Issue BriefsPublished on May 11, 2023
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अमेरिका ने चीन के साथ ‘चिप्स’ युद्ध को किया तेज़!

  • Rajeswari Pillai Rajagopalan

    वैश्विक भू-राजनीति में निरंतर परिवर्तन देखा जा रहा है. चीन के उदय की वज़ह से अंतर्राष्ट्रीय प्रणाली में अधिक प्रतिस्पर्धा देखी जा रही है. इस वज़ह से संयुक्त राज्य अमेरिका और युद्ध के बाद की वैश्विक व्यवस्था को मिलने वाली चुनौती बढ़ती जा रही है. पिछले अनेक दशकों में चीन की उच्च आर्थिक विकास दर को देखकर विभिन्न देशों को अपने सैन्य बजट में बढ़ोत्तरी करनी पड़ रही है. वैश्विक सैन्य बजट में होने वाली वृद्धि को देखकर लगातार बढ़ती चीन की सैन्य शक्ति के कारण हिंद-प्रशांत क्षेत्र में सुरक्षा पर ख़तरा मंडराने लगा है. इस क्षेत्र में चीन हिमालय से दक्षिण चीन सागर और पूर्वी चीन सागर तक हावी होना चाहता है. इस आलेख में यह तर्क दिया गया है कि चीन की विशाल सैन्य शक्ति के साथ उसकी ओर से उत्पन्न होने वाले ख़तरे या बल के उपयोग की धमकी और अपने पड़ोसियों के ख़िलाफ़ आक्रामक कार्रवाइयों के कारण भारत-प्रशांत क्षेत्र में असुरक्षा बढ़ गई है. इसके बावजूद चीन की चुनौती को न केवल सेना के क्षेत्र में, बल्कि बहुआयामी समझा जाना चाहिए. इस आलेख में ध्यान टेक्नोलॉजी अर्थात तक़नीक के क्षेत्र पर केंद्रित किया गया है.

Attribution:

एट्रीब्यूशन : राजेश्वरी पिल्लई राजगोपालन, ‘‘अमेरिका ने चीन के साथ चिप्सयुद्ध को किया तेज़!,’’ ORF ओकेशनल पेपर नं. 397, अप्रैल 2023, ऑब्ज़र्वर रिसर्च फाउंडेशन.

प्रस्तावना

अमेरिका के अक्टूबर 2022 में चीन पर टेक्नोलॉजी प्रतिबंध अथवा नियंत्रण का नया दौर लागू करते ही यूएस-चीन के बीच चल रहा तक़नीक और व्यापार युद्ध नई ऊंचाइयों पर पहुंच गया है. इन प्रतिबंधों की वज़ह से ‘‘बीजिंग तक हाई एंड सेमीकंडक्टर्स और सेमीकंडक्टर-मैन्यूफैक्चरिंग उपकरण का प्रवाह प्रभावित होगा.’’[1] अमेरिकी प्रतिबंधों की यह लहर 2019 में ट्रंप प्रशासन द्वारा दुनिया भर के कई क्षेत्रों में चीनी दूरसंचार दिग्गज हुआवै के विस्तार को सीमित करने की एक छोटी सी कोशिश के रूप में शुरू हुई थी. सैन्य और सुरक्षा उपयोगिताओं सहित विभिन्न तक़नीकों में आगे निकलने की प्रतिस्पर्धा के साथ ही सेमीकंडक्टर्स (या चिप्स) और अन्य घटकों सहित तक़नीकों तक चीन की पहुंच को प्रतिबंधित करने के प्रयास व्यापक हो जाएंगे. अमेरिका ने हाल के महीनों में यह भी कहा है कि यदि उसके सहयोगी और साझेदार नए उपायों को लागू करने में उसके नेतृत्व का पालन नहीं करते हैं तो वह ‘‘एक्सट्राटेरिटोरियल मेज़र्स अर्थात बाहरी उपायों’’ को लागू करेगा.[2]

अमेरिका के अक्टूबर 2022 में चीन पर टेक्नोलॉजी प्रतिबंध अथवा नियंत्रण का नया दौर लागू करते ही यूएस-चीन के बीच चल रहा तक़नीक और व्यापार युद्ध नई ऊंचाइयों पर पहुंच गया है. इन प्रतिबंधों की वज़ह से ‘‘बीजिंग तक हाई एंड सेमीकंडक्टर्स और सेमीकंडक्टर-मैन्यूफैक्चरिंग उपकरण का प्रवाह प्रभावित होगा.

सेमीकंडक्टर्स के क्षेत्र में महाद्वीप की प्रतिस्पर्धात्मकता को मज़बूत करने की कोशिश कर रहे यूरोपीय आयोग ने 2022 में चिप्स कानून पेश किया था. यह कानून मुख्यत: 2030 तक सेमीकंडक्टर्स क्षेत्र में यूरोप की बाज़ार हिस्सेदारी को मौजूदा 10 प्रतिशत से कम से कम दोगुना अर्थात 20 प्रतिशत तक पहुंचाना चाहता है.[3] यूरोप की सेमीकंडक्टर आपूर्ति से जुड़ी कमज़ोरियों से उसको सुरक्षित करने के लिए अधिनियम में कई अलग-अलग प्रावधान शामिल हैं: नेक्स्ट जनरेशन टेक्नोलॉजिस में निवेश बढ़ाना; पूरे यूरोप तक अत्याधुनिक चिप्स के प्रोटोटाइप, परीक्षण और प्रयोग के लिए उपकरण और पायलट लाइन डिजाइन करने की पहुंच प्रदान करना; कटिंग एज अर्थात अत्याधुनिक चिप्स का परीक्षण और प्रयोग; यूरोप में विनिर्माण सुविधाएं स्थापित करने में सहायता करने वाली अधिक निवेशक-अनुकूल संरचना सुनिश्चित करना; और महत्वपूर्ण अनुप्रयोगों के लिए गुणवत्ता और सुरक्षा की गारंटी के लिए ऊर्जा-कुशल और विश्वसनीय चिप्स के लिए प्रमाणन प्रक्रिया शुरू करने की व्यवस्था करना.

यह कानून स्टार्ट-अप और SME को इक्विटी फाइनांस अर्थात वित्त तक बेहतर पहुंच सुनिश्चित करने का भी प्रयास करता है; उन्नत कौशल विकास, प्रतिभा और माइक्रोइलेक्ट्रॉनिक में इन्नोवेशन अर्थात नवाचार; संभावित सेमीकंडक्टर की कमी और संकट की भविष्यवाणी करने के साथ आपूर्ति कमज़ोरियों को दूर करने और इससे निपटने अर्थात प्रतिक्रिया देने की क्षमताओं का निर्माण; और दुनिया भर में समान विचारधारा वाले देशों के साथ सेमीकंडक्टर साझेदारी विकसित करने की भी बात करता है.[4] मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, चिप्स एक्ट अथवा कानून 2030 तक सार्वजनिक और निजी दोनों निवेशों में 15 बिलियन यूरो (17.11 बिलियन US$) ख़र्च करने की अनुमति देगा.[5]

यह आलेख अमेरिका-चीन के बढ़ते तक़नीकी युद्ध का वर्णन करते हुए इस तक़नीकी युद्ध के पीछे के तर्क की जांच करता है. इसके साथ ही यह आलेख हाल के महीनों में अमेरिका की ओर से चीन में टेक्नोलॉजी प्रवाह को प्रतिबंधित करने के लक्ष्य को लेकर लागू किए गए निर्यात प्रतिबंध उपायों की व्याख्या भी करता है. यह आलेख अमेरिकी प्रतिबंधों के प्रभाव को कम करने के लिए हाल के वर्षों में चीन की ओर से किए जा रहे घरेलू प्रयासों की भी पड़ताल करता है.

अमेरिका-चीन टेक स्पर्धा: एक अवलोकन

हाल के वर्षों में सेमीकंडक्टर उद्योग में प्रतिस्पर्धा तेज हो गई है. 5G, AI, ऑटोनॉमस अर्थात स्वायत्त इलेक्ट्रिक वाहन और इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT) जैसी कई महत्वपूर्ण तक़नीकों के लिए सेमीकंडक्टर या चिप्स बेहद अहम हैं. युद्ध की बदलती प्रकृति के संदर्भ में इनमें से अनेक तक़नीकों का रणनीतिक मूल्य महत्वपूर्ण हो गया है. अब विभिन्न देशों के रक्षा विभाग भी इन तक़नीकों के संभावित लाभार्थियों में शामिल हैं ऐसा इसलिए है क्योंकि सैन्य मामलों में ऑटोमेशन अर्थात स्वचालन और डिजिटलीकरण अब ज़्यादा से ज़्यादा ध्यान आकर्षित करने लग गए हैं. इंटेल कॉपोर्रेशन के CEO पैट गेल्सिंगर ने मार्च 2022 में सीनेट में अपने दिए हुए बयान में टिप्पणी की थी कि पिछले कुछ वर्षों में बढ़ते डिजिटलीकरण से प्रेरित सेमीकंडक्टर्स की बढ़ती आवश्यकता विशेष रूप से तीव्र हो गई है.[6] इसके परिणामस्वरूप विश्व स्तर पर हो रही सेमीकंडक्टर्स की मांग में भारी वृद्धि ने सेमीकंडक्टर्स की गंभीर कमी पैदा कर दी है. यूएस-आधारित सेमीकंडक्टर इंडस्ट्री एसोसिएशन की 2022 की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार, महामारी के कारण आवश्यक डिजिटल कनेक्टिविटी की भारी मांग के साथ-साथ ‘‘कार जैसे अन्य उत्पादों के लिए चिप की मांग में महत्वपूर्ण उतार-चढ़ाव ने दुनिया भर में आपूर्ति-मांग के असंतुलन को महसूस किया गया.’’[7]

