Author : Hari Seshasayee

Expert Speak Raisina Debates
Published on Oct 29, 2024 Updated 0 Hours ago

भारत और अर्जेंटीना के संबंधों में न तो कोई विचारधारा और राजनीति आड़े आती है और न ही हितों को लेकर ही कोई आपसी टकराव दिखाई देता है. यही वजह है कि दोनों देशों के बीच व्यापार तेज़ी से फलफूल रहा है और उसमें कोई अड़चन नहीं है.

आर्थिक कूटनीति की मिसाल बने भारत-अर्जेंटीना के मज़बूत व्यापारिक संबंध!

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इस बात की उम्मीद कोई भी नहीं कर सकता है कि भू-राजनीति भारतीय परिवारों के रसोईघरों में भी उथल-पुथल मचा सकती है. लेकिन सनफ्लॉवर ऑयल यानी सूरजमुखी के तेल को लेकर भू-राजनीतिक उठापटक ने भारतीय परिवारों की रसोई में भूचाल ला दिया है. भारत दुनिया में वनस्पति तेलों का सबसे बड़ा आयातक राष्ट्र है और अपनी ज़रूरतों को पूरा करने के लिए 70 प्रतिशत तेल दूसरे देशों से आयात करता है. कई देशों द्वारा भारत को विभिन्न प्रकार के खाद्य तेलों जैसे कि पाम ऑयल, सोयाबीन ऑयल, सूरजमुखी तेल, नारियल तेल, जैतून ऑयल, जोजोबा ऑयल और सरसों के तेल आदि की आपूर्ति की जाती है. भारत द्वारा आयत किए जाने वाले खाद्य तेलों में सबसे अधिक मात्रा पाम ऑयल की होती है. अधिकतर पाम ऑयल का आयात दक्षिण पूर्व एशिया से किया जाता है, उसमें भी विशेष रूप से इंडोनेशिया, मलेशिया एवं थाईलैंड से आयात किया जाता है. वहीं सोयाबीन तेल की बात की जाए तो, इसे ब्राजील, अर्जेंटीना एवं पराग्वे जैसे दक्षिण अमेरिकी देशों से आयात किया जाता है, जबकि थोड़ी बहुत मात्रा में इसे रूस एवं पश्चिम एशियाई देशों से भी आयात किया जाता है. खाद्य तेलों के आयात में तीसरे नंबर पर सूरजमुखी का तेल आता है, जिसे ज़्यादातर यूक्रेन एवं रूस से आयात किया जाता है.

 

यूक्रेन से भारत को होने वाले सूरजमुखी तेल के निर्यात के आंकड़ों पर नज़र डालें, तो वर्ष 2009 से 2021 तक किसी भी दूसरे देश की तुलना में यूक्रेन ने भारत को बहुत अधिक सूरजमुखी तेल का निर्यात किया. फरवरी 2022 में यूक्रेन पर रूसी हमले के बाद के वर्ष में यूक्रेन से होने वाले सूरजमुखी तेल के कुल निर्यात में 20 प्रतिशत से अधिक की गिरावट दर्ज की गई. इतना ही नहीं यूक्रेन द्वारा वर्ष 2021 में भारत को 1.5 मिलियन टन सूरजमुखी तेल का निर्यात किया गया था, जो कि वर्ष 2022 में घटकर 6,33,623 टन और वर्ष 2023 में गिरकर केवल 3,74,619 टन ही रह गया. ज़ाहिर है कि भारत को सूरजमुखी तेल की घरेलू मांग को पूरा करने के लिए दूसरे देशों की ओर रुख करना पड़ा. इसी दौरान भारत की आवश्यकता को पूरा करने के लिए अर्जेंटीना सामने आया. दरअसल, अर्जेंटीना की ओर से भारत को नियमित तौर पर सोयाबीन के तेल की आपूर्ति की जाती है, जबकि वह अपना ज़्यादातर सूरजमुखी का तेल लैटिन अमेरिकी देशों, ख़ास तौर पर चिली और ब्राज़ील जैसे पड़ोसी देशों को निर्यात करता है. आंकड़ों के मुताबिक़ अर्जेंटीना ने वर्ष 2022 में यूक्रेन संकट शुरू होने के बाद भारत को 4,05,573 टन सूरजमुखी तेल का निर्यात किया, जो इसके कुल वैश्विक निर्यात यानी 5,19,900 टन का लगभग 78 प्रतिशत था. इतना ही नहीं वर्ष 2023 में अर्जेंटीना से भारत होने वाले सूरजमुखी तेल के निर्यात का आंकड़ा बढ़कर 5,42,366 टन पहुंच गया.

