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पार्टी के भीतर तनावों के बावजूद स्पीकर नाशीद कई मोर्चों पर राष्ट्रपति इब्राहिम सोलिह के साथ नज़दीकी तौर पर काम कर रहे हैं.
पांच महीनों के बाद घर वापस आने पर मालदीव की संसद के स्पीकर मोहम्मद नाशीद ने रविवार, 24 अक्टूबर को राष्ट्रपति इब्राहिम सोलिह से मुलाक़ात की. ये मुलाक़ात नाशीद के द्वारा ये एलान करने के कुछ दिनों के बाद हुई कि वो अपने पुराने साथी के साथ ‘काम करने के लिए तैयार’ हैं. सोलिह के साथ नाशीद की मुलाक़ात राष्ट्रपति कार्यालय में हुई जिस दौरान दोनों ने राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था, पर्यावरण और गवर्नेंस सिस्टम- जिसे नाशीद मौजूदा राष्ट्रपति प्रणाली से बदलकर संसदीय प्रणाली में करना चाहते हैं- को लेकर चर्चा की.
इससे पहले माले में आमने-सामने की मौजूदगी में अपनी पहली प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान नाशीद ने कहा था कि संसदीय प्रणाली में बदलाव को लेकर फ़ैसला लेने से पहले वो सोलिह, जिन्होंने नाशीद के दुबई के रास्ते लंदन से आने पर अपने पुराने दोस्त और पार्टी के बॉस की अगवानी की थी, के साथ ‘संवाद’ करेंगे. अब जबकि नाशीद ने सोलिह के साथ कम-से-कम एक दौर की बातचीत कर ली है, ऐसे में नाशीद के अगले क़दम पर उत्सुकता से लोगों की नज़र रहेगी.]
अप्रैल और सितंबर में हुए राष्ट्रव्यापी स्थानीय निकाय के चुनावों और सत्ताधारी मालदीवियन डेमोक्रेटिक पार्टी (एमडीपी) के सांगठनिक चुनावों में कम संख्या में मतदान के रूप में दिखा था.
विदेश में रहने के दौरान, जहां नशीद ने 6 मई को माले में अपने ऊपर हुए एक बम हमले में घायल होने के बाद इलाज कराया था, नशीद ने ऐलान किया था कि वो सोलिह के साथ ‘राजनीतिक तौर पर नहीं जुड़ेंगे’. नशीद ने राष्ट्रपति प्रणाली में जल्द बदलाव की मांग भी की थी. इसके जवाब में सोलिह ने ऐसे बदलाव के लिए संविधान द्वारा बाध्यकारी ‘राष्ट्रीय जनमत संग्रह’ का ज़िक्र करते हुए वादा किया कि वो लोगों की इच्छा के मुताबिक़ काम करेंगे. लोगों ने एक दशक पहले ही राष्ट्रपति प्रणाली पर मुहर लगाई थी.
मालदीवियन डेमोक्रेटिक पार्टी (एमडीपी) में गुटबाज़ी ने पार्टी के समर्थकों और कार्यकर्ताओं को हतोत्साहित किया है और इसका नतीजा क्रमश: अप्रैल और सितंबर में हुए राष्ट्रव्यापी स्थानीय निकाय के चुनावों और सत्ताधारी मालदीवियन डेमोक्रेटिक पार्टी (एमडीपी) के सांगठनिक चुनावों में कम संख्या में मतदान के रूप में दिखा था. अगर हाल के मेल-मिलाप का मिज़ाज बना रहा तो सांगठनिक चुनाव के नतीजों के बाद पार्टी में दो-फाड़ होने का डर कम-से-कम अभी के लिए दूर हो जाएगा.
गवर्नेंस सिस्टम में बदलाव की अपनी मांग को लेकर नाशीद के कायम रहने या उसे फिलहाल टालने से अलग एमडीपी की राजनीति को लेकर ज़्यादा साफ़ तस्वीर उस वक़्त होगी जब नाशीद 2023 के राष्ट्रपति उम्मीदवार को लेकर पार्टी के प्रत्याशी को चुनने पर अपनी राय साफ़ करेंगे. सोलिह के गुट को लगता है कि मौजूदा राष्ट्रपति का मनोनयन होना चाहिए और इसके लिए वो पार्टी के संशोधित उप नियमों के एक प्रावधान का हवाला देता है जिसको चुनौती दी गई है. सोलिह ने इस मामले में अपने फ़ैसले का एलान नहीं किया है जिसकी वजह से हर तरफ़ अटकलें लग रही हैं.
