Published on Jan 17, 2019 Updated 0 Hours ago

क्षेत्रीय मंचों का संचालन संप्रभुता, एकीकरण, शांति तथा राज्‍यों की स्‍थिरता के द्वारा किया जाना चाहिए। कमजोर से कमजोर राज्‍य को एकसमान स्‍थान मिलना चाहिए।

रायसीना संवाद | मुद्दों को सुलझाने के लिए क्षेत्रीय संवाद मंचों की ज़रुरत: ईरानी विदेशमंत्री

ईरान के विदेश मंत्री मुहम्‍मद जावेद जारिफ ने विभिन्‍न क्षेत्रों के बीच संवाद को सुगम बनाने के लिए क्षेत्रीय संवाद मंच की मांग की।

रायसीना डायलॉग के चौथे संस्‍करण मे मंत्री संबोधन के दौरान श्री जारिफ ने कहा कि क्षेत्रीय संवाद ही विभिन्‍न क्षेत्रो के उभरती चुनौतियों का समाधन खोजने के लिए सबसे प्रभावी तरीका है, विशेषकर पश्‍चिमी एशिया, मध्य एशिया तथा दक्षिण एशिया में।

उन्‍होने कहा कि अंर्तराष्‍ट्री्य समुदाय एक बदलाव के दौर से गुजर रहा है जहां विश्‍व शक्तियों के संतुलन जैसी कोई भी सुविधा नहीं है। उन्‍होनें कहा कि इससे गलत अनुमान के खतरे पैदा होते हैं।

विदेश मंत्री जारिफ का मानना है कि भविष्य में विश्व में शक्ति संतुलन का आधार पश्चिमी देश नहीं होंगे। यह पश्‍चिम के लिए अपमानजनक नहीं है बल्‍कि यह स्‍पष्‍ट करता है कि भौगोलिक या भूराजनीतिक रूप में पश्‍चिम का अब वैश्‍विक विकास पर किसी भी प्रकार का कोई एकाधिकार नहीं है।

उन्‍होने बताया कि संकटग्रस्‍त कुछ देशों के लिए यह बहुत ही आसान है कि वह पश्‍चिम को अपनी समस्‍याओं का कारण बताएं और पश्‍चिम दूसरों को दोषी ठहराए।

उन्‍होनें मध्य पूर्व तथा मध्य एशिया से दो बातों को त्‍यागने के लिए कहा कि एक तो सुरक्षा को न तो आयात किया जा सकता है न ही लाया जा सकता है तथ दूसरा यह कि सुरक्षा किसी दूसरों की कीमत पर आती है।

उन्‍होनें कहा कि क्षेत्रीय संवाद, मौजूदा व्‍यवस्‍था जो कईयों को अलग थलग कर देती है, में क्रांतिकारी बदलाव का परिचायक है तथा वह कमजोर से कमजोर देशों को भी बराबरी का दर्जा देगी।

विदेश मंत्री जारिफ ने कहा कि अब समय है कि नुकसान पहुंचाने वाली गतिविधियों को रोका जाए तथा इसी के साथ अब समय आ गया है कि अतीत की अवधरणाओं को छोड़कर संवाद के माध्‍यम से आगे बढ़ा जाए।

उन्‍होनें बताया कि पश्‍चिम न तो नियंत्रण करने की स्‍थिति मे है, न ही विकास को प्रभावित करने की स्‍थिति में हैं जैसे वह पहले किया करता था।

मध्‍यपूर्व की तरफ संकेत करते हुए उन्‍होने कहा कि चलिए हम अपने क्षेत्र में एक क्षेत्रीय संवाद मंच के साथ आरंभ करते हैं। इसके साथ ही उन्‍होनें पुष्‍टि की कि यह क्षेत्र काफी समय से अशांत है, तब से जब से ईराकी राष्‍ट्रपति सद्दाम हुसैन ने पहले ईरान और बाद में कुवैत पर आक्रमण किया था।

श्री जारिफ ने कहा कि क्षेत्रीय मंचों का संचालन संप्रभुता, एकीकरण, शांति तथा राज्‍यों की स्‍थिरता के द्वारा किया जाना चाहिए। कमजोर से कमजोर देशों को एक समान स्‍थान मिलना चाहिए। उन्‍होनें कहा कि हम सभी पड़ोसियों को साथ लेकर चलने के लिए तैयार हैं। उन्‍होनें प्रस्‍ताव दिया कि ऐसे मंचों में हर तरह के लोग शामिल होने चाहिए और इनमे सरकार, निजी क्षेत्र तथा नागरिक समाज सभी से आवाजें सम्‍मिलित होनी चाहिए।

जारिफ ने कहा कि हमे मजबूत क्षेत्र चाहिए, न कि वर्चस्‍व कायम करने वाले मजबूत व्‍यक्‍ति।

मंत्री के संबोधन के बाद द रोड र्फ्रॉम खैबर टू बोसपोरस- पार्टनरशिप, पेरिल एंड ऑपोचुरनिटी पर एक पैनल चर्चा हुई। वक्‍ताओं में शामिल थे श्री सेरगे रियाबको, रूस के विदेश मंत्री, ग्‍लोबल रिलेशन फोरम के अध्‍यक्ष श्री मेमदुह करकुलुकचु, सेंटर फॉर न्‍यू अमेरिकन सोसाइटी, अमेरिका के अध्‍यक्ष श्री रिचर्ड फोटेन तथा भारतीय राष्‍ट्रीय कॉंग्रेस के राष्‍ट्रीय प्रवक्‍ता श्री मनीष तिवारी। इस सत्र का संचालन द हिंदू की डिप्‍लोमैटिक एडिटर सुश्री सुहासिनी हैदर ने किया।

92 देशों से 600 प्रतिनिधियों तथा वक्‍ताओं के अतिरिक्‍त लगभग 1,800 प्रतिभागियों ने इस वर्ष के रायसीना डायलॉग में भाग लिया। इसका आयोजन विदेश मंत्रालय तथा आॉबजर्वर रिसर्च फाउंडेशन ने संयुक्‍त रूप से किया था।

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