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हालांकि चीन में कुपोषण की दर में भारी कमी आई है लेकिन अभी भी देश को खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने में चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है.
यह लेख "द चाइना क्रॉनिकल्स" शृंखला का 142वां भाग है.
कुपोषण के मामले में चीन पिछले कुछ दशकों में महत्त्वपूर्ण बदलावों से गुज़रा है. ऐतिहासिक रूप से, चीन में ख़ासकर ग्रामीण इलाकों में कुपोषण की उच्च दर रही है. 1990 के दशक में, चीन में बच्चों में कुपोषण की दर बहुत ज़्यादा थी, जहां तीन वर्ष से कम आयु के लगभग 32 प्रतिशत बच्चे आयु के अनुपात में छोटे कद की समस्या (स्टंटिंग) से जूझ रहे थे. हालांकि, हालिया वर्षों में, चीन ने पांच साल से कम उम्र के बच्चों में स्टंटिंग की दर में कमी लाने में विशेष सफ़लता प्राप्त की है, 2002 में जहां इसकी दर 18.8 प्रतिशत थी, वहीं 2017 में गिरकर 4.8 प्रतिशत हो गई. चीन के ग्रामीण क्षेत्रों में, जहां गरीबी बहुत है, वहां शहरी क्षेत्रों की तुलना में कुपोषण की दर अधिक है.
पूरी दुनिया में अधिक वजन एवं मोटापे से ग्रस्त लोगों की सबसे बड़ी आबादी चीन में रहती है. 2020 के एक अध्ययन के अनुसार, चीन में वयस्कों में मोटापे की दर 7.1 प्रतिशत थी, जो 2020 में बढ़कर 16.3 प्रतिशत हो गई.
हालांकि, देश में हुए तेज़ आर्थिक विकास और शहरीकरण के साथ कुपोषण की दर में गिरावट आई है और अधिक वजन एवं मोटापे की समस्या बढ़ गई है. पूरी दुनिया में अधिक वजन एवं मोटापे से ग्रस्त लोगों की सबसे बड़ी आबादी चीन में रहती है. 2020 के एक अध्ययन के अनुसार, चीन में वयस्कों में मोटापे की दर 7.1 प्रतिशत थी, जो 2020 में बढ़कर 16.3 प्रतिशत हो गई. चीन में, अधिक वजन और मोटापे से जुड़ी गैर-संचारी बीमारियों (NCDs) से होने वाली मौतों का अनुमानित प्रतिशत 1990 में 5.7 प्रतिशत से बढ़कर 2019 में 11.1 प्रतिशत हो गया. अधिक वजन और मोटापे की बढ़ती समस्या के लिए खानपान की आदतों में बदलाव और गतिहीन जीवनशैली काफ़ी हद तक ज़िम्मेदार कारण हैं. अतिपोषण ने भी चीन में मधुमेह के प्रसार में योगदान दिया है. अंतर्राष्ट्रीय मधुमेह संघ के अनुसार, 2019 में चीन में मधुमेह से पीड़ित वयस्कों की संख्या 11.64 करोड़ थी, जो दुनिया में सर्वाधिक थी.
