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ट्रंप के 'टैरिफ' का टैरिफ से कोई लेना-देना नहीं है. इसका सब �
भारत और अर्जेंटीना के संबंधों में न तो कोई विचारधारा और र�
व्यापक आर्थिक भागीदारी समझौता और भारत-मिडिल ईस्ट-यूरोप आ
बंगाल की खाड़ी बांग्लादेश और थाईलैंड को साझा समुद्री क्ष
यह त्रिपक्षीय मौज़ूदा अंतर्राष्ट्रीय व्यापार प्रणाली म
पिछले दिनों भारत के प्राइवेट सेक्टर की एक कंपनी को पवन ऊर�
स्पोर्ट्स डिप्लोमेसी ने अंतर्राष्ट्रीय संबंधों को काफ़ी
भारत-इंडोनेशिया के बीच कूटनीतिक संबंधों की 75वीं सालगिरह �
ODA को लेकर भारत का रुख़ ‘मांग पर आधारित’ रहा है, जहां भारत न�
भारत के नागरिकों और कारोबारियों को आर्टिफिशियल इंटेलिज�
AU की G20 सदस्यता अफ्रीका के लिए अपने विकास से जुड़े एजेंडे औ�
विदेश नीति और तकनीकी तरक़्क़ी के ज़रिए, जैसे जैसे चीन विश�
आर्थिक कूटनीति के नये क्षेत्रों को लेकर भारत के रुख़ पर न
आज भारत अपनी आत्मरक्षा क्षमताओं का आधुनिकीकरण कर रहा है, �
कनाडा की इंडो-पैसिफिक रणनीति का क्रियान्वयन उसे इस क्षेत
जैसा कि अलग-अलग ऊर्जा संकट को ख़त्म करने के लिए उठाए गए कद�
डिजिटल क्षेत्र व्यापार को बहुत बड़ी शक्ति देता है. सीमा प�
लैटिन अमेरिका को नई दिल्ली एक क्षेत्र के रूप में देख सकता
लैटिन अमेरिका को नई दिल्ली एक क्षेत्र के रूप में देख सकता
चीन के हेनान प्रांत में पैदा हुए बैंकिंग के हालिया संकट न�
आपस में मिलकर ये अलग अलग तरीक़े, चीन द्वारा आपूर्ति श्रृं�
भारत की छवि ख़राब करने की चीनी क़वायद से मुक़ाबले के लिए भ
भारत का पक्ष बिल्कुल स्पष्ट है, वो शांति के पक्ष में है और
क्या श्रीलंका घरेलू अस्थिरता के साथ-साथ विदेश नीति संबंध
आर्थिक कूटनीति के नये क्षेत्रों को लेकर भारत के रुख़ पर न
अगर अंतरराष्ट्रीय बाजार में दाम इसी तरह बढ़ते रहे और आपू�
G20 देशों के सम्मेलन से बहुत उम्मीदें लगाना ही बेमानी था. ले
अगर पारंपरिक दाता देश ऐतिहासिक रुझान का अनुसरण करते हैं �
ज़ाहिर है किसी भी देश की राजनीतिक शक्ति बढ़ाने के लिए उसक�
आज चीन जिस तरह पूरी दुनिया के ख़िलाफ़ आक्रामक हो रहा है, उ�
भारत को चाहिए कि वो अपनी आर्थिक क्षमताओं का विकास करने के
मौजूदा इतिहास में पहली बार लगता है कि अमेरिका का आधिपत्य �
जिस तेज़ी और साफ़-सुथरे तरीक़े से ये बदलाव शुरू हुए हैं उस
जिस अति उग्र भूमंडलीकरण ने चीन को औद्योगिक महाशक्ति बनाय
जिसतरह से महामारी को लेकर अनिश्चितता का माहौल है और जनता �
समय की मांग ये है कि आज प्रशिक्षण एवं हुनर पर आधारित उच्च �
एशिया और आसपास के साथ दुनिया के अन्य देशों के साथ चीन का ज�
भारतीय कर्ज़ से भारत की साख को प्राप्तकर्ता देशों में बढ�
आज के युग में आर्थिक राजनय एक बार फिर से तमाम देशों के हित�
भारत अपनी ऊर्जा ज़रूरतों और सुरक्षा से जुड़े हितों को दे�
अभी बड़े मतभेदों पर दोनों देशों के बीच सहमति आसान नहीं हो�
युद्ध को छोड़ कोई भी मुद्दा विभिन्न देशों और आर्थिक समू�
बीजिंग का रुख व्यावहारिक दिख रहा है, जो उसके लिए जरूरी भी �
भारत और दक्षिण अफ्रीका को चाहिए कि वो आधुनिक वैश्वीकृत य�
चीन-म्यांमार रेलवे का मामला, जो देखने में दो देशों के बीच �
एशियाई विकास बैंक के मुताबिक, भारत ने अभी तक 13 क्षेत्रीय व�
इतिहास गवाह है कि संरक्षणवाद (घरेलू इंडस्ट्रीज़ को नुकस
चीन के आक्रामक रुख को नर्म करने या चीन को रोकने के लिए ट्र�
अगर ट्रम्प अपने इरादों पर अटल रहे और अगर एक व्यापार युद्ध