जब मीडिया विश्लेषकों और विपक्षी नेताओं जैसे पूर्व गृह मंत्री और राष्ट्रपति पद के दावेदार उमर नसीर ने संविधान के तहत अलग-अलग विभागों पर मंत्रालय की निगरानी के बारे में बताया तो सोलिह ने पुरानी व्यवस्था बहाल कर दी.
राष्ट्रपति सोलिह और स्पीकर नाशीद- दोनों यूनाइटेड किंगडम के ग्लासगो में आयोजित संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन (31 अक्टूबर-12 नवंबर) में भाग ले रहे हैं. ग्लासगो जाने के दौरान सोलिह ने दुबई एक्सपो का दौरा किया जहां नाशीद मालदीव जाने के दौरान गए थे. देश के भीतर सोलिह विकास योजनाओं की समीक्षा करने और राष्ट्रपति के रूप में दूसरे सार्वजनिक समारोहों में शामिल होने के लिए द्वीपों की व्यापक यात्रा कर रहे हैं. इस दौरान वो वहां के लोगों और पार्टी के कार्यकर्ताओं के लगातार संपर्क में हैं.
सत्ताधारी गठबंधन के भीतर एमडीपी नेताओं के बीच ऊपरी तौर पर मेल-मिलाप पार्टी के तीन सहयोगियों को नाराज़ कर सकता है. उन्होंने 2018 के चुनाव में पहले चरण के दौरान सोलिह की अभूतपूर्व जीत में योगदान दिया था और तब से उन्होंने राष्ट्रपति प्रणाली के लिए अपना समर्थन दोहराया है.
इस संदर्भ में पंद्रह दिन पुराने राष्ट्रपति कार्यालय के संदेश, जिसके ज़रिए मालदीव पुलिस सेवा (एमपीएस) को गृह मंत्रालय के नियंत्रण से हटा दिया गया, के लीक होने के समय ने सोलिह के नेतृत्व के लिए ऐसी कई तरह की शर्मिंदगी पैदा की है जिनसे परहेज़ किया जा सकता था. इसकी वजह ये है कि गृह मंत्रालय का नेतृत्व अदालत पार्टी (एपी) के नेता इमरान अब्दुल्ला करते हैं. संसद में स्पीकर नाशीद ने स्पष्टीकरण दिया था कि नये अधिनियम के तहत नीति निर्माण का प्रभार गृह मंत्रालय को होगा.
एक नई उलझन उस वक़्त जुड़ी जब राष्ट्रपति कार्यालय की वेबसाइट से गृह मंत्रालय ‘ग़ायब’ हो गया. लेकिन गृह मंत्री इमरान ने गठबंधन को उस वक़्त बचा लिया जब उन्होंने एक ट्वीट किया, जिसे कुछ लोगों ने ‘महत्वपूर्ण’ बताया, कि ‘कुछ अच्छा करने में बाधाएं खड़ी होती हैं’. जब मीडिया विश्लेषकों और विपक्षी नेताओं जैसे पूर्व गृह मंत्री और राष्ट्रपति पद के दावेदार उमर नसीर ने संविधान के तहत अलग-अलग विभागों पर मंत्रालय की निगरानी के बारे में बताया तो सोलिह ने पुरानी व्यवस्था बहाल कर दी.
150 दिनों के बाद संसद सत्र की अध्यक्षता करते हुए स्पीकर नाशीद ने अपने पहले के फ़ैसले को दोहराया कि मालदीव के रक्षा बलों के लिए ‘नौसैनिक अड्डा’ के निर्माण को लेकर भारत के साथ सरकार की ‘उथुरु थिलाफाल्हु (यूटीएफ) संधि’ ‘गुप्त’ नहीं थी. उन्होंने संसद का हवाला भी दिया जिसने कुछ समय पहले रक्षा मंत्रालय को संधि की प्रतिलिपि देने के लिए कहा था. इससे अलग, सूचना आयुक्त ने भी मालदीव नेशनल डिफेंस फोर्स (एमएनडीएफ) को निर्देश दिया था कि वो एक याचिकाकर्ता मीडिया समूह को संधि के बारे में स्पष्ट करे.
सभी संदेहों और आलोचनाओं को साफ़ करते हुए सरकार ने तुरंत संसद की राष्ट्रीय सुरक्षा पर समिति, जो ‘241 समिति’ के नाम से जानी जाती है, के सामने संधि को पेश कर दिया ताकि सदस्य गोपनीयता के नियमों के तहत उसे पढ़ सकें.
