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काबुल पर तालिबान के कब्ज़े के बाद से अफ़ग़ानिस्तान में म�
चीन को तुष्ट करने की श्रीलंका की कोशिश भारत के साथ उसके द्
ऑन्ग सान सू की पर कई मामलों पर मुक़दमा चलाए जाने से पूरी द�
कुदरती और इंसान जनित तबाही इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में लगात
जैसा कि पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन चार साल बाद जेल
इतिहास गवाह है कि चीन पहले अपनी बस्तियां बसाता है फिर वहा�
ऐसा प्रतीत हो रहा है कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय एक चट्टान औ�
यह तय है कि निरंकुश ताक़त के दम पर चीन को दुनिया की निर्विव�
अफ़ग़ानिस्तान में बढ़ती हुई राजनीतिक अस्थिरता की वजह से, �
दुनिया से कट कर एक रूढि़वादी और दमनकारी तालिबान सरकार से �
19 माह के पश्चात, दोनों ही देश की सरकार ने अपने अपने बॉर्डर �
सीमा पर चीन के आक्रामक बर्ताव के बीच, उसके सीमा संबंधी नए �
अतीत में चंद मौकों पर सरकार ने अपना प्रभाव दिखाने और अपनी
पार्टी के भीतर तनावों के बावजूद स्पीकर नाशीद कई मोर्चों �
क्या प्रधानमंत्री इमरान खान अपने प्रशासन और सेना के बीच �
हाल के दिनों में निवेश को लेकर असमानता में बढ़ोतरी होने स�
बांग्लादेश एक उदारवादी इस्लामी देश के रूप में जाना जाता �
किस तरह से लंबे अरसे से नेपाली सत्ता पर काबिज शक्तिशाली स�
संगठन को पूरी तरह अपंग होने से बचाने के लिए सार्क से अफ़ग़
अफ़ग़ानिस्तान में वैश्विक ताक़तों और पड़ोसी देशों ने एक
पाकिस्तान समर्थित आतंकवादी समूह के साथ तालिबान के काम कर
अफ़ग़ानिस्तान में इस वक़्त, उसके पड़ोसी मध्य एशियाई देशो
जहां तक मान्यता की बात है तो रूस भी अभी तक मान्यता देने को �
शिक्षा नीति से व्यक्ति से व्यक्ति तक के संबंध मज़बूत होत�
कैसे राष्ट्र-निर्माण गतिविधियां सफल होंगी जब वरिष्ठ अमे�
तालिबान सरकार के गठन और उनकी गतिविधियों से यही प्रतीत हो�
तालिबान के हाथों काबुल का धराशायी होना समसामयिक इतिहास म
नेपाल में निजी क्षेत्र की तरह ही सार्वजनिक क्षेत्र पर भी �
हिमालय की घाटी में बसा देश नेपाल भी अपने उन नागरिकों को नि
साम्राज्यों का क़ब्रिस्तान कहे जाने वाले अफ़ग़ानिस्तान
आज जब तालिबान अफ़ग़ानिस्तान के ज्यादातर इलाकों पर कब्ज़�
शंघाई सहयोग संगठन(एससीओ) और क्षेत्रीय आतंक रोधी ढांचा (आर�
अब तक अफ़ग़ानिस्तान में कोई राजनीतिक समझौता न हो पाने और �
हमेशा की तरह मालदीव के राष्ट्रपति इब्राहिम सालेह के खेमे
आधुनिक विद्रोही और आतंकवादी संगठनों की तरह ही तालिबान के
ऐतिहासिक उदाहरणों और जमीनी मौजूदा सच्चाई पूरी तरह से इस �
अफ़ग़ानिस्तान को न सिर्फ़ दुनिया की उन बड़ी ताक़तों ने उ�
दरअसल, अमेरिका अपने सैनिकों की वापसी के बाद भी अफ़ग़ानिस�
जो बाइडेन ने 8 जुलाई को कहा था कि ज़रूरी नहीं है कि अफ़ग़ान�
म्यांमार की अभी पहली प्राथमिकता अपने नागरिकों की जान बचा
पश्चिम एशिया के भू-राजनीतिक परिदृश्य से लेकर अफ़ग़ानिस्�
अगर तालिबान कट्टरपंथी रवैया बनाए रखता है और सुधरता नहीं �
जम्मू हमले ने एक मॉडल को पहले से ही तैयार कर लिया है जो दो अ
पूरे देश में तालिबान का बढ़ता दायरा एक डरावनी तस्वीर पेश �
जो चीजें नई दिल्ली को काबुल से जोड़ पाती हैं और दोनों देशों
दक्षिण पूर्वी एशियाई देशों ने कई आपूर्तिकर्ता देशों से अ
उज़्बेकिस्तान के लिए ज़रूरी है कि वो पड़ोस के क्षेत्र मे�
गठबंधन के साझेदार, सरकार की धर्म पर केंद्रित ‘नफ़रती अपर�
अभी दिख रहा है कि तालिबान जीत रहा है और पाकिस्तान उसके साथ