चीन में कुपोषण और खाद्य सुरक्षा के मुद्दे एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं, और इनमें से किसी भी एक समस्या को सुलझाए बगैर दूसरे का समाधान नहीं ढूंढ़ा जा सकता. हालांकि, चीन ने कुपोषण के मामले में महत्त्वपूर्ण सफ़लता प्राप्त की है लेकिन देश अभी भी खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने में कई चुनौतियों का सामना कर रहा है, जिसमें एक बड़ी चुनौती कृषि योग्य भूमि की कमी है. वैश्विक कृषि भूमि का महज़ 7 प्रतिशत हिस्सा चीन के पास है, जबकि क़रीब 22 प्रतिशत वैश्विक आबादी चीन में रहती है. विकास की प्रक्रिया में बढ़ते शहरीकरण और औद्योगिकीकरण के कारण कृषि योग्य भूमि में कमी आई है, जिससे खाद्य उत्पादन और सुरक्षा पर दबाव पड़ रहा है. चीन पानी के अत्यधिक उपयोग और प्रदूषण एवं जलवायु परिवर्तन जैसे अन्य कारकों के चलते जल संकट का सामना कर रहा है, जो खाद्य सुरक्षा के लिए एक बड़ा ख़तरा है. सिंचाई और दूसरे कृषि ज़रूरतों के लिए पानी की उपलब्धता बेहद सीमित है, और पानी को लेकर विभिन्न क्षेत्रों के बीच बहुत ज़्यादा प्रतिस्पर्धा है. जलवायु परिवर्तन बाढ़ एवं सूखे जैसी बार-बार गंभीर चरम मौसमी घटनाओं का कारण बन रहा है, जो खाद्य उत्पादन एवं खाद्य सुरक्षा को प्रभावित कर सकता है. चीन के लिए खाद्य सुरक्षा का मामला एक बहुत बड़ी चिंता का विषय है क्योंकि लगातार खाद्य पदार्थों के मिलावटी और दूषित होने की घटनाएं सामने आ रही हैं. इससे न केवल उपभोक्ताओं का स्वास्थ्य प्रभावित होता है बल्कि खाद्य प्रणाली पर उनका विश्वास भी कम होता है, और इससे देश की खाद्य पदार्थों को निर्यात करने की क्षमता भी प्रभावित होती है.
इन चुनौतियों से निपटने के लिए एक व्यापक दृष्टिकोण की आवश्यकता है जिसमें कृषि प्रौद्योगिकी और बुनियादी ढांचे में निवेश, पर्यावरण के प्रति अनुकूल कृषि अभ्यासों को बढ़ावा देना और असमानता और गरीबी को दूर करने वाली नीतियां शामिल हैं. चीन ने सतत विकास लक्ष्य (SDG) के तहत 2030 तक भुखमरी को मिटाने या जीरो हंगर की स्थिति तक पहुंचने के लिए कई पोषण नीतियों और कार्यक्रमों को लागू किया है. इनमें से कुछ निम्नलिखित हैं:
1. राष्ट्रीय पोषण योजना (2017-2030): 2017 में, चीन ने राष्ट्रीय पोषण योजना का शुभारंभ किया, जिसके तहत देश में कुपोषण को कम करने और पोषण-स्तर में सुधार के लिए एक व्यापक रणनीति का ख़ाका पेश किया गया. इस योजना का लक्ष्य पांच वर्ष से कम आयु के बच्चों में स्टंटिंग (आयु के अनुपात में कद का छोटा होना), वेस्टिंग (कद के अनुपात में वजन का कम होना) और कुपोषण की दर में कमी लाना; केवल स्तनपान आधारित पोषण की अवधि को बढ़ाना; और फलों और सब्ज़ियों की खपत में सुधार लाना है.
2. खाद्य संवर्धन: चीन ने सूक्ष्म पोषण तत्वों की कमी, विशेषकर कमज़ोर तबकों के बीच इस समस्या को दूर करने के लिए एक अनिवार्य खाद्य संवर्धन कार्यक्रम को लागू किया है. यह कार्यक्रम नमक, आटे और सोया सॉस जैसे मुख्य खाद्य पदार्थों को आयोडीन, आयरन, जिंक और विटामिन ए जैसे पोषक तत्वों से संवर्धित किए जाने पर केंद्रित है.
3. ग्रामीण गरीबी उन्मूलन: चीन के ग्रामीण गरीबी उन्मूलन कार्यक्रम का लक्ष्य ग्रामीण इलाकों में खाद्य सुरक्षा में सुधार करना और गरीबी में कमी लाना है. कार्यक्रम के अंतर्गत कृषि आगतों के लिए सब्सिडी का प्रावधान, बुनियादी ढांचे में सुधार और आय बढ़ाने के लिए ग्रामीण उद्योगों को विकसित करने जैसे उपाय शामिल हैं.
