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कुपोषण देशभर पसरले आहे, त्याचा असमान परिणाम सामाजिक आणि �
मातृ एवं नवजात शिशु पोषण के बीच पोषण के अंतर को ख़त्म करना
अफ्रीका में स्टंटिंग सार्वजनिक स्वास्थ्य से जुड़ी एक मह�
हालांकि सरकार ने सभी को स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया कराने
लैंगिक सशक्तिकरण और खाद्य सुरक्षा एक-दूसरे से गहराई से ज�
पिछले कुछ साल में महिला सशक्तिकरण को लेकर काफी काम हुआ है
पिढ्यानुपिढ्या चालणारे गरिबीचे चक्र संपवण्यासाठी आणि स
ग़रीबी के पीढ़ी दर पीढ़ी चलने वाले दुष्चक्र को ख़त्म करन�
भारत में लंबे समय से चली आ रही कुपोषण की मुश्किल चुनौती का
दुनिया की कुपोषण से होने वाली बीमारी का आधे से ज़्यादा बो�
पोषण माह के तहत प्रगति तो दर्ज की गई है लेकिन भारत का आकार,
एक ‘वैश्विक महामारी’ उसे कहा जाता है जो जलवायु परिवर्तन, �
देशभर में बदलाव की सफल कहानियां इंगित करती हैं कि लड़किय�
हालांकि चीन में कुपोषण की दर में भारी कमी आई है लेकिन अभी �
खाद्य असुरक्षा कई G20 देशों में एक महत्वपूर्ण चुनौती बनी ह�
क्लाइमेट चेंज के चलते वैश्विक खाद्य असुरक्षा काफी हद तक �
बढ़ती मांग और खाद्य असुरक्षा की चुनौतियों का सामना करने �
दुनिया के पिछड़े इलाक़े जलवायु परिवर्तन का घातक प्रभाव झ
देशभर में बदलाव की सफल कहानियां इंगित करती हैं कि लड़किय�
जलवायु परिवर्तन से निपटने और एसडीजी हासिल करने में सर्कु
इस साल के पोषण माह अभियान के तहत महिलाओं और बच्चों में कुप
इस साल के पोषण माह अभियान के तहत महिलाओं और बच्चों में कुप
‘पावना’ पहल के अंतर्गत तीन सिद्धांतों – पहुंच, जागरूकता �
इस बार के विश्व जनसंख्या दिवस पर भारत को युवाओं के बीच व्य
इस बार के विश्व जनसंख्या दिवस पर भारत को युवाओं के बीच व्य
महामारी और यूक्रेन युद्ध जैसी वैश्विक चुनौतियों ने हाल क
भारत को अपने यहां कुपोषण की चुनौती से उबरने के लिए अधिक सम
भारत को अपने यहां कुपोषण की चुनौती से उबरने के लिए अधिक सम
एक ‘वैश्विक महामारी’ उसे कहा जाता है जो जलवायु परिवर्तन, �
इस महामारी के दौरान अन्य प्राथमिकताओं के चलते बच्चों के �
दलहन, न केवल खाद्य सुरक्षा में सुधार करते हैं, और आर्थिक स�
भारत को अपने कार्यक्रमों की प्रभावशीलता और उनकी पहुंच सु
कोरोना वायरस जिस तेज़ी से बढ़ रहा है, उससे विकासशील देशों
देश को 2022 तक कुपोषण से मुक्ति के लक्ष्य को पाने के लिए ज़रू�
बौनेपन के स्थायी और अपरिवर्तनीय परिणाम होते हैं और यह व्�
भारत जैसे देश संक्रमण के उस दौर में हैं, जहां लोक नीति के ल�
कुपोषणासारख्या भीषण समस्येला तोंड देताना चीनने केलेल्या उपाययोजनांतून भारताने काय घ्यावे याचा उहापोह करणारा लेख.
कोरोनाच्या पार्श्वभूमीवर हे लक्षात ठेवायला हवे की, आईमधील कुपोषणामुळे आईच्या व उद्याच्या पिढीचीही शारीरिक क्षमता कमी होते. त्यामुळे संसंर्गाची शक्यता वाढते.
कुपोषणाच्या आंतरपिढी चक्राच्या आव्हानावर मात करण्यासाठी संपूर्ण आयुष्यभर पोषणामध्ये गुंतवणूक करणे हे अंतिम ध्येय असले पाहिजे.
महिला आणि लहान मुलांमधील कुपोषण रोखण्यासाठी यावर्षी राष्ट्रीय पोषण महिन्याचे निमित्त साधून जिल्हा स्तरावर विविध उपक्रमांचे आयोजन करण्यात आले आहे.
2000 और 2013 के बीच अफ़्रीका में भूख के स्तर में सुधार हुआ था लेकिन उसके बाद के सालों में ये फिर से काफ़ी ख़राब स्थिति में पहुंच गया है. यद्यपि वैश्विक खाद्य असुरक्षा वर्तमान में ए
समाजाचा महत्त्वाचा घटक असलेल्या महिला आणि बालके यांच्याकरता अधिक काम करण्यास वाव आहे.