वास्तव में जिन देशों के पास सेमीकंडक्टर उत्पादन क्षमता है, वे वैश्विक बाज़ार पर हावी होने को लेकर बेहतर स्थिति में दिखाई देते हैं.[8] अमेरिका और उसके कुछ सहयोगी देश अब तक इस संबंध में सफ़ल साबित हुए हैं, लेकिन कई अन्य देश भी हैं जो अब इस डोमेन अर्थात क्षेत्र में निवेश करना शुरू कर रहे हैं. सेमीकंडक्टर्स की सेना सहित अनेक क्षेत्रों में महत्वपूर्ण भूमिका को स्पष्ट रूप से पहचानते हुए चीन ने इस क्षेत्र में एक ट्रिलियन युआन (1.45 बिलियन US$) का सबसे बड़ा निवेश किया है.[9] हालांकि, चीन अभी तक इस तरह के भारी निवेश का लाभ उठाने में सफ़ल नहीं हुआ है. अत: वहां इसे लेकर नीतिगत दृष्टिकोण पर पुनर्विचार करना शुरू हो गया है. पश्चिम में उत्पादित सेमीकंडक्टर कंपोनंट्स अर्थात घटकों तक पहुंच के बगैर चीन हाई-एंड चिप्स का निर्माण नहीं कर सकता है, जो अत्यधिक एडवांस्ड् सेमीकंडक्टर नोड्स का उपयोग करते हैं.[10] चीन की दुविधा पर टिप्पणी करते हुए, यूरोपियन एंटरप्राइज इंफ्रास्ट्रक्चर के IDC रिसर्च डायरेक्टर, एंड्रयू बस ने कहा कि ‘‘हम यह देखेंगे कि अब चीन अपने अंदर ही झांकने की कोशिश करेगा. SMIC जैसे वहां के निर्माता पश्चिमी कंपनियों के लिए फाउंड्री अर्थात ढलाईखाना साबित होने के बजाय घरेलू बाज़ार की ही सेवा करते दिखाई देंगे.’’[11]

उनके इस दृष्टिकोण को साझा करते हुए, गार्टनर में सेमीकंडक्टर्स और इलेक्ट्रॉनिक्स के प्रैक्टिस वाइस प्रेसीडेन्ट रिचर्ड गॉर्डन ने कहा है कि चीन ‘‘भविष्य में अपनी आंतरिक खपत को अधिक सेमीकंडक्टर मुहैया करवाने के लिए अपने सेमीकंडक्टर उद्योग का उपयोग करने’’ पर ध्यान केंद्रित कर सकता है. लेकिन इसकी संभावना नहीं है कि ‘‘वे [चीन] इस समस्या को हल करने के लिए पैसा फेंकना बंद कर देंगे, लेकिन सबसे बड़ा मुद्दा यह है कि चीन को इस समस्या का हल करने के लिए विशेषज्ञता और समय की ज़रूरत है, और इसमें समय बहुत लंबा लगने वाला है.’’[12] यूएस-चीन प्रतियोगिता बढ़ने के साथ ही ताइवान सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग कंपनी (TSMC) की वज़ह से ताइवान ख़ुद को इस मामले के केंद्र में पाता है. ताइवान की यह कंपनी एप्पल, क्वालकॉम, ब्रॉडकॉम, आर्म और एनवीडिया जैसी कंपनियों की ओर से डिजाइन की गई चिप्स का उत्पादन करती है.[13] सबसे एडवांस्ड् चिप्स का TSMC विश्व स्तर के कुल उत्पादन में से 84 प्रतिशत का उत्पादन करता है.[14]

नए ‘अमेरिकी’ विनियम

तक़नीकी प्रवाह को प्रतिबंधित करने के उद्देश्य से अमेरिका कई संघीय नियमों को लागू करता है. इनमें आर्म्स एक्सपोर्ट कंट्रोल एक्ट (AECA) को लागू करने वाला स्टेट डिपार्टमेंट के इंटरनेशनल ट्रैफिक इन आर्म्स रेगुलेशन (ITAR) शामिल हैं और डिपार्टमेंट ऑफ कॉमर्स के एक्सपोर्ट एडमिनिस्ट्रेशन रेगुलेशंस (EAR) को यूएस डिपार्टमेंट ऑफ कॉमर्स के ब्यूरो ऑफ इंडस्ट्री एंड सिक्योरिटी (BIS) द्वारा लागू किया गया है. इकर के तहत विनियमित आइटम यानी वस्तु कॉमर्स कंट्रोल लिस्ट (CCL) में शामिल हैं.[15] अक्टूबर 2022 में, BIS ने महत्वपूर्ण नीतिगत बदलाव शुरू किए, जिसमें ‘‘कुछ एडवांस्ड् कंप्यूटिंग सेमीकंडक्टर चिप्स (चिप्स, एडवांस्ड् कंप्यूटिंग चिप्स, इंटीग्रेटेड सर्किट, या IC) पर अतिरिक्त निर्यात नियंत्रण, सुपरकंप्यूटर के एड-यूजेस से जुड़े ट्रान्सैक्शन्स अर्थात लेनदेन, और एंटिटी लिस्ट में शामि कुछ संस्थाओं से जुड़े लेनदेन शामिल हैं.’’[16] BIS ने ‘‘कुछ सेमीकंडक्टर निर्माण वस्तुओं पर और कुछ आईसी एंड यूज संबंधी लेनदेन पर भी अतिरिक्त प्रतिबंध लागू किए है.’’

इस नीतिगत बदलाव के साथ, BIS ने एक्सपोर्ट एडमिनिस्ट्रेशन रेग्यूलेशन्स (EAR) में भी संशोधन किया है. जिसमें 31 व्यक्तियों को अनवेरिफाइड लिस्ट (UVL) में शामिल करने के साथ ही BIS द्वारा UVL में शामिल नौ व्यक्तियों को BIS द्वारा उनकी प्रामाणिकता को सत्यापित करने के बाद इस सूची से हटा दिया गया है.[17] अनवेरिफाइड लिस्ट में वे तत्व (व्यक्ति अथवा संगठन) शामिल हैं, जिनसे तक़नीक, हार्डवेयर या सॉफ़्टवेयर का लेन-देन नहीं किया जा सकता है, क्योंकि BIS ‘‘उनकी प्रामाणिकता को सत्यापित नहीं कर सका.’’ यदि, ‘‘अमेरिकी सरकार के नियंत्रण से बाहर के कारणों की वज़ह से’’, BIS किसी विशेष पार्टी के संबंध में ‘‘संतोषजनक रूप से’’ एक ‘‘एंड-यूज चेक’’ को पूरा करने में असमर्थ रहता है तो ऐसी पार्टी को UVL में जोड़ा दिया जाता है.[18] इस सूची में जोड़े और हटाए गए सभी तत्व (व्यक्ति अथवा संगठन) चीन से ही हैं. BIS के अनुसार 31 व्यक्तियों को इस सूची में शामिल करना पड़ा, क्योंकि BIS ‘‘उनकी नेक नीयत को सत्यापित करने में असमर्थ था, क्योंकि इन सभी को लेकर अमेरिकी सरकार के नियंत्रण से बाहर के कारणों के लिए अंतिम उपयोग की जांच संतोषजनक ढंग से पूरी नहीं की जा सकती थी.’’ UVL से नौ पार्टियों को हटा दिया गया था, ‘‘क्योंकि BIS उनकी प्रामाणिकता को सत्यापित करने में सफ़ल हो गया था.’’ इन कार्रवाइयों की वज़ह से AI में होने वाले भविष्य के विकास तक चीन की पहुंच बंद होगी.’’[19]

ये नीतिगत बदलाव बाइडेन प्रशासन के चिप्स एंड साइंस एक्ट ऑफ अगस्त 2022, की पृष्ठभूमि में हुए हैं. अमेरिका को उम्मीद है कि यह एक्ट अर्थात कानून घरेलू अनुसंधान, विकास और उत्पादन क्षमता को मज़बूत करके सेमीकंडक्टर तक़नीक में देश के नेतृत्व को मज़बूती प्रदान करेगा.[20] व्हाइट हाउस की एक फैक्ट शीट में कहा गया है कि यह कानून ‘‘अमेरिकी विनिर्माण, आपूर्ति श्रृंखलाओं और राष्ट्रीय सुरक्षा को मज़बूत करते हुए अनुसंधान और विकास, विज्ञान और तक़नीक में निवेश करेगा, और अमेरिकी वर्कफोर्स अर्थात कार्यबल को भविष्य के उद्योगों, जिसमें नैनो टेक्नोलॉजी, क्लीन एनर्जी, क्वांटम कम्युटिंग और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस शामिल हैं, में अग्रणी बनाए रखेगा.’’ चिप्स एंड साइंस एक्ट पर हस्ताक्षर होने की वज़ह से US सेमीकंडक्टर निर्माण में महत्वपूर्ण निवेश को तुरंत बढ़ावा मिला है. इस क्षेत्र में कंपनियों ने 50 बिलियन US$ का निवेश किया है. इस वज़ह से जनवरी 2021 में बाइडेन के राष्ट्रपति बनने के बाद से कुल व्यापार निवेश 150 बिलियन US$ तक पहुंच गया है.[21] चिप्स  एंड साइंस एक्ट दो द्विदलीय विधेयकों का एक संयोजन है. दोनों का ही उद्देश्य हाई-एंड तक़नीकी में अमेरिकी प्रतिस्पर्धात्मकता को बढ़ाना है: हाई-एंड रिसर्च में निवेश बढ़ाने के उद्देश्य से एंडलेस फ्रंटियर कानून, और चिप्स फॉर अमेरिका एक्ट, जिसका लक्ष्य अमेरिका में सेमीकंडक्टर निर्माण को पुनर्जीवित करना है.[22]