 

आर्थिक कूटनीति की बेहतरीन मिसाल

अर्जेंटीना द्वारा भारत को सूरजमुखी तेल के निर्यात में आया यह तेज़ उछाल देखा जाए तो आर्थिक कूटनीति की बेहतरीन मिसाल पेश करता है. यह अर्जेंटीना के साथ भारत के सशक्त द्विपक्षीय संबंधों की वजह से यह आर्थिक कूटनीति परवान चढ़ी है. भारत और अर्जेंटीना के संबंधों में विचारधार और राजनीति कभी आड़े नहीं आती है और इसीलिए दोनों देशों द्वारा हमेशा आपसी व्यापार को सबसे ऊपर रखा जाता है. गौरतलब है कि ऐसा पहली बार नहीं है, जब इस आर्थिक कूटनीति ने अर्जेंटीना के साथ भारत के व्यापारिक रिश्तों की मज़बूती में अहम भूमिका निभाई है. इससे पहले वर्ष 2010 में भी ऐसा देखने को मिला था, जब ब्यूनस आयर्स ने चीनी औद्योगिक वस्तुओं पर शुल्क बढ़ा दिया था और जवाब में बीजिंग ने अर्जेंटीना के होने वाले सोयाबीन तेल के आयात पर रोक लगा दी थी, यानी अर्जेंटीना और चीन के बीच तलवारें खिंच गई थी और दोनों आमने-सामने आ गए थे. भारत इस मौक़े की तलाश में था और उसने अर्जेंटीना से सोयाबीन तेल का आयात करने के लिए इसी आर्थिक कूटनीति का इस्तेमाल किया. इसके फलस्वरूप उस साल अर्जेंटीना से भारत को होने वाले सोयाबीन तेल के आयात में ज़बरदस्त बढ़ोतरी दर्ज़ की गई थी. वर्ष 2009 में अर्जेंटीना से भारत को 6,00,000 टन सोयाबीन तेल का निर्यात किया गया था, जो कि वर्ष 2010 में लगभग दोगुना बढ़कर 1 मिलियन टन तक पहुंच गया था.

अर्जेंटीना द्वारा भारत को सूरजमुखी तेल के निर्यात में आया यह तेज़ उछाल देखा जाए तो आर्थिक कूटनीति की बेहतरीन मिसाल पेश करता है. यह अर्जेंटीना के साथ भारत के सशक्त द्विपक्षीय संबंधों की वजह से यह आर्थिक कूटनीति परवान चढ़ी है. 

भारत और अर्जेंटीना के व्यापारिक संबंध

भारत और अर्जेंटीना के व्यापारिक संबंधों की बात की जाए तो अभी भी दोनों देशों के द्विपक्षीय व्यापार में अर्जेंटीना की ओर से किया जाने वाले वनस्पति तेलों के निर्यात का हिस्सा 50 प्रतिशत से अधिक है. इसके साथ ही दोनों देशों के बीच पिछले दो दशकों के दौरान व्यापारिक रिश्ते काफ़ी मज़बूत हुए हैं. अर्जेंटीना के तत्कालीन राष्ट्रपति मौरिसियो मैक्री ने जब फरवरी 2019 में भारत का दौरा किया था, तब भारत और अर्जेंटीना ने अपने संबंधों को एक 'रणनीतिक साझेदारी' के रूप में बखान किया था. अर्जेंटीना के साथ साझेदारी में रणनीतिक शब्द का इस्तेमाल किया जाना भारतीय विदेश नीति के जानकारों को किसी भी लिहाज़ से हजम नहीं हो सकता है, क्योंकि भारत द्वारा रणनीतिक शब्द का इस्तेमाल अमूमन अमेरिका, रूस या जर्मनी जैसे देशों के साथ अपनी साझेदारी में किया जाता है. ज़ाहिर है कि लोगों को यह पता नहीं है कि भारत और अर्जेंटीना के बीच रक्षा, परमाणु ऊर्जा जैसे क्षेत्रों में गहरे संबंध हैं, इसके अलावा हाल-फिलहाल में ही दोनों देशों के बीच दुर्लभ खनिजों जैसे अहम सेक्टर में भी साझेदारी स्थापित हुई है. भारत और अर्जेंटीना के बीच रक्षा सहयोग में अर्जेंटीना की वायु सेना और भारत के हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) के बीच किया गया एक समझौता भी शामिल है. इस समझौते के तहत एचएएल अर्जेंटीना को हेलीकॉप्टर के उपकरण एवं मशीनरी की आपूर्ति करता है, साथ ही उनके रखरखाव एवं मरम्मत से जुड़ी सेवाएं भी उपलब्ध कराता है. इसके अलावा, अर्जेंटीना ने वर्ष 2015 में अपने डसॉल्ट मिराज लड़ाकू विमानों को वायुसेना से हटाया था और तभी से वो इनकी जगह पर नए फाइटर जेट की तलाश कर रहा है. ज़ाहिर है कि भारत भी अपने बहुउद्देशीय लड़ाकू विमान तेजस के लिए बाज़ार की तलाश में जुटा है और अर्जेंटीना की ज़रूरत पूरा करने वाला संभावित आपूर्तिकर्ता देश हो सकता है. हालांकि, अमेरिका के एफ-16 फाइटर जेट और चीन एवं पाकिस्तान द्वारा संयुक्त रूप से निर्मित चेंगदू/पीएसी जेएफ-17 थंडर ब्लॉक III लड़ाकू विमान भी अर्जेंटीना की आवश्यकता को पूरा करने की दौड़ में शामिल हैं. रक्षा के क्षेत्र में भारत और अर्जेंटीना के बीच सहयोग के लिए दोनों ओर से लगातार प्रयास किए जाते रहे हैं. दोनों ही देश अपने दूतावासों में लगातार डिफेंस अटैची की नियुक्ति करते हैं. इसके अलावा, रक्षा सहयोग को बढ़ावा देने के लिए अर्जेंटीना की ओर से भारत की कई उच्च स्तरीय यात्राएं भी हुई हैं. इनमें जुलाई 2023 में अर्जेंटीना के रक्षा मंत्री की भारत की पहली द्विपक्षीय यात्रा और वर्ष 2022 में अर्जेंटीना के उच्च-स्तरीय सैन्य अफ़सरों की दो यात्राएं शामिल हैं. गौरतलब है कि 2022 में अर्जेंटीना के वायुसेना प्रमुख और अर्जेंटीना आर्म्ड फोर्सेज़ के ज्वाइंट चीफ ऑफ स्टाफ ने भारत की यात्राएं की थीं.

