Author : Shoba Suri

Published on Jun 07, 2023 Updated 0 Hours ago
अफ्रीका: स्थायी विकास का लक्ष्य हासिल करने के लिए मानवीय पूंजी में निवेश आवश्यक

अफ्रीका में टिकाऊ विकास के लक्ष्य (एसडीजीs) प्राप्त करने के लिए मानवीय पूंजी में निवेश करना महत्वपूर्ण है. अफ्रीका कई चुनौतियों का सामना कर रहा है. इनमें ग़रीबी, बेरोज़गारी की बेहद ऊंची दर, शिक्षा और स्वास्थ्य की अपर्याप्त सुविधाएं और मूलभूत ढांचे का अभाव शामिल है. इन चुनौतियों से तभी निपटा जा सकता है, जब अफ्रीका की मानवीय पूंजी में निवेश किया जाए.

अफ्रीका में नवजात बच्चों की मौत की दर प्रति 1000 एक हज़ार जन्मों में 72 है. ये 2030 तक प्रति एक हज़ार बच्चों के जन्म में नवजात बच्चों की मृत्यु दर 25 लाने के लक्ष्य से बहुत दूर है. अफ्रीका की ये दर दुनिया के अन्य क्षेत्रों से कहीं ज़्यादा है. अफ्रीका में कुपोषण की समस्या भी बड़े पैमाने पर है. पांच साल से कम उम्र के लगभग 30.7 प्रतिसत बच्चों का विकास रुक जाता है और एक चौथाई से ज़्यादा बच्चे बेहद कमज़ोर होते हैं. अफ्रीका में साल 2000 में 5.44 करोड़ बच्चों में स्टंटिंग यानी विकास रुकने की समस्या थी, जो 2020 में बढ़कर 6.14 करोड़ पहुंच गई. अफ्रीका में बच्चों के विकास रुकने की समस्या के पीछे कई कारण हैं. इनमें ग़रीबी, स्वच्छ पानी और साफ़-सफ़ाई की सीमित सुविधाएं, अपर्याप्त स्वास्थ्य सेवा, खाद्य असुरक्षा के साथ साथ मां और बच्चे के पोषण को लेकर ख़राब चलन जैसी वजहें शामिल हैं, जिनसे बच्चों का शारीरिक और दिमाग़ी विकास बाधित होता है.

हालांकि, स्वास्थ्य के अहम लक्ष्य जैसे कि टीकाकरण प्राप्त करने के मामले में अफ्रीका की प्रगति धीमी हो रही है. लेकिन, अन्य क्षेत्रों में अफ्रीका ने 21वीं सदी के पहले दशक में ज़बरदस्त तरक़्क़ी की है. नवजात बच्चों की मौत की दर 21 प्रतिशत तक कम हो गई है. प्रसव के वक़्त मां की मृत्यु की दर 28 फ़ीसद कम हो गई है और पांच साल से कम उम्र के बच्चों की मृत्यु दर 35 प्रतिशत घट गई है. हालांकि, पिछले दस वर्षों के दौरान ये सारे लक्ष्य जस के तस हैं, ख़ास तौर से बच्चे के जन्म के वक़्त मां की मौत के मामले में प्रगति तो बिल्कुल ही जस की तस है. हालांकि, 2020 में बच्चे पैदा करने की उम्र (15 से 49 वर्ष) वाली 56.3 प्रतिशत महिलाओं की पहुंच आधुनिक गर्भनिरोधक माध्यमों तक थी. लेकिन, परिवार नियोजन के मामले में अफ्रीका अभी भी दुनिया के औसत 77 प्रतिशत की तुलना में बेहद ख़राब स्थिति में है.

