इराक में पिछले सप्ताह हुए आम चुनाव में,रिकार्ड सीटों से विजयी हुए ब्लॉक’ से, इराक के तेज़ तर्रार शिया मौलवी और अमेरिका के पुराने दुश्मन / आलोचक मुक्तदा अल-सदर का उदय हुआ. उन्होंने साइरून नामित उम्मीदवारों को अपना समर्थन दिया जिन्होंने कुल 75 सीट – जो 2018 मे हुए चुनाव से की तुलना में, 20 से अधिक सीटों पर अपनी जीत दर्ज की.
मुक्तदा अल-सदर, महान एआटोलह मोहम्मद सदिक अल-सदर के पुत्र है, जो सद्दाम हुसैन के वक्त मे इराक़ी राजनीति के धुरंधर विरोधी पक्ष के अग्रणी नेता हुआ करते थे और हुसैन के आदेश के तहत कथित तौर पर उनकी हत्या कर दी गई थी.
जल्द ही, सन 2003 मे इराक पर हुए अमेरिका के आक्रमण के बाद, मुक्तदा ने अमेरिकी सेना का सामना करने के लिए, अपने परिवार महदी के नाम से मिलिशिया सेना की स्थापना की है. एक वक्त में, सांप्रदायिक मतभेद के तहत, इसी मिलिशिया पर सुन्नी कौम के संहार का आरोप लगा था.
जल्दी ही, सन 2003 मे इराक पर हुए अमेरिका के आक्रमण के बाद, मुक्तदा ने अमेरिकी सेना का सामना करने के लिए, अपने परिवार महदी के नाम से मिलिशिया सेना की स्थापना की है. एक वक्त में, सांप्रदायिक मतभेद के तहत, इसी मिलिशिया पर सुन्नी कौम के संहार का आरोप लगा था.
विगत कुछ वर्षों में, उन्होंने इस मिलिशिया को भंग कर दिया और उसके बदले उसने एक ब्रिगैड की स्थापना की. इसे उसने‘शांति ब्रिगैड’ नाम दिया. मौलवी ने खुद को राष्ट्रवादी घोषित किया है – जो, दोनों ही, मतलब अमेरिकियों और ईरानी प्रभुत्व वाले मिलिशिया और अन्य राजनीति गुटों का विरोध करती है.
“ये वो दिन है जब सांप्रदायिकता, जातीयता और पक्षपात की हार हुई है. ये इराक का दिन है और हम इराकी जनता के नौकर है.”
एक तरफ़ जहां राजनीतिक बुद्धिजीवी अपने व्यक्तिगत हितों के लिए चिंतित दिखे, साथ ही सभी सांप्रदायिक आधार पर बंटे भी दिखे, वहीं चुनावी नतीजों के आने पर, सदर ने अपने उद्घोषणा में, युद्ध पीड़ित देश मे गिरती अर्थव्यवस्था के प्रति लोगों की चिंताओं को व्यक्त किया.
उन्होंने अपने सम्बोधन मे कहा, आज सुधार का भरस्थाचार के ऊपर जीत दर्ज हुई है. आज रोजगार पर, सामान्यीकरण, मिलिशिया, दरिद्रता, अन्याय और गुलामी पर आम आदमी की जीत हुई है. उन्होंने कहा, “ये वो दिन है जब सांप्रदायिकता, जातीयता और पक्षपात की हार हुई है. ये इराक का दिन है और हम इराकी जनता के नौकर है.”
फतेह गठबंधन, जिसे विजय गठबंधन कहा जाता हैऔर इस गठबंधन में ईरान समर्थित मिलिशिया गुट हशद अल-सहाबी या फिर प्रसिद्ध संग्रहण शक्ति (पीमएफ), जिसने आतंकी संगठन के खिलाफ लड़ाई लड़ी थी, ने भी प्रमुख भूमिका अदा की थी.
विशषज्ञों के अनुसार, इन चुनावी नतीजों से देश के भीतर मे शिया बहुमत की संख्या में गिरावट दर्ज की गई, जहां- हालांकि कुछ लोग अब भी शीअत मौलवियों पर भरोसा जताया है – वे मुख्यतः किसी ऐसे ध्रुवीकरण आंकड़ों की तुलना मे राष्ट्रवादी पर ज्यादा भरोसा करते हैं.
