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अमेरिकन ड्रीम अब पहले जैसा सुनहरा नहीं रहा। वीज़ा की जटि
टिकटॉक को लेकर अमेरिका और चीन में चल रही जंग पर अब विराम ल
वैश्विक स्तर पर नए-नए व्यापारिक समझौते हो रहे हैं और इनका
यूरोप में शांति और भारत-अमेरिका संबंधों को ठीक करने का रा
ट्रम्प 2.0 की ओर से भारत पर लगाए गए टैरिफ को चीन अपने लिए बड़
पूर्ण क्षमतेच्या व्यापार युद्धाच्या धोक्याला तोंड देणा
चीनने अमेरिका सोबत पुन्हा सुरू झालेल्या व्यापारयुद्धाच
घरेलू मांग, तकनीकी आत्मनिर्भरता और रियल एस्टेट में सुधार
सत्ता में ट्रंप की वापसी ने टैरिफ युद्ध छेड़कर अमेरिका औ
क्या टैरिफ़ में गिरावट ने तमाम उभरती अर्थव्यवस्थाओं में
ट्रंप ने जो व्यापक टैरिफ लगाए हैं वो वैश्विक व्यापार को ल
शी जिनपिंग से लेकर व्लादिमीर पुतिन और डोनाल्ड ट्रंप तक- स
ट्रंप की ओर से टैरिफ को लेकर दी जा रही चेतावनी पर चीनी प्र
ट्रंप 2.0 का 'अमेरिका फर्स्ट' एजेंडा विकास परिदृश्य के लिए,
उम्मीद है कि अमेरिका में ट्रंप के फिर से राष्ट्रपति बनने
राष्ट्रपति के रूप में ट्रंप के अगले कार्यकाल के दौरान ची
जापान में चिप को बढ़ावा देने का मौजूदा अभियान वैश्विक चि
आज जब दुनिया शीत युद्ध 2.0 से तालमेल बिठाने की कोशिश कर रही
अभी अमेरिका ऐसी स्थिति में है कि वह जापान, दक्षिण कोरिया औ
पिछले दिनों फ्रांस (France) के राष्ट्रपति मैक्रों के अमेरिका
ये बात समझनी होगी कि आपूर्ति श्रृंखला में मज़बूती लाने क
ये बात समझनी होगी कि आपूर्ति श्रृंखला में मज़बूती लाने क
अंतरराष्ट्रीय संबंधों में व्यापार प्रतिबंधों का इस्तेम
लगातार कमज़ोर पड़ रही बहुपक्षीय प्रणाली ने वैश्विक निगम
COP26 जैसे आयोजनों की तैयारी काफी पहले शुरू की जाती है. इस बार
चीन सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग में आत्मनिर्भरता हासि
भारतीय बाज़ार का तौर-तरीक़ा चीन से काफ़ी हद तक मिलता-जुलत
चीन ने अपनी आर्थिक रणनीति को विश्व मंच पर पेश किया
ट्रंप प्रशासन चीन के साथ संबंधों को जिस तरह निभा रहा है और
दोबारा राष्ट्रपति चुने जाने के लिए डोनाल्ड ट्रंप नए सिरे
चौथे अधिवेशन में कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना अहम सामाजिक-
चीन और अमेरिका के बीच Huawei को लेकर चल रहे वार-पलटवार के चलते
कुल मिलाकर दांव बहुत ऊंचे लगे हैं, क्योंकि यह चीन और अमेरि
अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप और घरेलू नीतियों को नापसंद कर
बीजिंग का रुख व्यावहारिक दिख रहा है, जो उसके लिए जरूरी भी
क्या अमेरिकी जनता चीन से पूरे ज़ोर शोर से लंबे समय तक ट्र
भारत अमेरिका ही नहीं, अन्य किसी भी निर्यात बाजार में चीन क
आने वाले दिनों में जब अमेरिका के साथ व्यापार युद्ध और तेज
अफ़्रीका में ट्रेंड बदल रहा है। जहां पूर्वी अफ़्रीका सत्
आख़िरकार एक वैश्विक व्यापर युद्ध को लेकर बन रहा अनिश्चितत
अगर ट्रम्प अपने इरादों पर अटल रहे और अगर एक व्यापार युद्ध
हालिया वर्षों में यूनाइटेड स्टेट्स (US) ने डोनाल्ड ट्रंप 1.0 तथा जो बाइडेन दोनों के ही प्रशासन में चीन से निपटने के लिए तकनीक की अनुपलब्धता का रास्ता चुना है. तकनीकी अनुपलब्धत
वॉशिंगटन और बीजिंग दोनों ने कहा था कि वे लंबी लड़ाई के लिए तैयार हैं, लेकिन अस्थायी सौदा उम्मीद से कहीं अधिक तेजी से और आसानी से हुआ.
विश्व की कुछ दिग्गज कंपनियों द्वारा स्थापित आपूर्ति शृंखला इससे चरमरा सकती है.
समन्वित प्रयासों के अभाव में EEE उत्पादन, ख़पत, ई-वेस्ट उत्पादन और वैश्विक अपशिष्ट प्रवाह को ट्रैक और मॉनिटर करने के लिए एक एकीकृत ढांचा स्थापित करना और एक सुसंगत दृष्टिकोण र
चीन-अमेरिकेतील व्यापार युद्धाचे प्रतिबिंब आफ्रिकी देशांतील राजकारण आणि अर्थकारणावर पडले तरी चीन तिथे अमेरिकेला भारी पडेल, असे चित्र आहे.
हे समजून घेणे आवश्यक आहे की पुरवठा साखळीतील लवचिकतेसाठी कोणतेही धोरण अल्पावधीत पुरवठादार होणार नाही. चीनचे झिरो-कोविड धोरण व्यवस्थेसाठी ओझे बनले आहे.
ट्रांसअटलांटिक साझेदारी में दिख रही दरारों और यूनाइटेड स्टेट्स-चीन के बीच प्रतिद्वंद्विता में तेजी और बढ़ते व्यापारिक तनाव के बीच में सब कुछ निराशाजनक है और ख़त्म होने
व्यापार युद्ध आणि आर्थिक पुनर्रचना जवळ येत असताना, या बदलत्या परिस्थितीत भारताचे यश हे स्वायत्ततेसह सहकार्याचा समतोल साधण्याच्या क्षमतेवर अवलंबून असेल.