-
CENTRES
Progammes & Centres
Location
865 results found
ऐसी उम्मीद है कि ट्रम्प भारत-अमेरिका साझीदारी को नई ऊंचा�
लोकतांत्रिक ताकतों के विपरीत, चीन की आंतरिक राजनीति में �
भारत-इस्राइल संबंध हमेशा से संवेदनशील मसला रहा है, इस दिश�
कश्मीर में सॉफ्ट बॉर्डर नियंत्रण रेखा के दोनों तरफ के कश�
अमेरिका की वैश्विक गठबंधन संरचना को खतरे में डालने को ले�
कनाडा के पूर्व पीएम को उम्मीद की ट्रंप के नेतृत्व में अमे�
भारतीय विदेश सचिव ने जोरदार ढंग से उठाया सुरक्षा परिषद् �
चीन कुछ क्षेत्रों जैसे कि सॉफ्टवेयर और फार्मास्यूटिकल्�
भारत, भविष्य में अफगानिस्तान में बिजली की परियोजना के लि�
ट्रंप के शासन काल में अमेरिका-चीन संबंधों की वजह से भारत क
इसमें कोई संदेह नहीं कि चीनी कम्युनिस्ट पार्टी नेतृत्व विशेषरूप से शी के लिए ताइवान से अधिक महत्वपूर्ण कोई और मुद्दा नहीं. उन्हें सबसे ज्यादा वाहवाही चीन के एकीकरण और चीन�
फिलहाल जो परिस्थितियां आकार ले रही हैं उनका यही सार निकलता दिख रहा है कि निवेश के आकर्षक ठिकाने के रूप में उभरता भारत नई वैश्विक व्यवस्था में अपनी अहम जगह बनाता जा रहा है. भा
मोदी के नेतृत्व में भाजपा का दृष्टिकोण यही दर्शाता है कि भारत को वैश्विक समस्याओं का प्रभावी समाधान प्रस्तुत करने वाले देश के रूप में देखा जाए.
इन दस वर्षों में उन्होंने भारतीय विदेश नीति को ऐसा रूप दिया, जिसके बारे में पहले शायद ही किसी ने कल्पना की हो.
हो सकता है कि ट्रंप अपने क़दमों से दुनिया को हैरान करें. पर, ट्रंप के चौंकाने वाले फ़ैसलों के बीच भी एक ऐसी व्यापक नीतिगत रूप-रेखा मौजूद है, जिस पर नीति-निर्माता चल सकते हैं.
जिसे अब दुनिया ने ‘लॉकडाउन’ या तालाबंदी का नाम दिया है. तो ऐसे में किसी नए दशक की इससे बुरी और निराशाजनक शुरुआत क्या हो सकती है, जिसे चीन के लगातार प्रभाव बढ़ाते अनैतिक नेतृत
अब हिमालयी क्षेत्र में चीन के लगातार बढ़ते दुस्साहस को देखते हुए भारत में कुछ सामरिक विश्लेषक मानने लगे हैं कि देश को ‘नो फर्स्ट यूज’ वाली नीति का परित्याग करना चाहिए.
संयुक्त राष्ट्र महासभा में भारतीय विदेश मंत्री ने अपने भाषण में दुनिया के समक्ष भारत का समग्रता का दृष्टिकोण रखा. उन्होंने भारतीय विदेश नीति की बुनियादी सिंद्धांतों �
वैश्विक भू-राजनीति में निरंतर परिवर्तन देखा जा रहा है. चीन के उदय की वज़ह से अंतर्राष्ट्रीय प्रणाली में अधिक प्रतिस्पर्धा देखी जा रही है. इस वज़ह से संयुक्त राज्य अमेरिका और �
पिछले दिनों यूक्रेन के मसले पर डोनाल्ड ट्रंप और वोलोडिमिर जेलेंस्की के बीच हुई तीखी नोंकझोक के बाद अमेरिका और यूरोपीय देशों के बीच तनाव बढ़ गया है. लेकिन क्या इस तनाव से वै�
विदेश नीति को सामान्य तौर पर ऐसा क्षेत्र माना जाता है, जहां नीतिगत निरंतरता का दृष्टिकोण अपनाया जाता है, लेकिन अपने पिछले कार्यकाल में ट्रंप विदेश नीति में आमूलचूल बदलाव क�
भारत की सफलता इसी पर निर्भर करेगी कि वह अपनी भौगोलिक परिधि के पहलू को किनारे रखकर एक प्रमुख वैश्विक शक्ति के रूप में स्थापित होने के पुरजोर प्रयास करे.