टेबल 1. सेमीकंडक्टर से संबंधित चिप्स अधिनियम विनियोजन (बिलियन अमेरिकी डॉलर में)

[23]

स्त्रोत: सेंटर फॉर सिक्यूरिटी एंड इमर्जिंग टेक्नोलॉजी[24]

राष्ट्रपति बाइडेन ने इन्फ्लेशन रिडक्शन एक्ट अगस्त 2022 पर भी हस्ताक्षर किए हैं. अमेरिकी के ओहियो के एक डेमोक्रेट सीनेटर शेरोड ब्राउन ने कहा है कि उन्होंने कानून का समर्थन किया क्योंकि यह ‘‘अमेरिका में बने इलेक्ट्रिक वाहनों और इसी तरह की अन्य वस्तुओं के लिए सब्सिडी प्रदान करता है. इस कानून का उद्देश्य चीन से आपूर्ति श्रृंखलाओं को वापस हासिल करना है.’’[25] अन्य उद्देश्यों के साथ ही इस कानून का उद्देश्य ‘‘महत्वपूर्ण सामग्रियों के अमेरिकी उत्पादन को मज़बूत करना और कमज़ोर आपूर्ति श्रृंखलाओं पर हमारी निर्भरता को कम करना भी है.’’[26]

इतना तो तय है कि ये सभी नियम रातों-रात आपाधापी में नहीं बन गए. बल्कि, इन नियमों का कुछ इस तरीके से विकास हुआ है, जिसमें अमेरिका ने महत्वपूर्ण तक़नीकों के संदर्भ में चीन और चीनी कंपनियों को अमेरिका से हासिल होने वाली सहायता तक उसकी पहुंच पर प्रतिबंध लगा दिया है.[27]

इन प्रतिबंधों का AI, हाई-परफॉर्मेंस कंप्यूटिंग और सुपर कंप्यूटर जैसे क्षेत्रों में चीनी अनुसंधान पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ने की संभावना है. नए नियम के तहत चीन को चिप बनाने के उपकरण और तक़नीकी के निर्यात को भी प्रतिबंधित किया गया है.

अक्टूबर 2022 के पहले सप्ताह में घोषित किए गए नए अमेरिकी निर्यात प्रतिबंधों के कारण चीन के लिए महत्वपूर्ण तक़नीकों को प्राप्त करना मुश्किल हो गया है. बिना निर्यात लाइसेंस के US तक़नीक से बने सेमीकंडक्टर्स के हस्तांतरण और/या उनकी बिक्री पर रोक भी इन प्रतिबंधों की वज़ह से लग गई हैं.[28] इन प्रतिबंधों का AI, हाई-परफॉर्मेंस कंप्यूटिंग और सुपर कंप्यूटर जैसे क्षेत्रों में चीनी अनुसंधान पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ने की संभावना है. नए नियम के तहत चीन को चिप बनाने के उपकरण और तक़नीकी के निर्यात को भी प्रतिबंधित किया गया है. चीनी कंपनियों को अपने उपकरण बनाने के लिए इन चिप्स की ज़रूरत है. अमेरिका ने बगैर पूर्वानुमति के चीनी चिप निमार्ताओं के साथ काम करने वाले अमेरिकी नागरिकों और संस्थाओं पर भी प्रतिबंध लगा दिया है. जानकारों का मानना है कि इसके लिए पूर्वानुमति आसानी से उपलब्ध नहीं होगी. इस बात की भी खबरें है कि चीनी सेमीकंडक्टर उद्योगों में काम करने वाले लगभग 200 पासपोर्ट धारक हो सकते हैं, जिनमें ज़्यादातर अमेरिका से लौटे चीनी और ताइवानी हैं. कुछ विश्लेषकों के अनुसार, विश्व के लिए यह तथ्य एक बड़ी चुनौती पेश कर सकता है.[29]

ये नए प्रतिबंध काफ़ी व्यापक हैं. और कम से कम अल्पावधि में बीजिंग के समक्ष गंभीर आर्थिक और तक़नीकी संकट खड़ा कर सकते हैं. इंडस्ट्री एंड सिक्यूरिटी के अंडरसेक्रेट्री ऑफ़ कॉमर्स एलन एस्टेवेज ने अक्टूबर 2022 में कहा था कि ‘‘हम अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा की रक्षा करने में जुटे हैं. हमारा उद्देश्य सेना के लिए उपयोगी संवेदनशील तक़नीकों को पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ़ चाइना की सेना, इंटेलिजेंस और सुरक्षा बलों द्वारा अधिग्रहित होने से रोकने के लिए अपनी शक्ति में उचित रूप से सब कुछ करना है, जो हम कर रहे हैं. हमारी सुरक्षा को लेकर ख़तरे का माहौल हमेशा बदलता रहता है. ऐसे में हम यह सुनिश्चित करने के लिए अपनी नीतियों को अपडेट कर रहे हैं ताकि हम सहयोगियों और साझेदारों के साथ अपनी पहुंच और समन्वय जारी रखते हुए पीआरसी द्वारा पेश की गई चुनौतियों का समाधान ख़ोज सकें.’’[30] एक्सपोर्ट एडमिनिस्ट्रेशन के लिए असिस्टेंट सेक्रेट्री ऑफ़ कॉमर्स थिया डी. रोजमैन केंडलर ने कहा है कि ‘‘पीआरसी ने सुपरकंप्यूटिंग क्षमताओं को विकसित करने के लिए संसाधनों को प्रचूर मात्रा में झोंका है. वह 2030 तक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस में विश्व का नेता बनना चाहता है. यह इन क्षमताओं का उपयोग निगरानी, ट्रैक करने और अपने ही नागरिकों की टोह लेने अथवा उनकी ख़ुफ़िया जानकारी जुटाने के लिए कर रहा है. उसका इरादा इसके माध्यम से सैन्य आधुनिकीकरण को बढ़ावा देने का है.’’[31]

अमेरिकन एंटरप्राइज़ इंस्टीट्यूट के एक विशेषज्ञ हैल ब्रांड्स ने नए प्रतिबंधों के तर्क पर प्रकाश डालते हुए कहा है कि ‘‘इनका उद्देश्य चीन की आर्थिक गतिशीलता और सैन्य शक्ति को समान रूप से बाधित करने का है...यह एक गंभीर स्वीकारोक्ति को भी दर्शाने वाला है कि अमेरिका केवल चीन के साथ अपनी प्रतिस्पर्धा तेजी से दौड़कर नहीं जीत सकता, उसे इसके लिए बीजिंग की गति को भी धीमा करना होगा.’’[32] अन्य विशेषज्ञ भी इसी तरह की दलील देते हैं. वे कहते हैं कि नए निर्यात प्रतिबंध ‘‘इस बात का उदाहरण है कि चोकपॉइंट नियंत्रण को संरक्षित करने के लिए अमेरिकी सरकार किस हद तक हस्तक्षेप कर सकती है. इन प्रतिबंधों के साथ ही चीनी तक़नीकी उद्योग के बड़े हिस्से का सक्रिय रूप से गला घोंटने की कोशिश करने वाली नई अमेरिकी नीति शुरू हो गई हैं - अमेरिका चीनी तक़नीकी उद्योग का गला इस अंदाज में घोंटना चाहता है ताकि चीनी तक़नीकी उद्योग मर ही जाए.’’[33]

इन विशेषज्ञों का तर्क है कि बाइडेन प्रशासन वास्तव में चार काम करने की कोशिश कर रहा है: ‘‘(1) हाई-एंड AI चिप्स तक चीनी पहुंच को रोककर चीनी AI उद्योग का गला घोंटना; (2) अमेरिका निर्मित चिप डिजाइन सॉफ्टवेयर तक चीन की पहुंच को रोककर चीन को AI चिप्स को घरेलू स्तर पर डिजाइन करने से रोकना; (3) यूएस-निर्मित सेमीकंडक्टर निर्माण उपकरण तक पहुंच को रोककर चीन को एडवांस्ड चिप्स के निर्माण से रोकना; और (4) यूएस निर्मित घटकों तक पहुंच को बंद करके चीन को घरेलू रूप से सेमीकंडक्टर निर्माण उपकरण बनाने से रोकने का काम किया जा रहा है.’’[34] इन प्रतिबंधों की वज़ह से कम से कम अल्पावधि में चीन पर थोपे गए नियंत्रण चीन के दर्द को ‘‘अपरिहार्य’’ बनाते हैं. जैसा कि ताइपे स्थित इसाइआ रिसर्च के उपाध्यक्ष लुसी चेन ने कहा है कि, ‘‘विदेशी उपकरणों की जगह घरेलू विकल्पों के साथ उपकरणों का निर्माण करने की कोशिश में दर्द होना तय है.’’[35]

