Expert Speak Raisina Debates
Published on Jul 12, 2024 Updated 4 Days ago

व्यापक आर्थिक भागीदारी समझौता और भारत-मिडिल ईस्ट-यूरोप आर्थिक गलियारा के अंतर्गत जो भी संगठित प्रयास किए जा रहे हैं, उनसे भविष्य में न केवल भारत और यूएई के बीच व्यापार बढ़ने की उम्मीद है, बल्कि दोनों देशों की वैश्विक बाज़ार तक पहुंच एवं आर्थिक विकास में बढ़ोतरी होने की भी प्रबल संभावना है.

CEPA और IMEC: भविष्य में भारत-यूएई के आर्थिक रिश्तों को सशक्त करने की कोशिश

Image Source: Economic Times

भारत के विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने 23 जून 2024 को संयुक्त अरब अमीरात (UAE) का दौरा किया था और वहां उन्होंने यूएई के विदेश मंत्री शेख अब्दुल्ला बिन जायद अल नाहयान से मुलाक़ात कर कई मुद्दों पर बातचीत की थी. जिस प्रकार से दोबारा विदेश मंत्री बनने के दो सप्ताह के अंदर डॉ. जयशंकर ने यूएई की यात्रा की है, उससे साफ ज़ाहिर होता है कि भारत की विदेश नीति के लिए यूएई कितना अधिक मायने रखता है. भारत और यूएई के बीच पिछले चार वर्षों के दौरान कई ऐसे अहम द्विपक्षीय समझौते हुए हैं, जिन्हें दोनों राष्ट्रों के बीच रिश्तों में मज़बूती के लिहाज़ से मील का पत्थर कहा जा सकता है. जैसे कि दोनों देशों के बीच इंडिया-मिडिल ईस्ट-यूरोप कॉरिडोर (IMEC) कोऑपरेशन की शुरुआत हुई है और वर्ष 2022 में दोनों देशों के मध्य कंप्रिहेंसिव इकोनॉमिक पार्टनरशिप एग्रीमेंट यानी व्यापक आर्थिक भागीदारी समझौता (CEPA) किया गया. इसके अलावा दोनों देशों के बीच स्थानीय मुद्रा में कारोबार करने का भी समझौता हुआ है, साथ ही यूएई में भारत का रुपे (Rupay) कार्ड भी लॉन्च किया गया है और दोनों देशों ने अपने-अपने घरेलू डेबिट और क्रेडिट कार्ड को आपस में जोड़ने का फैसला किया है.

 भारत और यूएई के बीच प्रगाढ़ होते संबंधों को इस बात से भी समझा जा सकता है कि आज चीन के बाद भारत ऐसा देश है जो यूएई का दूसरा सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार है.

भारत और यूएई के बीच सदियों से व्यापारिक संबंध क़ायम हैं और दोनों के बीच यह द्विपक्षीय समझौते कहीं न कहीं इन्हीं ऐतिहासिक रिश्तों पर आधारित हैं. भारत और यूएई के बीच प्रगाढ़ होते संबंधों को इस बात से भी समझा जा सकता है कि आज चीन के बाद भारत ऐसा देश है जो यूएई का दूसरा सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार है. वहीं भारत के लिए चीन और अमेरिका के बाद यूएई तीसरा सबसे बड़ा व्यापारिक साझीदार राष्ट्र है.

 

इसके अलावा, भारत और संयुक्त अरब अमीरात ने पारस्परिक संबंधों को और मज़बूत करने एवं वैश्विक एवं क्षेत्रीय भू-राजनीतिक उतार-चढ़ाव के दुष्प्रभाव को कम करने और आर्थिक प्रगति को बरक़रार रखने के लिए भी कई क़दम उठाए हैं. इन क़दमों में IMEC कॉरिडोर का विकास और ऐतिहासिक CEPA शामिल हैं. ज़ाहिर है कि व्यापक आर्थिक भागीदारी समझौते को रिकॉर्ड 88 दिनों की चर्चा के बाद ही अंतिम रूप दे दिया गया था. देखा जाए, तो दोनों देशों के बीच हुए IMEC और CEPA समझौते न केवल एक दूसरे का सहयोग करने वाले सिद्ध होंगे, बल्कि भारत-यूएई के द्विपक्षीय बिजनेस को भी बढ़ावा देने वाले साबित होंगे.