तेहरान के लोगों ने, हालांकि इन नतीजों को मानने से इनकार कर दिया है, और ये आशंका जतायी है कि ये मिलिशिया संभवतः फिर से हिंसा की राह अपना सकते हैं. स्थानीय न्यूज चैनल, अल सुमारिया टीवी को दिए एक इंटरव्यू मे उन्होंने कहा, “हम इन मनगढ़ंत परिणामों पर भरोसा नहीं करते हैं, चाहे कुछ भी हो जाए, हम अपने उम्मीदवारों और वोटर द्वारा दिए गए वोटों की रक्षा करेंगे.”
वर्ष 2019 में, इराक मे विरोध प्रदर्शन मे लिप्त हजारों प्रदर्शनकारियों की गोली मार कर हत्या कर दी गए थी. इराकी लोगों ने पुराने संप्रदाय आधारित शक्ति समन्वय व्यवस्था को आधुनिक तकनीक युक्त सरकार से बदलने की वकालत की है, जो लोगों की जीवनशैली मे बदलाव और सुधार की बात करें.
पास किए गए एक चुनावी बिल के अंतर्गत कुल निर्वाचन क्षेत्र 18 से 83 कर दिए गए ताकि ज़्यादा से ज़्यादा स्वतंत्र उम्मीदवार चुनाव मे खड़े हो सके. यहां इन सारे मुद्दों के बावजूद – जिसमें जान जोखिम मे होना भी शामिल है – उसमें बग़दाद में कम से कम 10 उम्मीदवार और इराक में शिया बहुल दक्षिणी राज्यों भी जीत दर्ज की है.
लेकिन इराक मे अपनी सरकार स्थापित करने के लिए आम सहमति की ज़रूरत है और सरकार बनाने के लिए अथवा प्रधानमंत्री चुनने के लिए, कोई भी राजनीतिक दल या गठबंधन का संसद में कुल 329 सीट होना आवश्यक है.
विशेषज्ञों का कहना है कि सदर को जरूरी कुल 165 सांसदों का समर्थन हासिल कर सके, इसके लिए समझौता वार्ता के सफ़ल होने में महीनों लग सकते हैं और ईरान के अन्य उम्मीदवारों के समर्थन के बगैर, ये आंकड़ा हासिल कर पाना उनके लिए लगभग असंभव है.
विशेषज्ञों का कहना है कि सदर को जरूरी कुल 165 सांसदों का समर्थन हासिल कर सके, इसके लिए समझौता वार्ता के सफ़ल होने में महीनों लग सकते हैं और ईरान के अन्य उम्मीदवारों के समर्थन के बगैर, ये आंकड़ा हासिल कर पाना उनके लिए लगभग असंभव है.
उन्होंने आगे जोड़ा कि फ़तह गठबंधन सह पार्टी जो परंपरागत तौर पर ईरान के काफ़ी नजदीक रही है, पर भरोसा करने के बजाय ईरान के पास और भी अन्य मित्र हैं जिन पर भरोसा किया जा सकता है. तेहरान ये संदेह स्थापित करने के लिए पूरा ज़ोर लगा सकता है ताकि वे ये सुनिश्चित कर सकें कि उनके सहयोगियों को महत्वपूर्ण स्थान मिल सके.
यूनाइटेड स्टेट्स और गल्फ अरब देश ये उम्मीद कर रहे हैं कि सदर को वे किसी तरह से प्रेरित कर सकें की वे प्रधानमंत्री मुस्तफा अल-कधीमी को आम सहमति के साथ पुनः सत्तासीन होने की राह साफ कर सके. श्री कधीमी ने हाल ही में ईरान और सऊदी अरब स्थित बग़दाद स्थित अपने प्रतिद्वंद्वीयों के साथ वार्ता की है और उन्हें इस तरह से भी देखा जा रहा है जो इराक में उनके प्रभुत्व को अच्छी तरह से बैलन्स कर सके साथ ही गल्फ और पश्चिमी देशों को संयंत रख सके. लेकिन इराक की जनता, जो देश के भीतर एक पूर्ण बदलाव एवं नई शुरुआत की चाह रख रही थी, उन्हें अभी और धीरज रखना पड़ेगा.
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