नवीनतम प्रतिबंधों से पहले, पहले के अमेरिकी दृष्टिकोण की कुछ सीमाएं तय थीं. ओबामा प्रशासन ने हाई-एंड चिप्स तक केवल चीनी सेना की पहुंच को प्रतिबंधित किया था. उस दौर में चीनी के वाणिज्यिक क्षेत्र के लोगों को अमेरिकी तक़नीक तक पहुंच का आनंद लेना जारी रखने की छूट मिली हुई थी. ओबामा प्रशासन ने अमेरिकी चिपमेकर, इंटेल पर ‘‘नेशनल यूनिर्वसिटी ऑफ़ डिफेंस टेक्नोलॉजी (NUDT) जैसे चीनी सैन्य सुपरकंप्यूटर अनुसंधान केंद्रों को इंटेल के हाई-एंड एक्सॉन चिप्स बेचने पर प्रतिबंध लगाया था.’’ हालांकि, ‘‘ये उपाय शेल कंपनियों को अप्रत्यक्ष बिक्री रोकने में एकदम प्रभावहीन साबित हुए. ये शेल कंपनियां ही बाद में चीनी सेना को निर्यात प्रतिबंध से बचते हुए सहायता करने में लगी हुई थी.’’[36] इतना ही नहीं चीन के सैन्य-नागरिक संलयन का मतलब था कि चीन में इन हाई एंड महत्वपूर्ण तक़नीकों को हासिल करने वाले नागरिक और सैन्य संस्थाओं के बीच कोई अंतर नहीं था और सेना अप्रत्यक्ष रूप से अमेरिका और उसके सहयोगी देशों की सर्वोत्तम तक़नीकों तक आसानी से पहुंच रही थी.[37] विशेषज्ञों का तर्क है कि बाइडेन प्रशासन इसी वज़ह से अपने दृष्टिकोण को बदलकर इस स्थिति को रोकने की कोशिश कर रही है. यानी, ‘‘यदि आपकी नीति सैन्य-नागरिक संलयन है, तो हमारी नीति को लागू करने का एकमात्र यथार्थवादी तरीका किसी सैन्य अंतिम उपयोग को रोकने अथवा समाप्त करने का नहीं होगा, बल्कि हम चीन के लिए, सभी प्रकार की बिक्री पर ही रोक लगा देंगे अथवा उसकी संभावना समाप्त कर देंगे. और अब हम वह कदम उठाने को तैयार हैं.’’[38]

सेमीकंडक्टर उद्योग पर वैश्विक स्तर पर अमेरिका, ताइवान, दक्षिण कोरिया, जापान और नीदरलैंड के उद्योग हावी हैं. सेमीकंडक्टर इंडस्ट्री एसोसिएशन (SIA) के अनुसार, 2022 में सेमीकंडक्टर की वैश्विक बिक्री 574.1 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंच गई. सेमीकंडक्टर इंडस्ट्री एसोसिएशन (SIA) के अनुसार यह, ‘‘2021 के कुल 555.9 बिलियन डॉलर की तुलना में अब तक का सर्वाधिक वार्षिक योग और 3.3% की वृद्धि’’ है. सेक्टर में यह रिकॉर्ड प्रदर्शन 2022 की दूसरी छमाही में मंदी के बावजूद हुआ है.[39] दरअसल, SIA को उम्मीद है कि आने वाले वर्षों में वैश्विक मांग में काफ़ी इज़ाफ़ा होगा. चीन अब भी सबसे बड़ा बाज़ार बना हुआ है. भले ही 2022 में वहां सेमीकंडक्टर की बिक्री 180.4 बिलियन अमेरिकी डॉलर थी, जो 2021 की तुलना में 6.2 प्रतिशत कम है.[40]

इस बीच, 1990 में वैश्विक सेमीकंडक्टर निर्माण क्षमता में अमेरिका की हिस्सेदारी 37 प्रतिशत थी, जो अब 2021 में घटकर 12 प्रतिशत हो गई है. इसका कारण यह है कि अन्य देशों ने पिछले कुछ वर्षों में बड़े पैमाने पर इस क्षेत्र में निवेश करना शुरू कर दिया है.[41] अपनी 2021 की वार्षिक रिपोर्ट में, SIA ने कहा है कि इसके परिणामस्वरूप अब यह बात हकीकत है कि चिप निर्माण क्षमता अब ज्यादातर पूर्वी एशिया में स्थित हो गई है. इसमें भी 2030 तक चीन के वैश्विक उत्पादन का सबसे बड़ा हिस्सेदार बन जाने की संभावना जताई जा रही है. सरकार की ओर से मिल रहे वित्त पोषण की वज़ह से चीन की स्थिति हाल के वर्षों में काफ़ी मज़बूत हुई है. लेकिन सरकारी वित्त पोषण की वज़ह से मिल रही मज़बूती को संदेह की नज़रों से ही देखा जा रहा है. लोगों का कहना है कि इस तरह का दृष्टिकोण उपयोगी और प्रभावी साबित नहीं होगा.

चीन अनेक प्रकार के चिप्स बनाता है, लेकिन स्मार्टफोन, सुपरकंप्यूटर या AI सिस्टम में काम आने वाले अत्याधुनिक कंप्यूटर चिप्स के लिए, बीजिंग को जापान या नीदरलैंड जैसे अमेरिका या अमेरिकी साझेदार देशों के कुछ उद्योगों पर निर्भर रहना पड़ता है.[42] लेकिन इसी वज़ह से अमेरिका और उसके भागीदारों को ‘‘चीन या उसके निजी क्षेत्रों को चिप्स की आपूर्ति में कटौती करने का मौका मिल जाता है. अमेरिका और उसके सहयोगियों का मानना है कि वह चीन तक इस तक़नीकी की पहुंच को इसलिए रोकेंगे, क्योंकि चीन के हाथों में जाने के बाद यह तक़नीक मानव अधिकारों या अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए ख़तरा बन जाती है.’’[43] इस साल जनवरी का अंत आते-आते जापान और नीदरलैंड ने भी चीन के निर्यात को प्रतिबंधित करने का फ़ैसला लेकर अमेरिका का साथ दे दिया. इस वज़ह से चीन के लिए इन चिप्स का उपयोग करने वाली कुछ उन्नत प्रणालियों के विकास का काम आगे बढ़ाना मुश्किल हो गया है.[44] अमेरिका लगभग दो वर्षों से इन दोनों देशों के साथ विचार-विमर्श कर रहा है. लेकिन नीदरलैंड में ASML और जापान में टोक्यो इलेक्ट्रॉन और निकॉन जैसी अपनी स्वयं की चिप बनाने वाली टूल कंपनियों पर इस तरह के प्रतिबंधों की वज़ह से पड़ने वाले संभावित प्रभाव के डर से दोनों देशों ने ही ऐसे प्रतिबंधों का विरोध किया है.

इस साल जनवरी का अंत आते-आते जापान और नीदरलैंड ने भी चीन के निर्यात को प्रतिबंधित करने का फ़ैसला लेकर अमेरिका का साथ दे दिया. इस वज़ह से चीन के लिए इन चिप्स का उपयोग करने वाली कुछ उन्नत प्रणालियों के विकास का काम आगे बढ़ाना मुश्किल हो गया है.

इन देशों में कुछ जटिल SME तक़नीक केवल कुछ ही कंपनियों द्वारा उत्पादित की जाती हैं. एक अच्छा उदाहरण EUV फोटोलिथोग्राफी उपकरण है, जो लॉजिक चिप्स के निर्माण की दृष्टि से महत्वपूर्ण प्रणाली है, जिसे केवल एक फर्म, यानी डच कंपनी, ASML द्वारा बेचा जाता है.[45] विशेषज्ञों का कहना है कि चीन के पास 5 एनएम या उससे कम के चिप्स विकसित करने के लिए आवश्यक अत्यधिक एक्सट्रीम अल्ट्रावायलेट (EUV) फोटोलिथोग्राफी मशीनों जैसी मशीन घरेलू स्तर पर बनाने के लिए आवश्यक अनुभव और मौन ज्ञान हासिल करने के लिए 'बहुत ज़्यादा समय' भी नहीं हैं. ऐसे में यह बात चीन के लिए अपने सबसे उन्नत नोड्स के चिप्स की प्रगति में एक महत्वपूर्ण बाधा साबित हो रही है.[46] इसी तरह, अमेरिका के सिनॉप्सिस एंड कैडेंस या जर्मनी के सीमेंस (मेंटर ग्राफिक्स) से इलेक्ट्रॉनिक डिजाइन ऑॅटोमेशन (EDA) ) उपकरण, या अमेरिका के एप्लाइड मैटेरियल्स से उत्पादन उपकरण और कैलिफोर्निया स्थित KLA से लैम रिसर्च या निरीक्षण उपकरण चीन के लिए सेमीकंडक्टर्स या लीडिंग-एज सेमीकंडक्टर उपकरणों का निर्माण करने के लिए महत्वपूर्ण हैं.[47]

चीन का जवाब

 