सभी संदेहों और आलोचनाओं को साफ़ करते हुए सरकार ने तुरंत संसद की राष्ट्रीय सुरक्षा पर समिति, जो ‘241 समिति’ के नाम से जानी जाती है, के सामने संधि को पेश कर दिया ताकि सदस्य गोपनीयता के नियमों के तहत उसे पढ़ सकें. रक्षा मंत्री मारिया दीदी और उनकी टीम सफ़ाई पेश करने के लिए मौजूद थी. समिति के सत्र के अंत में उसके अध्यक्ष मोहम्मद असलम ने टिप्पणी की, “संधि में ऐसी कोई भी चीज़ नहीं है जो मालदीव की संप्रभुता पर सीधे असर डालेगी”.
जब विपक्ष ने फरवरी में भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर के दौरे में संधि पर हस्ताक्षर के ख़िलाफ़ विरोध प्रदर्शन किया तो सोलिह सरकार ने इसे ‘फ़र्ज़ी’ बताया जैसा कि पूर्व गृह मंत्री उमर नासिर ने कहा था. ये जानकारी नहीं है कि क्या सरकार भी इसी तरह सूचना आयुक्त के निर्देश पर काम करेगी. इसे संयोग कहिए या कुछ और कि दिल्ली में एक रक्षा कॉन्क्लेव को संबोधित करते हुए रक्षा मंत्री मारिया दीदी ने कहा कि भारत के साथ द्विपक्षीय संबंध ‘सबसे मज़बूत स्थिति’ में हैं और किसी भी संकट के दौरान भारत ने सबसे पहले मदद की है.
शर्मिंदगी से बचने के लिए पहले से तैयारी के तहत समिति की बैठक से एक दिन पहले विपक्ष ने माले में एक रैली की जिसे ‘इंडिया मिलिट्री आउट’ नाम दिया गया. इस रैली के ज़रिए संकेत दिया गया कि विपक्ष सिर्फ़ मालदीव में भारतीय ‘सैन्य मौजूदगी’ का विरोध कर रहा है और वो विकास के काम में भारतीय मौजूदगी के ख़िलाफ़ नहीं है जैसा कि पहले उसका ‘अभियान’ था. विपक्ष के रुख़ में इस बदलाव के पीछे एक संभावित वजह ये हो सकती है कि उसे देर से पता चला कि भारत के लिए लोगों का समर्थन बहुत ज़्यादा है क्योंकि भारत कोविड-19 महामारी के दौरान मालदीव की ज़रूरतों और चिंताओं को लेकर हमेशा एक क़दम आगे बढ़ने के लिए तैयार रहा.
एक अन्य घटनाक्रम के तहत, जिसका मालदीव की घरेलू राजनीति पर भी असर होगा, भारत के निवर्तमान उच्चायुक्त संजय सुधीर ने एलान किया है कि मालदीव नेशनल डिफेंस फोर्स (एमएनडीएफ) के तीन पायलट डोर्नियर एयरक्राफ्ट पर ट्रेनिंग पूरी करने के बाद लौट आए हैं. डोर्नियर वही एयरक्राफ्ट है जिसे भारत ने तोहफ़े के रूप में मालदीव को दिया था. बाद में सफ़ाई देते हुए कि भारत भी ज़रूरत के मुताबिक़ तकनीकी कर्मचारियों को ट्रेनिंग दे रहा था, उच्चायुक्त ने कहा कि एमएनडीएफ को इस साल ट्रेनिंग के लिए निर्धारित समय में से 42 स्लॉट उड्डयन के लिए था.
भारतीय राजदूत सुधीर ने दोहराया कि दक्षिण अड्डू में भारतीय पैसे से बनी पुलिस एकेडमी एक ‘भारतीय संपत्ति नहीं है’. उन्होंने कहा कि आने वाले हफ़्तों में इसे सौंपे जाने के बाद मालदीव पुलिस इसकी उपयोगिता पर फ़ैसला लेगी.
विपक्ष के ‘इंडिया आउट’ अभियान, जिसके तहत भारत की फंडिंग से तैयार लगभग सभी प्रतिष्ठानों पर निशाना साधा गया जिनमें मालदीव का सबसे बड़ा थिलामले समुद्र पुल शामिल है, के समय
को देखते हुए और इस तथ्य के मद्देनज़र कि ये अभियान लोगों का समर्थन हासिल करने में नाकाम रहा है भारतीय राजदूत सुधीर ने दोहराया कि दक्षिण अड्डू में भारतीय पैसे से बनी पुलिस एकेडमी एक ‘भारतीय संपत्ति नहीं है’. उन्होंने कहा कि आने वाले हफ़्तों में इसे सौंपे जाने के बाद मालदीव पुलिस इसकी उपयोगिता पर फ़ैसला लेगी.