 

व्यापक आर्थिक भागीदारी समझौता और भारत-मध्य पूर्व-यूरोप गलियारा भागीदार देशों के लिए अपनी क्षेत्रीय कनेक्टिविटी को सशक्त करने और अपनी अर्थव्यवस्थाओं को जोड़ने एवं उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने की कोशिश है. इस लेख में व्यापक आर्थिक भागीदारी समझौता के बाद हुए भारत और यूएई के आर्थिक विकास का विस्तृत विश्लेषण किया गया है. इसके साथ ही इस लेख में CEPA के अंतर्गत द्विपक्षीय कारोबार को बढ़ावा देने के साथ-साथ भारत और यूएई के लिए लचीली आपूर्ति श्रृंखलाओं का निर्माण करने में IMEC के संभावित योगदान के बारे में भी गहन चर्चा की गई है.

 

CEPA ने एक भरोसेमंद आर्थिक साझेदारी को सशक्त किया

 

वर्ष 2023 में जब अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) की तरफ से वैश्विक व्यापार में 5 प्रतिशत की गिरावट का अनुमान लगाया गया था, उस साल भारत और यूएई के बीच द्विपक्षीय बिजनेस में लगभग 4 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज़ की गई थी. इन दोनों देशों के कुल अंतरराष्ट्रीय कारोबार में अगर इस द्विपक्षीय व्यापार का योगदान देखा जाए, तो यूएई के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में इसका 9 प्रतिशत और भारत के कुल वैश्विक कारोबार में इसका 8.15 प्रतिशत योगदान था. 1 मई 2022 के बाद से भारत और यूएई के बीच होने वाले व्यापार में 16.4 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज़ की गई है. आंकड़ों के मुताबिक़ वर्ष 2022 में भारत और यूएई के बीच जो कारोबार 72.9 बिलियन अमेरिकी डॉलर का था, वो वर्ष 2024 में बढ़कर 83.64 बिलियन अमेरिकी डॉलर का हो गया है. सीईपीए दोनों देशों के बीच व्यापार को प्रोत्साहित करने और उसे सुधारने के लिए एक मुकम्मल संस्थागत संरचना प्रदान करता है. तरजीही टैरिफ दरों के तीन समूहों में सीईपीए क़रीब-क़रीब 19,600 वस्तुओं के लिए शुल्क को तीन समूहों में समाप्त करता है. ये तीन समूह हैं- तत्काल टैरिफ समाप्त करना, चरणबद्ध तरीक़े से शुल्क समाप्त करना और शुल्क में कमी करना. भारत और संयुक्त अरब अमीरात के बीच हुए सीईपीए में भारत की 11,908 टैरिफ लाइन और यूएई की 7,581 टैरिफ लाइन को शामिल किया गया है. सीईपीए में 18 कमोडिटी सेक्टरों और 11 सर्विस सेक्टरों को शामिल किया गया है, जिनमें 300 से ज़्यादा सब-सेक्टर भी शामिल हैं. ज़ाहिर है कि अगर यूएई में 5 प्रतिशत आयात शुल्क लगता है, तो इस समझौते से भारत के कमोडिटी सेक्टर को 26 बिलियन अमेरिकी डॉलर का लाभ होगा. गौरतलब है कि पहले भारत और यूएई के आर्थिक संबंधों में सबसे बड़ी भूमिका ऊर्जा कारोबार की थी, लेकिन CEPA के बाद से द्विपक्षीय बिजनेस में विभिन्न कमोडिटी के शामिल होने से दोनों देशों के आर्थिक रिश्तों में विविधता आई है. वित्त वर्ष 2024 में भारत और यूएई के बीच जो भी द्विपक्षीय कारोबार हुआ है, उसमें एयरोस्पेस विनिर्माण की हिस्सेदारी 2 बिलियन अमेरिकी डॉलर, धातु और मिश्रित धातु की 1.67 बिलियन अमेरिकी डॉलर, प्लास्टिक की 0.89 बिलियन अमेरिकी डॉलर और रत्न एवं आभूषण की भागीदारी 8.04 बिलियन अमेरिकी डॉलर रही है. इतना ही नहीं वित्त वर्ष 2021 से 2023 के दरमियान इन चारों सेक्टरों में दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय कारोबार में क्रमश: 24, 68, 57 और 40 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज़ की गई है. इसके अलावा, अगर इन कमोडिटी के कुल व्यापार की बात की जाए, तो दोनों देशों के बीच 15.56 बिलियन अमेरिकी डॉलर की वृद्धि हुई है. सिर्फ़ इन्हीं कमोडिटी में ही नहीं बल्कि भारत और यूएई के बीच कई और सेक्टरों में भी पारस्परिक कारोबार बढ़ा है. यही वजह है कि भारत का यूएई के साथ वित्त वर्ष 2024 में तेल के अलावा दूसरी कमोडिटी और क्षेत्रों में होने वाला व्यापार 50 बिलियन अमेरिकी डॉलर का आंकड़ा पार कर चुका है.