नेतन्याहू के हाल के दौरे का मक़सद अमेरिका के निर्वाचित राष्ट्रपति जो बाइडेन से निपटने की रणनीति बनाना भी था जो सऊदी अरब के आलोचक और फिलिस्तीनी आकांक्षाओं को लेकर ज़्यादा �
आज़ादी के बाद से ही भू-राजनीति की वजह से बुरी तरह बंटी हुई दुनिया में तमाम देशों के साथ साझेदारी करना भारतीय कूटनीति की एक ख़ूबी रही है. भारत और रूस के संबंधों का फ़ायदा न केव�
भारत और रूस अपने आर्थिक संबंधों को और ज़्यादा मज़बूत करना चाहते हैं. 2022 में इनके बीच का द्विपक्षीय व्यापार 12.34 अरब डॉलर का था, जो एक साल में ही तेज़ी से बढ़कर 2023 में 65 अरब डॉलर हो �
पैगंबर मुहम्मद के बारे में बीजेपी नेताओं की टिप्पणी का मामला भारत की विदेश नीति के लिए चुनौती बना
नेपाल के चीन की सीमा से लगे ज़िलों दोलखा, गोरखा, धारचुला, हुमला, सिंधुपालचौक, संखुवासभा और रसुवा में कई जगह पर चीन ने अवैध रूप से अतिक्रमण किया है
21 वीं शताब्दी की शुरुआत से ही चीन अपनी ग्लोबल एक्सचेंज डिप्लोमसी में विभिन्न तरीकों का उपयोग करते हुए अपनी ऐतिहासिक ‘सेंचुरी ऑफ़ ह्यूमिलिएशन’ से ऊपर उठकर 'मिडिल किंगडम' के �
पाकिस्तान मान कर चल रहा है कि भारत का जवाब उसकी अपेक्षाओं के अनुरूप ही होगा. भारत को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि ऐसा न हो.
चीन को लेकर डोनाल्ड ट्रम्प के दिमाग में क्या खिचड़ी पक रही है, इसका अनुमान लगाना आसान नहीं है. एक तरफ वे शी जिनपिंग की सराहना कर रहे हैं, दूसरी तरफ चीन को दुश्मन बताकर उस पर टै�
क्या चीन की तरह अमेरिका भी विस्तारवादी नीतियों का पोषण करेगा?
अमेरिकाही चीनसारखी विस्तारवादी धोरणे पोसणार का?
छोट्या छोट्या मुद्द्यांवर भारताला काही मोठ्या अडचणींना सामोरे जावे लागू शकते.
गुआंशी, चीन की संस्कृति का अटूट अंग है. ये निजी संबंधों और साझा ज़िम्मेदारियों के ज़रिए आपसी आदान प्रदान के सिद्धांत पर आधारित परिकल्पना है.
चीन और ताइवान के बीच ताइवान स्ट्रेट क्या फैक्टर है. ताइवान स्ट्रेट पर अमेरिका की क्या दिलचस्पी है. क्या तीसरे विश्व युद्ध की शुभारंभ ताइवान स्ट्रेट से हो सकता है. ताइवान पर �
प्रधानमंत्री की इस यात्रा से पता चलता है कि पूरे क्षेत्र में भारत की भूमिका बढ़ाने की बड़ी जरूरत है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली विदेश नीति की एक अहम सफ़लता भारत की पश्चिम एशिया के साथ बने वर्तमान संबंधों में देखी जा सकती है. लेकिन इस इलाके में आने वाले एक अह