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शी जिनपिंग के नेतृत्व वाले चीन को समझने में भूल मत कीजिए. �
रोबोटिक्स और वियरेबल टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल अस्पतालों �
क्या अंतरराष्ट्रीय क़ानून में कोई ऐसी व्यवस्था है जिसके
आज भारत को एक ऐसे देश से चुनौती मिल रही है, जिसके नेतृत्व क�
एक बड़ी क्षेत्रीय शक्ति होने के नाते भारत की ये ज़िम्मेद�
ये बात आपको हैरान कर सकती है कि जिस वक़्त भारत कोबाल्ट-60 से
ये बात आपको हैरान कर सकती है कि जिस वक़्त भारत कोबाल्ट-60 से
भारतीय सेना पहले भी महामारी से निपट चुकी है और कोलरा, चेचक
मूल मुद्दा आधुनिकीकरण के लिए आवंटित फंड है. अर्थव्यवस्था
भारत के थल सेनाध्यक्ष ये कहकर नहीं बच सकते हैं कि उनका बया
गुट निरपेक्षता का एक दौर था. भारत उसका हिस्सा था. वो गुट नि�
पूंजीवाद और नव-उदारवाद का दोष निकाला जा सकता है लेकिन उसक�
अब जबकि भारत और अमेरिका के बीच बड़े मसलों पर सहमति अटक गई �
जब अमेरिकी सामाजिक दूरी के नियमों के पहले चरण को लेकर उधे�
भारत बड़ी ख़ामोशी से कोविड-19 के बाद के विश्व परिदृश्य से न�
ऑस्ट्रेलिया की अप्रवासन नीति यहां के राजनेताओं के लिए या
लग्ज़ेमबर्ग की रियासत अपनी मर्ज़ी से भी और हालात के कारण �
जिसतरह से महामारी को लेकर अनिश्चितता का माहौल है और जनता �
नए कोरोना वायरस की महामारी के लिए कौन ज़िम्मेदार है, इस मु
दुनिया भर के राष्ट्र स्वाभाविक तौर पर अपनी वैश्विक आपूर्
सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्य देशों को चाहिए कि वो इस चुन�
उम्मीद करनी चाहिए कि अगली बार जब चीन बहुपक्षीय मंचों पर अ�
इस महामारी का एक दुर्भाग्यपूर्ण पहलू ये भी है कि पोलैंड औ�
भारत की एकमात्र विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रमादित्य पर आग
भारत दुनिया का दूसरा बड़ा फल और सब्ज़ी उत्पादक देश है. इनम
अनिश्चितता को देखते हुए बांग्लादेश की राजनीति के बारे मे
अब मेरी बारी है अपने भारतीय दोस्तों के बारे में चिंतित हो�
जिस वक़्त दुनिया ज़िंदगी और मौत के भी संघर्ष देख रही है, उ�
आज ज़रूरी है कि भारत समेत दुनिया के तमाम देश, अमेरिका से म�
कोरोना की दस्तक के साथ नई विश्व व्यवस्था का समय तो अवश्य आ
दुनिया को पता है कि अमेरिका पहले से ही बाक़ी दुनिया से अलग
एक बार जब हम इस संकट से बाहर आ जाएंगे तो हमें इस बात पर सोचन
हम अभी भी नहीं जानते कि कब, कहां और कैसे ये डर ख़त्म होगा. ल�
कोरोना वायरस से पैदा हुई महामारी ने वैश्विक समाज और प्रश�
सवाल है कि क्या कोरोना संकट के बाद जलवायु परिवर्तन के लिय�
विकसित देश इस महामारी से निपटने में पहले से ही बोझिल हैं, �
पड़ोसी देशों के प्रति भारत के सक्रिय भूमिका निभाने से अन�
आज ज़रूरत है कि सरकार अपनी नीतियों में परिवर्तन लाए और सर�
आज दुनिया के एकमात्र महा-स्वाभाविक संगठन का आदर्श बुरी त�
आज ईरान के रिवोल्यूशनरी गार्ड और हिज़्बुल्लाह आपसी तालम�
वह देश जो दुनिया के सबसे घातक वायरस का स्रोत था, उसे अब अधि�
तुर्की और रूस के आपस में बड़े मज़बूत आर्थिक संबंध और अमेरिक�
भारतीय नेतृत्व ने अभी तक बहुत अच्छा काम किया है लेकिन आगे
अंतरराष्ट्रीय संगठनों में चीन का बढ़ता दबदबा, विश्व राजन
सरकार, सामाजिक संगठन और आम जनता मिल कर ऐसा सघन और आपसी साम�
सबसे बुरी स्थिति की बात करें, तो अमेरिकी सीमाओं की लंबे सम
हो सकता है कि ऐसी परिस्थितियों के लिए इन दोनों देशों के चु
इस महामारी के कारण खुली सीमाओं और अर्थव्यवस्थाओं की मांग
ये दोनों ही लोकतांत्रिक देश कोई निष्पक्ष और स्थायी समझौत
कश्मीर मामले पर भारत सरकार ने दोलायमान मनोदशा का परिचय द