गौरतलब है कि पहले भारत और यूएई के आर्थिक संबंधों में सबसे बड़ी भूमिका ऊर्जा कारोबार की थी, लेकिन CEPA के बाद से द्विपक्षीय बिजनेस में विभिन्न कमोडिटी के शामिल होने से दोनों देशों के आर्थिक रिश्तों में विविधता आई है.

 

भारत-यूएई द्विपक्षीय व्यापार के आंकड़े 2020-2024 (बिलियन अमेरिकी डॉलर में)

वर्ष

भारत का निर्यात

यूएई का निर्यात

कुल द्विपक्षीय व्यापार

कुल द्विपक्षीय व्यापार (गैर ऊर्जा)

भारत द्वारा निर्यात की जाने वाली प्रमुख वस्तुएं (गैर ऊर्जा)

संयुक्त अरब अमीरात द्वारा निर्यात की जाने वाली प्रमुख वस्तुएं (गैर ऊर्जा)

2020-21

16.68

26.62

43.30

28.67

लोहा और इस्पात, वस्त्र और कपड़ा, रत्न और आभूषण, उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स 

धातु और मिश्र धातु, रत्न एवं आभूषण, प्लास्टिक और रबर से बनी चीज़ें

2021-22

28.04

44.83

72.87

46.36

लोहा और इस्पात, वस्त्र और कपड़ा, रत्न और आभूषण, उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स

धातु और मिश्र धातु, रत्न एवं आभूषण, प्लास्टिक और रबर से बनी चीज़ें

2022-23

31.61

53.23

84.84

48.46

एयरोस्पेस निर्मित सामान, निर्माण सामग्री, रत्न और आभूषण, प्लास्टिक

धातु और मिश्र धातु, रत्न एवं आभूषण, प्लास्टिक और रबर से बनी चीज़ें

2023-24

35.62

48.02

83.64

57.81

एयरोस्पेस निर्मित सामान, निर्माण सामग्री, रत्न और आभूषण, प्लास्टिक

धातु और मिश्र धातु, रत्न एवं आभूषण, प्लास्टिक और रबर से बनी चीज़ें

स्रोत: EXIM डेटा बैंक, वाणिज्य मंत्रालय, भारत सरकार

 

