Published on Jul 25, 2022 Updated 29 Days ago

चीन के हेनान प्रांत में पैदा हुए बैंकिंग के हालिया संकट ने चीन की अफ़रशाही के निचले तबक़े के बीच फैले भयंकर भ्रष्टाचार को उजागर कर दिया है.

चीन के बैंकिंग सेक्टर का संकट, शी जिनपिंग के भ्रष्टाचार विरोधी अभियान की अग्निपरीक्षा है

चीन की एक कहावत है- टियान गाओ हुआंडी युआन (यानी जन्नत ऊंचाई पर है, बादशाह बहुत दूर है). ये कहावत आज के दौर के चीन के लिए भी उतनी ही प्रासंगिक है, जितनी युआन राजवंश के शासनकाल में थी, जब इस कहावत का जन्म हुआ था. ये कहावत चीन की नौकरशाही के पास मौजूद उस बेलगाम ताक़त की गवाही देती है, जो चीन के केंद्रीय नेतृत्व से बहुत दूर है. इसकी मिसाल हम उन स्थानीय अधिकारियों के बर्ताव के तौर पर देख रहे हैं, जिस तरह इन अधिकारियों ने चीन के हेनान प्रांत के ग्रामीण बैंकों के संकट से निपटने की कोशिश की है.

10 जुलाई को चीन के मध्यवर्ती सूबे हेनान में विरोध प्रदर्शन कर रहे खाताधारकों पर अज्ञात लोगों ने हमला किया था. उस दिन क़रीब एक हज़ार बैंक खाताधारक, झेंग्झौ  शहर में चीन के केंद्रीय बैंक के बाहर जमा हुए थे.

10 जुलाई को चीन के मध्यवर्ती सूबे हेनान में विरोध प्रदर्शन कर रहे खाताधारकों पर अज्ञात लोगों ने हमला किया था. उस दिन क़रीब एक हज़ार बैंक खाताधारक, झेंग्झौ  शहर में चीन के केंद्रीय बैंक के बाहर जमा हुए थे. ये लोग अधिकारियों से अपील कर रहे थे कि हेनान और अनहुई सूबों के उनके बैंक खातों पर से प्रतिबंध हटा लिए जाएं जो, युझोऊ शिंनमिनशेंग ग्रामीण बैंक, शांगकाई हुइमिन ग्रामीण बैंक, झेचेंग हुआंगहुई सामुदायिक बैंक, न्यू ओरिएंटल कंट्री बैंक ऑफ़ काइफेंग और गुज़हेन शिनहुआइहे ग्रामीण बैंक में हैं. इन बैंकों ने अपने यहां जमा खाताधारकों का पैसा देने से इनकार कर दिया था. वैसे तो चीन के अधिकारियों ने अब तक नहीं बताया है कि इन बैंकों में जमा कितनी रक़म को निकालने पर रोक लगी है. लेकिन, साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट अख़बार के एक आकलन के मुताबिक़, इन बैंकों में लगभग 1.5 अरब डॉलर की रक़म जमा है. लोगों को इन बैंकों में अपने पैसे जमा करने के लिए राज़ी करना शायद कोई मुश्किल काम नहीं रहा होगा. क्योंकि, इन छोटे ग्रामीण बैंकों में पांच साल पैसे जमा करने पर साला 4.1 से 4.5 प्रतिशत ब्याज देने का वादा किया जा रहा था. इन बैंकों ने किसी और ऑनलाइन कंपनी के ज़रिए अपनी ये योजना बेची थी. इसी वजह से ग्राहकों को लगा कि बैंक ऑफ़ चाइना जैसे सरकारी बैंकों की तुलना में अगर इन ग्रामीण बैंकों में पैसे जमा किए जाएं, तो उनकी रक़म ज़्यादा तेज़ी से बढ़ेगी. क्योंकि बैंक ऑफ़ चाइना और उसके जैसे अन्य बैंकों में पांच साल के लिए पैसे फिक्स करने पर 2.75 प्रतिशत सालाना की दर से ब्याज मिलता है. चीन में ऐसे कम से कम चार हज़ार बैंक ग्रामीण क्षेत्रों में कारोबार कर रहे हैं. साल 2021 में चीन के केंद्रीय बैंक ने इन क़र्ज़ देने वाली संस्थाओं को निर्देश दिया था कि वो इंटरनेट के ज़रिए लोगों से पैसे जमा न कराएं. इन पाबंदियों का मक़सद, छोटे बैंकों द्वारा अपने इलाक़े से दूर-दराज़ के क्षेत्रों से कारोबार जुटाने की कोशिशों पर लगाम लगाना था.

