पोषण का महत्व पूरे जीवन चक्र में स्वास्थ्य के लिए बेहद अहम है और यह संज्ञानात्मक (कॉगनिटिव) और सामाजिक विकास पर असर डालता है. आर्थिक और सामाजिक संसाधन का जुड़ाव कुपोषण से, ज़्यादा पोषण और कम पोषण, दोनों ही स्थिति में रहता है. निम्न और मध्यम आय वाले देशों में पांच साल से कम उम्र के बच्चों में होने वाली अनुमानित 45 प्रतिशत मौत कुपोषण की वजह से जुड़ी हुई है. कुपोषण एक बच्चे के विकास और उसकी तरक्की को बाधित करता है और उन्हें अपनी पूरी क्षमता हासिल करने से रोकता है. इसके अलावा, साल 2006 में विश्व बैंक के एक अध्ययन के मुताबिक़, स्टंटिंग आर्थिक उत्पादकता में 1.4 प्रतिशत के नुक़सान से जुड़ा हुआ है. इसके बावजूद दुनिया भर में पांच साल से कम उम्र के 149.2 मिलियन बच्चे अविकसित हैं, 45.4 मिलियन कमज़ोर हैं और 38.9 मिलियन बच्चे अधिक वजन वाले हैं.
कुपोषण एक बच्चे के विकास और उसकी तरक्की को बाधित करता है और उन्हें अपनी पूरी क्षमता हासिल करने से रोकता है. इसके अलावा, साल 2006 में विश्व बैंक के एक अध्ययन के मुताबिक़, स्टंटिंग आर्थिक उत्पादकता में 1.4 प्रतिशत के नुक़सान से जुड़ा हुआ है.
कुपोषण के बोझ और इसे लेकर बढ़े हुए एक्शन की ज़रूरत को स्वीकार करते हुए[1] , साल 2012 में विश्व स्वास्थ्य सभा ने “मातृ, शिशु और युवा बाल पोषण पर व्यापक कार्यान्वयन योजना का समर्थन किया जिसमें छह वैश्विक लक्ष्य शामिल थे (चित्र 1): पांच साल से कम उम्र के बच्चों में स्टंटिंग और कमज़ोरी को कम करना; मोटापे की महामारी को रोकना; प्रजनन आयु वाली महिलाओं में एनीमिया को कम करना; जन्म के समय वजन कम करना और पहले छह महीनों में स्तनपान की दर को बढ़ाकर कम से कम 50 प्रतिशत करना” जैसे लक्ष्य साल 2025 तक प्राप्त करना था. इसके अलावा, संयुक्त राष्ट्र (यूएन) ने 2015 में सतत विकास लक्ष्यों को 17 लक्ष्यों के साथ लॉन्च किया था जिसे साल 2030 तक पूरा किया जाना है. एसडीजी 2 बेहतर पोषण और कुपोषण के सभी स्वरूप को ख़त्म करने के लिए ‘ज़ीरो हंगर’ पर फोकस है.
चित्र 1: वैश्विक पोषण लक्ष्य 2025
स्रोत : Global Nutrition Report 2017
वैश्विक पोषण रिपोर्ट 2021 के अनुसार वर्तमान दर पर, साल 2025 तक वैश्विक पोषण लक्ष्य (जीएनटी) प्राप्त करना असंभव है, क्योंकि कोरोना महामारी पिछले दशकों में हुई प्रगति को बाधित कर रहा है. सहस्राब्दी विकास लक्ष्यों (2000-2015) के दौरान चीन ने बाल कुपोषण में उल्लेखनीय प्रगति की थी. इसने दशकों से महिलाओं और बच्चों के बीच स्वास्थ्य और पोषण की स्थिति में महत्वपूर्ण सुधार हासिल किए हैं (चित्र 2). आंकड़ों से पता चलता है कि पांच साल से कम उम्र के केवल 1.9 प्रतिशत बच्चे ही कमज़ोर हैं और केवल 4.8 प्रतिशत अविकसित हैं. हालांकि अधिक वजन वाले बच्चों की संख्या में 8.5 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज़ की जा रही है.
चित्र 2: चीन में कुपोषण का बोझ (2000-2015)
स्रोत : Global Nutrition Report 2021
पांच साल से कम उम्र के बच्चों में एनीमिया 19 प्रतिशत पर स्थिर है और प्रजनन आयु की महिलाओं में लगभग 15.5 प्रतिशत है. चीनी वयस्क, क्रमशः 34.3 प्रतिशत और 16.4 प्रतिशत अधिक वजन और मोटापे से प्रभावित थे. चीन ने केवल 5 महीने तक के 20.8 प्रतिशत शिशुओं को विशेष रूप से स्तनपान कराने के साथ सभी बच्चों को स्तनपान सुनिश्चित करने में कोई ख़ास प्रगति नहीं की है. इसके अलावा जन्म के समय कम वजन के लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में भी कोई प्रगति नहीं हुई है, जिसमें 5 प्रतिशत शिशुओं का जन्म कम वजन के साथ हुआ है. दो मातृ, शिशु और युवा बाल पोषण लक्ष्यों को छोड़कर, चीन जीएनटी के दूसरे लक्ष्यों को प्राप्त करने में काफी पीछे है (चित्र 3).