अमेरिका के साथ अपनी विशेषत: तक़नीक के क्षेत्र में बढ़ती प्रतिस्पर्धा को देखते हुए चीन इस बात का अनुमान लगा चुका था कि अमेरिका और उसके सहयोगी उसके ख़िलाफ़ इस तरह के प्रतिबंध लागू कर सकते हैं. इसके बावजूद ये प्रतिबंध आज भी इन हाई-टेक एरिया अथवा उच्च तक़नीकी क्षेत्रों में स्वदेशी आधार स्थापित करने की चीन की क्षमता को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित कर सकते है.[48] 2015 में शुरू की गई चीन की 'मेड इन चाइना 2025' रणनीति का लक्ष्य घरेलू सेमीकंडक्टर निर्माण में उल्लेखनीय वृद्धि करने का था. विशेषज्ञों के अनुसार, चीन की रणनीति को इसमें कुछ हद तक सफ़लता भी मिली है. लेकिन ‘‘महत्वपूर्ण अमूर्त विशेषज्ञता तक पहुंच की कमी’’ एक ऐसी बाधा है, जो चीन को इस क्षेत्र में अमेरिका और उसके सहयोगियों से आगे निकलने से रोकती रहेगी.[49] 2014 में इस संबंध में बनाया गया चीन का पहला निवेश कोष लगभग 21 बिलियन अमेरिकी डॉलर (139 बिलियन रॅन्मिन्बी) था और इसे मिनिस्ट्री ऑफ इंडस्ट्री एंड इंर्फोमेशन टेक्नोलॉजी (MIIT) द्वारा प्रबंधित किया जाना था. अक्टूबर 2019 में किया गया राशि धन का दूसरा आवंटन 35 बिलियन अमेरिकी डॉलर (204 बिलियन रॅन्मिन्बी) था.[50] इसके अलावा कम से कम 15 स्थानीय सरकारी फंड स्थापित किए गए थे. इसमें कुल मिलाकर लगभग 25 बिलियन अमेरिकी डॉलर की राशि उपलब्ध करवाई गई थी. OCED और US कांग्रेसनल रिसर्च सर्विस (CRS) सहित चीन के बाहर की विभिन्न रिपोर्टों के अनुसार विशेषज्ञों का कहना है कि चीन ने अपने सेमीकंडक्टर उद्योग को मज़बूत करने के उद्देश्य से 2014 और 2020 के बीच कुल मिलाकर लगभग 150 बिलियन अमेरिकी डॉलर का निवेश किया है.[51] चीनी सरकार ने अपनी 14वीं पंचवर्षीय योजना (2021-2025) में स्ट्रैटेजिक इंडस्ट्रिज अर्थात सामरिक उद्योगों के लिए 1.4 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर का आवंटन किया है, जिसमें सेमीकंडक्टर्स शामिल हैं.[52]

चीन अब इन उन्नत प्रौद्योगिकियों को विकसित करने के लिए नीतिगत ढांचे को मज़बूत करने सहित इन क्षेत्रों में अपने प्रयासों को दोगुना करने पर अनिवार्य रूप से ध्यान केंद्रित करेगा. हालांकि, उसके सामने सेमीकंडक्टर उद्योग में शामिल जटिल तक़नीकों और लागत-प्रभावशीलता जैसे सवालों को लेकर अनेक चुनौतियां मौजूद हैं.[53] अमेरिका और चीन के बीच तीव्र प्रतिस्पर्धा को देखते हुए, चीन को अब तक एक खुले वैश्विक बाज़ार का लाभ मिलता रहा है. लेकिन अब वे दिन बीत गए है, जब चीन एक वैश्वीकृत व्यवस्था के लाभ हासिल कर सकता था. यह लाभ मिलने की संभावना अब समाप्त हो गई है. इलिनॉयस विश्वविद्यालय के इलेक्ट्रिकल और कंप्यूटर इंजीनियरिंग विभाग के प्रोफेसर राकेश कुमार कहते है कि ‘‘उपभोक्ता उपकरणों के लिए चिप्स की उच्च लागत से प्रतिस्पर्धा को ख़तरा पैदा होगा. यह बात हमने अमेरिकी प्रतिबंधों के प्रभाव से होते हुए देखी है. इन प्रतिबंधों ने ZTE को लगभग दिवालिया कर दिया जबकि हुआवै को लड़खड़ाने पर मज़बूर कर दिया है. इसके बावजूद उच्च लागत इन महंगे चिप्स के सैन्य और अन्य रणनीतिक उद्देश्यों के लिए होने वाले उपयोग को रोक नहीं पाएगी. आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का उपयोग बढ़ता ही जा रहा है. इस क्षेत्र में चीन पहले से ही विश्व-स्तरीय ताकत के रूप में उभर चुका है. अत: चिप निर्माण में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का बढ़ता उपयोग और संचित अनुभव भी विकल्पों की लागत को कम करने में सहायक साबित हो सकता है. यदि ऐसा हुआ तो निर्यात प्रतिबंधों को हम समय के साथ कम प्रभावी बनता देखंगे.’’[54]

इस बीच, दिसंबर के मध्य में चीन, अमेरिकी निर्यात नियंत्रण और प्रतिबंधों के नवीनतम दौर का मामला अमेरिका के ख़िलाफ़ विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) में लेकर चला गया. चीन ने इस मामले पर अंडरस्टैंडिंग ऑन रूल्स एंड प्रोसिजर्स गर्वनिंग द सेटलमेंट ऑफ डिस्प्यूट्स अर्थात विवादों के निपटान को नियंत्रित करने वाले नियमों और प्रक्रियाओं पर बने समझौते के अनुच्छेद 4 (‘‘DSU’’), जनरल एग्रीमेंट ऑन ट्रेड एंड टैरिफ्स अर्थात शुल्क और व्यापार 1994 के सामान्य समझौते के अनुच्छेद XXII (‘‘GATT1994’’), जनरल एग्रीमेंट ऑन ट्रेड इन सर्विसेस (‘‘GATS’’) अर्थात सेवाओं में व्यापार पर सामान्य समझौता के अनुच्छेद XXII, एग्रीमेंट ऑन ट्रेड-रिलेटेड इन्वेस्टमेंट मेजर्स (‘‘TRIM Agreement’’) अर्थात व्यापार-संबंधित निवेश उपायों पर समझौते के अनुच्छेद 8 तथा एग्रीमेंट ऑन ट्रेड-रिलेटेड आस्पेक्ट्स ऑफ इंटलेक्चुअल प्रॉपर्टी राइट्स (‘‘TRIPS Agreement’’) अर्थात बौद्धिक संपदा अधिकारों के व्यापार-संबंधित पहलुओं पर समझौते के अनुच्छेद 64.1 के अनुरूप परामर्श कर इन मसलों का हल निकालने की मांग की है.[55] चीन ने अमेरिकी उपायों को ‘‘भेदभावपूर्ण और प्रच्छन्न व्यापार प्रतिबंध’’ के रूप में चित्रित किया है.[56]

अमेरिकी प्रतिबंधों के प्रभाव से बचने के लिए चीन अब अधिक नवीन समाधानों की ख़ोज करते हुए अपने तक़नीकी आधार को मज़बूत करने की कोशिश में जुटा है.[57] उदाहरण के लिए, चीनी चिप निमार्ता, सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग इंटरनेशनल कॉरपोरेशन (SMIC) ने कहा है कि चीन को EUV उपकरण उपलब्ध नहीं होने के बावजूद वह 7-nm (नैनोमीटर) चिप्स का उत्पादन कर रहा है.[58] यह भी कहा जा रहा है कि SMIC, 5-nm के अधिक उन्नत चिप्स को भी विकसित कर रहा है.[59] कथित तौर पर SMIC एक नए 300 mm वेफर फैब (निर्माण सुविधा) का भी निर्माण कर रहा है.[60] इसी तरह, AI और हाई-परफॉर्मन्स कंप्यूटिंग सेक्टर्स में चीनी कंपनियां, जियांगडिक्सियन कंप्यूटिंग टेक्नोलॉजी और मोफेट AI, कुछ ऐसे नए उपकरणों पर विचार कर रही हैं, जिसको लेकर उनका दावा है कि ये उन GPU की जगह काम में लिए जा सकते हैं, जो अमेरिकी फर्म एनवीडिया और AMD चीन को बेचा करते थे. ये स्पष्ट है कि ये उपकरण उन्नत नहीं हैं, लेकिन चीन का दावा है कि ये काम करते हैं.

इस बीच, एडवांस्ड माइक्रो-फैब्रिकेशन इक्विपमेंट इंक (AMEC) और शंघाई माइक्रो इलेक्ट्रॉनिक्स इक्विपमेंट (Group) कं, लिमिटेड (SMEE) जैसी अन्य चीनी फर्में भी हैं, जो चीन को सेमीकंडक्टर तक़नीक में एक स्वदेशी आधार विकसित करने में सहायता प्रदान कर रही हैं. एक हुआवै-वित्तपोषित स्टार्ट-अप भी कथित तौर पर इस क्षेत्र में प्रवेश करते हुए चिप्स बनाने के लिए फैब का निर्माण कर रहा है.[61] इन सारी बातों से एक बात तो साफ़ हो जाती है कि तत्काल समय सीमा में चीन की स्वदेशीकरण प्रक्रिया को मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है. इस साल मार्च की शुरूआत में, बीजिंग ने एक नई निर्णय लेने वाली संस्था की स्थापना की है. इस संस्था को सेंट्रल कमिशन ऑन साइंस एंड टेक्नोलॉजी अर्थात केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी आयोग कहा जाता है. यह चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के भीतर स्थापित एक नई संस्था है.[62] चीन का यह कदम ‘‘सत्तारूढ़ चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के हाथों में विज्ञान और प्रौद्योगिकी नीतियों पर सत्ता की पकड़ को और केंद्रीकृत करने वाला साबित होगा.’’ बात जब महत्वपूर्ण तक़नीकों की आती है तो चीन के इस कदम को हम राष्ट्रपति शी जिनपिंग के आत्मनिर्भरता पर जोर देने का उदाहरण भी मान सकते है.

