Author : Harsh V. Pant

Published on Apr 01, 2020 Updated 0 Hours ago

वह देश जो दुनिया के सबसे घातक वायरस का स्रोत था, उसे अब अधिकतर देशों द्वारा न केवल एक बचाने वाले, बल्कि कई मामलों में एक पीड़ित के तौर पर भी देखा जा रहा है.

पहले से ताक़तवर चीन को स्वीकारने के लिए तैयार रहें

पिछले कुछ हफ्तों में क्या अंतर आया है? यह कल की ही तो बात है कि दुनिया कोविड-19 से निपटने के प्रति चीन के गैरजिम्मेदाराना रवैये पर भड़क रही थी. उसकी इस बात के लिए आलोचना हो रही थी कि उसने कम्युनिस्ट पार्टी के हितों के मुताब़िक सूचनाओं में छेड़छाड़ की और कोरोना वायरस को तब तक बढ़ने दिया, जब तक कि उसे छिपाना असंभव नहीं हो गया. और अब, जब चीन ने कोरोना वायरस के प्रकोप को अपने देश की सीमा के भीतर नियंत्रित कर लिया है और इस संकट का केंद्र यूरोप और अमेरिका बन गया है तो चीन की ओर से एक नई कहानी को जोरशोर से प्रचारित किया जा रहा है और इसे दुनिया के एक बड़े उत्साही वर्ग द्वारा हाथोंहाथ लिया जा रहा है.

कम्युनिस्ट पार्टी ने इस महामारी के शुरुआती दिनों में सूचनाओं पर पूरा नियंत्रण करके न केवल चीनियों के जीवन को खतरे में डाला, बल्कि इस बीमारी को महामारी में बदलने दिया और पूरी दुनिया में फैला दिया. अगर किसी ने लोगों को सही जानकारी देकर उसकी ताकत को चुनौती दी तो उसे कुचल दिया गया

यह कहानी चीन के नेतृत्व को लेकर है कि उसने पहले अपने घर के संकट को प्रभावी तरीके से खत्म किया और अब दुनिया में कई देशों को मेडिकल व अन्य जरूरी चीजें उपलब्ध करा रहा है. इस महीने के शुरू में इटली के विदेश मंत्री लुइगी डी माइयो ने चीन की उस समय खुलकर तारीफ की जब कोरोना वायरस से लड़ने के लिए इटली की मदद के लिए डाॅक्टर्स के साथ मेडिकल उपकरणों से लदा विमान वहां पहुंचा. माइयो ने एक तरह से यूरोपियन देशों के रुख के प्रति नाराज़गी दिखाते हुए कहा कि ‘अनेक देशों ने हमें मदद का आश्वासन दिया था, लेकिन आज की शाम मैं आपको चीन से पहुंची पहली मदद को दिखाना चाहता हूं’. इसी बीच, सर्बियाई राष्ट्रपति ने भी कहा कि ‘यूरोपियन एकता कहीं नहीं है…यह एक कागज़ों पर लिखी परी कथा थी.’ उन्होंने साथ ही घोषणा की कि उन्होंने अपने भाई और दोस्त शी जिनपिंग को मेडिकल सहायता के लिए पत्र लिखा है और चीन अकेला देश है, जो हमें मदद कर सकता है. अत्यंत जरूरी मेडिकल सहायता उपलब्ध कराने में चीन की तेजी की तुलना पश्चिम में व्याप्त पूर्ण अव्यवस्था से हो रही है. जहां यूरोपियन यूनियन ने इस गंभीर संकट के समय एक निष्प्रभावी संगठन बने रहकर अपने आलोचकों को सही सिद्ध कर दिया है, वहीं अमेरिका खुद ही फंसा हुआ है. चीनी सरकार और उसका निजी क्षेत्र फ्रांस, स्पेन, इटली, बेल्जियम, ईरान, इराक फिलीपींस और अमेरिका तक भी पहुंच रहा है. और यह वास्तविकता है, जिसका वैश्विक व्यवस्था आज सामना कर रही है. वह देश जो दुनिया के सबसे घातक वायरस का स्रोत था, उसे अब अधिकतर देशों द्वारा न केवल एक बचाने वाले, बल्कि कई मामलों में एक पीड़ित के तौर पर भी देखा जा रहा है.