भारत और यूएई के मध्य हुए व्यापक आर्थिक भागीदारी समझौते का मकसद सिर्फ कमोडिटी सेक्टर में व्यापार को ही बढ़ावा देना नहीं है, बल्कि इसका उद्देश्य सर्विस सेक्टर के बिजनेस को भी प्रोत्साहन देना है और वर्ष 2027 तक इस क्षेत्र में 15 बिलियन अमेरिकी डॉलर का लक्ष्य हासिल करना है. भारत-यूएई के बीच हुए सीईपीए में लगातार फलते-फूलते सर्विस सेक्टर से संबंधित 211 बिजनेस को शामिल किया गया है. इनमें सूचना प्रौद्योगिकी (IT), कंस्ट्रक्शन, स्वास्थ्य, शिक्षा, पर्यटन, खेल, ट्रांसपोर्ट से संबंधित सेवा क्षेत्र भी शामिल हैं. इतना ही नहीं सीईपीए के अंतर्गत यूएई की कंपनियों को भारत में सरकारी और निजी सेक्टर में काम करने की भी मंजूरी दी गई है. यानी यूएई की कंपनियां भारत में सरकारी ठेकों या फिर पब्लिक सेक्टर में क़ानूनी तौर पर भारतीय कंपनियों के साथ भागीदारी कर सकती हैं. इसके अलावा इस समझौते में यह भी प्रावधान किया गया है कि भारतीय कंपनियां यूएई में 100 प्रतिशत स्वामित्व के साथ अपना बिजनेस स्थापित कर सकती हैं, यानी उन्हें इसके लिए किसी स्थानीय कंपनी के साथ साझेदारी की ज़रूरत नहीं है. सीईपीए के तहत दोनों देशों ने अपने यहां एक दूसरे की कंपनियों के लिए अनुकूल व्यावसायिक वातावरण तैयार करने के लिए भी कई क़दम उठाए हैं. जैसे कि टैक्स की दरों को व्यवहारिक बनाया है, उद्यमों की स्थापना के लिए ज़मीन अधिग्रहण से जुड़ी नीतियों एवं कर्मचारियों के लिए वीज़ा से जुड़ी नीतियों को सहज बनाया है, ताकि दूसरे देश की कंपनियों को स्थानीय बाज़ारों में पैठ बनाने में आसानी हो, वे अपने कारोबार को बगैर किसी रुकावट के बढ़ा सकें.

 

क्या IMEC द्विपक्षीय व्यापार को बढ़ावा देने वाला सिद्ध हो सकता है?

 

भारत और यूएई के बीच हुए व्यापक आर्थिक भागीदारी समझौते में सर्विस और कमोडिटी कारोबार के अतिरिक्त डिजिटल ट्रेड में भी द्विपक्षीय सहयोग शामिल है. CEPA के मसौदे में डिजिटल व्यापार पर जो चैप्टर है, उसका मकसद दोनों देशों के बीच इस क्षेत्र में पुख़्ता सहयोग स्थापित करना है. यानी ऐसा सहयोग जिसके ज़रिए भारत और यूएई के बीच न केवल द्विपक्षीय डिजिटल व्यापार में आने वाली कनेक्टिविटी और कानूनी बाधाओं को दूर किया जा सके और बल्कि दोनों देशों के सामने वैश्विक स्तर पर डिजिटल व्यापार में जगह बनाने की राह में आने वाली रुकावटों को भी समाप्त किया जा सके. ज़ाहिर है कि IMEC गलियारा इसी दिशा में की गई एक कोशिश है. यानी कहा जा सकता है कि IMEC भारत और यूएई के लिए द्विपक्षीय एवं और अंतर्राष्ट्रीय डिजिटल व्यापार को सुगम बनाने का कॉरिडोर है.

 IMEC के अंतर्गत जिस तरह के डिजिटल कनेक्टिविटी का निर्माण किए जाने की योजना है, वो निश्चित तौर पर भारत और यूएई दोनों के दीर्घकालिक आर्थिक हितों एवं सुरक्षा के लिहाज़ से बेहद अहम है.

पिछले वर्ष सितंबर में नई दिल्ली में आयोजित जी20 शिखर सम्मेलन के दौरान भारत-मध्य पूर्व-यूरोप-आर्थिक कॉरिडोर का ऐलान किया गया था. जिस बैठक में इसका समझौता हुआ था, उसमें IMEC के सभी भागीदार देश यानी भारत, यूएई, अमेरिका, यूरोपीय संघ (EU), सऊदी अरब, इटली, फ्रांस और जर्मनी शामिल थे. IMEC में दो अलग-अलग गलियारे शामिल होंगे. पहला पूर्वी समुद्री गलियारा होगा और दूसरा उत्तरी रेलवे गलियारा होगा. ये कॉरिडोर पारस्परिक रूप से जुड़े ऊर्जा ग्रिड्स, ग्रीन हाइड्रोजन पाइपलाइनों और दूरसंचार केबिलों के ज़रिए हर तरफ कनेक्टिविटी को बढ़ावा देंगे. ज़ाहिर है कि IMEC के अंतर्गत जिस तरह के डिजिटल कनेक्टिविटी का निर्माण किए जाने की योजना है, वो निश्चित तौर पर भारत और यूएई दोनों के दीर्घकालिक आर्थिक हितों एवं सुरक्षा के लिहाज़ से बेहद अहम है. इस कॉरिडोर के निर्माण में शामिल सभी देश समुद्र के नीचे और ज़मीन पर उच्च क्षमता वाली नेटवर्क केबलों को बिछाने में सहयोग करेंगे, साथ ही दूरसंचार में आने वाली परेशानियों को दूर करने के लिए इस गलियारे के साथ-साथ 5G कनेक्टिविटी की सुविधा उपलब्ध कराने में भी मदद करेंगे. ऐसा होने पर न सिर्फ़ इस कॉरिडोर निर्माण के समझौते में शामिल देशों के बीच डिजिटल ट्रेड को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि ये देश एक साथ आएंगे, जिससे कहीं न कहीं उनकी डिजिटल भुगतान की प्रक्रिया के संचालन में भी सुगमता आएगी और उन्हें इसका फायदा होगा.