शी को नेशनल पीपुल्स कांग्रेस (NPC) के प्रतिनिधियों के एक समूह से यह कहते हुए उद्धृत किया गया है कि ‘‘कठोर अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा के बीच ... क्या हम सर्वांगीण तरीके से हमारे द्वारा निर्धारित एक  समाजवादी आधुनिक देश का निर्माण कर सकते हैं. यह बात साइंस एंड टेक्नोलॉजी में आत्मनिर्भरता और आत्म-सुधार पर निर्भर करेगी.’’[63] नए संस्थागत उपायों को लागू करने के बाद, चीन अपने यहां की सबसे सफ़ल चिप कंपनियों के लिए सब्सिडी प्राप्त करने और राज्य समर्थित अनुसंधान पर अधिक नियंत्रण की प्रक्रिया को आसान बना रहा है.[64] मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग इंटरनेशनल (SMIC), हुआ होंग सेमीकंडक्टर, हुआवै, और नौरा और एडवांस्ड माइक्रो-फैब्रिकेशन इक्विपमेंट इंक चीन जैसे उपकरण आपूर्तिकतार्ओं सहित चीन की घरेलू कंपनियां उनमें से कुछ कंपनियां हैं, जो चीन की नीति में किए गए बदलाव से लाभान्वित होंगी. नीतिगत बदलाव के साथ सीधे तौर पर काम करने वाले एक व्यक्ति को मीडिया में यह कहते हुए उद्धृत किया गया था कि ‘‘चीनी सरकार इन कंपनियों को बिना किसी फंडिंग कैप के स्थानीय चिपमेकिंग टूल के उत्पादन और तैनाती के लिए सब्सिडी देगी, ताकि अमेरिकी प्रतिबंधों को प्रभावहीन किया जा सके.’’[65] एक अधिकारी ने यह टिप्पणी की थी कि पिछला चीनी दृष्टिकोण त्रुटिपूर्ण था. इसे लगभग एक स्वीकारोक्ति माना जा रहा है. इस अधिकारी ने अपनी टिप्पणी में कहा था कि ‘‘चीन ने कुछ भी हासिल किए बिना प्रतिबंधों को दरकिनार करने के लिए गैर-कार्यात्मक अनुसंधान पर बहुत अधिक पैसा बर्बाद किया है. यह वक़्त सारे भ्रम अथवा गलतफहमियों को दूर करने और कंपनियों को सभी संभावित संसाधन मुहैया करवाने की दिशा में काम करने का है, ताकि इस उद्योग के समक्ष मौजूद चुनौतियों से उसको बाहर निकालने की क्षमता विकसित की जा सके.’’[66]

शी को नेशनल पीपुल्स कांग्रेस (NPC) के प्रतिनिधियों के एक समूह से यह कहते हुए उद्धृत किया गया है कि ‘‘कठोर अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा के बीच ... क्या हम सर्वांगीण तरीके से हमारे द्वारा निर्धारित एक समाजवादी आधुनिक देश का निर्माण कर सकते हैं. यह बात साइंस एंड टेक्नोलॉजी में आत्मनिर्भरता और आत्म-सुधार पर निर्भर करेगी.’’

इसके अलावा, अमेरिका और उसके सहयोगी देशों की ओर से चीन पर लगाए गए प्रतिबंधों के कारण व्यवसायों को चीन से बाहर निकलने पर मज़बूर होना पड़ रहा है. एक अनुकूल मैन्यूफैक्चरिंग बेस अर्थात विनिर्माण आधार के रूप में चीन अपनी अहमियत खोता जा रहा है. अनेक उद्योग चीन से बाहर निकलकर अन्य देशों में अपने नए ठिकाने की ख़ोज में जुट गए हैं. उदाहरण के लिए एक जापानी कंपनी और चिप कम्पोनन्ट्स अर्थात घटकों की दुनिया की सबसे बड़ी उत्पादकों में से एक क्योसेरा अब जापान में अपने कारखाने की स्थापना कर रही है. सिरेमिट कम्पोनन्ट्स अर्थात घटकों के बाज़ार में वैश्विक स्तर पर क्योसेरा की चिप निर्माण उपकरण की हिस्सेदारी 70 प्रतिशत है.[67] कंपनी के अध्यक्ष हिडियो तनिमोटो का कहना है कि वे ‘‘क्योसेरा के लिए एक आक्रामक निवेश रणनीति पर जोर दे रहे हैं, जिसमें लगभग दो दशकों में जापान में इसके पहले कारखाने का निर्माण करना शामिल है.’’[68] वे तर्क देते हैं कि अब चीन में चिप कम्पोनन्ट्स अर्थात घटकों का उत्पादन करना बेमानी है क्योंकि ‘‘चीन में उत्पादन कर और चिप को विदेशों में निर्यात करने का व्यापार मॉडल अब व्यवहार्य नहीं रह गया है.’’ कंपनी के इस दृष्टिकोण में बदलाव के अन्य कारकों में सस्ते श्रम की उपलब्धता और मजदूरी में वृद्धि भी शामिल हैं. हालांकि, ज़्यादातर चिंताएं अमेरिका और चीन के बीच प्रतिस्पर्धी गतिशीलता से संबंधित हैं, क्योंकि कंपनी को वर्तमान स्थिति में चीन से निर्यात जारी रखने में कठिनाई हो रही है.[69]

चिप्स में वैश्विक कमी और भरोसेमंद आपूर्ति श्रृंखलाओं की कमी के बीच, अन्य देश भी इस क्षेत्र में अधिक निवेश करके बड़े हिस्से पर अपना दावा पेश कर रहे हैं. उदाहरण के लिए, दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के संघ (ASEAN) में शामिल देश भी इस क्षेत्र में एक अहम भूमिका निभाने की कोशिश कर रहे हैं. वियतनाम स्थित परामर्श एजेंसी के एक अध्ययन के मुताबिक, इस क्षेत्र में ताकत मौजद है, भले ही वह ताकत सीमित क्यों न हो: मलेशिया, सिंगापुर, वियतनाम, फिलीपींस और थाईलैंड ; R&D और IC डिजाइन के मामले में अच्छा प्रदर्शन करते हैं, जबकि मलेशिया और सिंगापुर को वेफर और उपकरण निर्माण के क्षेत्र में अग्रणी माना जाता है. इसके साथ ही मलेशिया, फिलीपींस, थाईलैंड, वियतनाम और इंडोनेशिया एंसीलरी अर्थात अनुषंगिक उपकरण निर्माण में फलते-फूलते हैं, जबकि सिंगापुर और थाईलैंड इंजीनियरिंग सॉफ्टवेयर में आगे हैं.[70]

निष्कर्ष

 

तक़नीकी युद्ध में अमेरिका कम से कम इस समय तो चीन से आगे ही दिखाई दे रहा है. अत: अमेरिका अपने प्रभुत्व को बनाए रखने का प्रयास करेगा, चीन पर अब तक के कुछ सबसे अधिक प्रतिबंधात्मक निर्यात नियंत्रण उपायों को लागू करने से यह बात साफ़ दिखाई देती है. नीदरलैंड और जापान जैसे अपने साझेदारों को समान उपायों को अपनाने के लिए राजी करने की अमेरिका की क्षमता एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगी.

ऐसा होने पर चीन के लिए एडवांस्ड सेमीकंडक्टर टेक्नोलॉजी तक पहुंच बनाना मुश्किल हो जाएगा. इसमें चिप बनाने के लिए चिप्स और उपकरण शामिल हैं और साथ ही चिप्स निर्माण की तक़नीक से जुड़ी जानकारी शामिल है. इन बातों की चीन को अपने स्वयं के एडवांस्ड चिप्स या सेमीकंडक्टर का निर्माण करने में काफ़ी आवश्यकता है. यह इस बात को दर्शाता है कि चीन की तक़नीकी प्रगति को कम करने को लेकर अमेरिका कितना दृढ़ संकल्पित है.

भले ही चीन कम से कम अल्पावधि में इस तरह के प्रतिबंधों का अनुमान लगाकर इनसे निपटने की तैयारी में लगा था, लेकिन उसे निर्यात नियंत्रण उपायों के परिणामों को झेलना ही होगा. भले ही वह उन्हें कम करने के लिए कदम उठा रहा हो, लेकिन उसमें उसे वक़्त लगेगा. हाई-टेक प्रतिस्पर्धा अब अमेरिका और चीन से आगे बढ़ रही है. अन्य देश भी सेम टेक डोमेन अर्थात समान तक़नीकी क्षेत्र में निवेश करना शुरू कर रहे हैं. निकट भविष्य में हालांकि, यह संभावना है कि अमेरिका और उसके मुट्ठीभर सहयोगी ही इस क्षेत्र में अपनी बढ़त को बनाए रख सकेंगे.[71]

अंत में, यूएस-चीन व्यापार और तक़नीकी प्रतिद्वंद्विता के भारत पर पड़ने वाले प्रभाव को देखना भी महत्वपूर्ण है. खासकर जब नई दिल्ली भी इस क्षेत्र में अपनी दक्षताओं को विकसित करने की दिशा में काम कर रही है. लेकिन सेमीकंडक्टर और चिप्स डिजाइन और उत्पादन में विकासशील दक्षताएं हासिल करना एक जटिल कार्य हैं. इसके लिए इस क्षेत्र में वित्तीय निवेश, R&D, अत्याधुनिक नवाचार और एक बड़े उच्च कुशल प्रतिभा वाले श्रमिक बल की आवश्यकता है. इंडिया इलेक्ट्रॉनिक्स एंड सेमीकंडक्टर एसोसिएशन (IESA) के उपाध्यक्ष कर्नल अनुराग अवस्थी का मानना है कि स्किलिंग पर ध्यान केंद्रित रहने की ज़रूरत है, ‘‘क्योंकि भारत फैब्रिकेशन प्लांट और कंपाउंड सेमीकंडक्टर बनाने के सफ़र पर निकला है. ऐसा करते हुए भारत और इलेक्ट्रॉनिक्स सिस्टम की डिजाइन एंड मैन्यूफैक्चरिंग उद्योग (ESDM) की उच्च विकास दर को नीतिगत ढांचे की एक मज़बूत इमारत के साथ अपना रहा है.’’[72]

एक कटु सत्य यह भी है कि भारत प्रतिभा की कमी से जूझ रहा है. हालाँकि यह समस्या केवल भारत के लिए अद्वितीय नहीं है. डिजाइनिंग चिप्स के क्षेत्र में R&D एक ऐसा पहलू है जहां पहले से ही दुनिया भर में बड़ी संख्या में भारतीय प्रतिभाओं की सेवाएं ली जा रही है.