चीन की कम्युनिस्ट पार्टी (सीसीपी) ने अपने दुष्प्रचार अभियान को यथार्थ कला का रूप दे दिया है. उसने दुनिया को दशकों तक भ्रम में डाले रखा कि वह एक बार पूरी तरह वैश्विक व्यवस्था में समन्वित हो जाए तो वह अधिक उदार पार्टी बन जाएगी

इस वैकल्पिक वास्तविकता के निर्माण की पूरी कोशिश चीन की कम्युनिस्ट पार्टी की अगुआई में हो रही है. चीनी विदेश मंत्रालय के एक प्रवक्ता ने हाल में ट्वीट कर साज़िश की इस कहानी की पुष्टि की कि कोरोना वायरस को चीन लाने वाली अमेरिकी सेना हो सकती है. कम्युनिस्ट पार्टी ने इस महामारी के शुरुआती दिनों में सूचनाओं पर पूरा नियंत्रण करके न केवल चीनियों के जीवन को खतरे में डाला, बल्कि इस बीमारी को महामारी में बदलने दिया और पूरी दुनिया में फैला दिया. अगर किसी ने लोगों को सही जानकारी देकर उसकी ताकत को चुनौती दी तो उसे कुचल दिया गया. अब वही नेतृत्व मेडिकल सहायता देकर अपने चेहरे पर एक जिम्मेदार का मुखौटा लगाकर अपने कुप्रबंधन से ध्यान हटाने की कोशिश कर रहा है. हकीक़त यह है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा काेरोना वायरस को चीनी वायरस कहे जाने पर उनकी जिस तरह से देश व विदेश में आलोचना हुई, वह वैश्विक संवाद को रूप देने में चीन की दिलेरी को दिखाता है. चीन का उभार वैश्विक शासन पर आज प्रभाव डाल रहा है. चीन की कम्युनिस्ट पार्टी (सीसीपी) ने अपने दुष्प्रचार अभियान को यथार्थ कला का रूप दे दिया है. उसने दुनिया को दशकों तक भ्रम में डाले रखा कि वह एक बार पूरी तरह वैश्विक व्यवस्था में समन्वित हो जाए तो वह अधिक उदार पार्टी बन जाएगी. ऐसा कुछ नहीं होने जा रहा है. सीसीपी के वजूद का आधार ही उसकी सूचना विषमता व अपने लोगों पर नियंत्रण है तो उससे इसे छोड़ने की उम्मीद कैसे की जा सकती है. बल्कि यह इसे और भी ताकत से नियंत्रित करेगा. शी जिनपिंग व उनकी पार्टी के लिए यह अनिवार्य है कि वे अपने अस्तित्व के लिए यह सुनिश्चित करें कि आम चीनी उनकी बनाई प्रभावी नेतृत्व की धारणा पर विश्वास करे न कि कोरोना वायरस को महामारी बनने देने में उनकी सहभागिता पर. ऐसा नेतृत्व जिसने अपने यहां भी हालात नियंत्रित किए और दुनिया की भी मदद की. इसलिए आज चीन के कदमों की प्रशंसा करने वालों को देखना चाहिए कि इन सालों में सीसीपी को सत्ता में बनाए रखने की आम चीनी और दुनिया ने क्या कीमत चुकाई है. यह उम्मीद छोड़ दें कि चीनी सरकार अपने लोगों और दुनिया के साथ पारदर्शी तरीके से काम करेगी. बेहतर होगा कि इस हकीक़त को स्वीकारा जाए कि हमारे साथ पहले से कहीं अधिक ताक़तवर सीसीपी अपने दुष्परिणामों के साथ लंबे समय तक रहने वाली है.

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