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अफ़गानिस्तान की ज़मीनी हक़ीकत न सिर्फ़ बड़ी तेज़ी से बदल
हाल ही हुए चुनाव में, ईरान ने मुक्तदा अल-सदर ब्लॉक को एक नई
अफ़ग़ानिस्तान में वैश्विक ताक़तों और पड़ोसी देशों ने एक
ईरान के नए राष्ट्रपति को वास्तविक सहयोगी मानने में अमेरि
इराक़ जो सालों तक युद्ध और विवादों के लिए सुर्ख़ियों में �
हक़ीक़त ये है कि जो देश एक जैसे मूल्यों पर यक़ीन नहीं रखते
पश्चिम एशिया के भू-राजनीतिक परिदृश्य से लेकर अफ़ग़ानिस्�
यूरोपीय संघ ने अमेरिका द्वारा अपनी सरहदों से बाहर लगाए ज�
अभी दिख रहा है कि तालिबान जीत रहा है और पाकिस्तान उसके साथ
जो बाइडेन ने सऊदी अरब और उसके प्रमुख दुश्मन ईरान के साथ अम
अगर पश्चिम एशिया के लिहाज़ से देखें तो येरूशलम और तेह़रा�
पिछले कुछ वर्षों में भारत और फ्रांस के रिश्तों में बहुत म�
राजतंत्र को इस बात का डर सताने लगा है कि कहीं मुस्लिम ब्रद
कोविड-19 महामारी की वजह से साल 2020 दुनिया के लिए ख़राब रहा ले�
इज़रायल और ईरान से अपने रिश्तों में संतुलन बिठाने की पुर�
लगभग आधे अमेरिकी नागरिकों ने चुनाव में ट्रंप के हक में मत�
ओबामा के ज़माने के नीति निर्माताओं के बाइडेन के साथ लौटन�
सिर्फ़ संबंध बहाली के एजेंडे पर आगे बढ़ने की कोशिश शायद ह�
‘अब्राहम एकॉर्ड’ ने जिस तरह, मध्य पूर्व को लेकर अमेरिका क�
ईरान से भारत के अच्छे संबंध हैं. ईरान से भारत के सामरिक हि�
आने वाले वर्षों में उत्तरी हिंद महासागर में चीन की नौसेन�
चूंकि इस पूरे क्षेत्र में भारत के सुरक्षात्मक हित जुड़े ह�
हमें कहा जा रहा है कि भारत के रणनीतिक हितों के लिए ईरान कि�
आज ज़रूरी है कि भारत समेत दुनिया के तमाम देश, अमेरिका से म�
आज ईरान के रिवोल्यूशनरी गार्ड और हिज़्बुल्लाह आपसी तालम�
मजलिस पर सुधारवादियों के बदले रुढ़िवादियों और कट्टरपंथ�
रूस का ये ज़ोर दे कर कहना था कि, वो सुरक्षा का एक ऐसा ढांचा �
ट्रंप सरकार ने नवंबर 2017 में ऐलान किया कि वह ईरान से तेल ख़र�
पाकिस्तान के आवाम को चाहिए कि वो अपने हुक्मरानों से पूछे �
ईरान में जो जियो-पॉलिटिकल वैक्यूम बना है, चीन उसे बड़ी आसा
वॉशिंगटन की ओर देखने के बजाय, यूरोपीय नेतृत्वकर्ताओं को �
आने वाले समय में माइग्रेटेड लोगों, शरणार्थियों आदि के सव�
चीन की बड़ी तेल कंपनियां ईरान से प्रतिदिन तकरीबन 3,60,000 बैरल
चाबहार बंदरगाह भारत के लिए कई मायनों में फायदेमंद होगा। �
क्षेत्रीय मंचों का संचालन संप्रभुता, एकीकरण, शांति तथा र�
ईरान पर अमेरिकी प्रतिबंधों के बाद भारत के पास तेल आयात के
प्रतिबन्ध किसी भी तरह की भूराजनीतिक चुनौती के लिए पश्चिम
जब अमेरिका मनमाने ढंग से डील ख़त्म कर देता है तो ये भविष्य �
क्या ट्रम्प के साथ कोई समस्या है या फिर वो बराक ओबामा के स�
यदि इस सब के बीच विरोध असल में रूहानी का ही है तो इस विरोध क
आईेसआईएस के खात्मे के धमाके को नहीं, इसकी सिसकियों को सुन�
ईरान का राजनीतिक परिदृश्य कई परतों वाला है, जिसमें रूढ़ि�
ईरान द्वारा बेलिस्टिक मिसाइल का प्रक्षेपण करने पर ट्रम्�
रूस और चीन जैसी प्रमुख वैश्विक ताकतें और ईरान जैसी क्षेत�
रूस और चीन जैसी प्रमुख वैश्विक ताकतें और ईरान जैसी क्षेत�
भारत, भविष्य में अफगानिस्तान में बिजली की परियोजना के लि�
चीन और रूस के सदस्य देश वाले ब्रिक्स में अगर ईरान शामिल होता है तो भारत और अमेरिका के संबंधों पर इसका क्या प्रभाव पड़ेगा.
अनिश्चितता और अस्थिरता से ग्रस्त इस क्षेत्र में तनाव बढ़ता ही जा रहा है. ऐसे में संभावित नुकसान को कम करने के लिए भारतीय कूटनीति को अपने पूरे रंग में आना पड़ेगा.
सिस्टम पर करीब से नजर डालने से पता चलता है कि यह मौलवियों और उनके रूढ़िवादी सहयोगियों की सत्ता को बनाए रखने के लिए डिजाइन किया गया है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली विदेश नीति की एक अहम सफ़लता भारत की पश्चिम एशिया के साथ बने वर्तमान संबंधों में देखी जा सकती है. लेकिन इस इलाके में आने वाले एक अह