हालाँकि, एक कटु सत्य यह भी है कि भारत प्रतिभा की कमी से जूझ रहा है. हालाँकि यह समस्या केवल भारत के लिए अद्वितीय नहीं है. डिजाइनिंग चिप्स के क्षेत्र में R&D एक ऐसा पहलू है जहां पहले से ही दुनिया भर में बड़ी संख्या में भारतीय प्रतिभाओं की सेवाएं ली जा रही है. भारत को ‘‘इलेक्ट्रीशियन, पाइपफिटर और वेल्डर, तक़नीकी इंजीनियरों, रखरखाव कर्मियों, स्मार्ट फैक्ट्री ऑटोमेशन विशेषज्ञों’’ सहित अन्य प्रतिभा क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करने के साथ ही इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में भारतीय स्नातकों को उन विनिर्माण प्रक्रियाओं पर ध्यान देना चाहिए जो चिप्स के विकास में काम आती हैं.[73] उदाहरण के लिए, कर्नल अवस्थी के अनुसार भारत में हर साल लगभग 1.5 मिलियन इंजीनियर स्नातक उत्तीर्ण होते हैं, लेकिन ‘‘बहुत इसमें से कम लोग ही माइक्रोइलेक्ट्रॉनिक, इलेक्ट्रिकल, केमिकल और मैटेरियल इंजीनियरिंग जैसे क्षेत्रों को चुनते हैं, और इसके लिए मुख्यत: दो कारण दिए जा सकते हैं: 'कंप्यूटर विज्ञान और संबंधित विषयों की तुलना में उपरोक्त उल्लेखित विषयों को लेकर जागरूकता और नौकरी के विकल्पों की उपलब्धता में कमी को इसका ज़िम्मेदार माना जा सकता है.’’[74]

भारत सरकार ने इन मुद्दों के समाधान के लिए कुछ उद्देश्यपूर्ण निर्णय लिए हैं, जिनमें डिजिटल इंडिया कॉपोर्रेशन के भीतर एक ‘‘स्वतंत्र व्यापार प्रभाग’’ के रूप में इंडिया सेमीकंडक्टर मिशन (ISM) की स्थापना शामिल है. ISM को ‘‘सभी प्रशासनिक और वित्तीय शक्तियां दी गई हैं और इसे भारत में सेमीकंडक्टर पारिस्थितिकी तंत्र विनिर्माण, पैकेजिंग और डिजाइन में उत्प्रेरित करने की ज़िम्मेदारी सौंपी गई है.’’ यह निर्णय इस क्षेत्र में आवश्यक विकास गति को सुविधाजनक बनाने की दृष्टि से महत्वपूर्ण है.[75] ISM एक सलाहकार निकाय के माध्यम से सेमीकंडक्टर में सर्वश्रेष्ठ ग्लोबल माइंड्स अर्थात वैश्विक प्रतिभा को भी शामिल करता है, जो सेमीकंडक्टर और चिप्स के क्षेत्र में भारत के भविष्य की ट्रेजेक्टरी अर्थात प्रक्षेपवक्र को सलाह देकर उसे निर्देशित भी कर सकता है.

भारत सरकार ने नीतिगत मोर्चे पर भारत में सेमीकंडक्टर वेफर निर्माण सुविधाओं की स्थापना के लिए बड़े निवेश की तलाश के लिए चार योजनाएं तैयार की हैं; भारत में डिस्प्ले फैब स्थापित करने के लिए; भारत में कंपाउंड सेमीकंडक्टर/सिलिकॉन फोटोनिक्स/सेंसर फैब/डिस्क्रीट सेमीकंडक्टर फैब और सेमीकंडक्टर की असेंबली, टेस्टिंग, मार्किंग और पैकेजिंग (ATMP) /OSAT सुविधाओं की स्थापना के लिए; और एक डिजाइन से जुड़ी पहल जो एकीकृत सर्किट (IC) , चिपसेट, सिस्टम ऑन चिप्स (SoC0), सिस्टम और IP कोर और सेमीकंडक्टर लिंक्ड डिजाइन के लिए सेमीकंडक्टर डिजाइन के विकास और तैनाती के विभिन्न चरणों में वित्तीय प्रोत्साहन, डिजाइन इंफ्रास्ट्रक्चर समर्थन की पेशकश करेगी.[76]

सेमीकंडक्टर इकाइयों की स्थापना के लिए बड़े निवेश और निर्बाध बिजली आपूर्ति और स्वच्छ पानी सहित महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे की ज़रूरत होती है. इसके लिए बड़ी मात्रा में सैकड़ों एकड़ भूमि की उपलब्धता भी महत्वपूर्ण है. भूमि अधिग्रहण भारत में हमेशा से एक विशेष चुनौती ही साबित होती रही है. इन तक़नीकों में भारी पूंजी निवेश के अलावा, इन सुविधाओं को स्थापित करने और उनका लाभ पाने में एक लंबी अवधि शामिल होती है. इसके लिए केंद्र और राज्यों दोनों ओर से सतत कार्यक्रमों को लागू करना ज़रूरी हो जाता है. कर्नाटक, तेलंगाना, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश, ओडिशा, त्रिपुरा और पंजाब सहित अनेक राज्यों और दादरा और नगर हवेली और दमन और दीव जैसे केंद्र शासित प्रदेशों ने सेमीकंडक्टर चिप निर्माण सुविधाओं को स्थापित करने के लिए कंपनियों को अपने यहां आकर्षित करने में रुचि दिखाई है.[77] इन कंपनियों को किस राज्य में कौन सी जगह पर अपना कारखाना स्थापित करना है इसका फ़ैसला कंपनियों पर ही छोड़ा गया है. कंपनियां भी यह फ़ैसला लेते वक़्त निरंतर बिजली और पानी की आपूर्ति के साथ-साथ राज्य सरकार की ओर से दिए जाने वाले विभिन्न प्रोत्साहनों पर भी नज़र रखेंगी. इन सारी बातों पर निर्णय लेने का अधिकार कंपनियों के पास ही है.

ये सभी सरकार द्वारा उठाए गए प्रभावशाली कदम हो सकते हैं, लेकिन यह आकलन करना जल्दबाजी होगी कि क्या वे भारत के सेमीकंडक्टर मिशन को बढ़ाने के लिए आवश्यक प्रतिभा, संसाधनों और विशेषज्ञता को एक साथ लाने में प्रभावी होंगे या नहीं.


Endnote

[1] Hal Brands, “Biden’s Chip Limits on China Mark a War of High-Tech Attrition,” Bloomberg, October 10, 2022.

[2] John Calabrese, “CHIPS on the Table: Escalating US-China Tech War Impacts the Mideast,” Middle East Institute, December 15, 2022.

[3]  European Commission, “European Chips Act,” February 2022.

[4] European Commission, “European Chips Act.”

[5] Arjun Kharpal. “Global Semiconductor Sales Top Half a Trillion Dollars for First Time as Chip Production Gets Boost,” CNBC, February 15, 2022.

[6] U.S. Senate Committee on Commerce, Science, and Transportation, “Written Testimony of Pat Gelsinger, Chief Executive Officer, Intel Corporation, ‘Developing Next Generation Technology for Innovation’,” March 23, 2022.

[7] Semiconductor Industry Association, 2021 State of the U.S. Semiconductor Industry, n.d..

[8] Trường Lăng, “Semiconductors production – the fierce competition of the world’s superpowers and the rise of potential steeds.,” Viettonkin Consulting, December 7, 2022.

[9]  “Battered by Covid, China Hits Pause on Giant Chip Spending Aimed at Rivaling US.” Bloomberg, January 23, 2023.

[10]  Dan Robinson, “China May Reassess Chip Strategy in Face of US Sanctions,” The Register, March 9, 2023.

[11] Dan Robinson, “China May Reassess Chip Strategy in Face of US Sanctions”

[12] Dan Robinson, “China May Reassess Chip Strategy in Face of US Sanctions”

[13] John Naughton, “Cold War 2.0 Will Be a Race for Semiconductors, Not Arms,” The Guardian. February 18, 2023.

[14]How TSMC has mastered the geopolitics of chipmaking,” The Economist, April 29, 2021.