महामारी की मार

कोविड-19 महामारी के ख़लल डालने वाले प्रभाव ने मद्धम पड़ती रफ़्तार पर और भी बुरा असर डाला है. महामारी के दौरान महत्वपूर्ण स्वास्थ्य सेवाएं जैसे गर्भवती मां की देखभाल, टीकाकरण, नवजात बच्चों के जन्म के बाद गंभीर रूप से बीमारियों के इलाज और बच्चे पैदा करने के बाद महिलाओं और नवजातों की देख-रेख में बाधा पड़ी है. 2021 से अफ्रीका में वैसी बीमारियां तेज़ी से बढ़ी हैं, जिनकी रोक-थाम टीकाकरण से हो सकती है.

स्वास्थ्य के मामले में स्थायी विकास के लक्ष्य हासिल करने की प्रमुख बाधाओं में सेहत से जुड़ी गतिविधियों के लिए अपर्याप्त फंडिंग और निवेश की कमी रही है. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा 2022 में किए गए 47 अफ्रीकी देशों के सर्वे में पाया गया था कि क्षेत्र में प्रति एक हज़ार लोगों पर स्वास्थ्य कर्मियों (डॉक्टर, नर्स और मिडवाइफ) का औसत 1.55 है, जो विश्व बैंक के बुनियादी स्वास्थ्य सेवा और सभी नागरिकों को स्वास्थ्य की सुविधा देने के लिए ज़रूरी, प्रति एक हज़ार लोगों पर 4.45 स्वास्थ्य कर्मियों के मानक से काफ़ी कम है.

इसका एक और कारण ये है कि अफ्रीका में सामाजिक संरक्षण का दायरा बेहद सीमित है. जबकि वहां की क्षेत्रीय और राष्ट्रीय स्तर की नीतियों में सामाजिक सुरक्षा को तुलनात्मक रूप से काफ़ी अहमियत दी जाती है. अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) के सबसे ताज़ा अनुमानों के मुताबिक़, अफ्रीका में दुनिया का सबसे कम स्तर का सामाजिक सुरक्षा कवच है और महाद्वीप की केवल 17 प्रतिशत आबादी को ही ये सुविधा मिली हुई है. जबकि बाक़ी दुनिया का औसत 47 प्रतिशत है. इसकी वजह ये है कि अफ्रीकी देशों के ज़्यादातर लोग असंगठित क्षेत्रों में काम करते हैं और सामाजिक सुरक्षा में बेहद गंभीर रूप से कम निवेश किया जाता है. दुनिया में सामाजिक सुरक्षा के क्षेत्र में निवेश का औसत  GDP का 12.9 प्रतिशत है. जबकि अफ्रीका में यही औसत किसी देश की GDP के पांच प्रतिशत से भी कम है.

आख़िर में, शौच, स्नान और पीने के पानी (Sanitation) के मामले में साफ़-सफ़ाई अभी भी अफ्रीका के बहुत से हिस्सों में एक बड़ी चुनौती है और इसमें से भी खुले में शौच की समस्या सबसे बड़ी है. अफ्रीका के 1.3 अरब लोगों में से 41.8 करोड़ लोगों को बुनियादी स्तर तक की पीने के पानी की सुविधा नहीं उपलब्ध है. जबकि, 77.9 करोड़ लोगों के पास शौचालय की बुनियादी सेवा नहीं है (इनमें से 20.8 करोड़ लोग खुले में शौच करते हैं), और 83.9 करोड़ लोगों को साफ़ सफ़ाई की मूलभूत सुविधाएं नहीं प्राप्त हैं.

2019 में विश्व बैंक ने अफ्रीका ह्यूमन कैपिटल प्लान (HCP) को शुरू किया था, जिसके तहत मानव पूंजी जुटाने, विकास के तमाम क्षेत्रों में सहायता की मद बढ़ाने और 2023 तक नीतिगत एवं नतीजों पर आधारित मानव पूंजी के सुधार करने के महत्वाकांक्षी लक्ष्य रखे गए थे. मानव विकास सूचकांक में जीवन बचने, स्कूल जाने और स्वास्थ्य सेवाओं को शामिल किया जाता है. ये सभी 2030 तक स्थायी विकास के लक्ष्य प्राप्त करने से जुड़े हुए हैं. नीचे की सारणी में वर्ष 2018 को आधार बनाकर सूचकांकों की उपलब्धियां दर्शाई गई हैं. ज़्यादातर सूचकांकों में कोई ख़ास तरक़्क़ी देखने को नहीं मिली है.