 

IMEC कई मायनों में बेहद महत्वपूर्ण है, जैसे कि यह कनेक्टिविटी से जुड़े इंफ्रास्ट्रक्चर को नियामक बदलावों और व्यापार समझौतों के साथ एकजुट कर सकता है. CEPA और IMEC को भारत एवं यूएई के द्विपक्षीय रिश्तों के लिहाज़ से देखा जाए, तो व्यापक आर्थिक भागीदारी समझौता यूएई के लिए अधिक फायेदमंद है, जबकि IMEC में भारत के लिए लाभ के अधिक अवसर मौज़ूद हैं. गौरतलब है कि मई 2024 में भारत के एक उच्चस्तरीय प्रतिनिधिमंडल ने IMEC सहयोग को गति देने के लिए यूएई का दौरा किया था और वहां के तीन महत्वपूर्ण बंदरगाहों (ख़लीफ़ा पोर्ट, फुजैरा पोर्ट और जेबेल अली पोर्ट) का दौरा किया था. इस दौरान द्विपक्षीय निवेश, बंदरगाह विकास, लॉजिस्टिक्स एवं आपूर्ति श्रृंखलाओं पर विस्तृत चर्चा हुई थी. भारतीय प्रतिनिधिमंडल के यूएई दौरे से पहले फरवरी 2024 में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और यूएई के राष्ट्रपति शेख मोहम्मद बिन जायद अल नाहयान के बीच बैठक हुई थी, जिसमें दोनों देशों के बीच दस समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए थे. इनमें ऊर्जा ग्रिड एवं ऊर्जा भंडारण सहयोग, डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं एवं डिजिटल पेमेंट पर सहयोग, द्विपक्षीय निवेश संधि, बंदरगाह एवं समुद्री आधारभूत ढांचा विकास और “IMEC पर सहयोग से संबंधित अंतर-सरकारी इंफ्रास्ट्रक्चर” से संबंधित समझौते शामिल थे. देखा जाए तो दोनों देशों के बीच जिन क्षेत्रों में समझौते किए गए, वे सभी सेक्टर IMEC और CEPA के लिहाज़ से बेहद अहम हैं. कहा जा सकता है कि भारत और यूएई के बीच हुए ये समझौते IMEC और CEPA को और क़रीब लाने, या कहा जाए कि संगठित करने का काम करते हैं. सीईपीए और IMEC मिलकर क्या कमाल दिखा सकते हैं, इसका बेहतरीन उदाहरण यूएई का जेबेल अली बंदरगाह और फ्री ज़ोन (JAFZA) है. भू-रणनीतिक लिहाज़ से देखा जाए तो जेबेल अली भारत-मिडिल ईस्ट-यूरोप आर्थिक गलियारा के पूर्वी समुद्री क्षेत्र में स्थित है. इतना ही नहीं, सीईपीए से JAFZA को भारत के साथ कारोबार में फायदा हुआ है. JAFZA में भारतीय एवं भारत की ओर जाने वाले कार्गो ट्रैफिक में वर्ष 2022 के बाद से उल्लेखनीय बढ़ोतरी हुई है. आंकड़ों के मुताबिक़ यहां कार्गो ट्रैफिक 400,000 TEUs से बढ़कर 576,800 TEUs तक पहुंच गया है. ज़ाहिर है कि JAFZA में ही भारत मार्ट का निर्माण किया जा रहा है. भारत मार्ट अंतर्राष्ट्रीय ख़रीदारों तक भारतीय उत्पादों की पहुंच बनाने का बड़ा प्लेटफार्म है और इसे वर्ष 2025 में शुरू करने की योजना है.