इस साल चीन में कम से कम एक करोड़ लोगों के ग्रेजुएशन पूरा कर लेने की उम्मीद है. ज़ाहिर है इससे रोज़गार हासिल करने का मुक़ाबला और कड़ा ही होगा.

किसान और छोटे कारोबारी अपने लिए क़र्ज़ की ज़रूरतें पूरी करने के लिए ऐसे ही ग्रामीण बैंकों का रुख़ करते हैं. लेकिन, मुश्किल दौर में ऐसे ही संस्थानों के बर्बाद होने का डर रहता है. इसके अलावा, कोविड-19 के संक्रमण के नए विस्फोट और उसके चलते लॉकडाउन लगने की आशंका ने चीन में रोज़गार के बाज़ार पर बहुत बुरा असर डाला है. इस साल चीन में कम से कम एक करोड़ लोगों के ग्रेजुएशन पूरा कर लेने की उम्मीद है. ज़ाहिर है इससे रोज़गार हासिल करने का मुक़ाबला और कड़ा ही होगा. कोरोना महामारी की रोकथाम के लिए लगाए जा रहे प्रतिबंधों के चलते, इस साल भी चीन में बेरोज़गारी की दर साल 2020 के स्तर तक पहुंचने की आशंका जताई जा रही है. आंकड़ों के आधार पर कहा जा रहा है कि 2020 के मध्य तक चीन में बेरोज़गारों की तादाद 9.2 करोड़ तक पहुंच गई थी, जो चीन की कामकाजी आबादी के लगभग 12 प्रतिशत के बराबर है. चीन के केंद्रीय बैंक में अपने पैसे जमा कराने वाले शहरी नागरिकों के बीच कराए गए एक सर्वे के मुताबिक़, भविष्य में अपनी आमदनी में गिरावट को लेकर उनकी आशंकाएं साल 2020 के शुरुआती दौर के बाद सबसे निचले स्तर पर हैं. सर्वे में शामिल 58 प्रतिशत से ज़्यादा लोगों ने अपनी बचत को अधिक से अधिक बढ़ाने की ज़रूरत बताई थी (नीचे का ग्राफिक देखें)

स्त्रोत – पीपुल्स बैंक ऑफ़ चाइना सांख्यिकी, छठा स्तर

मुश्किल हालात के लिए नक़द रक़म जमा करने को लेकर इस चिंता ने भी लोगों को छोटे बैंकों में निवेश बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित किया होगा और इसी वजह से इन वित्तीय संस्थानों की अपनी कमज़ोरी का पर्दाफ़ाश हो गया.

शी जिनपिंग का भ्रष्टाचार विरोधी अभियान: कामयाबी से नाकामी ज़्यादा

इस बीच, बदनामी की ख़बरों से बचने के लिए चीन के बैंकिंग और बीमा क्षेत्र के नियामक आयोग ने ग्रामीण बैंकों के फेल हो जाने के बाद के हालात से निपटने की कोशिश  में 50 हज़ार युआन (7450 डॉलर) तक के खाताधारकों को उनके पैसे लौटाने शुरू कर दिए हैं. लेकिन हेनान और अनहुई सूबों में हुई घटनाओं ने स्थानीय अधिकारियों पर चीन की केंद्रीय सरकार की पकड़ और राष्ट्रपति शी जिनपिंग के भ्रष्टाचार विरोधी अभियान पर सवालिया निशान लगा दिए हैं. स्थानीय अधिकारियों ने तो पहले महामारी रोकने के लिए लागू किए गए स्वास्थ्य के कोड की व्यवस्था का लाभ उठाते हुए, बैंकिंग संकट के शिकार लोगों को विरोध प्रदर्शन करने से रोकने की कोशिश की. वैसे तो कुछ अधिकारियों के ख़िलाफ़ अब कार्रवाई हो रही है. लेकिन, कार्रवाई के नाम पर उन्हें अनुशासन की मामूली सी झिड़की ही दी जा रही है.

