Author : Girish Luthra

Expert Speak Raisina Debates
Published on Dec 23, 2022 Updated 0 Hours ago

कनाडा की इंडो-पैसिफिक रणनीति का क्रियान्वयन उसे इस क्षेत्र में एक परिपक्व और प्रमुख किरदार के रूप में स्थापित कर सकती है. 

कनाडा की इंडो-पैसिफिक रणनीति से उसकी नीतिगत पसंद स्पष्ट

लंबे इंतज़ार के बाद 27 नवंबर को कनाडा ने अपनी इंडो-पैसिफिक रणनीति को जारी किया और इसके साथ ही वो उन देशों और समूहों की बढ़ती सूची में शामिल हो गया जिन्होंने 2017 से इंडो-पैसिफिक क्षेत्र के लिए अपनी रणनीति का खाका तैयार किया है. कनाडा की इंडो-पैसिफिक रणनीति में अलग-अलग पहलुओं से इस क्षेत्र की बढ़ती विशेषता और महत्व पर ज़ोर दिया गया है. इसके साथ ही कनाडा की आर्थिक समृद्धि, सुरक्षा और समाज के अलावा “कनाडा के लोगों के लिए मायने रखने वाले हर मुद्दे” में इंडो-पैसिफिक के महत्व पर बल दिया गया है. इसमें इंडो-पैसिफिक के साथ कनाडा की गहरी और स्थायी हिस्सेदारी को लेकर प्रतिबद्धता जताई गई है. 

कनाडा की इंडो-पैसिफिक रणनीति में अलग-अलग पहलुओं से इस क्षेत्र की बढ़ती विशेषता और महत्व पर ज़ोर दिया गया है.

प्रमुख पहलू 

कनाडा की इंडो-पैसिफिक रणनीति इस क्षेत्र में कनाडा के सहयोगियों और साझेदारों, जिनमें अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम (UK), यूरोपीय संघ (EU), ऑस्ट्रेलिया, जापान और कोरिया गणराज्य शामिल हैं, के व्यापक दृष्टिकोण के साथ जुड़ी हुई है. कनाडा की इंडो-पैसिफिक रणनीति में पांच उद्देश्यों का खाका खींचा गया है: शांति, सामर्थ्य एवं सुरक्षा को बढ़ावा; व्यापार, निवेश एवं सप्लाई चेन के सामर्थ्य का विस्तार; लोगों में निवेश एवं उनके साथ संपर्क; एक सतत एवं हरित भविष्य का निर्माण; और एक सक्रिय एवं व्यस्त साझेदार होना. हर उद्देश्य के लिए योजना को विस्तृत रूप से बताया गया है. कनाडा इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में मौजूद अवसरों का फ़ायदा उठाने में सक्रिय किरदार बनना चाहता है और मौजूदा एवं उभरती रणनीतिक चुनौतियों का समाधान करने में अपना योगदान देना चाहता है. कनाडा ने चीन की चुनौती का खाका खींचा है जिसमें चीन के रणनीतिक एवं प्रायोजित निवेशों, बलपूर्वक दृष्टिकोणों, क़ानून को एकतरफ़ा ढंग से लागू करने, सैन्य क्षमता और अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था को अपने फ़ायदे के लिए संगठित करने की कोशिश के बारे में चिंता जताई गई है. EU और UK की रणनीति की तरह कनाडा की रणनीति का उद्देश्य भी जहां ज़रूरी हो वहां चीन के साथ सहयोग एवं साझेदारी का और जहां लगे वहां पीछे धकेलने का है. इसके अतिरिक्त कनाडा की योजना चीन के साथ सभी मौजूदा तौर-तरीकों और संरचनाओं की समीक्षा करने और इस क्षेत्र में अपने निवेश को अलग-अलग जगह करने की है. कनाडा ने भारत को एक महत्वपूर्ण साझेदार के रूप में माना है और सहयोग को बढ़ाने के लिए विशेष क्षेत्रों के बारे में संकेत दिया है. 