भारत और अर्जेंटीना के व्यापारिक संबंधों की बात की जाए तो अभी भी दोनों देशों के द्विपक्षीय व्यापार में अर्जेंटीना की ओर से किया जाने वाले वनस्पति तेलों के निर्यात का हिस्सा 50 प्रतिशत से अधिक है. 

भारत और अर्जेंटीना के बीच रक्षा सहयोग 

इसके अलावा, भारत और अर्जेंटीना के बीच अंतरिक्ष के क्षेत्र में भी सहयोग बढ़ रहा है. दोनों देशों की अंतरिक्ष एजेंसियों, यानी भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) और अर्जेंटीना की CONAE यानी नेशनल स्पेस एक्टिविटीज कमीशन ने आउटर स्पेस कोऑपरेशन यानी बाह्य अंतरिक्ष के क्षेत्र में सहयोग के लिए फ्रेमवर्क एग्रीमेंट पर हस्ताक्षर किए हैं. CONAE के निदेशक ने जुलाई 2023 में भारत की यात्रा की थी और इस दौरान उन्होंने ज़ोर देकर कहा था कि "हम भविष्य के एल-बैंड सैटेलाइट पर पारस्परिक सहयोग की संभावनाओं का पता लगा रहे हैं. भारत इस उपग्रह को नासा के साथ मिलकर विकसित कर रहा है, साथ ही उपग्रह प्रक्षेपण यान के क्षेत्र में भी भारत के साथ सहयोग की संभावनाओं का विश्लेषण किया जा रहा है."

भारत और अर्जेंटीना के बीच अंतरिक्ष के क्षेत्र में भी सहयोग बढ़ रहा है. दोनों देशों की अंतरिक्ष एजेंसियों, यानी भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) और अर्जेंटीना की CONAE यानी नेशनल स्पेस एक्टिविटीज कमीशन ने आउटर स्पेस कोऑपरेशन यानी बाह्य अंतरिक्ष के क्षेत्र में सहयोग के लिए फ्रेमवर्क एग्रीमेंट पर हस्ताक्षर किए हैं.

भारत और अर्जेंटीना के बीच विभिन्न सेक्टरों में सहयोग बढ़ रहा है यह इससे भी ज़ाहिर होता है कि हाल ही में अर्जेंटीना की विदेश मंत्री डायना मोंडिनो ने भारत का दौरा किया था और उनके साथ एक भारी-भरकम व्यापारिक प्रतिनिधिमंडल भी भारत आया था. इसके साथ ही अर्जेंटीना के तमाम सरकारी अधिकारी भी विदेश मंत्री के साथ भारत आए थे. इस दौरान विदेश मंत्री डायना मोंडिनो ने कहा था कि अर्जेंटीना BRICS समूह में शामिल नहीं होगा. ज़ाहिर है कि दिसंबर 2023 में नई सरकार के गठन के बाद से ही अर्जेंटीना कई बार इस बात को दोहरा चुका है. उन्होंने यह भी कहा कि उनकी सरकार के ब्रिक्स में शामिल नहीं होने के फैसले का भारत-अर्जेंटीना के रिश्तों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा. इतना ही नहीं, अर्जेंटीना द्वारा इस बात को भी स्पष्ट तौर पर कहा गया है कि वह भारत के साथ अपने द्विपक्षीय संबंधों का विस्तार करना चाहता है. ज़ाहिर है कि अगर भारत और अर्जेंटीना अपने पारस्परिक संबंधों को सशक्त करने के लिए इसी प्रकार कोशिशें करते रहे, तो भविष्य में आर्थिक कूटनीति यानी व्यापारिक और आर्थिक रिश्तों में मज़बूती की ऐसी दूसरी मिसालें भी देखने को मिल सकती हैं.


हरि शेषासायी ऑब्ज़र्वर रिसर्च फाउंडेशन में विजिटिंग फेलो हैं और Consilium Group के सह-संस्थापक हैं.

[1] All trade data is from https://www.trademap.org/

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