सोशल मीडिया पर लीक हुई तस्वीरों के मुताबिक़, बैंकिंग संकट के ख़िलाफ़ प्रदर्शन करने वालों को अज्ञात लोग मारते-पीटते दिख रहे हैं, वो भी पुलिस कर्मचारियों की मौजूदगी में. इसे लेकर चीन में बहुत हंगामा खड़ा हो गया है.

दूसरा सोशल मीडिया पर लीक हुई तस्वीरों के मुताबिक़, बैंकिंग संकट के ख़िलाफ़ प्रदर्शन करने वालों को अज्ञात लोग मारते-पीटते दिख रहे हैं, वो भी पुलिस कर्मचारियों की मौजूदगी में. इसे लेकर चीन में बहुत हंगामा खड़ा हो गया है. अपनी किताब, ‘आउटसोर्सिंग रिप्रेशन: आधुनिक चीन में सरकार की रोज़मर्रा की ताक़त’ में लेखिका लिनेट ओंग कहती हैं कि चीन के स्थानीय अधिकारी ग़ैर सरकारी लोगों का इस्तेमाल करके, ज़िद्दी लोगों पर अपना हुक्म थोपने की कोशिश करते हैं. स्थानीय अधिकारियों की ऐसी हरकतें अक्सर मीडिया की नज़र से छुपी रह जाती हैं. चीन के दो सूबों में बैंकिंग संकट को छुपाने के लिए स्थानीय अधिकारियों ने जितनी हदें पार की हैं, उससे स्थानीय अधिकारियों के बेलगाम होने और केंद्र का फ़रमान न मानने की बीमारी बड़े स्तर पर फैली होने का अंदाज़ा लगता है. ये तब हो रहा है जब चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने आर्थिक स्थिरता को सबसे बड़ी प्राथमिकता बताया है. जिनपिंग ने अपने देश की जनता से ये वादा भी किया है कि वो सरकार के नियंत्रण वाली वित्तीय व्यवस्था पर निगरानी को और बेहतर बनाएंगे. दिसंबर 2021 में हुई सेंट्रल इकॉनमिक वर्क कांफ्रेंस- जो चीन के सत्ताधारी तबक़े के लिहाज़ से बहुत अहम बैठक है और जिसमें सत्ता पर क़ाबिज़ लोग देश के वित्तीय क्षेत्र का एजेंडा तय करते हैं- के बाद जारी आधिकारिक बयान में ‘स्थिरता’ शब्द का ज़िक्र 25 बार आया था. चीन की सत्ताधारी कम्युनिस्ट पार्टी ने पूंजी के नकारात्मक असर पर क़ाबू पाने का वादा किया था. चीन के जनरल ऑफिस ऑफ द सेंट्रल फाइनेंशियल ऐंड इकॉनमिक अफेयर्स कमीशन के कार्यकारी उप-निदेशक हान वेनशियू ने ‘ट्रैफिक लाइट्स’ व्यवस्था का विचार पेश किया था. इसके तहत कुछ मामलों में पूंजी को बढ़ावा देने और कुछ क्षेत्रों में कुछ पाबंदियों के साथ पूंजी को इजाज़त देने या फिर पूरी तरह से प्रतिबंधित करने का प्रस्ताव दिया गया था. तीसरा, पुलिस की जांच में पता चला है कि लू यी की अगुवाई वाले आपराधिक गिरोह ने एक निवेश कंपनी के ज़रिए इन बैंकों पर अपना नियंत्रण स्थापित कर लिया था और उसके बाद बैंकों में जमा आम लोगों का पैसा, फ़र्ज़ी क़र्ज़ देने के बहाने अपने खातों में ट्रांसफर कर लिया था. उसकी इस निवेश कंपनी बैंक के अधिकारियों, ऑनलाइन कंपनियों और बिचौलियों से साठ-गांठ कर रखी थी, जिससे ग्राहकों को ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के ज़रिए पैसे जमा करने के लिए लुभाया जा सके.