कनाडा की इंडो-पैसिफिक रणनीति का विशेष ज़ोर उत्तरी एवं पश्चिमी पैसिफिक के क्षेत्रों और जापान, कोरिया गणराज्य, ऑस्ट्रेलिया एवं आसियान देशों के साथ सहयोग मज़बूत करने पर है. सुरक्षा और रक्षा के क्षेत्र में ये विशेष रूप से दिखता है. दक्षिणी चीन सागर, पूर्वी चीन सागर और ताइवान स्ट्रेट में चीन की चुनौतियों का विशेष ज़िक्र; क्षेत्रीय रक्षा संरचना को मज़बूत करना; नौसेना की मौजूदगी एवं सहयोगपूर्ण तैनाती में बढ़ोतरी; कोरियाई प्रायद्वीप में स्थिरता को सुनिश्चित करना; और रक्षा एवं सुरक्षा साझेदारी को बढ़ाना स्पष्ट रूप से पश्चिमी पैसिफिक पर ध्यान का संकेत देता है. कनाडा की इंडो-पैसिफिक रणनीति उसे अमेरिका के नेतृत्व में नई पहल और रूप-रेखा के लिए संभावित साझेदार के तौर पर रखती है. आगे चलकर इस पहल में ऑकस- जो कि ऑस्ट्रेलिया, यूके और अमेरिका के बीच एक अनौपचारिक सुरक्षा गठबंधन है- जैसे संगठन भी शामिल हो सकते हैं.

व्यापार और निवेश में बढ़ोतरी के साथ इंडो-पैसिफिक में बाज़ार तक पहुंच के प्रयासों का इशारा किया जा चुका है. कनाडा आसियान के साथ मुक्त व्यापार समझौतेइंडोनेशिया के साथ व्यापक आर्थिक साझेदारी समझौते (CEPA) और भारत के साथ अंतरिम व्यापार समझौते के बाद व्यापक आर्थिक साझेदारी समझौते (CEPA) को आगे बढ़ाने की कोशिश करेगा.  कनाडा का उद्देश्य स्वच्छ तकनीकों, अंडरवॉटर मैपिंग, रिमोट सेंसिंग, मत्स्य पालन, जैवविविधता के संरक्षण और समुद्री अर्थव्यवस्था में अपने अनुभव के आधार पर साझेदारी का फ़ायदा उठाना है.

विशेष लक्षण 

भौगोलिक क्षेत्र की एक और व्याख्या के तहत कनाडा की इंडो-पैसिफिक रणनीति में उन 40 देशों का ज़िक्र है जिन्हें वो इंडो-पैसिफिक क्षेत्र का हिस्सा मानता है और इन्हें एक नक्शे के ज़रिए दर्शाया गया है. इसमें पश्चिम में पाकिस्तान से लेकर पूर्व में पैसिफिक के 14 द्वीपीय देशों के अलावा भूटान, नेपाल और मंगोलिया शामिल हैं. सांख्यिकी और आंकड़े भी इन्हीं 40 देशों के साथ जुड़े हुए हैं. इसमें प्रकाश डाला गया है कि कनाडा ख़ुद एक पैसिफिक देश हैं और इंडो-पैसिफिक देशों की सूची में शामिल नहीं है बल्कि इंडो-पैसिफिक उसके पड़ोस में है.