 

निष्कर्ष

 

निसंदेह तौर पर व्यापक आर्थिक भागीदारी समझौते ने पिछले दो वर्षों के दौरान भारत और यूएई के द्विपक्षीय रिश्तों को नया आयाम प्रदान किया है. इस समझौते की वजह से ही दोनों देशों के बीच व्यापार में शामिल वस्तुओं में विविधता आई है, साथ ही कई प्रकार की वस्तुओं और सेवाओं पर शुल्क को भी समाप्त किया गया है. इसके अलावा, दोनों देशों की सरकारों या कहा जाए कि भारत के प्रधानमंत्री एवं यूएई के राष्ट्रपति के बीच मज़बूत हुए राजनीतिक भरोसे की वजह से भी द्विपक्षीय सहयोग प्रगाढ़ हुआ है और कई दूसरे सेक्टरों में इसका विस्तार हुआ है. जिस प्रकार से ऐतिहासिक जनादेश के साथ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अगुवाई में भारत में तीसरी बार एनडीए सरकार का गठन हुआ है, उससे स्पष्ट है कि आने वाले दिनों में भारत-यूएई द्विपक्षीय सहयोग और प्रगाढ़ होगा. इतना ही नहीं दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय कारोबार में भी इज़ाफा होगा, साथ ही आपसी संपर्क एवं क्षेत्रीय कनेक्टिविटी भी सशक्त होगी. भारत में एक बार फिर एनडीए सरकार के गठन से निश्चित रूप से IMEC कॉरिडोर के निर्माण में तेज़ी आएगी. जिस प्रकार से IMEC कॉरिडोर का प्रमुख फोकस इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास, डिजिटल कनेक्टिविटी की स्थापना और नियामक फ्रेमवर्क्स के निर्माण पर है, उससे साफ है कि भविष्य में यह भारत, मिडिल ईस्ट और यूरोप के बीच निर्बाध व्यापार का सशक्त ज़रिया बनेगा. कहने का मतलब यह है कि IMEC का निर्माण न सिर्फ़ CEPA के अंतर्गत भारत और यूएई के बीच व्यापार को नए मुक़ाम पर पहुंचाने वाला साबित होगा, बल्कि दोनों देशों को बिजनेस एवं लॉजिस्टिक्स के वैश्विक केंद्रों के तौर पर स्थापित करने में भी मददगार साबित होगा. कुल मिलाकर, CEPA और IMEC के तहत किए जा रहे साझा प्रयासों से, जहां एक ओर भारत और यूएई के बीच पारस्परिक व्यापार के नई ऊंचाई पर पहुंचने की उम्मीद है, वहीं दूसरी और वैश्विक बाज़ार तक दोनों देशों की पहुंच स्थापित होने और आर्थिक प्रगति में दिन दूनी रात चौगुनी वृद्धि होने की भी पूरी संभावना है.


दिनेश एन जोशी सत्य गिरी ग्रुप के चेयरमैन और इंटरनेशनल बिजनेस लिंकेज फोरम (भारत-यूएई पार्टनरशिप समिट) के अध्यक्ष हैं; आईएमसी चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री की अंतर्राष्ट्रीय व्यापार समिति के अध्यक्ष एवं FICCI की नेशनल एग्जीक्यूटिव कमेटी के सदस्य हैं.

पृथ्वी गुप्ता ऑब्ज़र्वर रिसर्च फाउंडेशन में जूनियर फेलो हैं.

The views expressed above belong to the author(s). ORF research and analyses now available on Telegram! Click here to access our curated content — blogs, longforms and interviews.

Authors

Dinesh N Joshi

Dinesh N Joshi

Dinesh N Joshi is Chairman SatyaGiri Group and President of the International Business Linkage Forum (India-UAE Partnership Summit): Chairman International Business Committee IMC Chamber of ...

Read More +
Prithvi Gupta

Prithvi Gupta

Prithvi Gupta is a Junior Fellow with the Observer Research Foundation’s Strategic Studies Programme. Prithvi works out of ORF’s Mumbai centre, and his research focuses ...

Read More +