चीन के मामले में तो वित्तीय सुरक्षा सीधे सीधे राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ी हुई है. शीए माओसोंग चीन की एकेडमी ऑफ़ साइंसेज़ के एक राजनीति वैज्ञानिक हैं. वो कहते हैं कि वित्तीय जोखिमों पर काबू पाने और उन्हें ख़त्म करने में चीन की कम्युनिस्ट पार्टी (CCP) की नाकामी आगे चलकर ख़ुद उसकी हुकूमत की स्थिरता के लिए घातक है.

इस बैंकिंग संकट में जिस आपराधिक गिरोह का हाथ बताया जा रहा है, वो 2011 से ही सक्रिय है और ख़बर ये है कि इसका सरगना लू यी, चीन से भाग निकला है. ये आपराधिक गिरोह अधिकारियों के साथ साठ-गांठ करके खुलकर बिना किसी डर के अपना काला धंधा चला रहा है और पिछले एक दशक से क़ानून के शिकंजे से दूर है. इससे पता चलता है कि संगठित ऊंचे पदों पर बैठे लोग और स्थानीय अधिकारियों के बीच कितने बड़े पैमाने पर साठ-गांठ हुई है. आख़िर में, भ्रष्ट अधिकारियों के ख़िलाफ़ शी जिनपिंग का बहुप्रचारित अभियान अपने आप में इस बात का सुबूत है कि चीन की सरकार ये मानती है कि अधिकारी बेलगाम होकर जनता को परेशान कर रहे हैं. इसके अलावा बेरोज़गारी और भ्रष्टाचार जैसे कारणों ने अफ्रीका और पश्चिमी एशिया में सरकारों का तख़्ता पलटा है. हेनान से आई तस्वीरों में बैंकों के खाताधारक अपने विरोध प्रदर्शन में ऐसी तख़्तियां और बैनर लेकर दिखाई दे रहे हैं, जिसमें ‘कोई जमा नहीं कोई मानव अधिकार नहीं’ और ‘हम हेनान सूबे की सरकार के भ्रष्टाचार और हिंसा के ख़िलाफ़ खड़े हैं’, जैसे नारे लिखे हुए हैं. हेनान प्रांत के अधिकारियों ने जिस तरह प्रदर्शनकारियों से सख़्ती की. बैंक के सामने टैंक और बख़्तरबंद गाड़ियां तैनात कर दीं, उससे ये लगता है कि हेनान के सरकारी अधिकारी, शी जिनपिंग के भ्रष्टाचार विरोधी अभियान से हासिल हुए फ़ायदों को मिटा देने पर आमादा हैं. चीन के मामले में तो वित्तीय सुरक्षा सीधे सीधे राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ी हुई है. शीए माओसोंग चीन की एकेडमी ऑफ़ साइंसेज़ के एक राजनीति वैज्ञानिक हैं. वो कहते हैं कि वित्तीय जोखिमों पर काबू पाने और उन्हें ख़त्म करने में चीन की कम्युनिस्ट पार्टी (CCP) की नाकामी आगे चलकर ख़ुद उसकी हुकूमत की स्थिरता के लिए घातक है. शी जिनपिंग ने बिल्कुल सही ही कहा था कि भ्रष्टाचार, चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के लिए सबसे बड़ा ख़तरा है. जिनपिंग ने नियामक संस्थाओं और अन्य सरकारी एजेंसियों से कहा भी था कि वो वित्तीय क्षेत्र के प्रशासन और निगरानी को सुधारे. शी जिनपिंग के भ्रष्टाचार निरोधक अभियान का मक़सद, वित्तीय क्षेत्र के टाइगर यानी ‘बड़ी मछलियां’ पकड़ना रहा है. चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के अपने शब्दों में कहें, तो टाइगर असल में पार्टी के सीनियर नेताओं का एक कोड है. लेकिन, बड़े अधिकारियों पर ज़्यादा तवज्जो होने के कारण कहीं, मक्खियां (निचले स्तर के अधिकारी) तो अपनी जगह पर बने रहकर ज़्यादा नुक़सान तो नहीं पहुंचा रहे हैं? ये एक ऐसा सवाल है, जिस पर चीन की कम्युनिस्ट पार्टी को ज़रूर से ज़रूर विचार करना चाहिए.

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