कनाडा की इंडो-पैसिफिक रणनीति में एक नये शब्द- इंडो-पैसिफिक क्षेत्र के लोग- की शुरुआत की गई है और इस बात पर ज़ोर डाला गया है कि कनाडा में सबसे ज़्यादा प्रवासी इंडो-पैसिफिक मूल के हैं. रणनीति में इंडो-पैसिफिक क्षेत्र के साथ लोगों के स्तर पर आदान-प्रदान और नारीवादी अंतर्राष्ट्रीय सहायता को प्राथमिकता दी गई है. इसमें पूरे समाज के दृष्टिकोण की धारणा को भी पेश किया गया है जहां व्यवसाय, उद्योग, अकादमिक संस्थान, थिंक टैंक, मीडिया, पेशेवर, कार्यकर्ता और व्यापक सिविल सोसायटी- सभी बड़ी भूमिका अदा करते हैं. इस तरह कनाडा अपनी इंडो-पैसिफिक रणनीति को न केवल सरकार बल्कि पूरे देश की रणनीति के तौर पर पेश करना चाहता है. ऐसा करके कनाडा विविधता, सुलह, पर्यावरणवाद और प्रवासन के अपने घरेलू एजेंडे को विदेश नीति की आवश्यकता के साथ जोड़ना चाहता है. कुछ दूसरी रणनीतियों से हटकर इंडो-पैसिफिक रणनीति में संपर्क या सुरक्षा को लेकर अलग खंड नहीं जोड़ा गया है और रणनीतिक स्वायत्तता का कोई संकेत नहीं है. 

कनाडा की इंडो-पैसिफिक रणनीति में एक नये शब्द- इंडो-पैसिफिक क्षेत्र के लोग- की शुरुआत की गई है और इस बात पर ज़ोर डाला गया है कि कनाडा में सबसे ज़्यादा प्रवासी इंडो-पैसिफिक मूल के हैं. रणनीति में इंडो-पैसिफिक क्षेत्र के साथ लोगों के स्तर पर आदान-प्रदान और नारीवादी अंतर्राष्ट्रीय सहायता को प्राथमिकता दी गई है.

रणनीति में ऑस्ट्रेलिया, आसियान देशों, चीन, भारत, जापान और कोरिया गणराज्य के साथ भागीदारी के लिए विशेष क्षेत्रों और क़दमों के बारे में बताया गया है. लेकिन चीन के साथ भागीदारी की योजना को अन्य देशों से अलग रूप में आगे बढ़ाया गया है और इसे अलग-अलग स्तरों- घरेलू, द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और बहुपक्षीय- पर परिभाषित किया गया है. इसकी असली वजह चीन के साथ भागीदारी को लेकर आशंका एवं जोखिम और इससे हटकर दूसरे देशों के साथ भागीदारी की इच्छा है. रणनीति में कनाडा के व्यवसायों और उसकी अर्थव्यवस्था को चीन की सरकारी कंपनियों के निवेश से सुरक्षित करने के बारे में भी बताया गया है. वैसे तो रणनीति में इस क्षेत्र में महाशक्तियों की प्रतिस्पर्धा की सामरिक चुनौती को उजागर किया गया है, लेकिन इसमें स्पष्ट ढंग से कनाडा को उसके सहयोगियों और साझेदारों के साथ खड़ा किया गया है और ये भी कहा गया है कि उनकी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए प्रतिबद्धता जताई गई है. ताइवान को लेकर कनाडा की वन चाइनानीति का अनुमोदन किया गया है और यथास्थिति को ख़तरे में डालने वाली किसी भी एकतरफ़ा कार्रवाई का विरोध किया गया है. साथ ही उसके साथ संबंध को बढ़ाने की योजना जारी रखने पर ज़ोर दिया गया है. ये रणनीति कनाडा के द्वारा अपनाई जा रही नई दिशा के बारे में चीन को साफ़ संकेत देती है. रणनीति में चीन और इंडो-पैसिफिक को लेकर कनाडा की जानकारी और समझ को बेहतर करने में निवेश की योजना की बात भी है. 

उम्मीद के मुताबिक़ ग्लोबल टाइम्स ने कहा कि कनाडा की ये रणनीति बेहद महत्वाकांक्षी और चीन के लोगों को लेकर ईर्ष्या और पूर्वाग्रह से भरपूर है. ग्लोबल टाइम्स ने कनाडा पर अमेरिकी दस्तावेज़ों से चोरी और नक़ल का आरोप लगाया और अमेरिका के मातहत के रूप में “कोल्ड वॉर 2.0 के लिए चीयरलीडर” के रूप में कनाडा की भूमिका पर प्रकाश डाला. 