विश्व बैंक की एक हालिया रिपोर्ट के मुताबिक़, गिनी बिसाउ में टिकाऊ विकास प्राप्त करने के लिए ‘प्रशासन को मज़बूत करना, शिक्षा पर ज़ोर देते हुए मानव पूंजी में निवेश करना और कारोबार का माहौल सुधारना’ बेहद अहम है. अफ्रीका में अच्छी शिक्षा और कौशल विकास में निवेश से एक समृद्ध अर्थव्यवस्था और समाज की राह खुलेगी.

मानव पूंजी में निवेश

लैंगिक नज़रिए के साथ मानव पूंजी में निवेश करना लैंगिक समानता और महिला सशक्तिकरण के लिए बेहद आवश्यक है. सबको शिक्षा, स्वास्थ्य और कौशल विकास के मामले में बराबर मौक़े देने से महिलाओं को सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक क्षेत्र में पूरी तरह भाग लेने का अवसर प्राप्त होता है. मानव पूंजी के विकास से सामाजिक समावेश बढ़ता है और असमानताएं कम होती हैं, जिससे समाज के कमज़ोर तबक़े के लोग, जैसे कि ग्रामीण क्षेत्र के बाशिंदे या फिर कमज़ोर पृष्ठभूमि से आने वाले लोगों को शिक्षा, स्वास्थ्य और कौशल विकास के अवसर बराबरी से प्राप्त होते हैं. इसीलिए, मानव पूंजी में निवेश से स्थायी विकास के लक्ष्य प्राप्त करने में सीधा योगदान मिलता है. इसमें एसडीजी 1 (बिल्कुल ग़रीबी नहीं), एसडीजी 2 (कोई भुखमरी नहीं), एसडीजी 3 (अच्छी सेहत और बेहतरी), एसडीजी 4 (अच्छी शिक्षा), एसडीजी 5 (लैंगिक समानता), और  एसडीजी 8 (सम्मानजनक काम और आर्थिक विकास) के लक्ष्य शामिल हैं.

एक के बाद एक कोविड-19 महामारी, जलवायु परिवर्तन के कारण होने वाली प्राकृतिक आपदाओं और क्षेत्रीय सशस्त्र संघर्षों जैसे वैश्विक संकटों ने अफ्रीका में मानव पूंजी को संरक्षित करने और उसे बढ़ाने की ज़रूरत को उजागर कर दिया है. कुल मिलाकर, अफ्रीका के लिए मानव पूंजी में असरदार तरीक़े से निवेश के लिए ऐसी नीतियों और उन पर अमल को प्राथमिकता देने की ज़रूरत है, जो आबादी के हर वर्ग को शिक्षा और स्वास्थ्य की सेवाएं बराबरी से प्राप्त करने का मौक़ा दें. उनके कौशल विकास के कार्यक्रम बनाए जाएं. महिलाओं और पुरुषों के फ़ासले को कम किया जाए और मानव पूंजी विकास के लिए उपयुक्त माहौल को बढ़ावा दिया जाए. इन प्रयासों में मदद और अफ्रीका के टिकाऊ विकास के लिए अपेक्षित नतीजे हासिल करने के लिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग, साझेदारियां और निवेश की भूमिका भी महत्वपूर्ण है. 

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Shoba Suri

Shoba Suri

Dr. Shoba Suri is a Senior Fellow with ORFs Health Initiative. Shoba is a nutritionist with experience in community and clinical research. She has worked on nutrition, ...

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