चित्र 3: वैश्विक पोषण लक्ष्यों पर चीन की प्रगति
स्रोत: Global Nutrition Report 2021
इसके साथ ही चीन ने आहार-संबंधी गैर-संचारी रोग-मोटापे से लड़ने की दिशा में सीमित प्रगति दिखाई है. चीन में अनुमानित 8 प्रतिशत वयस्क महिलाएं (18 वर्ष और उससे अधिक आयु) और 7.7 प्रतिशत वयस्क पुरुष मोटापे से ग्रस्त हैं. इस बीच, 12.4 प्रतिशत वयस्क पुरुषों की तुलना में मधुमेह 8.6 प्रतिशत वयस्क महिलाओं को प्रभावित करता है. चित्र-4 यह बताता है कि आहार संरचना के कारण होने वाली मौतें कोरोनरी हृदय रोग के लिए सबसे अधिक हैं, इसके बाद स्ट्रोक और कैंसर जैसे रोगों का स्थान आता है. 25 वर्ष और उससे अधिक उम्र के वयस्कों के बीच आहार सेवन की तुलना पर जुटाए गए आंकड़े से पता चलता है कि सब्जियों और मछली को छोड़कर, चीनी आहार आवश्यक खाद्य समूहों के लिए अनुशंसित आहार लक्ष्यों को पूरा नहीं करते हैं[2] , जैसा कि टिकाऊ खाद्य प्रणाली के ईएटी-लैंसेट आयोग द्वारा स्वस्थ आहार पर निर्धारित किया गया है.
चित्र 4: आहार संरचना और वजन के कारण मृत्यु दर
स्रोत: Global Nutrition Report 2021
चीन के 2025 तक चावल और गेहूं जैसे मुख्य अनाज में आत्मनिर्भर होने की भविष्यवाणी की गई है. इसके बावज़ूद, ग्रामीण क्षेत्रों में 56 मिलियन लोग ग़रीबी में रहने को मज़बूर हैं और 186 मिलियन लोग सूखे और बाढ़ से प्रभावित हैं. बढ़ती आय और भू-राजनीतिक उथल-पुथल वाले संसाधनों के कारण चीन खाद्य सुरक्षा के लिए गंभीर चुनौतियों का सामना कर रहा है. वैश्विक खाद्य सुरक्षा सूचकांक 2021 में चीन 113 देशों में 34 वें स्थान पर है. अस्वास्थ्यकर खाद्य पदार्थों और पेय पदार्थों के बाज़ारीकरण में बढ़ोतरी के साथ अधिक ‘एनर्जी डेन्स’ और कम पोषण वाले खाद्य पदार्थों की देश में ख़पत बढ़ी है, जिससे मोटापे का ख़तरा लगातार बढ़ रहा है.
अधिक वजन और मोटे बच्चों की बढ़ती प्रवृत्ति चिंताजनक है और सरकार को प्राथमिकताएं निर्धारित करनी चाहिए और बच्चों के पोषण की स्थिति में सुधार की कोशिशों को मज़बूत करना चाहिए.
चीनी सरकार ने साल 2030 तक पोषण और एसडीजी लक्ष्यों को पूरा करने के लिए बच्चों के विकास के लिए राष्ट्रीय कार्यक्रम (2011-2020) और राष्ट्रीय पोषण कार्यक्रम (2017-2030) जैसी कई पहल की शुरुआत की है. हेल्दी चाइना एक्शन ने अच्छे स्वास्थ्य को बढ़ावा देने और गैर संचारी रोगों की रोकथाम और उपचार का लक्ष्य रखा है. हालांकि, अधिक वजन और मोटे बच्चों की बढ़ती प्रवृत्ति चिंताजनक है और सरकार को प्राथमिकताएं निर्धारित करनी चाहिए और बच्चों के पोषण की स्थिति में सुधार की कोशिशों को मज़बूत करना चाहिए. ऐसे में पोषक तत्वों की कमी और आहार से संबंधित एनसीडी को रोकने के लिए पोषक तत्वों से भरपूर खाद्य पदार्थों को शामिल करके स्थायी भोजन सुनिश्चित करने के लिए बहु-स्तरीय एक्शन ज़रूरी है. साल 2025 तक वैश्विक पोषण लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए व्यवस्थित और प्रक्रिया के तहत निगरानी के साथ-साथ कोरोना महामारी से हुए नुकसान की भरपाई करने के लिए पोषण में अधिक निवेश करने की ज़रूरत है.
[1] The simultaneous manifestation of both undernutrition and overweight/obesity
[2] This includes minimum recommended intakes of health promoting food groups (fruits, vegetables, legumes, nuts, and wholegrains) and maximum recommended intakes of food groups with detrimental health and/or environmental impacts (red meat, dairy, and fish).
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