क्रियान्वयन 

कनाडा की रणनीति की पिछले तीन साल से ज़्यादा समय से तैयारी और समीक्षा हो रही थी. इस तरह की ख़बरें हैं कि रणनीति के कई मसौदों की जांच-पड़ताल की गई थी. रणनीति का जो प्रारूप जारी किया गया है वो संक्षिप्त है और उसका व्यापक दृष्टिकोण व्यावहारिक है जिसमें लक्ष्यों और उद्देश्यों के बारे में स्पष्टता दिखाई गई है. इसके क्रियान्वयन को लेकर जो प्रमुख क़दम उठाए जाने की योजना है, उनके बारे में पर्याप्त वर्णन किया गया है. ख़बरों के मुताबिक़ संसाधन और फंडिंग से जुड़े समर्थन के लिए कई बार बताया गया है जिन्हें आख़िरकार ज़्यादा वास्तविक बनाया गया है. पांच वर्षों में 2.3 अरब अमेरिकी डॉलर के आवंटन की योजना बनाई गई है जिसमें से लगभग 750 मिलियन अमेरिकी डॉलर फिनडेव (कनाडा का विकास वित्त संस्थान) के लिए और 492 मिलियन अमेरिकी डॉलर नौसेना की मौजूदगी के विस्तार एवं क्षेत्रीय सैन्य अभ्यास में भागीदारी के लिए है. प्रवासन समर्थन के लिए 74 मिलियन अमेरिकी डॉलर के ताज़ा आवंटन का भी संकेत दिया गया है. अतीत में मिले-जुले नतीजों के रिकॉर्ड को देखते हुए ये साफ़ नहीं है कि इंडो-पैसिफिक में अधिकार के क्षेत्र में काम करने वाले संगठनों के लिए फंडिंग का समर्थन बढ़ाया जाएगा या नहीं.  

जैसा कि कुछ अन्य देशों ने किया है, कनाडा भी इंडो-पैसिफिक क्षेत्र के लिए एक विशेष दूत को नियुक्त करने की योजना बना रहा है जो नीति और अभियान के स्तरों पर ज़रूरी तालमेल बढ़ाने का काम करेगा. हवाई में एक नई कूटनीतिक पद की भी योजना बनाई गई है जो अमेरिका के इंडो-पैसिफिक कमांड के मुख्यालय के साथ प्रभावी संपर्क को शुरू करेगा. 

रणनीति में “इंडो-पैसिफिक में एक सक्रिय और व्यस्त साझेदार के रूप में कनाडा” के पांचवें और अंतिम उद्देश्य पर कार्रवाई सभी उद्देश्यों के क्रियान्वयन की योजना को आगे बढ़ाएगा.

रणनीति में कोई विशेष समीक्षा या निगरानी की प्रणाली का संकेत नहीं दिया गया है लेकिन इसकी घोषणा जल्द की जा सकती है. इंडो-पैसिफिक रणनीति अपने साथ इस क्षेत्र में मौजूदा रणनीतिक प्रतिस्पर्धा और शत्रुता में बढ़ोतरी की आशंका लाती है. लेकिन सहयोगपूर्ण और सार्थक क्रियान्वयन  कनाडा को इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में एक परिपक्व और प्रमुख किरदार के रूप में स्थापित कर सकता है. काफ़ी हद तक रणनीति में “इंडो-पैसिफिक में एक सक्रिय और व्यस्त साझेदार के रूप में कनाडा” के पांचवें और अंतिम उद्देश्य पर कार्रवाई सभी उद्देश्यों के क्रियान्वयन की योजना को आगे बढ़ाएगा. 

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