
भारत को विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों का भरोसा बढ़ाना होग�
इस क्षेत्र में अमेरिका और चीन के बीच रणनीतिक प्रतिद्वंद्