[15] Department of Commerce, Bureau of Industry and Security. “Commerce Control List (CCL).” Commerce Control List (CCL), n.d.

[16] Department of Commerce, Bureau of Industry and Security. “Implementation of Additional Export Controls: Certain Advanced Computing and Semiconductor Manufacturing Items; Supercomputer and Semiconductor End Use; Entity List Modification.” October 7, 2022.

[17] Department of Commerce, Bureau of Industry and Security. “Revisions to the Unverified List; Clarifications to Activities and Criteria That May Lead to Additions to the Entity List.” October 7, 2022.

[18] Department of Commerce, Bureau of Industry and Security. “Revisions to the Unverified List; Clarifications to Activities and Criteria That May Lead to Additions to the Entity List.”

[19]  Gregory C. Allen, “Choking off China’s Access to the Future of AI,” Center for Security and International Studies, October 11, 2022.

[20] The White House, “FACT SHEET: CHIPS and Science Act Will Lower Costs, Create Jobs, Strengthen Supply Chains, and Counter China,” August 9, 2022.

[21] The White House, “FACT SHEET: CHIPS and Science Act Will Lower Costs, Create Jobs, Strengthen Supply Chains, and Counter China”

[22] US Congress, “Endless Frontier Act,” 116th Congress (2019-2020).; US Congress, “CHIPS for America Act,” 116th Congress (2019-2020).

[23] The figure given in the original article was 0.1, which appears to be an error, which has been corrected here.

[24] John VerWey, “Betting the House: Leveraging the CHIPS and Science Act to Increase U.S. Microelectronics Supply Chain Resilience,” Center for Security and Emerging Technology, January 2003,

[25]America’s Asian allies dislike its tech war on China,” The Economist, December 1, 2022.

[26]President Biden Signs Inflation Reduction Act into Law | U.S. Senator Sherrod Brown of Ohio,” August 16, 2022.

[27]  For the evolution of the US regulations on China, see Tamer A. Soliman, Jing Zhang and Gretel Echarte Morales, “Tightening the Screws: US Further Restricts Huawei’s Access to US Technologies,” Mayer Brown. March 20, 2023.

[28] Matt Sheehan, “Biden’s Unprecedented Semiconductor Bet,” Carnegie Endowment for International Peace, October 27, 2022.

[29]  Jane Perlez, Amy Chang Chien and John Liu, “Engineers from Taiwan Bolstered China’s Chip Industry. Now They’re Leaving,” New York Times, November 16, 2022.

[30]Bureau of Industry and Security, “Commerce Implements New Export Controls on Advanced Computing and Semiconductor Manufacturing Items to the People’s Republic of China (PRC),” October 7, 2022.

[31] Bureau of Industry and Security, “Commerce Implements New Export Controls on Advanced Computing and Semiconductor Manufacturing Items to the People’s Republic of China (PRC)”

[32]  Hal Brands, “Biden’s Chip Limits on China Mark a War of High-Tech Attrition”

[33] Gregory C. Allen, “Choking off China’s Access to the Future of AI”

[34] Gregory C. Allen, “Choking off China’s Access to the Future of AI”

[35] Qianer Liu, “China gives chipmakers new powers to guide industry recovery,” Financial Times, March 21, 2023.

[36] Gregory C. Allen, “Choking off China’s Access to the Future of AI”

[37] Matt Sheehan, “Biden’s Unprecedented Semiconductor Bet”

[38] Gregory C. Allen, “Choking off China’s Access to the Future of AI”

[39] Semiconductor Industry Association, “Global Semiconductor Sales Increase 3.3% in 2022 Despite Second-Half Slowdown,” February 3, 2023.

[40] Semiconductor Industry Association, “Global Semiconductor Sales Increase 3.3% in 2022 Despite Second-Half Slowdown”

[41] Semiconductor Industry Association, “2021: State of the U.S. Semiconductor Industry.” n.d.

[42] Will Hunt, Saif M. Khan and Dahlia Peterson, “China’s Progress in Semiconductor Manufacturing Equipment: Accelerants and Policy Implications,” CSET Policy Brief, Center for Security and Emerging Technology, March 2021.

[43] Andre Barbe and Will Hunt, “Preserving the Chokepoints: Reducing the Risks of Offshoring Among U.S. Semiconductor Manufacturing Equipment Firms,” CSET Policy Brief, Center for Security and Emerging Technology, May 2022.

[44] Demetri Sevastopulo and Sam Fleming, “Netherlands and Japan join US in restricting chip exports to China,” Financial Times. January 28, 2023.

[45] Saif M Khan and Carrick Flynn, “Maintaining China’S Dependence on Democracies for Advanced Computer Chips,” Brookings Institution, April 2020.

[46] Nigel Inkster, Emily S. Weinstein and John Lee, “Ask the Experts: Is China’s Semiconductor Strategy Working?,” Blog, London School of Economics, September 1, 2022.

[47]  Scott Foster, “China on course to elude US chip-making equipment bans,” Asia Times, October 3, 2022.

[48] Will Knight, “US Chip Sanctions ‘Kneecap’ China’s Tech Industry,” Wired, October 12, 2022.

[49] Nigel Inkster, Emily S. Weinstein and John Lee. “Ask the Experts: Is China’s Semiconductor Strategy Working?,”; Henry Farrell, “How does the U.S. block China from getting microchips made abroad?,” Washington Post, October 8, 2022.

[50] Alicia García-Herrero and Pauline Weil, “Lessons for Europe from China’s quest for semiconductor self-reliance,” Policy Brief, Bruegel, November 18, 2022.

[51] Alicia García-Herrero and Pauline Weil, “Lessons for Europe from China’s quest for semiconductor self-reliance”

[52] CRS Report, “China’s New Semiconductor Policies: Issues for Congress,” April 21, 2021.

[53] Henry Farrell, “Analysis | How Does the U.S. Block China from Getting Microchips Made Abroad?,” Washington Post, October 8, 2022.

[54] Scott Foster, “China on course to elude US chip-making equipment bans,” Asia Times, October 3, 2022.

[55] World Trade Organisation, “United States – Measures on Certain Semiconductor and Other Products, and Related Services and Technologies: Request for Consultations by China,” WT/DS615/1, G/L/1471, S/L/438, G/TRIMS/D/46, IP/D/4415 December 2022.

[56]  World Trade Organisation, “United States – Measures on Certain Semiconductor and Other Products, and Related Services and Technologies: Request for Consultations by China”

[57] Tzuhsuan Tang, “Another Look at China’s Semiconductor Manufacturing Equipment Industry,” EqualOcean International, January 19, 2022.; Cheng Ting-Fang and Shunsuke Tabeta, “China’s chip industry fights to survive U.S. tech crackdown,” Nikkei Asia, November 30, 2022.; “U.S. Sanctions Have Helped China Supercharge Its Chipmaking Industry,” Time, June 21, 2022.

[58] Scott Foster, “SMIC’s 7-nm chip process a wake-up call for US,” Asia Times, July 25, 2022.

[59]  Scott Foster, “China on course to elude US chip-making equipment bans”

[60] Peter Brown, “SMIC to build new 300 mm fab in Tianjin, China,” Electronics 360, August 30, 2022.

[61]Secretive Chip Startup May Help Huawei Circumvent US Sanctions” Bloomberg, October 6, 2022.

[62] Eduardo Baptista, “China to Restructure Sci-Tech Ministry to Achieve Self-Reliance Faster,” Reuters, March 7, 2023.

[63]  Eduardo Baptista, “China to Restructure Sci-Tech Ministry to Achieve Self-Reliance Faster”

[64] Qianer Liu, “China gives chipmakers new powers to guide industry recovery,” Financial Times, March 21, 2023.

[65] Qianer Liu, “China gives chipmakers new powers to guide industry recovery”

[66] Qianer Liu, “China gives chipmakers new powers to guide industry recovery”

[67] Eri Sugiura, “China no longer viable as world’s factory, says Kyocera,” Financial Times, February 21, 2023.

[68]  Eri Sugiura, “China no longer viable as world’s factory, says Kyocera”

[69]  Eri Sugiura, “China no longer viable as world’s factory, says Kyocera”

[70] Trường Lăng, “(Part 1) Semiconductors production – the fierce competition of the world’s superpowers and the rise of potential steeds,” Viettonkin Consulting, 7 December 2022.; Ernst & Young, “When The Chips are Down: ASEAN Could be the Answer to the Semiconductor Crunch“.

[71]  Akshay Mathur, “A Supply Chain Resilience Agenda for the Quad,” Observer Research Foundation. September 21, 2021.

[72] Awasthi, Anurag, “Upskilling the Chip Industry: Transforming Human Resource into Human Capital,” Observer Research Foundation, September 12, 2022.

[73] Ayush Jain, “India has the Magic Lamp for Semiconductor Industry,” Analytics India Magazine, February 14, 2023.

[74] Ayush Jain, “India has the Magic Lamp for Semiconductor Industry”

[75] Lok Sabha, “Unstarred Question No. 2427 – Indian Semiconductor Mission,” Ministry of Electronics and Information Technology, December 21, 2022.

[76] Lok Sabha, “Unstarred Question No. 604 – Holistic Ecosystem for Semiconductors,” Ministry of Electronics and Information Technology, July 20, 2022.

[77] Lok Sabha, “Unstarred Question No. 1654 – Setting up of Semiconductor Industries,” Ministry of Electronics and Information Technology, July 27, 2022.

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