Author : Kabir Taneja

Published on Nov 29, 2020 Updated 0 Hours ago

ओबामा के ज़माने के नीति निर्माताओं के बाइडेन के साथ लौटने की संभावना अरब जगत के बड़े हिस्से के लिए मुख्य चिंता की बात होगी.

ईरान से मानवाधिकार तक- पश्चिम एशिया पर बाइडेन

अमेरिका के निर्वाचित राष्ट्रपति जो बाइडेन को खाड़ी देशों में उस तरह का साथ नहीं मिलेगा जैसा डोनाल्ड ट्रंप को मिला था. ट्रंप ने इज़रायल, यूएई और सऊदी अरब जैसे देशों के साथ लेन-देन का रिश्ता विकसित कर लिया था जबकि ईरान के साथ टकराव की धमकी देते रहते थे जो ईरान के क्षेत्रीय विरोधियों को पसंद आता था. 

बाइडेन से उम्मीद लगाई जा रही है कि वो इस इलाक़े में ट्रंप की कुछ नीतियों को वापस लेंगे जिनका आम तौर पर स्वागत किया गया था. कुछ बदलाव जो हम देख सकते हैं उनमें यमन में सऊदी अरब के युद्ध पर नये प्रशासन का कड़ा रुख़ शामिल है; लीबिया और बाकी जगहों में यूएई की भूमिका को एफ-35 लड़ाकू विमानों से संबंधित अब्राहम समझौते के दौरान ट्रंप प्रशासन और अबू धाबी के बीच सौदेबाज़ी की कामयाबी के परिप्रेक्ष्य में देखा जाना चाहिए. मानवाधिकार के मुद्दे को ट्रंप नज़रअंदाज़ कर देते थे. 2018 में पत्रकार जमाल ख़ाशोज्जी की हत्या का मामला न सिर्फ़ सऊदी अरब बल्कि यूएई को भी फिर से परेशान कर सकता है. इज़रायल के मामले में ऐतिहासिक यथास्थिति बरकरार रखते हुए कुछ मुद्दों जैसे बेंजामिन नेतन्याहू के वेस्ट बैंक को मिलाने की संभावना को आघात लग सकता है. इन सबके बीच रेचेप अर्दोआन का तुर्की बाइडन के कार्यकाल के दौरान सबसे बड़ी अनकही चुनौती बन सकता है. 

हालांकि ईरान समस्याओं का आधार बना रहेगा. 2018 में जेसीपीओए (ज्वाइंट कॉम्प्रिहेंसिव प्लान ऑफ एक्शन) से ट्रंप के अलग होने और इस साल जनवरी में ईरान के जनरल क़ासिम सुलेमानी की हत्या के बाद- ईरान को ओबामा के ज़माने के, जिस वक़्त बाइडेन ख़ुद उप राष्ट्रपति थे, जेसीपीओए में फिर से आने के लिए बातचीत की मेज पर लाना- निर्वाचित राष्ट्रपति के लिए इस इलाक़े में सबसे बड़ी चुनौती होगी. समझौते के टूटने के लिए ईरान अमेरिका पर आरोप लगाएगा, ऐसे में ईरान तक फिर से पहुंचने में बाइडेन प्रशासन को खाड़ी के देशों, ख़ास तौर पर यूएई और इज़रायल से, नये विपरीत हालात का सामना करना पड़ेगा क्योंकि इन देशों में अब ये क्षमता है कि अमेरिका को प्रभावित करने के लिए खुले तौर पर साथ काम कर सकें. 

अंत में, ओबामा के ज़माने के नीति निर्माताओं के बाइडेन के साथ लौटने की संभावना अरब जगत के बड़े हिस्से के लिए मुख्य चिंता की बात होगी क्योंकि अरब स्प्रिंग, नेताओं के पद छोड़ने और अक्सर अमेरिका के द्वारा अरब देश के नेतृत्व का साथ छोड़ने की यादें यहां के शासकों- जो बच पाए और जो नहीं बच पाए- के जेहन में अभी भी ताज़ा होंगी. 

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