4. पोषण शिक्षा: चीन ने स्कूलों, समुदायों और स्वास्थ्य देखभाल केंद्रों में पोषण शिक्षा कार्यक्रमों को लागू किया है ताकि पोषण संबंधी ज्ञान, खानपान संबंधी स्वस्थ आदतों के बारे में जागरूकता को बढ़ावा दिया जा सके. इन कार्यक्रमों का उद्देश्य विभिन्न प्रकार के खाद्य पदार्थों के उपभोग को बढ़ावा देना; स्तनपान के महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ाना; और खाद्य सुरक्षा और स्वच्छता संबंधी व्यवहारों में सुधार करना है.
5. खाद्य सुरक्षा विनियम: चीन ने खाद्य संबंधी मिलावट और उसके दूषित होने के जोखिम को कम करने के लिए अपने खाद्य सुरक्षा नियमों को मजबूत किया है. इसके लिए सरकार ने कई कदम उठाए हैं, जिसमें एक राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा निगरानी तंत्र स्थापित करना, खाद्य-निरीक्षण को बढ़ावा देना और नियमों का उल्लंघन करने वालों के लिए कड़े दंड जैसे प्रावधान करना शामिल हैं.
6. पर्यावरण-अनुकूल कृषि: चीन ने पर्यावरण-अनुकूल यानी टिकाऊ कृषि पद्धतियों को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न कार्यक्रमों को लागू किया है, जिसमें कीटनाशकों और उर्वरकों के उपयोग को कम करने, जैविक खेती के तरीकों को अपनाने, और कृषि वानिकी को बढ़ावा देने जैसे प्रयास शामिल हैं.
G20 द्वारा खाद्य सुरक्षा से जुड़ी चुनौतियों से निपटने के लिए किए गए प्रयासों में चीन ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. एक प्रमुख कृषि उत्पादक एवं उपभोक्ता देश होने के नाते, चीन ने G20 के भीतर खाद्य सुरक्षा से संबंधित चर्चाओं और पहलों में सक्रिय रूप से हिस्सा लिया है. चीन G20 के एग्रीकल्चरल मार्केट इनफॉर्मेशन सिस्टम का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य पारदर्शिता को बढ़ाना और कृषि बाजारों के बारे में जानकारी साझा करके खाद्य कीमतों में उतार-चढ़ाव को कम करना है. इसके अतिरिक्त, चीन ने खाद्य कचरे को नियंत्रित करने के G20 के प्रयासों में योगदान दिया है, जो वैश्विक खाद्य सुरक्षा के लिए एक बहुत बड़ी चुनौती है. चीन ने 2020 में "क्लीन प्लेट" अभियान की शुरुआत की, जिसका लक्ष्य देश में खाद्य कचरे की समस्या को कम करना है और इस कार्यक्रम को अन्य देशों के लिए एक मॉडल के तौर पर प्रस्तुत किया गया है.
चीन ने खाद्य कचरे को नियंत्रित करने के G20 के प्रयासों में योगदान दिया है, जो वैश्विक खाद्य सुरक्षा के लिए एक बहुत बड़ी चुनौती है.
चीन अपने बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) के माध्यम से खाद्य सुरक्षा के मसले पर अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देता रहा है, जिसके तहत विकासशील देशों में बुनियादी ढांचे के निर्माण और कृषि में निवेश जैसे प्रयास शामिल हैं. चीन ने साउथ-साउथ कोऑपरेशन फंड जैसी पहलों के माध्यम से अन्य देशों को कृषि क्षेत्र में विकास के लिए सहायता प्रदान की है. कुल-मिलाकर, G20 के खाद्य सुरक्षा से जुड़ी पहलों में चीन की सक्रिय भागीदारी वैश्विक खाद्य सुरक्षा से जुड़ी जटिल एवं एक-दूसरे से संबद्ध चुनौतियों से निपटने में उसकी प्रतिबद्धता को ही व्यक्त करती है.
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Dr. Shoba Suri is a Senior Fellow with ORFs Health Initiative. Shoba is a nutritionist with experience in community and clinical research. She has worked on nutrition, ...
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