उच्चायुक्त के तौर पर अपने आख़िरी हफ़्तों में एम्बेसडर सुधीर ने मालदीव के परिवहन मंत्री आईशथ नाहुला के साथ क्षेत्रीय समुद्री सुरक्षा और जहाज़ों की लंबी दूरी से पहचान और निगरानी के ज़रिए सुरक्षा को लेकर एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर भी किया. इस तरह से मेज़बान देश को अपना आपदा केंद्र स्थापित किए बिना अंतर्राष्ट्रीय समुद्री संगठन (आईएमओ) को लेकर कर्तव्य को पूरा करने में मदद की.
स्थानीय मीडिया से अलग-अलग बातचीत के दौरान सुधीर ने इनकार किया कि भारत ने मालदीव के नागरिकों को वीज़ा देने की रफ़्तार धीमी कर दी है. सुधीर ने कहा कि सोशल मीडिया में जिस तरह से पेश किया गया उससे अलग ‘मालदीव के लिए एक ऐसी सुविधा है जो ई-वीज़ा से भी अच्छी है और वो सुविधा है वीज़ा का नहीं होना.’ ग़लतफ़हमी की वजह नई व्यवस्था के बावजूद पहले की तरह स्थानीय लोगों का भारतीय उच्चायोग में लगातार भीड़ लगाना हो सकता है. लोग पहले की व्यवस्था के तहत तारीख़ और निर्धारित समय पर अलर्ट मिलने की वजह से वीज़ा के लिए जुट रहे होंगे.
उच्चायोग ने एलान किया कि ‘कुछ मुठ्ठी भर लोग भारत के ख़िलाफ़ नफ़रत फैलाना चाहते हैं’ और कुछ मीडिया समूह जिन्होंने भारत के ख़िलाफ़ ग़लत बात करने को ‘अपना पेशा बना लिया है’ वो मालदीव की सही भावना का प्रतिनिधित्व नहीं करते. जैसा कि उन्होंने ध्यान दिलाया, ‘संकट के समय में भारत ने हमेशा सबसे पहले मालदीव का साथ दिया है. मालदीव में भारत को लेकर सद्भावना बहुत ज़्यादा है.’
ये संयोग ही है कि मालदीव की सरकार ने पिछले साल 15 जुलाई को विदेशी पर्यटकों के लिए देश को खोलने के बाद एलान किया कि विशाल उत्तरी पड़ोसी किस तरह उसके बाजार का सबसे बड़ा स्रोत रहा है. मालदीव की अर्थव्यवस्था का सबसे बड़ा सहारा पर्यटन है लेकिन महामारी के प्रकोप के बाद उस पर काफ़ी बुरा असर पड़ा और अब मालदीव में आने वाले हर चार सैलानी में से एक भारतीय है.
महामारी के बाद भारतीयों के लिए अमेरिका के खुलने पर भारतीय सैलानियों के पश्चिमी देशों की ओर जाने की अटकलों के बीच उच्चायुक्त सुधीर ने मुंबई के स्थानीय व्यापारियों, टूर ऑपरेटर, ट्रैवल एजेंट और विदेशी यात्रा बाज़ार (ओटीएम) के उच्च स्तर के अधिकारियों के साथ कई दौर की गोल मेज चर्चा की ताकि भारत में मालदीव को ज़्यादा ज़ोर देकर बढ़ावा दिया जा सके.
भारतीय उच्चायुक्त की दलीलों को पुष्ट करते हुए, हालांकि एक बिल्कुल अलग दृष्टिकोण से, मालदीव के वित्त मंत्री इब्राहिम अमीर ने एक ट्वीट में ध्यान दिलाया कि किस तरह यामीन की सरकार के द्वारा भारतीय इंफ्रा कंपनी जीएमआर ग्रुप के माले हवाई अड्डे के लिए निर्माण-सह-रियायत ठेका को ख़त्म करने के कारण मालदीव को 13 अरब अमेरिकी डॉलर के भारी-भरकम फ़ायदे को छोड़ना पड़ा. अगर योजना के मुताबिक़ हवाई अड्डा 2014 में बन गया होता तो मालदीव में कोविड-19 से पहले रिकॉर्ड 67 लाख सैलानी आए होते और इसकी वजह से देश की जीडीपी 2020 की मौजूदा 5 अरब अमेरिकी डॉलर की जगह 10 अरब डॉलर के स्तर पर होती.
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N. Sathiya Moorthy is a policy analyst and commentator based in Chennai.
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